गीत

हिमाद्रि तुंग शृंग से ...

हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती

स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती

'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,

प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो।'


असंख्य कीर्ति-रश्मियां विकीर्ण दिव्य दाह-सी

सपूत मातृभूमि के - रुको न शूर साहसी!

अराति सैन्य सिंधु में, सुबाड़वाग्नि से जलो,

प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो, बढ़े चलो।


राष्ट्रीय-गीत

वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्।
सुजलाम् सुफलाम् मलयज शीतलाम्।
शस्य श्यामलाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।।
शुभ्रज्योत्स्नाम् पुलकित यामिनीम्।
फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्॥
सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्।
सुखदाम् वरदाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।


राष्ट्रगान 

“जन गण मन-अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता!

पंजाब सिंधु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंगा

बिंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग

तब शुभ नामें जागे तब शुभ आशीष माँगे,

गाहे तब जय – गाथा।

जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता!

जय हे जय हे जय हे जय जय जय जय हे.”


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।

सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

इन्हीं मंगलकामनओं के साथ आपका दिन मंगलमय हो