🍁पापड आदि की मर्यादा -
📕शास्त्र -मूलाचार
🥀आचार्य वट्टकेर विरचित -
पेज नं-६७-६८
विवर्जनीयद्रव्यमाह— छोड़ने योग्य पदार्थों को बताते हैं-
जं पुप्फिय किण्णइदं वट्ठूणं पूप-पप्पडादीणि । वज्जंति वज्जणिज्जं भिक्खू अप्पासुयं जं तु ॥८२५॥
टीका -यत्पुष्पितं नीलकृष्ण श्वेतपीतादिरूपजातं, क्लिन्नं कुथितं दृष्ट्वा अपूप-पर्पटादिकं वर्जनीयंलब्धमपि
यत्सर्वं यत्किचिदप्रासुकं तददीनमनसो वर्जयंति परिहरंतीति ॥८२५॥
गाथार्थ - फफुंदी सहित, बिगड़े हुए पुआ, पापड़ आदि देखकर तथा जो अप्रासुक है, छोडने योग्य हैं, मुनि उन सबको छोड़ देते है ।
🍂टीका अर्थ -जो खाद्य पदार्थ पुष्पित अर्थात् नीले, काले सफेद या पीले आदि रंग के हो गये हैं, बिगड़गये हैं, ऐसे पुआ, पापड़ पदार्थ हैं, और भी जो अप्रासुक पदार्थ हैं, वे सब त्याग करने योग्य हैं। मुनिअदीनमन होते हुए इन सबको छोड़ देते हैं ।
✋शुभाशीर्वाद
आर्षमार्ग संरक्षक प्रभावना प्रभाकर आचार्य पावनकीर्ति