जितना बड़ा लक्ष्य उतना अधिक कष्ट, चुनना मार्ग तुम्हें है ।
रिस्ता बनाना इतना आसान है, जैसे मिट्टी पर मिट्टी से मिट्टी लिखना !!रिस्ता निभाना इतना कठिन है, जैसे पानी पर पानी से पानी लिखना !!
टेढ़े के साथ टेढ़ा हो जाना तो जगत में सभी को आता है और यह तो स्वाभाविक ही है लेकिन टेढ़े के साथ सीधा रहने का चमत्कार केवल ज्ञानी व्यक्ति ही कर पाते हैं ।
इतिहास इस बात का साक्षी है की जितना नुकसान हमें दुर्जनों की दुर्जनता से नहीं हुआ उससे ज्यादा सज्जनों की निष्क्रियता से हुआ ।
आचार्य चाणक्य
किसी से बस उतना ही दूर होना कि उसे आपकी अहमियत का एहसास हो जाए, इतना दूर ना हो जाना कि वो आपके बिना जीना ही सीख ले !
मेरी राष्ट्र की अखंडता में जो बाधक होगा उसका मैं सर्वनाश करूंगा, और स्वयं स्वर्ग के देवता भी मेरा मार्ग नहीं रोक सकते ।
आचार्य चाणक्य
सांप, राजा, शेर, सुअर, बालक, दूसरों का कुत्ता और मूर्ख, ये सातों सो रहे हों तो इन्हें नहीं जगाना चाहिए ।
जिंदगी में असली सफलता हम तभी हासित करते हैं, जब हम दूसरों को सफल होने में मदद करना सीख लेते हैं ।
जब आप किसी काम की शुरुआत करें, तो असफलता से मत डरें और उस काम ना छोड़ें जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं ।
आचार्य चाणक्य
मनुष्य का आचरण उसके कुल को बता देता है, उसका भाषण देश का पता दे देता है, उसका आदर भाव प्रेम का परिचय दे देता है और शरीर भोजन का हाल कह देता है ।
आचार्य चाणक्य
समय, सेहत और साथी मिलते तो मुफ्त हैं, मगर कीमत का पता तभी चलता है, जब ये कहीं खो जाते हैं ।
धन को बरबाद करने पर तो आप केवल निर्धन होते हैं, लेकिन समय को बरबाद करने पर तो आप जीवन का एक हिस्सा गंवा देते हैं ।
मिशेल लेवोएफ
मेरा यौवन तन देगा, मेरा मुनि मण्डल देगा । जीवन मूल्य चुकाने को मेरा भामाशाह धन देगा । - साध्वी ऋतम्भरा
मोम की तरह पिघलती है जिंदगी, गमों की आग में जलती है जिन्दगी ।
ठोकर लगे तो गम मत करना, ठोकर लगाकर संभालती है जिंदगी ।।
एक दिन सागर ने नदी से पूंछा कि कब तक मिलती रहोगी, मुझ खारे पानी से । नदी ने हंसकर कहा जब तक तुझमें मिठास न आ जाये !
महान उद्देश्य की प्राप्ति के लिये बहुत कष्ट सहना पड़ता है, जो तप के समान होता है, क्योंकि ऊंचाई पर स्थिर रह पाना आसान काम नहीं है ।
स्वामी विवेकानंद जी
गुनाह करके सजा से डरते हैं, जहर पी के दवा से डरते हैं ।
दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं हमें, हम तो दोस्तों के खफा हाने से डरते हैं ।।
अच्छा क्या है,
इसे सीखने के लिये एक हजार दिन भी कम हैं ।
लेकिन बुरा क्या है,
यह सीखने के लिये एक घंटा भी ज्यादा है ।।
लगातार हो रही असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिये.....
कभी-कभी गुच्छे की आखिरी चाबी ताला खोल देती है सदा सकारात्मक रहें ।
जीना है तो चलते हुये दोनों पैरों की तरह जियो, आगे वाले पैर को घमंड नहीं होता, और पिछले पैर को शर्म नहीं होती क्योंकि वो जानते हैं कि उनकी स्थिति बदलेगी ।।