A Project meant to prepare educational multimedia content for the teaching and edutainment of Hindi Language & Literature
संस्थान के सूचना एवं भाषा प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संचालित भाषा-साहित्य सी.डी. निर्माण परियोजना का प्रमुख उद्देश्य है- हिंदी को समसामयिक प्रचार-प्रसार माध्यमों से जोड़कर देश-विदेश में फैले हिंदी प्रेमियों और शिक्षार्थियों के बीच इसकी लोकप्रियता का प्रसार। परियोजना के तीन उपखंड हैं-
हिंदी आलोक : शैक्षिक मल्टीमीडिया कार्यक्रम श्रंखला
हिंदी सुरभि : शैक्षिक ऑडियो कार्यक्रम निर्माण श्रंखला
शैक्षिक वीडियो कार्यक्रम निर्माण श्रंखला
हिंदी के उच्चतर शिक्षार्थियों, शोधार्थियों सहित सभी हिंदी प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय फ़िल्म, जो महादेवी के जीवन और कृतित्व पर आलोचकों द्वारा अब तक किए गए तमाम इंटरप्रेटेशन और ट्रांस्लेशन से हटकर उन्हें एक नई दृष्टि ...से रखने और परखने का प्रयास करती है और ‘वाद’ और ‘विवाद’ की सीमाओं से परे उन्हें ‘इंटलेक्चुअल एक्टिविस्ट’ के रूप में रेखांकित करती है।
फ़िल्म का शीर्षक ‘पंथ होने दो अपरिचित…’ कविता का रचनात्मक विस्तार है। महादेवी जी ने इस कविता के माध्यम से अव्यक्त परमात्मा से कामना की है कि वह जिस जीवन पथ पर चल रही हैं उस पर आगे आने वाली घटनाओं और परिस्थितियों को जानने की उत्सुकता उनको नहीं है। वह अपने रास्ते को खुद जानना और उस पर बिना किसी पूर्वापेक्षा के चलना चाहती हैं, अपने नक़्शे क़दम खुद बनाना चाहती हैं। इसीलिए वह इस रास्ते के अपरिचित बने रहने की कामना करती हैं। इस दुनिया में लगभग हर कोई अपने भविष्य को लेकर चिंतित और उत्सुक रहता है। कर्म से पहले परिणाम की तसल्ली कर लेना चाहता है लेकिन महादेवी इस वृत्ति का निषेध करती हैं और एक सजग कवि के तौर पर जीवन की राह को जानने और उस पर चलने की एक नई दृष्टि लेकर हमारे बीच आती हैं ।
फिल्म निर्माता - देवी प्रसाद मिश्र | केंद्रीय हिंदी संस्थान के लिए फिल्म निर्माण - मै. नॉलेज लिंक्स प्रा. लि.
इस श्रंखला के अंतर्गत निर्मित साहित्यिक वृत्तचित्र 'आदमीनामा' आगरा के लोककवि नज़ीर अकबराबादी के जीवन और रचनाकर्म पर आधारित है। एक घंटा अवधि की इस फ़िल्म की अधिकांश शूटिंग आगरा और नज़ीर के जीवन एवं काव्य से संबंधित वास्तविक स्थानों पर हुई है। फिल्म का परिदृश्य और सरोकार नज़ीर की कविताओं जितना ही व्यापक, जीवंत और रंगीन है। इसमें आगरा की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक धरोहर को खूबसूरती से फ़िल्माया गया है।
इसके मार्गदर्शक विशेषज्ञ विद्वान हैं - नज़ीर काव्य के प्रथम शोधकर्ता, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. नज़ीर मुहम्मद, सुप्रसिद्ध रंगकर्मी और क.मुं. विद्यापीठ के विदेशी भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र रघुवंशी और वरिष्ठ वृत्तचित्र निर्माता और फिल्म समीक्षक श्री रियाज़ ख़ान।
फिल्म निर्माता - देवी प्रसाद मिश्र
केंद्रीय हिंदी संस्थान के लिए फिल्म निर्माण - मै. नॉलेज लिंक्स प्रा. लि.
शैक्षिक ऑडियो कार्यक्रम श्रंखला : हिंदी सुरभि
हिंदी सुरभि (साहित्य सी.डी. निर्माण परियोजना) के लक्षित लाभार्थी वे सभी हैं जो अपनी व्यक्तिगत रुचि, आवश्यकता और सुविधानुसार हिंदी साहित्य की उच्चतर सृजनात्मक उपलब्धियों से परिचित होना चाहते हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संस्थान इस परियोजना के अंतर्गत हिंदी साहित्य के विभिन्न कालखंडों से चयनित कवियों की रचनाओं पर आधारित संगीतमय ऑडियो कार्यक्रमों का निर्माण कार्य कर रहा है।
इस परियोजना के प्रथम चरण में कुल 20 कवियों की रचनाओं पर संगीतमय ऑडियो सी.डी. तैयार की जानी हैं। जिनमें से प्रथम चरण के आरंभ में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, स.वा. अज्ञेय, त्रिलोचन, फ़िराक गोरखपुरी की रचनाओं की संगीतमय ऑडियो सी.डी. तैयार करने की गई।
ऑडियो कार्यक्रम
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | यू ट्यूब पर सुनें |
वासुदेव सिंह त्रिलोचन | यू ट्यूब पर सुनें |
सच्चिदानंद वात्स्यायन अज्ञेय | यू ट्यूब पर सुनें |
रघुपति सहाय फ़िराक़ गोरखपुरी | यू ट्यूब पर सुनें |
शैक्षिक मल्टीमीडिया कार्यक्रम श्रंखला : हिंदी आलोक
इस श्रंखला का प्रमुख उद्देश्य है- ‘देश-विदेश में अपने विभिन्न प्रयोजनों से निजी स्तर पर हिंदी सीखने के इच्छुक शिक्षार्थियों को घर बैठे आधुनिक सूचना एवं तकनीकी माध्यमों और सुविधाओं का उपयोग करते हुए रोचक एवं व्यवस्थित ढंग से भाषा सीखने की सामग्री उपलब्ध कराना।’ इसके अंतर्गत देश-विदेश के हिंदी शिक्षार्थियों के लिए हिंदी भाषाशिक्षण के विविध पक्षों पर मल्टीमीडिया सी.डी. तैयार की जानी हैं। इन कार्यक्रमों को सामान्य ऑडियो-वीडियो प्रस्तुति के स्थान पर शिक्षार्थी-केंद्रित इंटर-एक्टिव मल्टीमीडिया कार्यक्रमों के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा ताकि इनमें प्रस्तुत की जाने वाली शिक्षण सामग्री एवं सहायक उपकरण-युक्तियों का शिक्षार्थी अपनी व्यक्तिगत आवश्यकता और गति से उपयोग कर पाएं। संपूर्ण शिक्षण-सामग्री के 10 पैकेज तय किए गए हैं। हर पैकेज में विषय की आवश्यकतानुसार अनेक मल्टीमीडिया कार्यक्रम होंगे। इनमें से ‘हिंदी उच्चारण शिक्षण’ और ‘हिंदी लिपि एवं वर्तनी शिक्षण’ विषयक दो कार्यक्रमों का निर्माण किया गया है।