हिंदी विभाग 

देशबंधु महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) की स्थापना 1952 में हुई। इसी के साथ हिंदी विभाग का प्रारंभ हु। देशबंधु महाविद्यालय का हिंदी विभाग साहित्यिक सांस्कृतिक और वैचारिक रूप से बेहद समृद्ध  रहा है। प्रारंभिक संकाय सदस्य उच्च कोटि की लेखिकाएं रही हैं। डॉ. कुसुम बांठिया, भाषा वैज्ञानिक के तौर पर जानी जाती हैं। इसके साथ ही उन्होंने अंग्रेजी, बांग्ला और पंजाबी से हिंदी में प्रभूत अनुवाद किए हैं। रंगकर्मी डॉ. विनीता अग्रवाल ने नाटक और आत्मकथा विधा पर उल्लेखनीय काम किया है। उन्होंने लंबे समय तक दिल्ली के इंडिया गेट से गणतंत्र दिवस समारोह का आकाशवाणी के लिए आँखों देखा हाल प्रस्तुत किया था। काव्यशास्त्री और भाषा वैज्ञानिक डॉ. राम स्वरूप शर्मा कॉलेज के बड़े लोकप्रिय अध्यापक रहे हैं। हिंदी विभाग के ही ख्यात अध्यापक श्री ओम प्रकाश कोहली, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष तथा सेवा निवृत्ति के बाद गुजरात के राज्यपाल रहे हैं। राजकुमारी प्रसाद,  राम लाल वर्मा,  डॉ. शशि मेहरा,  डॉ. मंजू दीवान, डॉ. बिक्रम सिंह विभाग के अन्य उल्लेखनीय शिक्षक थे। 

विभाग में इस समय सात स्थाई प्राध्यापक और चार तदर्थ प्रवक्ता कार्यरत हैं।

                हिंदी विभाग की साहित्यिक गतिविधियां चर्चित एंव महत्वपूर्ण रहती हैं। विभाग ने समय-समय पर महत्वपूर्ण विषयों पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किए हैं। विभाग प्रासंगिक विषयों पर व्याख्यानों की कई सीरीज़ चलाता रहा है। इनमें साहित्य के इतिहास लेखन की समस्या, भारतीय भक्ति काव्य, कविता क्या है आदि चर्चित श्रृंखलाएं हैं। विभाग द्वारा प्रतिवर्ष "डॉ. विनीता अग्रवाल स्मृति रचना पाठ एवं परिचर्चा" का आयोजन 2001 से अनवरत जारी है। इसी वर्ष डॉ. विनीता अग्रवाल का आकस्मिक निधन हुआ था। 

         वर्ष  2007- 08 के दौरान डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी की पहल पर देशबंधु कॉलेज और आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, कैनबरा के बीच करार हुआ। इस MoU के अनुसार आस्ट्रेलिया के  विद्यार्थी  साल-साल भर के लिए हिंदी पढ़ने देशबंधु कॉलेज आते रहे।

 

                 वर्ष  2011-12 में,  हिंदी विभाग के प्रभारी डॉक्टर मनोज कुमार सिंह रहे। 12 अप्रैल 2011 को डॉ. विनीता अग्रवाल स्मृति पाठ एवं परिचर्चा मेंं डॉ बिक्रम सिंह और डॉक्टर संजीव कुमार ने कहानी-पाठ किया। 29 सितंबर 2011 को 'पुरानी हिंदी और अमीर खुसरो' विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता विश्वनाथ त्रिपाठी रहे ।  


              27 जनवरी 2012 को कविता-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें आमंत्रित कवि मिथिलेश श्रीवास्तव, जसवीर त्यागी , बली सिंह और महेंद्र बेनीवाल थे। इस काव्य पाठ की अध्यक्षता विष्णु नागर जी ने की।  13 अप्रैल 2012 को 'डॉ विनीता अग्रवाल स्मृति पाठ एवं परिचर्चा' मेंं कथाकार रामेश्वर द्विवेदी ने कहानी पाठ किया। 9 अक्टूबर 2012 को 'रीतिकालीन कविता और समाज' विषय पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि डॉक्टर रामदेव शुक्ल रहे । 27 अगस्त 2012 को ' भारतीय नवजागरण और महाराष्ट्रीय संदर्भ ' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके मुख्य वक्ता वीर भारत तलवार थे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर नित्यानंद तिवारी ने की।

         वर्ष 2013-14 में हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ. अनुज कुमार रावत रहे। 6 नवम्बर 2013 को आयोजित परिचर्चा का विषय 'विमर्शों के दौर में भक्ति साहित्य' था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. नामवर सिंह ने की थी और वक्ता थे प्रो. अब्दुल बिस्मिल्लाह तथा प्रो. गोपाल प्रधान

             वर्ष 2015-2016 में हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ. छोटूराम मीणा रहे। अपने कार्यकाल में डॉ. मीणा ने 'साहित्यिक-अंत्याक्षरी' और 'साहित्य परिषद्' की शुरुआत की। साहित्यिक-अंत्याक्षरी का उद्देश्य विद्यार्थियों की साहित्य के प्रति रुचि बढ़ाना,  उच्चारणगत अशुद्धियां आदि  सुधारना, स्मरण शक्ति बढ़ाना है। यह प्रतियोगिता अंतर - महाविद्यालय स्तर पर आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में तीन पुरस्कार रखे गए।

                  5 फरवरी 2016 को 'साहित्य परिषद' द्वारा डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी की पुस्तक 'बांग्ला दलित साहित्य: सम्यक अनुशीलन' का लोकार्पण एवं चर्चा, कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजीव कुमार ने किया। मुख्य वक्ता डॉ. मनोज कुमार, डॉ. कवितेन्द्र इन्दु , डॉ. ब्रती विश्वास, डॉ. अनामिका, डॉ. कुसुम बांठिया, दलित लेखिका अनिता भारती और प्रो. विमल थोराट रहीं। लेखकीय वक्तव्य डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी ने दिया।

          गुरुवार 18 फरवरी 2016, को पंद्रहवां "डॉ. विनीता स्मृति पाठ एवं परिचर्चा "का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा का विषय 'हिंदी कविता: समकालीन परिदृश्य' था। डॉ. विनीता अग्रवाल पर वृत्तचित्र "एक परिकथा और" का मंचन किया गया। प्रमुख वक्ता आलोचक व कवि अच्युतानंद मिश्र और कवयित्री सपना चमड़िया थे। अध्यक्षीय वक्तव्य कथाकार विष्णु नागर ने किया। कार्यक्रम के अंत में तीनों रचनाकारों ने काव्य पाठ किया। धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. छोटूराम मीणा ने किया। 

       गुरुवार 2 मार्च 2017, सोलहवां  "डॉ. विनीता अग्रवाल स्मृति पाठ एवं परिचर्चा" के अंतर्गत डॉ. ललित मोहन द्वारा लिखित पुस्तक 'मध्यकालीन हिंदी कवयित्रियों की सामाजिक चेतना' का लोकार्पण किया गया। इस वर्ष परिचर्चा का विषय "संत साहित्य की प्रासंगिकता" था। मुख्य अतिथि डॉ. रमेश चंद्र मिश्र रहे। यह कार्यक्रम समिति कक्ष, देशबंधु कॉलेज में आयोजित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन, विभाग प्रभारी डॉ. बिक्रम सिंह द्वारा किया गया।

             मंगलवार 13 नवंबर 2018, को हिंदी विभाग द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका विषय "भक्ति काव्य: अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य" था। मुख्य वक्ता डॉ. वासुदेव सुनानी (वरिष्ठ चिकित्सक, कवि-विचारक, उड़ीसा ) थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. गोपेश्वर सिंह (हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बजरंग बिहारी तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रभारी डॉ. बिक्रम सिंह ने किया।

         26 फरवरी 2019, को "डॉ. विनीता अग्रवाल स्मृति रचना पाठ और परिचर्चा" का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा का विषय "कवियों के राम" था। कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य देशबंधु महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. राजीव अग्रवाल ने दिया। विषय प्रस्तावना डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी ने की। संचालन का कार्यभार प्रभारी संजीव कुमार ने संभाला। प्रमुख वक्ता के तौर पर डॉ. मीरा द्विवेदी, डॉ बलराम शुक्ला, प्रो. अनिल राय रहे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आलोचक चंचल चौहान ने की।

     10 जनवरी 2020 को 'हिंदी साहित्य परिषद' द्वारा 'विश्व हिंदी दिवस' पर समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में हिंदी विभाग के विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और विभाग के सभी अध्यापकों ने अपने विचार रखे। 'हिंदी साहित्य परिषद' का यह पहला कार्यक्रम था।  

          सोमवार 17 फरवरी 2020, डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी की पुस्तक 'केरल में सामाजिक आंदोलन और दलित साहित्य' पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय हीरालाल राजस्थानी (अध्यक्ष, दलित लेखक संघ) द्वारा की गई। स्वागत वक्तव्य देशबंधु महाविद्यालय के प्राचार्य 'डॉ. राजीव अग्रवाल' द्वारा दिया गया। प्रमुख वक्ता प्रो. गोपाल प्रधान (अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली),  डॉ. पंकज झा (इतिहास विभाग, लेडी श्री राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. निरंजन सहाय (हिंदी एवं अन्य आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, बनारस) डॉ. एन. सचिन (अंग्रेजी विभाग, दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय), डॉ. कवितेन्द्र इन्दु (हिंदी विभाग,भारती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) रहे। कार्यक्रम के अंत में लेखकीय वक्तव्य बजरंग बिहारी तिवारी ने दिया। इस कार्यक्रम का संचालन विभास वर्मा द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन प्रभारी संजीव कुमार ने किया। इस अवसर पर पुस्तक के प्रकाशक ने "नवारुण प्रकाशन" की ओर से पुस्तक  प्रदर्शनी भी लगाई ।

        25 फरवरी 2020, को हिंदी विभाग द्वारा प्रथम वार्षिक महोत्सव "अनुशीलन 2020" का आयोजन किया गया। वार्षिक महोत्सव में बहुत- सी सांस्कृतिक गतिविधियों को शामिल किया गया। इस कार्यक्रम में दो सत्र रखे गए थे। कुछ गतिविधियां समानांतर रूप से दो जगह पर चल रही थीं। उद्घाटन सत्र विवेकानंद सभागार में किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर कवि व लेखक 'इब्बार रब्बी' को आमंत्रित किया गया।

देशबंधु महाविद्यालय के बीसीआर में 'काव्य-पाठ' और 'साहित्यिक- अंत्याक्षरी' प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। साहित्यिक-अंत्याक्षरी प्रतियोगिता हर साल आयोजित की जाती है। इस प्रतियोगिता को पहले अंतर- महाविद्यालय के स्तर पर शुरू किया गया था लेकिन इसकी प्रसिद्धि के कारण आज यह अंतर- विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित की जाती है। विवेकानंद सभागार में दूसरे सत्र में 'भाषण प्रतियोगिता' का आरंभ किया गया। यह सभी प्रतियोगिताएं अंतर- महाविद्यालय स्तर पर हुईं, जिनमें विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। इस वार्षिक महोत्सव के आकर्षण का केंद्र भित्ती पत्रिका 'नवांकुर' का प्रदर्शन रहा। महाविद्यालय में हिंदी विभाग के विद्यार्थियों ने भित्ति पत्रिका 'नवांकुर' की शुरुआत की। इस पत्रिका में हिंदी विभाग के विद्यार्थियों के अलावा, अन्य विभाग के विद्यार्थियों की रचनाओं को भी शामिल किया गया। 

22 सितंबर 2020 को हिंदी साहित्य परिषद (हिंदी विभाग) और आइक्यूएसी के तत्वावधान में 'हिंदी वालों की हिंदी' विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ. रविकांत,  प्रो. सुधीर प्रताप सिंह और डॉ. विजय झा रहे। 4 दिसंबर 2020 को नवांकुर भित्ति पत्रिका के द्वितीय अंक का लोकार्पण किया गया। यह कार्यक्रम ई-प्लेटफार्म पर संपन्न हुआ। 


        वर्ष 2021-22 में , हिंदी विभाग के प्रभारी प्रोफेसर डॉ ललित मोहन हैं। 10 जनवरी 2021 को 'विश्व हिंदी दिवस' के अवसर पर वेबिनार तथा पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। वेबिनार का विषय था 'हिंदी का विश्व विश्व में हिंदी'। इस वेबिनार के प्रमुख वक्ता प्रोफेसर अनिल कुमार राय, डॉ राम प्रकाश द्विवेदी तथा डॉक्टर गंगा सहाय मीणा थे।


5 जून 2021 को नवांकुर भित्ति पत्रिका के तृतीय अंक का विमोचन ऑनलाइन माध्यम से संपन्न किया गया।

हिंदी दिवस के अवसर पर साहित्य परिषद, हिंदी विभाग की तरफ से 14 सितंबर 2021 को इक्कीसवें डॉ. विनीता अग्रवाल स्मृति रचना-पाठ एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया  इस कार्यक्रम में प्रख्यात कहानीकार योगेन्द्र आहूजा ने अपनी कहानी ‘खाना’ का पाठ किया इस कहानी पर सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो. शंभु गुप्त और प्रो. संजीव कुमार ने अपने मंतव्य रखेअतिथियों का स्वागत करते हुए कॉलेज के प्राचार्य प्रो. राजीव अग्रवाल ने स्मृतिशेष विनीता जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालाउन्होंने कहानी विधा की अपील को जनरुचि के परिष्कार से जोड़ते हुए योगेन्द्र आहूजा की कहानी-कला की उचित प्रशंसा कीवक्ताओं का परिचय देते हुए संयोजक बजरंगबिहारी ने बताया कि विनीता अग्रवाल की स्मृति में वर्ष  2001 से हर वर्ष रचना-पाठ और परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है धन्यवाद ज्ञापन विभाग के प्रभारी प्रो. ललित मोहन ने दिया

हिंदी विभाग, देशबंधु महाविद्यालय, हिंदी साहित्य परिषद के द्वारा 8 अक्टूबर 2021 को  'पुरस्कार और प्रमाण पत्र वितरण समारोह' आयोजित किया गया। इस समारोह में प्राचार्य महोदय तथा हिंदी विभाग के सभी प्राध्यापकों की गरिमामय उपस्थिति रही। 

इस कार्यक्रम को 'हिंदी साहित्य परिषद' के पदाधिकारियों व 'नवांकुर - भित्ति पत्रिका' के पदाधिकारियों को प्रदान की जाने वाली वार्षिक पुरस्कार वितरण के तहत आयोजित किया गया था। पदाधिकारियों को प्राचार्य महोदय और विभाग प्रभारी प्रोफ़ेसर ललित मोहन द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

*नवांकुर* देशबंधु महाविद्यालय, हिंदी विभाग के साहित्य परिषद द्वारा प्रकाशित की जाने वाली अर्धवार्षिक भित्ति पत्रिका है। 17 नवंबर 2021 को हिंदी साहित्य परिषद के द्वारा नवांकुर के चौथे संस्करण का ऑनलाइन माध्यम से लोकार्पण किया गया। कोविड जनित परिस्थितियां  अनुकूल नहीं होने के कारण कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया। 

हिंदी साहित्य परिषद् , हिंदी विभाग, देशबंधु कॉलेज, दिल्ली के तत्वावधान में 20 अप्रैल 2022 को बाईसवें" विनीता अग्रवाल स्मृति रचना पाठ एवं परिचर्चा " का आयोजन कमेटी रूम में किया गया। इस कार्यक्रम में टी. एस. इलियट की कविता 'द वेस्टलैंड के सौ वर्ष' पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। अतिथियों का स्वागत करते हुए कॉलेज के उप-प्राचार्य डॉ. कमल कुमार गुप्ता ने स्मृति शेष विनीता जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के संचालक श्री. विभास चंद्र वर्मा ने वक्ताओं का परिचय दिया। 

'द वेस्टलैंड' (टी.एस. इलियट, 1922) की प्रस्तावना अंग्रेजी विभाग के श्री शाश्वत भट्टाचार्य ने प्रस्तुत की। इस कविता के हिंदी अंशों का पाठ श्री विभास चंद्र वर्मा ने किया और डॉ. संचिता खुराना ने अंग्रेजी अंशों का पाठ किया। इस व्याख्यान में कथाकार- आलोचक प्रोफेसर कृष्णन उन्नी. पी. ने अपने विचार व्यक्त किए। विदुषी - अनुवादक डॉ. पारुल भारद्वाज ने टी.एस. इलियट की कविता "द वेस्टलैंड" का अनुवाद करते हुए , उसकी भूमिका पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि- आलोचक डॉ. चंचल चौहान ने की। कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर बजरंग बिहारी तिवारी रहे। धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के प्रभारी प्रोफेसर ललित मोहन ने किया।

28 अप्रैल 2022 , को हिंदी विभाग, हिंदी साहित्य परिषद्  और IQAC के  संयुक्त तत्वावधान में डॉ. बिक्रम सिंह की स्मृति में अंतर महाविद्यालय  साहित्यिक अंत्याक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया I हिंदी विभाग के प्रभारी प्रो. ललित मोहन ने स्मृति शेष डॉ. बिक्रम सिंह के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला I इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ. छोटू राम मीणा थे I

 28 जून 2022, को हिंदी साहित्य परिषद के द्वारा नवांकुर के पाँचवें संस्करण का ऑनलाइन माध्यम से लोकार्पण किया गया।

21 सितंबर 2022 , 'प्रेमाश्रम उपन्यास की वर्तमान समय में क्या प्रासंगिकता है' इस प्रश्न को केंद्र में रखकर हिंदी पखवाड़े के अवसर पर हिंदी विभाग, देशबंधु कॉलेज दिल्ली में 'प्रेमाश्रम उपन्यास के सौ वर्ष' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए प्रो. बजरंग बिहारी तिवारी ने कहा कि वर्ष 1922 में तीन क्लासिक रचनाएं प्रकाशित हुई - 'प्रेमाश्रम', 'द वेस्टलैंड', और 'यूलिसिस'। 2022 इन कृतियों का शताब्दी वर्ष है। इस उपन्यास पर वक्तव्य के लिए दो वक्ताओं को आमंत्रित किया गया था। इनमें हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. विनोद तिवारी और उर्दू विभाग किरोड़ीमल महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रो. खालिद अशरफ़ थे।वक्ताओं का परिचय डॉ. छोटू राम मीणा जी ने दिया।  प्रेमचंद के संदर्भ में डॉ. धर्मवीर की स्थापनाओं से आपत्तियां जाहिर करते हुए प्रेमचंद पर डॉ. अंबेडकर के प्रभाव को भी प्रो. खालिद ने अपने वक्तव्य में प्रस्तुत किया। प्रेमचंद को पढ़ते हुए अंतरानुशासिक ज्ञान का प्रयोग किए किस प्रकार करना चाहिए। यह प्रो. खालिद के वक्तव्य का सार वाक्य है। कथालोचक और 'पक्षधर' पत्रिका के संपादक प्रो. विनोद तिवारी ने मौजूदा समय में देश के बड़े व्यापारिक घरानों का जो नियंत्रण है उससे अपनी बातचीत शुरू की। प्रेमचंद के समय में जो महाजनी और जमीदारी व्यवस्था थी उसी का विकसित रूप आज के व्यापारिक घराने हैं। प्रेमचंद की प्रासंगिकता कहां है और किस प्रकार है उसमें प्रेमाश्रम उपन्यास की स्थिति क्या है? इन सारे सवालों से प्रो. विनोद ने अपने वक्तव्य में बेहद साफगोई से टकराते हैं।

19 अक्टूबर  2022, जेम्स जॉयस लिखित कृत 'यूलिसिस' पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। ‘यूलिसिस’ केंद्रित कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. उदय कुमार जी थे। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बजरंगबिहारी तिवारी ने विषय की प्रस्तावना करते हुए उदय कुमार जी का परिचय भी दिया। उन्होंने कहा कि उदय कुमार जी ने 'यूलिसिस' पर पीएचडी की है और वे जेम्स जॉयस के भारत सहित पूरे विश्व में आधिकारिक विद्वान हैं। स्वागत वक्तव्य देशबंधु कॉलेज के वर्तमान प्राचार्य राजीव अग्रवाल जी ने दिया. मुख्य वक्ता प्रो. उदय कुमार ने कहा कि इस उपन्यास में अंग्रेजी उपनिवेशवाद का विरोध और आयरिश राष्ट्रवाद का समर्थन किया गया है। उदय जी ने यूलिसिस के माध्यम से अतिरेकी राष्ट्रवाद को एक आंख वाला शैतान कहा। अंत में धन्यवाद ज्ञापन देशबंधु कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. ललित मोहन जी ने किया । 

14 दिसंबर 2022, को हिंदी साहित्य परिषद के द्वारा नवांकुर के छ: संस्करण का ऑनलाइन माध्यम से लोकार्पण किया गया।

27 फरवरी 2023, तेइसवें डॉ. विनीता अग्रवाल स्मृति रचनापाठ एवं परिचर्चा के अंतर्गत विशेष आयोजन "सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कृत अनामिका के सौ वर्ष" पर किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. आशुतोष कुमार , मुख्य वक्ता प्रो . विवेक निराला और डॉ. सूर्यनारायण सिंह रहे. संचालन विभाग-प्रभारी प्रो. बजरंग बिहारी और धन्यवाद प्रो. संजीव कुमार ने किया