🙏This site is under construction. 🙏Please co-operate with us.🙏
चिन्तनीया हि विपदामादावेव प्रतिक्रिया।
न कूपखननं युक्तं प्रदीप्ते वह्निना गृहे॥४१॥
अन्वयः-
हि आदौ एव विपदाम् प्रतिक्रिया चिन्तनीया वह्निना गृहे प्रदीप्ते कूपखननम् न युक्तम् ।
अनुवादः-
शुरुआत में ही आपदाओं की प्रतीकार के बारे में सोचा जाना चाहिए। घर में आग लगने पर कुआं खोदना उचित नहीं है।