संस्थान समाचार

ई-बुलेटिन

प्रकाशन / Publication : वर्ष / Year 6 | अंक / Issue 20-21 | अप्रैल-सितंबर / April-September - 2020 |

कवर स्टोरी

अभिनंदन एवं हार्दिक स्वागत!

माननीय श्री अनिल कुमार शर्मा जोशी जी (उपाध्यक्ष महोदय)

केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के मनोनीत उपाध्यक्ष श्री अनिल कुमार शर्मा 'जोशी' जी का संस्थान परिवार हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता है। श्री अनिल कुमार शर्मा गृह मंत्रालय एवं तदुपरांत विदेश मंत्रालय भारत 'के उच्चाधिकारी के रूप में विभिन्न देशों में सेवाएँ दे चुके हैं। आपने लगभग 9 वर्षों तक ब्रिटेन एवं फिजी में राजनयिक के रूप में कार्य करते हुए हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं विकास के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। प्रवासी साहित्य के गंभीर अध्येता के रूप में आपकी पहचान सुस्थापित है। 'मोर्चे पर', 'नींद कहाँ हैं', 'धरती एक पुल' (संपादन-ब्रिटेन के कवियों का काव्य-संकलन) आपके चर्चित काव्य संग्रह हैं। इसके साथ ही आपकी सदय प्रकाशित पुस्तक- प्रवासी लेखन: नयी ज़मीन नया आसमान प्रवासी साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कृति है।

श्री अनिल कुमार शर्मा के उपाध्यक्ष नियुक्त हो केंद्रीय हिंदी संस्थान परिवार हर्षित है। आपके गतिशील नेता संस्थान विकास के नए सोपानों पर आगे बढ़ने के लिए संकल्पिा दिनांक 256 2020 को श्री अनिल कुमार शर्मा जोशी ने कें.हिं.शि. मंडल के नए उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।

कार्यभार ग्रहण के पश्चात श्री अनिल शर्मा जोशी केंद्रीय हिंदी संस्थान, मुख्यालय आगरा का संदर्शन किया संस्थान परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। इस बैठक में उपाध्य महोदय ने संस्थान की कार्यप्रणाली की जानकारी ली तथा भवि की योजनाओं पर मंचन किया। इस अवसर पर संस्थान निदेशक, कुलसचिव, वरिष्ठ अध्यापकों सहित संस्थान परिवार सभी सदस्य उपस्थित थे।

प्रमुख समाचार

हिंदी दिवस वेबिनार 14 सितंबर, 2020

बहुभाषिक भारत में हिंदी

केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर 14.09.2020 को वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस वेब संगोष्ठी की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के माननीय उपाध्यक्ष श्री अनिल कुमार शर्मा 'जोशी ने की। कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य एवं माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के संदेश का वाचन केंद्रीय हिंदी संस्थान की निदेशक प्रो.बीना शर्मा ने किया । माननीय मंत्री जी ने अपने संदेश में कहा कि “यह वर्ष हमारे देश और हमारे मंत्रालय के लिए ऐतिहासिक है। इस वर्ष देश के भविष्य को गढ़ने वाली तथा हिंदी एवं समस्त भारतीय भाषाओं को सुदृढ़ करने वाली और भारत की बहुभाषिकता को रेखांकित करने वाली ऐतिहासिक शिक्षा नीति 2020 की घोषणा की गई है। इस शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा अपनी भाषाओं में देने संबंधी प्रावधान व अन्य भाषा संबंधी प्रावधानों का देश में व्यापक स्वागत हुआ है। इससे हिंदी और भारतीय भाषाओं के अध्ययन और अध्यापन के व्यापक स्तर पर रास्ते खुले हैं। यह हिंदी व भारतीय भाषाओं के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है।

हिंदी के राष्ट्रव्यापी विस्तार में हिंदीतर क्षेत्र के राष्ट्रीय नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हमें भी अन्य भारतीय भाषाओं से समन्वय, सद्भाव और संवाद के रास्ते से संविधान के अनुच्छेद 351 की भावना के अनुसार राजभाषा के रूप में हिंदी के विकास और समृद्धि में सहयोग देना है।

माननीय मंत्री जी के संदेश वाचन के पश्चात वक्ता के रूप में केंद्रीय हिंदी संस्थान के मैसूर केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. परमान सिंह ने 'दक्षिण भारत में राजभाषा क्रियान्वयन एवं भाषाई मनोवृत्ति' विषय पर बोलते हुए कहा कि हिंदी का प्रचार-प्रसार दक्षिण भारत में उतना नहीं हुआ जितना अपेक्षित था । दक्षिण भारत की भाषाएँ हिंदी परिवार की भाषाओं से अलग द्रविड़ भाषा परिवार की भाषाएँ हैं, इसलिए वहाँ अधिक प्रयास करना होगा । दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ने दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिन दो लोगों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मुहिम शुरु की वे दोनों ही अहिंदी भाषी थे । गोपाल स्वामी आयंगर और मोटूरि सत्यनारायण दोनों ही हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के पक्षधर थे। भाषाएँ लोगों को जोड़ने का कार्य करती हैं। हिंदी की प्रगति सबके प्रति सद्भावना से ही संभव है। हिंदी के बगैर राष्ट्रीय अभिव्यक्ति अधूरी रहेगी। सबके मन को जीतकर ही हम हिंदी को आगे बढ़ा सकते हैं।

केंद्रीय हिंदी संस्थान के अहमदाबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. सुनील कुमार ने 'पश्चिम भारत में राजभाषा की स्थिति और प्रयोग' विषय पर अपने विचार रखे। आपने कहा कि यदि कोई एक भाषा संपूर्ण भारत की आवाज़ बन सकती है तो वह हिंदी है। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से क्षेत्रीय भाषाओं और हिंदी की स्थिति में सुधार होगा। हिंदी का भाषिक स्वरूप और भी व्यापक और प्रभावी होगा यह आने वाले दशकों में स्पष्ट हो जाएगा।

गुवाहाटी केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. राजवीर सिंह ने 'पूर्वोत्तर भारत में कार्यालयीन हिंदी का प्रयोग और चुनौतियाँ' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए हिंदी की संवैधानिक स्थिति का परिचय दिया । आपने पूर्वोत्तर में स्थित भारत सरकार के कार्यालयों में हिंदी की वर्तमान परिस्थितियों से सभी को अवगत कराया तथा अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में हिंदी के अध्ययन-अध्यापन की स्थितियों की जानकारी दी।

अध्यक्षीय उद्बोधन में केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने सभी वक्ताओं के विचारों का समाहार करते हुए कहा कि हिंदी का समन्वय क्षेत्रीय भाषाओं के साथ स्थापित हो यह बहुत आवश्यक है। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में हिंदी से संबंधित समस्याएँ क्या हैं और संभावनाएँ क्या हैं, इसकी हमें तलाश करनी होगी। व्यतिरेकी विश्लेषण पर पुस्तकें तैयार करनी होंगी। अलग-अलग राज्यों में काम करने वाली ऐसी बहुत-सी संस्थाएँ हैं जो हिंदी के प्रति चिंतित हैं, उनसे संपर्क साधना होगा। राजभाषा और केंद्रीय हिंदी संस्थान के लिए प्रौद्योगिकी बहुत से नए रास्ते खोल सकती है। तकनीक से मित्रता समय की माँग है, इसे हमें पूरा करना होगा । गांधी जी के सपने को हमें पूरा करना है, यदि हम ऐसा संकल्प लें तो हिंदी दिवस की यह परिचर्चा सार्थक हो सकेगी। इस संगोष्ठी के माध्यम से संस्थान का मुख्य उद्देश्य पूर्ण हुआ है। हिंदी के साथ ही भारत की क्षेत्रीय भाषाओं पर भी चर्चा हुई है। आज का यह दिन सिर्फ चर्चा तक सीमित न रहे, कुछ ठोस परिणामों की हम सभी को अपेक्षा है।

धन्यवाद ज्ञापन अध्यापक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संगोष्ठी के संयोजक प्रो. हरिशंकर ने किया। संगोष्ठी के सह-संयोजक सूचना एवं भाषा प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष श्री अनुपम श्रीवास्तव थे। कार्यक्रम का संचालन संस्थान की वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. सपना गुप्ता ने किया। तकनीकी सहयोग श्री दिवाकर नाथ त्रिपाठी तथा श्री अनिल कुमार पाण्डेय का रहा।

मुख्यालय के समाचार

अध्यापक शिक्षा विभाग

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पूर्वोत्तर सामग्री निर्माण विभाग

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अंतरराष्ट्रीय हिंदी शिक्षण विभाग

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नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग

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अनुसंधान एवं भाषा विकास विभाग

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सूचना एवं भाषा प्रौद्योगिकी विभाग

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हिंदी लोक शब्दकोश परियोजना

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प्रकाशन विभाग

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क्षेत्रीय केंद्रों के समाचार

विशेष समाचार

हिंदी सेवी सम्मान योजना के अंतर्गत वर्ष 2017 के लिए विद्वानों की घोषणा


राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के विकास, प्रचार-प्रसार और प्रोत्साहन में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हिंदी राष्ट्रीय एकता और समन्वय की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। राजभाषा, राष्ट्रभाषा और संपर्क-भाषा के रूप में इस पर विभिन्न भारतीय भाषाओं आपसी संवाद को बढ़ाते हुए भारत की समावेशी संस्कृति के विकास की भी जिम्मेदारी है। संस्थान विदेशों में हिंदी भाषा और उसके माध्यम से आधुनिक भारत की चेतना और उसके लोकतांत्रिक मूल्यों को भी प्रसारित करने के लिए संकल्पित है। इसी दायित्व को निभाते हुए संस्थान द्वारा हिंदी सेवी सम्मान योजना के अंतर्गत बारह पुरस्कार श्रेणियों के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 26 हिंदी सेवी विद्वानों

को प्रति वर्ष सम्मानित किया जाता है। हिंदी सेवी सम्मान योजना की शुरुआत सन् 1989 में हुई थी। पुरस्कृत विद्वानों को पाँच लाख रुपए,शॉल तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित/पुरस्कृत किया जाता है। अब तक विभिन्न श्रेणियों में कुल 399 विद्वान सम्मानित किए जा चुके हैं।

हिंदी सेवी सम्मान (वर्ष 2017) की बारह पुरस्कार श्रेणियों में सम्मानित किए जाने वाले कल 26 विदवानों के नामों की सची 10 अप्रैल, 2020 को केंद्रीय हिंदी संस्थान मुख्यालय में संस्थान के निदेशक प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय द्वारा जारी की गई। इस अवसर पर प्रो.हरिशंकर, श्री केशरी नन्दन, श्री अनुपम श्रीवास्तव, श्री एस. पी.सुंदरियाल एवं प्रशासनिक सदस्य उपस्थित रहे।

वर्ष 2017 के लिए हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित विद्वानों के नाम इस प्रकार हैं -

गंगाशरण सिंह पुरस्कार (हिंदी प्रचार-प्रसार एवं हिंदी प्रशिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखीय कार्य के लिए)

• श्री राधा गोविंद धुंगाम (मणिपुर) • डॉ.टी.जी.प्रभाशंकर प्रेमी (बेंगलूरु) • डॉ.विनय कुमार महान्ति (ओडिशा) • प्रो.मनमोहन सहगल (पंजाब)

गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार (हिंदी पत्रकारिता तथा जनसंचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए)

• डॉ.कृष्ण बिहारी मिश्र (कोलकाता) • श्री के.जी.सुरेश (दिल्ली)

आत्माराम पुरस्कार (विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए)

• प्रो.बद्रीलाल चौधरी (उदयपुर) • डॉ.सूर्यकांत (लखनऊ)

सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार (सर्जनात्मक एवं आलोचनात्मक क्षेत्र में उल्लेखनीय लेखन कार्य के लिए)

• डॉ.रत्न कुमार साँभरिया (जयपुर) • प्रो.सदानंद गुप्त (लखनऊ)

महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार (हिंदी माध्यम से ज्ञान के विविध क्षेत्र, पर्यटन एवं पर्यावरण से संबंधित क्षेत्र में मौलिक अनुसंधान के लिए)

• डॉ.विनय षडंगी राजाराम (भोपाल) • डॉ.मथुरेश नंदन कुलश्रेष्ठ (जयपुर)

डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार (विदेशी हिंदी विद्वान को विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं लेखन में उल्लेखनीय कार्य के लिए)

• श्री उदय नारायण गंगू (मॉरीशस) • श्री आमिर फैजुल्लाह (उज़्बेकिस्तान)

पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार (आप्रवासी भारतीय विद्वान को विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं लेखन कार्य के लिए)

• सुश्री दिव्या माथुर (इंग्लैंड) • सुश्री अर्चना पेन्यूली (डेनमार्क)

सरदार वल्लभ भाई पटेल पुरस्कार (कृषि विज्ञान एवं राष्ट्रीय एकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय लेखन कार्य के लिए)

• डॉ.हरेश प्रताप सिंह (कानपुर)- कृषि विज्ञान क्षेत्र • डॉ.शंकर शरण (नई दिल्ली)

दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार (मानविकी के क्षेत्र में एवं कला, संस्कृति एवं विचार की भारतीय चिंतन परंपरा के क्षेत्र में उल्लेखनीय लेखन कार्य के लिए)

• डॉ.महेश चंद्र शर्मा (दिल्ली) • डॉ.श्रीराम परिहार (मध्य प्रदेश)

स्वामी विवेकानंद पुरस्कार (भारतविद्या (इंडोलॉजी) के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए)

• प्रो.ईश्वर शरण विश्वकर्मा (उत्तर प्रदेश) • प्रो.योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण (उत्तराखंड)

पंडित मदन मोहन मालवीय पुरस्कार (शिक्षाशास्त्र एवं प्रबंधन में हिंदी माध्यम से उल्लेखनीय लेखन कार्य के लिए)

• सुश्री इंदुमती काटदरे (अहमदाबाद) • प्रो.प्रभु नारायण मिश्र (इंदौर)

राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन पुरस्कार (विधि एवं लोक प्रशासन के क्षेत्र में हिंदी भाषा में उल्लेखनीय लेखन कार्य के लिए)

• डॉ.राम अवतार सिंह (जौनपुर)-विधि क्षेत्र में • डॉ.रमेश कुमार अरोड़ा (जयपुर)- लोक प्रशासन क्षेत्र में

अन्य समाचार

प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय विदाई समारोह में अपना वक्तव्य देते हुए

प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय की विदाई

दिनांक 14 अगस्त, 2020 को संस्थान के निदेशक प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय अपने कार्यकाल के पाँच वर्ष पूर्ण कर संस्थान की सेवा से मुक्त हुए। संस्थान के शिक्षकों, कर्मचारियों ने एक औपचारिक कार्यक्रम में उन्हें विदाई दी। इस अवसर पर वरिष्ठ प्राध्यापकों ने प्रो.पाण्डेय के कार्यकाल की विभिन्न स्मृतियों की चर्चा की तथा कर्मचारियों/अधिकारियों ने प्रो. पाण्डेय के कार्यकाल के अपने अनुभव साझा किए। इस कार्यक्रम में प्रोफेसर नन्द किशोर पाण्डेय की पत्नी डॉ.वन्दना पाण्डेय भी उपस्थित थीं।

प्रो. बीना शर्मा

प्रो. बीना शर्मा को संस्थान के निदेशक का दायित्व

प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय के बाद संस्थान की वरिष्ठ प्रोफेसर बीना शर्मा को संस्थान के निदेशक का अतिरिक्त दायित्व सौंपा गया । आगामी आदेश तक प्रो. बीना अपने वर्तमान दायित्वों के साथ-साथ निदेशक पद के दायित्वों का निर्वहन करती रहेंगी।

बीना शर्मा शिक्षाविद और लेखिका हैं।

मुख्यालय में बैठक

दिनांक 02.09.2020 को मंडल के माननीय उपाध्यक्ष श्री अनिल शर्मा ‘जोशी' की अध्यक्षता में प्रकाशन विभाग एवं मुख्यालय से प्रकाशित पत्रिकाओं के संपादक तथा सह-संपादकों के साथ एक बैठक संपन्न हुई, जिसमें निदेशक महोदया एवं कुलसचिव महोदय भी सम्मिलित हुए। इसमें पत्रिकाओं के समयबद्ध एवं स्तरीय प्रकाशन की चर्चा के साथ अद्यतन स्थिति की समीक्षा की गई। इस बैठक में प्रो. उमापति दीक्षित, डॉ. ज्योत्स्ना रघुवंशी, श्री चंद्रकांत कोठे, डॉ. आकाश भदौरिया एवं डॉ. उमेश चन्द्र उपस्थित थे। प्रकाशन विभाग की ओर से श्री आशुतोष शुक्ल ने बैठक में भाग लेकर अपना अभिमत एवं सुझाव प्रस्तुत किए।