Sai Bhajans
Sai Bhajans by Uday Shah
छंद/बहर में ऊपर बिंदी मुख्य पद्यभार और नीचे बिंदी गौण पद्यभार
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फूल खिला दो तुम गुलशन में;
प्यार जगा दो सब के मन में।
तेरी रहमत से हे त्राता;
गुल खिल जाएं उजड़े बन में।
और के ऐब को गिनने से पहले;
ख़ुद को देखुं मन दरपन में।
हर पल तेरा स्मरण करूं मैं;
लीन रहुं मैं तेरे भजन में।
छंद/बहर : गांगाग़ागा गांगाग़ागा
क़ाफ़िया-व्यवस्था : अकार+न
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दीन दुखी का तू है सहारा;
तूने सब को पार लगाया।
चांद भी तू सूरज भी तू है;
तू ही सांज है तू ही सवेरा।
मेरा यहां पे कुछ भी नहीं है;
दिया हुआ है सबकुछ तेरा।
सब कुछ रह जाएगा यहां पे;
नाम तेरा ही साथ आएगा।
सो ही रहा था मैं ग़फ़लत में;
नींद से मुझको तूने जगाया।
एक ही आरज़ू दिल में मेरे;
पाऊं सिर्फ़ इक दरसन तेरा।
छंद/बहर : गांगाग़ागा गांगाग़ागा
क़ाफ़िया-व्यवस्था : आकारांत
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जबसे मुझको तू है मिला;
तब से दिल का फूल खिला।
दुश्मन से भी प्यार किया;
नाहीं कोई शिकवा गिला।
कोई पत्थर फेंके तो;
उसको दें हम गुल का सिला।
तुझको ढूंढा कहां-कहां;
आख़िर सब के दिल में मिला।
छंद/बहर : गांगाग़ागा गांगाग़ा
क़ाफ़िया-व्यवस्था : इकार+ला
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खोया-खोया रहता हूं;
याद उसीको करता हूं;
मस्त-मगन मैं रहता हूं;
याद उसीको करता हूं।
लोगों की कब सुनता हूं;
अपनी भी कब करता हूं;
ध्यान मैं उसका धरता हूं;
याद उसीको करता हूं।
दुनिया से हो करके दूर;
भक्ति की मस्ती में चूर;
उसकी राह पे चलता हूं;
याद उसीको करता हूं।
दिन में मुझको चैन कहां;
रातों में भी नींद कहां;
जागा-जागा रहता हूं;
याद उसीको करता हूं।
देखा मैंने यहां-वहां;
उसको अब मैं ढूंढूं कहां;
गली-गली में फिरता हूं;
याद उसीको करता हूं।
छंद/बहर : गांगाग़ागा गांगाग़ा; गांगाग़ागा गांगाग़ा।
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आया हूं तेरे दर पे बाबा;
झोली मेरी भर दे बाबा।
काम क्रोध लालच का दरिंदा;
मेरे मन से हर दे बाबा।
नफ़रत मेरे दिल से मिटा कर;
दिल को प्यार से भर दे बाबा।
दुख से भरा है जीवन मेरा;
ख़ुशियां थोड़ी भर दे बाबा।
बीच भंवर में भटक रहा हूं;
नाव को पार तू कर दे बाबा।
छंद/बहर : गांगाग़ागा गांगाग़ागा
क़ाफ़िया-व्यवस्था : अकार+र
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सांई तेरा बड़ा है नाम;
मेरा भी तू कर दे काम।
बच निकले हैं तूफ़ां से;
ले करके हम तेरा नाम।
बाबा मेरे तन-मन में;
गूंजे सदा ही तेरा नाम।
सांई तेरी भक्ति में;
मगन रहूं मैं सुब्ह-ओ-शाम।
छंद/बहर : गांगाग़ागा गांगाग़ा
क़ाफ़िया-व्यवस्था : आकार+म
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शिरडीवाले सांईबाबा;
मुझको है बस तेरी आशा।
चैन कहीं मिलता ही नहीं है;
दर-दर भटका हूं मैं प्यासा।
अपने कर्मों पर शरमा कर;
थक कर तेरे दर पे आया।
चाहा जो भी कुछ जीवन में;
आ कर तेरे दर पे पाया।
छंद/बहर : गांगाग़ागा गांगाग़ागा
क़ाफ़िया-व्यवस्था : आकारांत
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सांई तुझसे नाता जोड़ा;
झूटे जग से रिश्ता तोड़ा।
पापों के अंधियारे पथ से;
तूने मेरा जीवन मोड़ा।
दुख की तो फ़रियाद नहीं है;
लेकिन भर दो सुख भी थोड़ा।
सब का मालिक एक बता कर;
तूने सब के दिल को जोड़ा।
छंद/बहर : गांगाग़ागा गांगाग़ागा
क़ाफ़िया-व्यवस्था : ओकार+ड़ा
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सांई तेरी मूरत पर मैं वारी-वारी जाऊं;
तेरी किरपा रहे हमेशा तेरा ही गुण गाऊं।
ध्यान में तेरे ख़ुद को भूलूं दुनिया को भुल जाऊं;
इस सृष्टि के कण-कण में बस तेरा दरसन पाऊं।
दूर करे मेरे सारे दुख बिगड़े काम बनाएं;
तेरी रहमत को बाबा मैं दिल से भूल न पाऊं।
सुख और दुख दोनों को बाबा कर्मों का फल समझूं;
श्रद्धा सबूरी को अपना कर दुख में हिम्मत पाऊं।
जो भी चाहे जैसे चाहे शिरडी तक वो आएं;
अपने घर से शिरडी तक मैं पैदल चलके आऊं।
छंद/बहर : गांगाग़ागा गांगाग़ागा गांगाग़ागा गांगा
क़ाफ़िया-व्यवस्था : आकार+ऊं
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सांईराम सांईराम जय सांईराम;
प्यार से बोलो जय सांईराम।
सब का मालिक एक ही मान;
कहता सब को जय सांईराम।
श्रद्धा सबूरी का पैग़ाम;
देता सब को जय सांईराम।
सब के दिल में है भगवान;
दिल में ही ढूंढो जय सांईराम।
कोई कर दे जो अपमान;
प्यार से कह दो जय सांईराम।
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ॐ सांई ॐ सांई ॐ सांईराम;
जय-जय सांई जय-जय सांई जय-जय सांईराम।
चाहे जितना कर लो नाम;
साथ आएगा सांई का नाम।
परमकृपालू है तेरा नाम;
तू ही रहीम और तू ही राम।
जीवन नैया बीच तूफ़ान;
पार लगाओ हे सांईराम।
सुख हो या दुख धर लो ध्यान;
लेते रहो सब सांई का नाम।
कोई कितना हो धनवान;
सच्ची दौलत सांई का नाम।
हम सब हैं तेरी संतान;
चरनों में रख लो हे सांईराम।
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