आईएएस (IAS) एक बेहद महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद है। इस क्षेत्र में मान-सम्मान के साथ-साथ सामाजिक रूतबा भी मिलता है। इसलिए बहुत से लोग आईएएस बनने का सपना देखते हैं। इसके लिए हर साल लाखों लोग सिविल सेवा (UPSC) की परीक्षा देते हैं लेकिन बहुत ही कम लोग इसमें उत्तीर्ण हो पाते हैं। इस परीक्षा के लिए मेहनत तो हर कोई करता है लेकिन सभी को मेहनत के अनुरूप फल मिलें, ऐसा ज़रूरी नहीं है। दरअसल, कई लोगों की जन्मपत्री में पहले से ही प्रशासनिक अधिकारी बनने के योग होते हैं। अपनी कुंडली के अनुरूप अगर वे इस क्षेत्र का चयन करते हैं तो उन्हें इसमें सफलता मिलती है। जबकि कुछ लोगों की जन्मपत्री में ऐसे योग नहीं होते इसलिए कड़ी मेहनत के बाद भी उन्हें बार-बार असफलता हाथ लगती है। अगर आप भी आईएएस बनने का सपना देख रहे हैं तो एक बार अपनी कुंडली ज़रूर दिखा लें कि उसमें प्रशासनिक अधिकारी बनने के योग हैं या नहीं। इससे आपकी मेहनत को बेहतर दिशा मिल सकती है। कुंडली में कोई दोष होने पर समय रहते उसका समाधान किया जा सकता है।
कुंडली के कुछ भाव आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS) और सिविल सेवा के अन्य क्षेत्रों से संबंधित होते हैं:
प्रथम भाव: कुंडली का पहला भाव पेशे और अन्य चीज़ों के प्रति जातक की शारीरिक और मानसिक अभिरुचि और रुझान के बारे में बताता है। आईएएस बनने के लिए इस भाव का प्रबल होना बेहद ज़रूरी है।
द्वितीय भाव: द्वितीय भाव वाणी का भाव भी है। इस भाव का प्रबल होना ज़रूरी है क्योंकि वाणी की शक्ति व्यक्ति को उच्च पद प्राप्त करने में मदद करती है।
तीसरा भाव: कुंडली का तीसरा भाव साहस और कड़े परिश्रम को दर्शाता है। इस भाव की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि हर सफलता पूर्ण समर्पण और कड़ी मेहनत पर निर्भर करती है।
पंचम भाव: पांचवा घर या भाव बौद्धिकता और उच्च शिक्षा से संबंधित है। इसलिए आईएएस और आईपीएस जैसे महत्वपूर्ण पद हासिल करने के लिए इसका प्रबल होना ज़रूरी है।
षष्ठ भाव: किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के लिए कुंडली में षष्ठ भाव मज़बूत स्थिति में होना चाहिए। प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए छठे और दसवें घर का संबंध भी बहुत महत्वपूर्ण है। प्रशासनिक क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति की सफलता इन घरों की मज़बूत स्थिति, इनके स्वामी. कुंडली में इनकी शुभ व अशुभ स्थिति पर निर्भर करती है।
नवम भाव: नवम भाव भाग्य का भाव है। मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ भी ज़रूरी है इसलिए कोई बड़ा पद हासिल करना है तो कुंडली में भाग्य भाव और उसके स्वामी की स्थिति बलवान होनी चाहिए।
दशम भाव: प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव पेशे व व्यवसाय को दर्शाता है। ज्योतिषी दशम भाव के स्वामी और उसके साथ बैठे ग्रहों की स्थितियों के आधार पर जातक के पेशे के बारे में बताते हैं। वास्तव में जन्मपत्री के इसी भाव से करियर से संबंधित सभी प्रश्नों के जवाब मिलते हैं। यह राज्य और उच्च नौकरी का भाव होता है। इस भाव में प्रबल ग्रहों की युति और दृष्टि ही व्यक्ति को उच्च अधिकारी बनाती है।
प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिए जन्म कुंडली में सूर्य, बृहस्पति, शनि और मंगल ग्रह की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। जन्म कुंडली में इन ग्रहों की प्रबल स्थिति ही व्यक्ति को इस क्षेत्र में सफलता दिलाती है।
प्रशासनिक सेवा या सरकारी नौकरी के लिए सूर्य की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। सूर्य नवम और दशम भाव में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यदि सूर्य स्वराशि या मित्र राशि में हो तो सरकारी नौकरी में चयन के योग बढ़ जाते हैं। यदि सूर्य चतुर्थ भाव में होकर दशम भाव को देख रहा हो तो भी सरकारी नौकरी के योग बनते हैं। यदि सूर्य दूसरे, छठे, आठवें और व्यय भाव में हो तो सरकारी नौकरी में चयन के योग कम हो जाते हैं। इसके अलावा अगर सूर्य पर राहु-केतु का प्रभाव हो तो भी सरकारी नौकरी के योग कम हो जाते हैं।
सूर्य को मज़बूत बनाने के उपाय
प्रात: उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
108 बार ऊँ आदित्याय नम: या ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।
आदित्य हृदय स्तोत्रम् का पाठ करें।
लाल चंदन की माला से गायत्री मंत्र का सूर्य के समक्ष जाप करें।
सूर्य यंत्र को अपने पास रखें।
रविवार को व्रत और नमक रहित भोजन करें।
सफेद नारंगी वस्त्र पहनें।
माणिक्य धारण करें।
गुरु ज्ञान और भाग्य का कारक ग्रह है। ज्योतिष में इसे धन का कारक भी माना गया है। इसका संबंध नौकरी या रोजगार के भाव यानी दसवें भाव से है। कुंडली के दसवें भाव में यदि यह शुभ हो तो व्यक्ति को सरकारी नौकरी में उच्च पद प्राप्त होता है।
गुरु ग्रह को मज़बूत करने के उपाय
अपने गुरुओं और गाय की सेवा करें।
ज़रूरतमंदों को सब्जियां व फल दान करें।
माथे पर नित्य केसर व हल्दी का तिलक लगाएं।
प्रत्येक गुरुवार को व्रत करें।
मंगल व्यक्ति को साहसी, ऊर्जावान और उत्साही बनाता है। इसका संबंध पुलिस सेवा के क्षेत्र से भी है। इसलिए आईपीएस अफसर बनने के लिए जन्मपत्री में मंगल का प्रबल होना ज़रूरी है।
मंगल ग्रह को मज़बूत करने के उपाय
भगवान कार्तिकेय और हनुमान जी की पूजा करें।
रोज़ाना विष्णु पुराण का पाठ करें।
अपने भाई-बहनों के साथ मधुर संबंध बनाए रखें। बहनों का भूलकर भी अपमान न करें।
रोज़ाना मंगल गायत्री मंत्र का जाप करें।
तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
जब भी अवसर मिले रक्तदान ज़रूर करें।
उच्च पद मिलने के बाद शनि ग्रह उसे स्थायी बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। इसलिए जन्मपत्री में शनि की स्थिति पर भी गौर करना ज़रूरी है। यदि शनि अस्त हो, छठे. आठवें या बारहवें भाव का स्वामी हो या शत्रु क्षेत्र में बैठा हो तो नौकरी में स्थायित्व नहीं रहता। ऐसे जातकों की जीविका में परिवर्तन या ट्रांसफर के योग बनते हैं। शनि ग्रह दशम भाव यानी कर्म भाव का स्वामी भी है इसलिए यह व्यक्ति के नौकरी पेशा के विषय के बारे में बताता है। इसलिए अगर आपको करियर में किसी प्रकार की दिक्कत आ रही हो या कुंडली का दशम भाव कमज़ोर हो या वह किसी शत्रु ग्रह से पीड़ित हो तो किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह से वैदिक ज्योतिष के उपाय करें।
शनि ग्रह को मज़बूत करने के उपाय
शनिवार के दिन काले तिल का दान करें।
शनि मंदिर में सरसों का तेल दान करें।
प्रत्येक शनिवार प्रात: और संध्याकाल में पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं।
प्रत्येक शनिवार को व्रत करें।
शनि यंत्र स्थापित या धारण करें।
नवग्रह शांति हवन से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं जिसके बाद जातक को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। इसके लिए आप किसी योग्य पंडित से नवग्रह पूजा करवा सकते हैं। शुभ मुहूर्त देखकर आप नवग्रह यंत्र स्थापित कर उसकी आराधना भी कर सकते हैं।
कुंडली में कई तरह के ज्योतिषीय योग बनते हैं लेकिन कुछ योग ऐसे होते हैं जो सिविल सेवा, सरकारी नौकरी और उच्च पद प्राप्त करने के लिए ज़रूरी होते हैं। राजयोग, धन योग, गजकेसरी बुधादित्य और कर्म जीव योग व्यक्ति को सरकारी क्षेत्र में सफलता और समाज में मान सम्मान दिलाते हैं।
नवमांश का स्वामी जिसमें चंद्र बैठा हो यदि लग्न भाव या बुध से केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तो कमांडर या राजा बनने के योग बनते हैं। दूसरे, नौवें या ग्यारहवें भाव का स्वामी अगर चंद्रमा से केंद्र में स्थित हो और गुरु दूसरे, पांचवें या ग्यारहवें भाव का स्वामी हो तो व्यक्ति को कोई उच्च पद प्राप्त होता है और सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है।
यदि लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम और दशम भाव के स्वामी केंद्र या त्रिकोण में शुभ स्थिति में हों तो व्यक्ति को धन-समृद्धि मिलती है।
गजकेसरी बेहद शुभ योग है। यह प्रमुख धन योग में से एक है जो चंद्रमा और गुरु के प्रभाव के कारण बनता है। जन्म कुंडली के किसी भी भाव में अगर चंद्रमा और गुरु की युति हो और उन पर किसी भी पाप ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो या उनके साथ कोई पाप ग्रह न बैठा हो तो यह योग बेहद शुभ माना जाता है। कुंडली में इस योग के बनने से व्यक्ति की बुद्धि और क्षमता का विकास होता है। उसे कोई उच्च पद प्राप्त होता है। उसे धन और यश प्राप्त होता है।
सूर्य और बुध दोनों के एक ही राशि या घर में होने से बुधादित्य योग बनता है। इस योग के बनने पर व्यक्ति मृदुभाषी, चतुर, बुद्धिमान, नेक, और सीखने में रुचि रखता है। अपने इन गुणों के कारण वह दूसरों की सेवा कर सामाजिक मान सम्मान और सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।
यदि दसवें भाव में बुध बेहद बलवान हो, किसी भी पाप ग्रह के साथ न हो या उस पर किसी भी पाप ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो तो इसे बेहद शुभ योग माना जाता है। इस योग के बनने पर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ बड़ा करता है। उसे बहुत अधिक प्रसिद्धि मिलती है।
एक बार कोई अच्छी सरकारी नौकरी प्राप्त कर लेने के बाद उसमें स्थायित्व बनाए रखने के लिए ग्रहों की दशा और अंतर्दशा का शुभ होना बेहद ज़रूरी है। यदि आपकी कुंडली में सिविल सेवा के योग हैं लेकिन ग्रहों की दशा शुभ नहीं है तो प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलने की संभावना कम हो जाती है।
अगर लग्न, षष्ठ, नवम या दशम भाव के स्वामी की दशा अच्छी है तो जातक के प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के योग बढ़ जाते हैं।
नौवें, दसवें और ग्यारहवें भाव और उनके स्वामी यदि शुभ स्थिति में हों या परिवर्तन योग हो तो व्यक्ति के आईएएस (IAS) बनने के योग होते हैं।
यदि दो या दो से अधिक ग्रह जैसे कि सूर्य, शनि, गुरु या शुक्र उच्चस्थ हों और शुभ घर में स्थित हों तो वे शुभ फलदायी होते हैं।
यदि सूर्य और बृहस्पति का योग हो और शुभ भाव में मंगल बली हो तो प्रशासनिक अधिकारी बनने के योग होते हैं।
यदि दसवें भाव का स्वामी शुभ ग्रहों से युक्त हो या उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो भी उच्च पदाधिकारी बनने के योग होते हैं।
यदि कुंडली में सूर्य उच्च हो और उच्चस्थ गुरु या शुक्र भाग्य भाव में शुभ ग्रहों से दृष्ट हों तो व्यक्ति को उच्च पद प्राप्त होता है।
यदि केंद्र या लग्न भाव में सूर्य और बुध स्थित हों और उन पर गुरु की शुभ दृष्टि पड़ रही हो तो भी आईएएस बनने के योग होते हैं।