स्वामी गगनगिरी भावे तुजला येतो शरण |
स्वामी गगनगिरी भावे तुजला येतो शरण |
दत्तात्रेया सद्गुरुवर्या तन-मन अर्पून ||ध्रु.||
अत्री अनुसूया ज्ञान ज्योति जणू परब्रम्ह मूर्ति |
ब्रह्मा विष्णू शिव एक होऊनी सदनी तया जाती
सत्व पाहुनी अनुसूयेचे शिशुरूप होती
दत्तात्रय श्रीपाद गगनगिरी प्रकटे त्रैमूर्ती ||१||
कलिप्रभावे भावभक्तिहीन झाले नर नारी |
परमगती हा मार्ग सोडुनी गुरफटले उदरी ||
यज्ञ याग तप दान नेणुनी रमले संसारी |
सुलभपणे निज स्मरणे त्यांसी सद्गुरु उध्दरी ||२||
परमपूज्य श्रीपाद गगनगिरी भूवरी प्रगटती |
दिव्य प्रेमरस पाजुनी दासा भाव भक्ति देती |
ज्ञान प्रकाशे तप तेजाने कलीमल दाहती |
परमानंदे विश्व भरोनी टाकी गुरूमूर्ति ||३||
★ Refer book ❛चैतन्यलहरी❜ available in most of the Gagangiri Maharaj ashrams.
๑۩۞۩๑|| ॐ चैतन्य गगनगिरी नाथाय नमः ||๑۩۞۩๑