आसमुद्रात्तु वै पूर्वादासमुद्रात्तु पश्चिमात्। तयोरेवान्तरं गिर्यारार्यावर्तं विदुर्बुधाः।।
सरस्वती दृषद्वत्योर्देवनद्योरन्तरम्।तं देवनिर्मितं देशमार्यवर्तेति प्रचक्षते।।
परम् तपस्वी न्याय व्याकरणादि अत्यन्त दुरूह शास्त्रों में अबाध्य गति रखने वाले पूज्य वाचस्पति डा.दिव्य चेतन ब्रह्मचारी जी के अध्यक्षता में साथ वाराणसी के विशिष्ट महानुभावों की उपस्थिति में यह संस्था का प्रारुप तैयार किया। सनातन जिस तरह शास्वत एवं आद्यन्त रहितता की बातें करता है हमारे यहां जीव कल्याणार्थ ही ऋषियों ने अनेक शास्त्रसम्मत मार्गों का प्रणयन किया।यह संस्था सनातन, संस्कृत,संस्कृति एवं संस्कार सकारचतुष्टय पर आधारित है।वास्तव में हम यदि इन सकारचतुष्टय की अवधारणा के यथार्थता के साथ जान लिया तो सम्पूर्ण ज्ञान-विज्ञान जान लिया।
पद्मश्री श्रीमती सन्तोष यादव (पर्वतारोही)
संतोष यादव भारत की एक पर्वतारोही हैं। उन्होने दो बार माउंट एवरेस्ट पर जीत पाकर विश्व रिकार्ड बनाया है। लेकिन उन्होंने बचपन में यह कभी नहीं सोचा था कि वह पर्वतारोहण करेंगी और विश्वविख्यात हो जाएंगी। वह पहली और एकमात्र ऐसी महिला हैं, जिन्होंने दो बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की है। उनकी इसी उपलब्धि के लिए भारत सरकार की ओर से उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया है।
महन्त श्री अमर दास जी महाराज
रामानन्दाचार्य सम्प्रदाय कुलभूषण श्री सुदामा कुटी के यशस्वी महन्त
वृन्दावन, उत्तर प्रदेश
संस्थापक - आसनेन रुजो हन्ति योगसंस्थानम्
संस्था के सभी सदस्य देखें-
1.प्रो.माधव जनार्दन रटाटे (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,वाराणसी.उ.प्र.)
2.डा. सतेन्द्र कुमार मिश्र (विक्रम विश्वद्यालय, उज्जैन म.प्र.)
3.श्री रुद्रेश सिंह (अन्तर्राष्ट्रीय योग प्रशिक्षक)
4. श्री रमण त्यागी ( आयुर्वेद एवं नेचुरोपैथी चिकित्सक)
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