हम अचानक अलग हो गये एक दिन
इक अधूरी कहानी को बल मिल गया
हम मिले न किसी और से जिस तरह
अपने मिलने के वैसे ही संजोग हैं
एक होने की धुन में उलझते गये
ये भी सोचा न हम दो अलग लोग हैं
प्यार को हमने ख़ुद में न पगने दिया
प्यार को फिर हमारा बदल मिल गया
आँसुओं का यहाँ छूटना आँख से
इक व्यवस्था है कोई न अलगाव है
एक मीठे से झरने का पानी हैं हम
जिसमें झरना ही सबसे बड़ा भाव है
हमने ही आग आगे रखी प्यास से
जिसको जलना था उसको ही जल मिल गया
हम बरस दो बरस की मोहब्बत में ही,
इक अनोखे से एहसास को पा गए।
हम बिछड़ते समय खूब रोये जहाँ
फूल देखो उसी डाल पर आ गए
हम गलत मानकर छोड़ आये जिन्हें
वक़्त को उन सवालों का हल मिल गया
-अमन अक्षर
युद्ध जीतना समर के बाद का विचार है,
युद्ध को ना रोक पाए तो हमारी हार है,
जीतकर यह कब हुआ विवाद ही नहीं रहा
जो विजय किया विजय के बाद ही नहीं रहा
भोर हो गई है शोर नाद ही नहीं रहा
हमने क्या गवा दिया याद ही नहीं रहा
प्यार आखिरी उम्मीद प्यार पहला वार है
एकता की ओढ़नी पर दाग दे रहे हो तुम
जोड़ का गणित है देश भाग दे रहे हो तुम
देश प्रेम का नया ही राग दे रहे हो तुम
व्यर्थ क्यों कपास में यूं आग दे रहे हो तुम
मैं जो कह रहा हूं हर किताब का यह सार है
अखंडता को खंड खंड कर जला दिया गया
युद्ध था विकल्प आदतों में ला दिया गया
आग से अधिक हवा को हौसला दिया गया
किसके नाम पर यह मेरा घर जला दिया गया
जिसका घर बचा है आग में वह गुनहगार है
अपनी धरती से अलग प्रवास कुछ भी है नहीं
घर ही रण हुआ तो निकास कुछ भी है नहीं
ऐसा दांव खेलने में खास कुछ भी है नहीं
देश के सिवा हमारे पास कुछ भी है नहीं
हमारा जो प्रहार है हमीं पर वह प्रहार है
- अमन अक्षर
साथ किसी के चल कर रस्ता सुंदर तो हो जाता है
सपनों के सुस्ताने भर को एक घर तो हो जाता है
एक उदासे तन को सुख का जेवर तो हो जाता है
साथ किसी का पाकर जीवन बेहतर तो हो जाता है
तुम होते तो इन बातों को कहना और सरल होता
तुम होते तो इस दुनिया में रहना और सरल होता
हम अनुमानित सात बरस तक कदम-कदम पर साथ रहे
जनम-जनम संग रहने के वचनों के दम पर साथ रहे
भोले-भाले अर्थों वाली हर एक कसम पर साथ रहे
कुछ भी साथ नहीं था फिर भी हम हम-दम पर साथ रहे
तुम बुनियाद बने रहते तो ढहना और सरल होता
तुम होते तो इस दुनिया में रहना और सरल होता
हम दोनों एक-दूजे के पहले-पहले संभल थे
संग-संग ऐसे रहते जैसे हम ही संगम के जल थे
लेकिन अपने साथ हुए हम सबसे बुनियादी चले थे
सबको पागल कहते थे पर हम दोनों ही पागल थे
पागल ही रहते तो खुद को सहना और सरल होता
तुम होते तो इस दुनिया में रहना और सरल होता
- अमन अक्षर