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अन्वयः-
विद्याधनम् न चोरहार्यम् च न राजहार्यम् न भ्रातृभाज्यम् च न भारकारि व्यये कृते नित्यम् वर्धते एव विद्याधनम् सर्वधनप्रधानम्।
अनुवादः-
ज्ञान रूपी धन को चोर चुरा नहीं सकते, राजा नहीं ले जा सकते, भाइयों में बांट नहीं सकते और कभी बोझ नहीं बनते। खर्च करने पर यह हमेशा बढ़ता है। (इसलिए) सभी धनों में सबसे प्रमुख है।