दरिद्रता की समाप्ति, आंचल लक्ष्मी की प्राप्ति, पुत्र सुख, संतान सुख, सरकारी नौकरी, लंबे चल रहे रोग को समाप्त करने वाला, व्यापार वृद्धि, विवाह सुख, विवाह में विलंब को समाप्त कर पति-पत्नी सुख देने वाला यह अद्भुत व्रत हैलक्ष्मी विष्णु व्रत करने के नियम :-
लक्ष्मी विष्णु व्रत करने के नियम :-
1. इस व्रत को करने का अधिकार पुरुष स्त्री बालक व कन्या सभी को है।
2. यह व्रत शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से आरंभ करना चाहिए। यह व्रत सोलह शुक्रवार तक किया जाता है।
3. लगातार व्रत करने की आवश्यकता नहीं है, यदि घर में सूतक पातक हो जावे तो छोड़ सकते हैं। संख्या 16 पूर्ण करने चाहिए।
4. यदि व्रत के दौरान स्त्री रजस्वला हो जावे तो उस दिन को गिनना नहीं चाहिए। व्रत करना चाहिए।
5. व्रत के दिन एक समय भोजन करना चाहिए। भोजन में खेरवा बेसन का पदार्थ जरूर होना चाहिए।
6. व्रत के दिन मानसिक रूप से "लक्ष्मी नारायण " इस मंत्र का जप करते रहना चाहिए।लक्ष्मी नारायण कथा
श्री लक्ष्मी नारायण व्रत कथा
एक बार भगवान नारायण लक्ष्मी जी से बोले, “लोगो में कितनी भक्ति बढ़ गयी है सब “नारायण नारायण” करते हैं!” तो लक्ष्मी जी बोली, “आप को पाने के लिए नहीं!, मुझे पाने के लिए भक्ति बढ़ गयी है!” तो भगवान बोले, “लोग “लक्ष्मी लक्ष्मी” ऐसा जाप थोड़े ही ना करते हैं तो माता लक्ष्मी बोली कि, “विश्वास ना हो तो परीक्षा हो जाए!”
भगवान नारायण एक गाँव में ब्राह्मण का रूप लेकर गए| एक घर का दरवाजा खटखटाया, घर के यजमान ने दरवाजा खोल कर पूछा, “कहाँ के है?” तो भगवान बोले, “हम तुम्हारे नगर में भगवान का कथा-कीर्तन करना चाहते है”यजमान बोला, “ठीक है महाराज, जब तक कथा होगी आप मेरे घर में रहना|”गाँव के कुछ लोग इकट्ठा हो गये और सब तैयारी कर दी|पहले दिन कुछ लोग आये, अब भगवान स्वयं कथा कर रहे थे तो संगत बढ़ी! दूसरे और तीसरे दिन और भी भीड़ हो गयी, भगवान खुश हो गए की कितनी भक्ति है लोगो में!
लक्ष्मी माता ने सोचा अब देखा जाये कि क्या चल रहा है।लक्ष्मी माता ने बुढ्ढी माता का रूप लिया और उस नगर में पहुंची| एक महिला ताला बंद कर के कथा में जा रही थी कि माता उसके द्वार पर पहुंची! बोली, “बेटी ज़रा पानी पिला दे!” तो वो महिला बोली,माताजी ,साढ़े 3 बजे है मेरे को प्रवचन में जाना है! लक्ष्मी माता बोली पिला दे “बेटी थोडा पानी बहुत प्यास लगी है” तो वो महिला लौटा भर के पानी लायी,माता ने पानी पिया और लौटा वापिस लौटाया तो सोने का हो गया था!!
यह देख कर महिला अचंभित हो गयी कि लौटा दिया था तो स्टील का और वापस लिया तो सोने का! कैसी चमत्कारिक माता जी हैं! अब तो वो महिला हाथ-जोड़ कर कहने लगी कि, “माताजी आप को भूख भी लगी होगी खाना खा लीजिये!” ये सोचा कि खाना खाएगी तो थाली, कटोरी, चम्मच, गिलास आदि भी सोने के हो जायेंगे। माता लक्ष्मी बोली, “तुम जाओ बेटी, तुम्हारा प्रवचन का टाइम हो गया!”
वह महिला प्रवचन में आई तो सही लेकिन आस-पास की महिलाओं को सारी बात बतायी| अब महिलायें यह बात सुनकर चालू सत्संग में से उठ कर चली गयी! अगले दिन से कथा में लोगों की संख्या कम हो गयी,तो भगवान ने पूछा कि, “लोगो की संख्या कैसे कम हो गयी ?” किसी ने कहा, ‘एक चमत्कारिक माताजी आई हैं नगर में, जिस के घर दूध पीती हैं तो गिलास सोने का हो जाता है, थाली में रोटी सब्जी खाती हैं तो थाली सोने की हो जाती है, उस के कारण लोग प्रवचन में नहीं आते|”
भगवान नारायण समझ गए कि लक्ष्मी जी का आगमन हो चुका है! इतनी बात सुनते ही देखा कि जो यजमान सेठ जी थे, वो भी उठ खड़े हो गए, खिसक गए, पहुंचे माता लक्ष्मी जी के पास बोले, “माता, मैं तो भगवान की कथा का आयोजन कर रहा था और आप ने मेरे घर को ही छोड़ दिया!” माता लक्ष्मी बोली, “तुम्हारे घर तो मैं सब से पहले आनेवाली थी, लेकिन तुमने अपने घर में जिस कथा कार को ठहराया है ना, वो चला जाए तभी तो मैं आऊं!”
सेठ जी बोले, “बस इतनी सी बात, अभी उनको धर्मशाला में कमरा दिलवा देता हूँ!” जैसे ही महाराज (भगवान्) कथा कर के घर आये तो सेठ जी बोले, “महाराज आप अपना बिस्तर बांधो, आपकी व्यवस्था अबसे धर्मशाला में कर दी है!” महाराज बोले, “अभी तो 2/3 दिन बचे है कथा के, यहीं रहने दो” सेठ बोले, “नहीं नहीं, जल्दी जाओ, मैं कुछ नहीं सुनने वाला, किसी और मेहमान को ठहराना है” इतने में लक्ष्मी जी आई और कहा कि, “सेठ जी, आप थोड़ा बाहर जाओ, मैं इन से निबट लूँ!”
माता लक्ष्मी जी भगवान् से बोली, “प्रभु, अब तो मान गए?” भगवान नारायण बोले, “हां लक्ष्मी तुम्हारा प्रभाव तो है, लेकिन एक बात तुम को भी मेरी माननी पड़ेगी कि तुम तब आई, जब संत के रूप में मैं यहाँ आया! संत जहां कथा करेंगे वहाँ लक्ष्मी तुम्हारा निवास जरुर होगा!” यह कह कर नारायण भगवान् ने वहां से बैकुंठ के लिए विदाई ली। अब प्रभु के जाने के बाद अगले दिन सेठ के घर सभी गाँव वालों की भीड़ हो गयी। सभी चाहते थे कि यह माता सभी के घरों में बारी-बारी आये। पर यह क्या? लक्ष्मी माता ने सेठ और बाकी सभी गाँव वालों को कहा कि,“अब मैं भी जा रही हूँ।” सभी कहने लगे कि माता, ऐसा क्यों, क्या हमसे कोई भूल हुई है? माता ने कहा, मैं वही रहती हूँ जहाँ नारायण का वास होता है। आपने नारायण को तो निकाल दिया, फिर मैं कैसे रह सकती हूँ?’ और वे चली गयी।
तो फिर लक्ष्मी नारायण भगवान की दोनों को सब लोग को प्रसन्न करके पूजा करने लगे उन्हें मनाया इसके बाद भगवान लक्ष्मी नारायण लक्ष्मी का वरदान देकर के अंतर्ध्यान हो गए सब लोग लक्ष्मी नारायण की पूजा करने लगे जो 16 शुक्रवार लक्ष्मी नारायण का व्रत करेगा उनका पूजन करेगा उनको चिर लक्ष्मी प्राप्त होगी लास्ट में एक उद्यापन के दिन लास्ट में एक लड़का 8 कन्याओं को भोजन करवाएं...............
व्रत के दिन इस चित्र का पूजन करना चाहिए। चित्र में भगवान विष्णु लक्ष्मी जी दोनों है, साथ में गरुड़ जी भी हैं। गरुड़ जी के दर्शन हुआ चित्र से घर में संकट का, प्रेत बाधा का, किए कराए का, तंत्र बाधा का नाश होता है। इस चित्र को आगे रखकर मां लक्ष्मी जी और विष्णु जी को लाल व पीले रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। लाल फूल मां लक्ष्मी जी के लिए तथा पीले फूल विष्णु जी के लिए। खीर व बेसन की बर्फी का भोग लगाना चाहिए। इस मंत्र की तीन माला जप करनी चाहिए।
"ओम लक्ष्मी नारायण नमः" ।
व्रत के दिन एक समय भोजन करना चाहिए । के दिन सत्य बोलना चाहिए। पीली व सफेद वस्तु का दान करना चाहिए।
By Acharya Rakesh Shastri 🙏🙏