भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 के तहत, बलात्कार एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है। यदि बलात्कार के दौरान महिला को गंभीर चोट पहुँचती है, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है या वह जीवनभर के लिए अशक्त हो जाती है, तो दोषी को न्यूनतम 20 वर्ष की कठोर कारावास की सजा होगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इसका अर्थ है कि दोषी को अपने शेष प्राकृतिक जीवनकाल तक जेल में रहना होगा।
सजा: 7 वर्ष से आजीवन कारावास + आर्थिक दंड
स्वरूप: गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध
न्यायालय: सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय
यदि अपराधी कोई सरकारी अधिकारी, पुलिसकर्मी, सशस्त्र बल का सदस्य, जेल प्रबंधन/कर्मचारी, महिला/बच्चों की संस्था का कर्मचारी, अस्पताल कर्मी, या पीड़िता का कोई विश्वसनीय संबंधी हो, तो सजा और भी कठोर हो जाती है।
सजा: 10 वर्ष से आजीवन कारावास (शेष प्राकृतिक जीवन तक) + आर्थिक दंड
स्वरूप: गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध, समझौता योग्य नहीं
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी पुरुष ने 15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाए, तो इसे बलात्कार माना जाएगा, भले ही सहमति हो या न हो। यह अपराध गैर-रियायती और गंभीर माना जाता है।
IPC की धारा 375 के अनुसार, निम्नलिखित स्थितियों में बलात्कार माना जाएगा:
महिला की इच्छा के विरुद्ध संभोग करना
महिला की सहमति के बिना संभोग करना
भय, दबाव या धोखे से संभोग करना
मानसिक रूप से विकलांग महिला से सहमति प्राप्त कर संभोग करना
नशे की हालत में महिला से संबंध बनाना
16 वर्ष से कम उम्र की लड़की से सहमति या बिना सहमति से संबंध बनाना
सजा: 2 वर्ष तक की कारावास + आर्थिक दंड
सजा: 5 वर्ष तक की कारावास + आर्थिक दंड
सजा: 5 से 10 वर्ष तक की कारावास + आर्थिक दंड
सजा: 20 वर्ष से आजीवन कारावास + आर्थिक दंड (पीड़िता के पुनर्वास हेतु)
धारा 376 और संबंधित प्रावधान भारत में बलात्कार के खिलाफ कठोर कानून प्रदान करते हैं। न्यायिक प्रणाली इस अपराध के प्रति कठोर रुख अपनाते हुए दोषियों को कड़ी सजा देती है, जिससे महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
Source: https://www.latestlaws.com/bare-acts/hindi-acts/141238