हिंदी भाषा और साहित्य के अमूल्य खजाना
B Com / BBA PROGRAMME
Common Course in Hindi [Course No. 07 (2)]
PROSE FORMS IN HINDI LITERATURE
No. of Credits: 4
No. of contact Hours: 90
Prescribed text books: 1)Gady ke vividh aayam-Ed: Dr. Raju Bagalkot, Aman Prakashan, Kanpur
Reading List For Module-І- (1) Gapsap – Namvar Singh (2) Gurudev – Haribhavu Upadhay (3) Atmakatha amsh-Bhishma Sahini.
For Module-ІІ: (4) Mein narak se bol raha hum – Harisankar Parsai (5) Bhakthin – Mahadevi varma (6) Sava ser gehum – Premchand.
For Module-ІІІ- (7) Devathavom ke anchal mein – Agyey (8) Tootthe parivesh –Vishnu Prabhakar (9) Sathi-G.J.Harijeeth.
आलोचना के संपादक
आलोचना-
गपशप में चर्चित बातें
1.काम की बातों से काम का पता चलता है,आदमी का नहीं |
2.असली आदमी कहीं भीतर ढका रहता है |
3.निरर्थक शब्द भी बेकार नहीं होते |
4.ह्रदय की भाषा प्रायः निरर्थक होती है |
5.बेकार घूमनेवाले आदमी ही किसिस समाज की व्यवस्था का सच्चा हाल प्रकट कर सकता है |
6.समाज का सही चित्रण वही कलम करेगी जो किसी रुपये की गुलाम नहीं |
हरिभाऊ उपाध्याय राजस्थान क मुख्य मंत्री थे
प्रमुख रचनाये
साहित्य आस्ध्ना और देश सेवा के लिए समर्पित जीवन
'सरस्वती'पत्रिका का सह संपादन
साधना के पथ पर -आत्म कथा
*गाँधी और रवीन्द्रनाथ एक हिमालय से निकल कर पूर्व और पश्चिम म बहनेवाली गंगा और सिन्धु के समान
*शेक्सपियर के मक्बथ का बंगला में अनुवाद
*रवीन्द्रनाथ ठाकुर के परिवार
*रवीन्द्रनाथ ठाकूर की रचनाएँ
*रवीन्द्रनाथ ठाकूर के देश प्रेम
*रवीन्द्रनाथ ठाकूर द्वारा संस्थापित संस्थान
*भारतीय और पश्चिम आदर्शों का समन्वय
*गेतांजलि
*रवीन्द्रनाथ ठाकूर का भ्रमण
*विश्वभारती,शान्तिनिकेतन,श्रेनिकेतन
*बहुमुखी प्रतिभा
भीष्म साहनी का लेखकीय जीवन
भीष्मसाहनी का बचपन
भीष्मसाहनी का कमिशन एजेंट रूप
भीष्मसाहनी का देशप्रेम
भीष्मसाहनी द्वारा सूचित रचनाएँ
एक ही सत्य होता है और जीवन का सत्य होता है,उसी को साहित्य वाणी देता है |
हिंदी साहित के जानेमाने व्यंग्यकार
कहानी-हंसते है और रोते है ,तब की बात और थी आदि
निबन्ध -अपनी अपनी बीमारी,सदाचार का तावीज़ आदि
उपन्यास -रानी नागफनी की कहानी ,ज्वाला और जल आदि
चर्चित प्रमुख बातें
+जीवन का तिरस्कार और मरण का सत्कार कर रहे है समाज
+आदमी और कुत्ते की मृत्यु और उसका कारण
+दुनिया इतनी बड़ी है कि कोई किसी का हिसाब नहीं रखता |
+अमीर और गरीब का अंतर
+तमाम दीवालें आदमियों ने खडी की है
विजिट लिंक - https://youtu.be/2wvwe1xWn5U
कविता संग्रह
- 1. नीहार (1930), :2. रश्मि (1932), :3. नीरजा (1934), :4. सांध्यगीत (1936), :5. दीपशिखा (1942),:6. सप्तपर्णा (अनूदित 1959), :7. प्रथम आयाम (1974) और :8. अग्निरेखा (1990) आदि
रेखाचित्र -1 अतीत के चलचित्र (1941) और :2 स्मृति की रेखाएं (1943) आदि
संस्मरण -1. पथ के साथी (1956), 2. मेरा परिवार (1972), 3. स्मृतिचित्र (1973) और 4. संस्मरण (1983) आदि
प्रमुख चर्चित विषय
= महिला विद्यापीठ प्रआग की स्थापना
=भक्तिन और महादेवी वर्मा की रिश्ता
=संस्मरणात्मक रेखाचित्र
=हनुमान और भक्तिन की तुलना
= भक्तिन जिसका वास्तविक नाम लक्ष्मी था
=भक्तिन के जीवन के चार परिच्छेद
=भक्तिन का अन्य लोगों से व्यवहार
=भक्तिन महादेवी वर्मा की परछाई
=साहित्यकारों के प्रति भक्तिन का भाव
=भारतीय गाँवों का चित्रण
=भरतीय गाँवों में नारी की असुरक्षा
=गाँव शहर बनने के कारण हो रहे परिवर्तन
=भक्तिन और महादेवी वर्मा का संबंध
बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव
लमही गाँव में जन्म
उर्दू में 'नवाबराय' नाम से लिखते थे
यथार्थवादी परम्परा के नींव डालनेवाला लेखक
मुंशी दयानारायण निगम ने धनपत राय को प्रेमचंद नाम दिया
कहानियां -पूस की रात,नमक का दारोगा,कफन आदि
उपन्यास -गोदान,निर्मला आदि
नाटक -कर्बला
भारतीय गाँव का सही चित्रण
कलम का सिपाही ,उपन्यास सम्राट
कहानी के प्रमुख विषय
शंकर नामक कुर्मी किसान मुख्य पात्र
किसान कैसे मज़दूर बनते है,इसका वर्णन
गावों में हो रहे शोषण का चित्रण
गाँवों में बढ़ रहे अमीर -गरीब का अंतर
कितनी नावों में कितनी बार नामक काव्य संग्रह के लिये 1978 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।
कहानी -त्रिपथगा ,शरणार्थी आदि
काव्य -इत्यलम ,हरिभास पर क्षण भ,बावरा अहेऋ
निबन्ध-त्रिशंकु,आत्मनेपद
देवताओं के अंचल में चर्चित बातें
कुलु -मनाली का यात्रा वर्णन
सैर का वर्णन छोटी बहन के लिए लिखा
कुलु को देवताओं का अंचल नाम मिलने का कारण
कुलु के संस्कृति,मेला
मनाली नाम की उत्पत्ति
टूटते परीवश -रेडियो रूपक
हिंदी के महान साहित्यकार
उपन्यास- ढलती रात, स्वप्नमयी, अर्धनारीश्वर, धरती अब भी घूम रही है, क्षमादान, दो मित्र, पाप का घड़ा, होरी,
नाटक- हत्या के बाद, नव प्रभात, डॉक्टर, प्रकाश और परछाइयाँ, बारह एकांकी, अशोक, अब और नही, टूट्ते परिवेश,
कहानी संग्रह- संघर्ष के बाद, धरती अब भी धूम रही है, मेरा वतन, खिलोने, आदि और अन्त्,
आत्मकथा- पंखहीन नाम से उनकी आत्मकथा तीन भागों में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।
जीवनी- आवारा मसीहा,
यात्रा वृतान्त्- ज्योतिपुन्ज हिमालय, जमुना गन्गा के नैहर मै।
टूटते परिवेश में चर्चित विषय
+ पीढीयों का अंतर
+समाज में आ रहे सांस्कृतिक परिवर्तन
+युवकों में बढ़ रहे असुरक्षा की भावना
+रिश्तों में आ रहे बदलाव
+नारी अस्मिता
+नैतिकता में हो रहे बदलाव
+ भूमंडलीकरण का समाज पर प्रभाव
+ भूमंडलीकरण का संस्कृति पर प्रभाव
+ बुजूर्ग और युवा पीढ़ी का अंतर
+युवा लोगों की समस्याएं
+बुजुर्ग लोगों की समस्याएँ
जी जे हरिजीत
अहिन्दी भाषी हिंदी लेखक
संभवामि युगे-युगे ,विद्रोही आदि प्रमुख रचनाएँ
सती एकांकी के विषय
क़ानून बनाना और कानून का पालन करना अलग बात है
समाज में अंध विश्वास कैसे फैलाया जा रहा है
दुर्घटना और हत्या के अर्थ में आये अंतर
समाज में चुप हो कर जी रहे औरत
SECOND SEMESTER
पहला दोहा
दूसरा दोहा
तीसरा दोहा
चौथा दोहा
*निर्गुण परमात्मा का वर्णन
*फूलों की सुगंध से भी सूक्ष्म परमात्मा
*परमात्मा अद्वितीय है
पाँचवां दोहा
+विरह सुलतान है
+परमात्मा से मिलने के लिए विरह होना ही चाहिए
+विरह के बिना ह्रदय श्मशान है
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प्रथम खंड
दूसरा खंड
रा नाम सुमित्रानंदन पन्त
बचपन का नाम 'गुसाईं दत्त'
छायावाद कविता प्रवर्तक
महात्मा गाँधी और कार्ल मार्क्स और अरविंदो से प्रभावित
पद्मभूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार(चिदम्बरा के लिए) और साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवि
हिंदी साहित्य के विलियम वर्ड्सवर्थ
'रूपाभ' नामक प्रगतिशील मासिक पत्र निकाला
विचारक, दार्शनिक और मानवतावादी
अरविन्द दर्शन से प्रभावित कवी
प्रतिबिम्ब कविता
'पल्लविनी'संकलन की कविता
कविता की बालिका चाँद कला के लिए रोती है
मां दर्पण में चाँद की छवि दिखाकर मनाती है
ज्ञान मां से शुरू होती है इसका संकेत
प्रकृति का माँ के रूप में चित्रण
प्रकृति और मानव का रिश्ता
प्रकृति का शोषण के खिलाफ आवाज़
पूरा नाम -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक। नवगीत के उद्भावक और प्रवर्तक
मुक्तछंद के प्रवर्तक
जीवन के यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है
जीवन और कविता में क्रांतिकारी
अपनी बेटी पर लिखी कविता 'सरोजस्मृति' हिंदी साहित्य का मील का पत्थर
मुख्य काव्य रचनाये - परिमल, अर्चना, सांध्य काकली, अपरा , गीतिका, आराधना, दो शरण,रागविराग, गीत गुंज, अणिमा,कुकुरमुत्ता
उपन्यास : अप्सरा, अलका, प्रभावती, निरुपमा, कुल्ली भाट, बिल्लेसुर बकरिहा
कहानी संग्रह : लिली, चतुरी चमार, सुकुल की बीवी, सखी, देवी
निबंध : रवीन्द्र कविता कानन, प्रबंध पद्म, प्रबंध प्रतिमा, चाबुक, चयन, संग्रह
पुराण कथा : महाभारत
अनुवाद : आनंद मठ, विष वृक्ष, कृष्णकांत का वसीयतनामा
कवि कह गया है
'अपरा 'संकलन की कविता
अपनी जीवन का अभावग्रस्त स्थिति का वर्णन
कटू अनुभवों के कारण स्नेह निर्झ्रर बह गया है
क्षमता जब तक हो तब तक लोग साथ होंगे ,बाद में कोई नहीं
सब अनश्वर है
कवी के अलक्षित जीवन का चित्रण
पूरा नाम - सचिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय
कथाकार, ललित-निबन्धकार, सम्पादक और अध्यापक
कितनी नावों में कितनी बार नामक काव्य संग्रह के लिये 1978 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। आँगन के पार द्वार के लिये 1964 का साहित्य अकादमी पुरस्कार
कविता की बात
कविता वैयक्तिक नहीं होता ,उसमें सबकी बात होती है
कविता में दूसरों की बात कही जाती है
कविता में कही गयी बात हमारी है ,यह विचार उठा पानेवाला कविता ही श्रेष्ठ है
सृजन के बाद कविता समाज का बन जाता है
सुदामा पाण्डेय धूमिल हिंदी की समकालीन कविता के दौर के मील के पत्थर
परंपरा, सभ्यता, सुरुचि, शालीनता और भद्रता का विरोध
काव्य-सत्य को जीवन सत्य के अधिकाधिक निकट लानेवाली भाषा
संसद से सड़क तक (1972), कल सुनना मुझे, सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र (1983)
कल सुनना मुझे काव्य संग्रह के लिये 1979 का साहित्य अकादमी पुरस्कार
कविता का अस्वादन कैसे करना है ,इसकी सूचना
पंक्तियों के बीच से हमें अर्थ निकालना है
अक्षरों के बीच पड़े आदमी को समझना