आज के युग में हर युवा व्यक्ति उत्सुक होता है, यह जानने के लिए कि जिससे वह प्रेम करता है तो उसे विवाह होगा की नहीं। जो प्रेम संबंध में नहीं है वह भी अपने जीवनसाथी के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि उनका विवाह किससे होगा और वह सुंदर होगा/होगी, उसका स्वभाव कैसा होगा। इस प्रकार के भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रश्न एक युवा जातक के मन में आते हैं।
इसलिए यहां प्रेम-विवाह के लिए कुछ योग दर्शाए गए है-
यदि पंचम का स्वामी पंचमेश और सप्तम का स्वामी सप्तमेश दोनों का आपस में संबंध या एक-दूसरे के भाव में स्थित होने पर प्रेम विवाह का प्रबल योग बनता हैं।
यदि 1,2,3,4,6,7,8 राशि का लग्न हो तो व्यक्तियों के अंदर प्रेम-विवाह की इच्छा उत्पन्न होती है।
यदि सप्तमेश का एकादश भाव के स्वामी के साथ संबंध या एकादश भाव का सप्तमेश दृष्टि या दोनों का एक साथ किसी एक भाव में बैठ जाने पर प्रेम विवाह के योग बनते हैं।
पंचमेश या सप्तमेश का द्वादश भाव से संबंध बनने पर प्रेम विवाह का योग बनता है।
यदि पंचम भाव का स्वामी और सप्तम भाव का स्वामी अपनी नीच राशि में स्थित हो जाए तो दूसरी जाति में विवाह होता है।
यदि मंगल, शुक्र, चंद्र ग्रहों में से दो ग्रह नीच राशि में होने पर अंतरजातीय विवाह होता है।
यदि पंचमेश या सप्तमेश पर शनि या राहु की दृष्टि होती है, तो अंतरजातीय विवाह होता है।
यदि पंचमेश के साथ उसी भाव में चंद्रमा या मंगल बैठे हो तो प्रेम-विवाह का योग बनता है।
यदि शुक्र या चंद्रमा लग्न से पंचम या नवम हो तो प्रेम विवाह कराते हैं।
यदि पंचमेश व सप्तमेश या सप्तमेश व नवमेश भाव का स्वामी एक-दूसरे के साथ विराजमान हो तो प्रेम-विवाह के योग बनते हैं।
हमारे ज्योतिषशास्त्र में कुंडली के द्वारा बताया जाता हैं कि इस जातक का प्रेम-विवाह होगा कि नहीं। प्रेम विवाह की प्रथा प्राचीन काल से चलती आ रहीं हैं, इसी प्रकार आधुनिक समय में विवाह सम्बंधित बाते सब जानना चाहते हैं, लेकिन ये सब जानकारी हमें एक अच्छे ज्योतिषाचार्य से कुंडली दिखाने पर सब जानने को मिल सकता हैं। कुंडली में हम ग्रहों की स्थिति, युति, दृष्टि आदि देखते हैं। आज के समय में हर युवा व्यक्ति अपने प्रेमी- विवाह व प्रेम सम्बंधित बाते जाना के इच्छुक होते हैं, इसलिए हम ज्योतिष के माध्यम से प्रेम विवाह में आने वाली परेशानियों को उपाय आदि से दूर कर सकते हैं।
Acharya Rakesh Shastri