मुंह और जबड़े, खाने, चबाने, बोलने और निगलने के रूप में विभिन्न कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जबड़े और मुंह में मांसपेशियों कि अत्यधिक अनैच्छिक संकुचन के कारण तरह-तरह की समस्यायें हो सकती हैं. इन समस्याओं में खाद्य पदार्थों को चबाने में असमर्थता (चबाने में कठिनाई), मुंह खोलने या बंद करने में दिक्कत (जबडे के अकड जाने का रोग), मुंह, जीभ, और/या होठों में झटके अथवा मांसपेशियों में दर्द, जबड़े का पार्श्व विस्थापन, निगलने में कठिनाई (डिस्फ़ागिया) या बोलने में कठिनाई(डिसअर्थ्रिया) जैसी समस्यायें शामिल हैं. इस तरह के लक्षणों से मुंह और/या जबड़े की दुस्तानता (मौखिक और मैक्सिलोफैशियल दुस्तानता), शंखअधोहनुज जोड़ों का रोग, मौखिक अपगति, बुक्सिज्म, संधिवात रोग, मानसिक रोग और/या चबाने के मांसपेशियों में टेंडन-अपोन्युरोसिस हाइपरप्लेजिया हो सकता है. इन लक्षणों के कारण, इनमें से एक या एक से अधिक रोग एक समय में हो सकते हैं. अनैच्छिक क्रियाओं की एक किस्म ओरोफेसिअल क्षेत्र (मुंह, जबड़े और चेहरे में) में हो सकता है, इनमें से ज्यादातर का सही ढंग से निदान नहीं हो पाता है. वास्तव में, मौखिक और मैक्सिलोफैशियल दुस्तानता को शंखअधोहनुज जोड़ों का रोग, मानसिक रोग, बुक्सिज्म या शंखअधोहनुज संधिग्रह के रूप में गलती से समझना एक आम बात है. दंत चिकित्सक या मौखिक सर्जन द्वारा निदान किये गये अधिकांश मरीजों का शुरू में दंत चिकित्सा उपकरणों के साथ उपचार किया जाता है. जबड़े का रोग जो कि मौखिक और मैक्सिलोफैशियल दुस्तानता का सबसे सामान्य प्रकार है, इसके मरीजों में से 80% शुरुआत में दंत चिकित्सक या मौखिक और मैक्सिलोफैशियल सर्जन के पास चले जाते हैं. इनमें से कोई भी मरीज दुस्तानता के लक्षण के लिए पहचाना नहीं जाता है. इन मरीजों को सही चिकित्सा नहीं मिल पाती है और इस प्रकार उनकी स्थिति और भी बदतर होती जाती है. इसके अलावा, दंत छात्रों को केवल अपगति तथा बुक्सिज्म जैसी अनैच्छिक क्रियाओं के बारे में ही सिखाया जाता है. इससे, वे शायद दुस्तानता के लक्षण को नहीं पहचान पाते हैं.