1.1 जिस प्रक्रिया द्वारा भूमि की ऊँचाई कम होती है, उसे कहते हैं --
(क) ज्वालामुखी
(ख) निक्षेपण
(ग) संचय
(घ) निम्नीकरण
उत्तर : (घ) निम्नीकरण
1.2 दो नदी बेसिनों के बीच की उच्च भूमि को कहते हैं --
(क) जल विभाजिका
(ख) नदी संघ
(ग) प्राकृतिक बाँच
(घ) दोआब
उत्तर :(क) जल विभाजिका
1.3 ग्लेशियर के द्वारा बनी झील है--
(क) कोरी झील
(ख) प्लाया झील
(ग) गोखुर झील
(घ) लागून
उत्तर : (क) कोरी झील
1.4 बायु के संचय कार्य द्वारा बना मैदान कहा जाता है -
(क) स्तूप
(ख) हमादा
(ग) धियान
(घ) लोयस
उत्तर : (घ) लोयस
1.5सहारा मरूस्थल की नमकीन झीलों को कहते हैं
(क) शाट्स
(ख) बोल्सन
(ग) धान्द
(घ) ताल
उत्तर: (क) शाट्स
1.6 जिस प्रक्रिया में गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से मिट्टी और चट्टान की परतें उच्च भूमि की ढाल से नीचे उतर जाती है, उसे कहते हैं:
(क) ऋतुक्षरण
(ख) निक्षेपण विधि (समतलीकरण)
(ग) अन्तर्जातीय प्रक्रिया
(घ) वृहद क्षरण प्रक्रिया
उत्तर: (घ) वृहद क्षरण प्रक्रिया
1.7 मरुस्थलीय मैदान में, कठोर चट्टानों से गठित कुछ नीचे पहाड़ों के अवशेष से बनीं स्थल आकृतियोंको कहते हैं
(क) यारडंग
(ख) ज्यूगेन
(ग) बालू का स्तूप
(घ) दीपाभगिरि या द्वीपगिरि
उत्तर:(घ) दीपाभगिरि या द्वीपगिरि
1.8 जिस क्रिया द्वारा भू-भाग की ऊँचाई में वृद्धि होती है उसे कहा जाता है.
(क) अधिवृद्धि
(ख) निम्नीकरण
(ग) अपक्षय
(घ) अनाच्छादन
उत्तर : (क) अधिवृद्धि
1.9. पर्वतीय हिमनदों की गोद में बनी गहरी दरारों को कहा जाता है -
(क) नूनाटाक
(ख) हिम दरार
(ग) तीक्ष्ण कटक
(घ) सर्क
उत्तर : (ख) हिम दरार
1.10 शुष्क क्षेत्रों के महाखड़ को कहा जाता है:
(क) कैनियन
(ख) V- आकार की घाटी
(ग) जलगर्तिका
(घ) धान्द
उत्तर :(क) कैनियन
1.11 पक्षी के पंजे के आकार का डेल्टा जिस नदी के मुहाने पर देखा जाता है वह है:
(क)नील
(ख)सिंधु
(ग)ह्वांगहो
(घ) मिसीसीपी मिसौरी
उत्तर : (घ) मिसीसीपी मिसौरी।
1.12. जिस विधि द्वारा प्राकृतिक कारक भूपृष्ठ के ऊपर कार्य करके पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन करते
हैं उसे कहते हैं
(क) बहिर्जात प्रक्रिया
(ख) अन्तर्जात प्रक्रिया
(ग) भू-संचलन
(घ) पर्वतों की उत्पत्ति की प्रक्रिया
उत्तर : (क) बहिर्जात प्रक्रिया
1.13 लवणयुक्त चट्टानों के ऊपर नदी का मुख्य अपरदन कार्य है
(क) अवघर्षण क्षय
(ख) घर्षण क्षय
(ग) जल प्रवाह क्षय
(घ) द्रवण क्षय
उत्तर :(घ) द्रवण क्षय
1.14. मरुस्थल रोकने का सबसे बड़ा उपाय है
(क) कृषि करना
(ख) वृक्षारोपण
(ग) शहर निर्माण
(घ) उद्योग की स्थापना
उत्तर : (ख) वृक्षारोपण
1.15. विश्व की सबसे लम्बी घाटी हिमनद है:
(क) हुबर्ड
(ख) मेलविना
(ग) लाम्बर्ट
(घ) सियाचिन
उत्तर : (ग) लाम्बर्ट
1.16. भारत का सबसे बड़ा हिमनद है:
(क) नेमू
(ख) सियाचिन
(ग) हुबाई
(घ) गंगोत्री
उत्तर :(ख) सियाचिन
1.17. निम्नलिखित में से कौन हिमनद के अपरदन से निर्मित स्थलरूप है?
(क) लटकती घाटी
(ख) ड्रमलिन
(ग) केम
(घ) एस्कर
उत्तर : (क) लटकती घाटी।
1.18. आल्पस पर्वत श्रेणी का मैटरहने उदाहरण है
(क) गिरिशृंग का
(ख) लटकती घाटी का
(ग) सर्क का
(घ) कंधीनुमा घाटी का
उत्तर : (क) गिरिश्रृंग का ।
1.19. तारीम बेसिन में स्थित लेपनार झील उदाहरण है:
(क) बजाडा
(ख) वाडी
(ग) प्लाया
(घ) वाश
उत्तर :(ग) प्लाया।
1.20. बर्फ से ढँकी पर्वतों की ऊंची चोटियाँ कहलाती हैं:
(क) सीफ
(ख) हिमटोपी
(ग) सासाईनी हिमनद
(घ) सर्क
उत्तर : (ख) हिमटोपी।
1.21 नदी के बेग दोगुना होने पर उसकी परिवहन शक्ति हो जाएगी:
(क) चौगुनी
(ख) आठ गुना
(ग) 64 गुना
(घ) दस गुना
उत्तर : (ग) 64 गुना ।
1.22 ताड़ के पंखे के समान की भू-आकृति को क्या कहते हैं?
(क) मिएण्डर
(ख) जलोढ़ पंख या जलोढ़ शंकु
(ग) छाड़न झील
(घ) बाढ़ का मैदान
उत्तर :(ख) जलोढ़ पंख या जलोढ़ शंकु ।
1.23 बैल के खुर के समान की भू-आकृति को क्या कहते हैं?
(क) जलोढ़ पंख
(ख)याजू
(ग) वृषक- धनु या छाड़न झील
(घ) नदी वेदिका ।
उत्तर:(ग) वृषक- धनु वा छाडन झील।
1.24 शुष्क तथा अर्द्धशुष्क प्रदेशों में पर्वतों से घिरी बेसिन को कहते हैं:
(क)बालसन
(ख) बजाडा
(ग)वाडी
(घ) पेडीमेण्ट
उत्तर :(क) बालसन ।
1.25 अरब के मरूस्थल में प्लाया झीलों को कहते हैं:
(क)वाडी
(ख) खाबरी
(ग) शट्स
(घ) वाश
उत्तर : (ख) खाबरी।
1.26 गार्ज का निर्माण होता है:
(क) शुष्क पर्वतीय अंचलों में
(ख) आर्द्र पर्वतीय अंचलों में
(ग) डेल्टाई अंचलों में
(घ) पर्वतपदीय अंचलों में
उत्तर : (क) शुष्क पर्वतीय अंचलों में।
1.27 एस्चुयरी का निर्माण नदी के मुहाने पर देखा जाता है वह है
(क) गंगा
(ख) नर्मदा
(ग) कावेरी
(घ) महानदी
उत्तर : (ख) नर्मदा।
1.28 फियोर्ड का निर्माण होता है
(क) हिमानी
(ख) नदी
(ग) हवा
(घ) भूमिगत जल
उत्तर : (क) हिमानी ।
1.29 शिवालिक के गिरिषद पर निक्षेपित शंकड़-पत्थर और बजरी से निर्मित मैदान को कहते हैं।
(क) खादर
(ख) भाबर
(ग) मांगर
(घ) बेट
उत्तर : (ख) भाबर।
1.30 अपवाहन' शब्द निम्न में से किससे सम्बन्धित है?
(क) हिमनद
(ख) प्रवाहित जल
(ग) सागरीय लहरे
(घ) वायु क्रिया
उत्तर : (घ) वायु क्रिया।
1.31 चट्टानों के अपने स्थल पर टूट-फूट को कहते हैं
(क) वियोजन
(ख) निम्नीकरण
(ग) अपक्षय
(घ) अपक्षरण
उत्तर: (ग) अपक्षय
1.32 इन्सेसबर्ग किस भाषा का शब्द है?
(क) हिन्दी
(ख) अंग्रेजी
(ग) फ्रेंच
(घ) जर्मन
उत्तर (घ) जर्मन
1.33 दंताकार डेल्टा का निर्माण नदी के मुहाने पर होता है:
(क) नील
(ख) सिन्धु
(ग) इबो
(घ) यागटी सिक्यांग
उत्तर : (ग) इबो
1.34. उच्च भूमि जो एक या एक से अधिक नदियों के प्रवाह को पृथक करती है, कहलाती हैं
(क) नदी बेसिन
(ख) कैचमेण्ट बेसिन
(ग) जलविभाजक
(घ) दोआब
उत्तर : (ग) जलविभाजक ।
1.35. स्काटलैण्ड में सर्क को कहते हैं:
(क) कोरी
(ख) कार
(ग) CWM
(घ) both
उत्तर : (क) कोरी
1.36. निम्नलिखित में से कौन स्थलरूप हिमनद में निक्षेपण से निर्मित अण्डाकार पहाड़ियों जैसी है?
(क) ड्रमलिन
(ख) एस्कर
(ग) केटिल
(घ) मेष शैल
उत्तर : (क) ड्रमलिन।
1.37. कठोर चट्टान से निर्मित खड़ी ढाल वाला उच्च सपाट भाग जो सामान्यतः शुष्क प्रदेशों में पाया जाता है, को कहते हैं:
(क) अर्ग
(ख) क्वेस्टा
(ग) मेसा
(घ) कगार
उत्तर : (ग) मेसा ।
1.38. क्षरण की प्रक्रिया द्वारा निर्मित भू-आकृति है -
(क) बादकृत मैदान
(ख) मृदु कटक अथवा एस्कर
(ग) संकरी घाटी
(घ) प्राकृतिक तटबंध
उत्तर: (ग) संकरी घाटी अथवा नदकन्दरा
1.39. ग्लेशियर और पहाड़ की दीवार के बीच बनने वाली संकरी खाई है -
(क) फिजोर्ड अथवा पतली खाड़ी
(ख) वर्गश्रुंड अथवा हिमदर
(ग) कोरी
(घ) तीक्ष्ण कटक अथवा अरेत
उत्तर : (ख) वर्गश्रुंड अथवा हिमदर
1.40. उन्नयन की प्रक्रिया द्वारा विकसित भू-आकृति है -
(क) भकोसना (तंग घाटी)
(ख) रोश मौटोनने
(ग) गौर
(घ) रेत के टीले
उत्तर : (घ) रेत के टीले
निम्नलिखित में सत्य कथन के आगे 'T' और असत्य के आगे 'F' लिखिए : -- (1 अंक)
2.1. नदी का वेग मापने के लिए क्यूसेक इकाई का प्रयोग होता है। [F]
2.2. समुद्र में तैरते बर्फ को हिमशैल कहते हैं। [T]
2.3. अलकनन्दा और भागीरथी नदियों का संगम स्थल देवप्रयाग है। [T]
2.4. अक्षांशों के आधार पर हिमरेखाओं की ऊँचाई में परिवर्तन होते हैं। [T]
2.5. जलप्रपात के आधार पर जलगर्तिका का निर्माण होता है। [F]
2.6. शीफ बालू का टीला बरखान बालू के टीले में परिवर्तित होता है। [T]
2.7. न्यूजीलैंड में 'सर्क' को कोरी कहा जाता है l [F]
2.8. भेड़-शिला का निर्माण हिमनद के जमाव द्वारा होता है। [F]
2.9. पवन के कार्य मरूस्थलीय क्षेत्र में अधिक क्रियाशील है। [T]
2.10.आल्पस का मैटरहार्न एक गिरिशृंग है। [T]
2.11. सर्क आराम कुर्सी की तरह से दिखाई देते हैं। [T]
2.12. अपक्षय एक स्थैतिक क्रिया है। [T]
2.13. जब प्लाया झीलों में लवण की मात्रा बढ़ जाती है तो उन्हें सैलीना कहते हैं। [T]
2.14. पारिक हिमोद का जमाव हिमनद घाटी के किनारों पर होता है। [T]
2.15. ग्रैण्ड कैनियन विश्व का सबसे गहरा कैनियन है। [T]
2.16. छठे घात के सिद्धांत का प्रतिपादन प्रोफेसर गिलबर्ट ने किया है। [T]
2.17. नदी के तल पर घर्षण से बने छिद्रों को जल गर्तिका कहा जाता है। [T]
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें -- (1 अंक )
3.1 नील डेल्टा .......आकार का है ।
उत्तर: धनुषाकार या चापाकार।
3.2 दो संलग्न कोरीर के मध्य उच्च भूमि को ......कहते हैं ।
उत्तर : एंरिट।
3.3 अपक्षरण एवं विखण्डन की संयुक्त प्रक्रिया से स्थल आकृतियों के निर्माण की विधि को. .... कहते हैं।
उत्तर: अनाच्छादन (Denudation)।
3.4. नदी तली में अपघर्षण द्वारा निर्मित खड्डों को ......कहा जाता है।
उत्तर: जलगर्तिका।
3.5 ....…नदी के नामानुसार नदी में उत्पन्न विसर्प "मियेण्डर" के नाम से जाना जाता है ?
उत्तर : टर्की की मिएण्डर।
3.6हिमनद की सतह पर उत्पन्न आर-पार और समानान्तर दरारों को ......कहा जाता है।
उत्तर : हिमदर या वर्गझु।
3.7. विभिन्न प्रकार के बाह्य बलों द्वारा भूमि के समतलीकरण को ...........कहते हैं।
उत्तर :अनाच्छादन प्रक्रिया।
3.8 हिम प्रवाह और जल प्रवाह द्वारा बालू और कंकड़ इत्यादि से एकत्र हुए लम्बे, सकर, घुमावदार, सीढ़ीनुमा शैलशिरा रूपी भूमि को............ कहते हैं ।
उत्तर : एस्कर।
3.9इटली की टाइवर नदी का डेल्टा ....... है
उत्तर : दंताकार।
3.10 तल संतुलन (Gradation) शब्द का सर्वप्रथम प्रस्तुत कर्ता .......हैं ।
उत्तर : डब्ल्यू. एम. डेविस।
3.11 अर्द्धचन्द्राकार बालू के टीलों को .....कहते हैं।
उत्तर :बरखान।
3.12. लोयस शब्द का अर्थ है……….
उत्तर : पीले या भूरे रंग की महीन बलुई मिट्टी का जमाव ।
3.13 ..........भारत का सबसे ऊँचा जलप्रपात है।
उत्तर : जोग या गरसोप्पा।
3.14. . .......के समीप हिमरेखा की ऊँचाई सर्वाधिक रहती है।
उत्तर :विषुवत् रेखा ।
3.15. अनुदैर्ध्य बालूका स्तूपों को ......... भी कहते हैं।
उत्तर : सीफ।
3.16.........• पवन एवं बहते हुए जल के संयुक्त कार्यों द्वारा निर्मित स्थलरूप है।
उत्तर : बजाडा।
3.17 गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा ........ डेल्टा है।
उत्तर : त्रिभुजाकार।
3.18. स्विट्जरलैण्ड का कंधीनुमा कटक एक...........है।
उत्तर : एंरीट।
3.19. छतरीनुमा स्तम्भ के छत्रकशिला को जर्मनी में ..........कहते हैं।
उत्तर :पिट्जफेल्सन।
3.20. गाद और बालू के कण . ......... हवा के बेग द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर विक्षेपित हो जाते हैं।
उत्तर : परिवहन।
3.21........गहरे एवं छिछले गर्त है।
उत्तर : वातगर्त।
3.22............ की गहराई की अन्तिम सीमा भौमजल स्तर द्वारा सीमित होती है।
उत्तर : असंतृप्त क्षेत्र या अस्थाई क्षेत्र।
3.23 श्रृंग के विमुख भाग को .....नाम से जाना जाता है।
उत्तर : पूंछ (Tail)।
3.24. फियोर्ड की भूमि....देश को कहा जाता है
उत्तर: नार्वे ।
एक या दो शब्दों में उत्तर दीजिए -- (1 अंक)
4.1. एक नदी विसर्प के किस किनारे का अपरदन अधिक होता है ?
उत्तर : सम्मुख / बाहरी ।
4.2. ध्रुवीय क्षेत्र में किस ऊँचाई पर हिम रेखा पायी जाती है ?
उत्तर : समुद्र तल ।
4.3.पवन की दिशा में समानान्तर बने बालुकास्तूप का नाम लिखें।
उत्तर : सीफ।
4.4. उत्तर-पूर्व भारत के एक पठार का नाम क्या है ?
उत्तर :मेघालय का पठार।
4.5. भारत में 'बागर' कहाँ स्थित है ?
उत्तर : उत्तर प्रदेश के उत्तरी एवं मध्य भाग में।
4.6. विश्व की सबसे बड़ी घाटी ग्लेशियर का नाम लिखिये
उत्तर : 'लम्बर्ट या हबर्ड (122 km ) ।
4.7. थार मरुस्थल में गतिशील बालुकास्तूपों के नाम बताइए।
उत्तर : बरखान ।
4.8. मरूस्थलों में स्थित शुष्क नदी घाटियों को क्या कहा जाता है ?
उत्तर : वाडी।
4.9. सहारा बालुकामय मरुस्थल को किस नाम से जाना जाता है। ।
उत्तर : उष्ण मरुस्थल।
4.10. दो नदी व्यवस्था को अलग करने वाली उच्च भूमि का नाम लिखें।
उत्तर : जलविभाजक (Water shed)।
4.11. भारत में अवस्थित हिमालय की सबसे ऊँची चोटी कौन है ?
उत्तर :कंचनजंघा।
4.12. हिमशिला खण्ड (Iceberg) क्या है ?
उत्तर : समुद्र में तैरते हुए बर्फ के टुकड़ों को हिमशिला खण्ड (iceberg) कहा जाता है।
4.13.'छठी शक्ति का सिद्धांत' का प्रतिपादन किसने किया ?
उत्तर : गिलबर्ट महोदय ने।
4.14. भारत का सबसे ऊँचा जल प्रपात कौन है ?
उत्तर :गरसोप्पा जल प्रपात या जोग जल प्रपात।
4.15. जोग या गरसोधा जल प्रपात किस नदी पर है ?
उत्तर : भारत के कर्नाटक राज्य में सरावती नदी पर।
4.16. विक्टोरिया जल प्रपात किस नदी पर है ?
उत्तर :अफ्रीका में नील नदी पर।
4.17. चीन का शोक ( Sorrow of China) किस नदी को कहते हैं?
उत्तर : ह्वांगहो नदी को।
4.18सासाईनी हिमनदी हिमालय के किस क्षेत्र में है।
उत्तर: काराकोरम क्षेत्र में।
4.19 हिमनदों के लुप्त हो जाने पर बनी झील का क्या नाम है ?
उत्तर: .पेटरनास्टर झील (Peternaster) कहते हैं।
4.20. मरुस्थलों में रेत के अपघर्षण से निर्मित धारीदार चट्टानों को क्या कहते है
उत्तर : पेन्टीफेक्ट (Ventifact) या तिपहल कहते हैं।
4.21. विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप कौन-सा है ?
उत्तर : ब्रह्मपुत्र नदी का माजुली द्वीप।
4.22. पथरीले मरुस्थल को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर : हमादा (Thar Desert )।
4.23. विश्व का सबसे ऊँचा जलप्रपात कौन-सा है ?
उत्तर :एंजेल जलप्रपात (बेनेजुएला में)।
4.24. मुख्य नदी के साथ बहने वाली सहायक नदी को क्या कहते हैं ?
उत्तर : याजू नदी (Yazoo)।
4.25.सीफ का क्या अर्थ है ?
उत्तर : सीफ अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है 'तलवार' (Sword) |
4.26.]वायु के निक्षेपण से बने मैदानों को क्या कहते हैं?
उत्तर :लोयस का मैदान (Loess Plain) ।
4.27. बाल्सन के केन्द्र में स्थित अल्पकालिक झीलों को क्या कहते हैं ?
उत्तर :प्लाया (Playa) ।
4.28. अरब के मरुस्थल में स्थित प्लाया झीलों को क्या कहते हैं ?
उत्तर : खाबरी (Khabari) एवं ममलाहा (Mamlaha)।
4.29. सहारा के मरुस्थल में प्लाया को क्या कहते हैं ?
उत्तर : शट्स (Shatts) ।
4.30. हिमनद द्वारा ढोकर लाए गए पदार्थों को क्या कहते हैं ?
उत्तर : हिमोढ़ (Moraine)।
4.31. विश्व का सबसे ऊँचा जलप्रपात किस नदी पर है ?
उत्तर : बेनेजुएला के रियो कैरानी (Rio Caroni) नदी पर।
4.32. हिमालय का सबसे लम्बा हिमनद कौन-सा है ?
उत्तर : सासाईनी हिमनद (154.8 कि०मी०)।
4.33. गंगा नदी की परिपक्वावस्था कहाँ से कहाँ तक है।
उत्तर : हरिद्वार से धुलियान तक ।
4.34. गंगा की शाखा नदी किस नदी को कहते हैं ?
उत्तर :भागीरथी गंगा की शाखा नदी है।
4.35.गंगा और यमुना नदियों का संगम स्थान कहाँ है ?
उत्तर : प्रयागराज (इलाहाबाद में) ।
4.36.भारत की सबसे बड़ी नदी बेसिन का नाम लिखो ।
निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षिप्त उत्तर दीजिए -- (2 अंक)
5.1 "निक्षेपण" की परिभाषा दीजिए।
उत्तर: निक्षेपण (Deposition) : जैसे ही नदी की डाल कम हो जाती है, नदी का वेग घट जाता है। नहीं द्वारा अपने साथ बहाकर लाये गये मलबे का जमाव नदी की गति में कमी, जल की मात्रा में कमी या भार वृद्धि के कारण होती है।
5.2. जलोढ़ शंकु क्या है ?
उत्तर: पर्वतीय प्रदेशों में जलोड़ शंकु का निर्माण होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में नदी घाटी की डाल में एकदम कमी आने लगती है। इस प्रकार पर्वतीय भाग में नदी त्रिकोणाकार या पंखाकार जमाव फैलाकर बिछाती है। इसे ही जलोड़ शंकु कहते हैं।
5.3. "पाद देशीय ग्लेशियर" का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: पाद देशीय ग्लेशियर (Pledmont Glacier): शीतोष्ण प्रदेशों में हिमरेखा काफी नीचे उतर आती है। यहाँ छोटी-छोटी हिमानी पहाड़ों की तलहटी में उतरकर आपस में मिलने लगती हैं। इसे पाद देशीय ग्लेशियर कहते हैं।
5.4 "तिर्बक स्तूप" की परिभाषा दीजिए।
उत्तर : प्रचलित हवा की दिशा के समकोण पर स्थित बड़ा, अत्यधिक विषम, लम्बा टीला। वे आम तौर पर बिरल वनस्पति और प्रचुर भाभर में रेत के क्षेत्रों में बनते है।
5.5. "मैदान" से क्या समझते हैं ?
उत्तर : एक विस्तृत समतल भू-क्षेत्र जिसकी ऊँचाई सामान्यतः कम होती है। सामान्यतः सागर तल ते 150 मीटर तक ऊँचे तथा समतल विस्तीर्ण भूखंड मैदान कहलाते हैं।
5.6. "कच्छ का रन" क्या है ?
उत्तर: कच्छ का रण गुजरात प्रांत में कच्छ जिले के उत्तर तथा पूर्व में फैला हुआ एक नमकीन दलदल का वीरान प्रदेश है। यह लगभग 23,300 वर्ग कि०मी० क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह समुद्र का ही एक सँकरा अंग है जो भूचाल के कारण संभवतः अपने मौलिक तल के ऊपर उभर आया है और परिणामस्वरूप समुद्र से पृथक हो गया है।
5.7. कैनियन क्या है ?
उत्तर: कैनियन गार्ज से कुछ भिन्न होता है। कैनियन में गार्ज जैसी घाटी की लम्बाई कुछ किमी० से कई किमी० तक होती है। कैनियन में अपने घरातल से सैकड़ों मीटर की गहराई में खड़ी ढालों के बीच गहरे मोड़ बनाती हुई बहती है। संयुक्त राज्य अमेरिका की को लोरेडो नदी पर कैनियन का निर्माण हुआ है जिसे ग्राण्ड कैनियन कहते हैं।
5.8. 'वर्गश्रुण्ड' किसे कहते हैं ?
उत्तर: जब उच्च पर्वतीय भागों से हिम पिघल कर नीचे आता है तो वह ढालों पर दरार बना देता है। इस दरार को वर्गश्रुण्ड कहते हैं।
5.9 'दीपामगिरि' से क्या समझते हैं ?
उत्तर: मरुस्थली प्रदेशों में जब कठोर चट्टाने अपघर्षण के बाद भी गुम्बद के रूप में खड़ी रहती हैं तो रेल के समुद्र में ये द्वीप की भांति दिखायी पड़ती है। ये प्रायः ग्रेनाइट या नीस चट्टानों से बने होते हैं। दीपामगिरि दक्षिणी अफ्रीका एवं सहारा में अधिक पाये जाते हैं। दक्षिण अफ्रीका की तीन बहनें (Three sisters) इन्सेलबर्ग के अच्छे उदाहरण हैं।
5.10. जलप्रपात क्या है ?
उत्तर : जल प्रपात (Water Fall): पर्वतीय अवस्था में जब नदी के मार्ग में मुलायम और कठोर चट्टानें क्षैतिज अवस्था में पायी जाती हैं तो नदी मुलायम चट्टान का अपरदन कर देती है तथा कठोर चट्टान के ऊपर से पानी नीचे की ओर गिरने लगता है। इस प्रकार खड़ी ढाल के सहारे जल के गिरने की दशा को जलप्रपात कहते हैं।
5.11. 'लोयस' को परिभाषित कीजिये।
उत्तर: लोयस (Loess) : वायु जब मरुस्थलीय सीमा के बाहर अपने साथ उड़ाकर लाये गये महीन बालू एवं मिट्टी का जमाव करती है और वायु के निक्षेषण द्वारा बड़े मैदानी भागों का निर्माण होता है तो इसे लोयल कहते हैं। यह भू-भाग उपजाऊ होता है। ढीले होने के कारण इसे नदियाँ आसानी से काट देती हैं। लोयस के निक्षेप उत्तरी चीन, न्यूजीलैण्ड, मध्यपूर्वी ऑस्ट्रेलिया व उत्तरी अमेरिका में पाये जाते हैं।
5.12. बालू का स्तूप या टिब्बा (Sand dune) किसे कहते हैं ?
उत्तर: पवन द्वारा रेत एवं बालू के निक्षेप से निर्मित टीलों को बालुका स्तूप अथवा दिव्या कहते हैं। मौतिक भूगोल में, एक टिब्बा एक ढीला या पहाड़ी है, जिसका निर्माण वायूद प्रक्रियाओं द्वारा होता है। इन स्तूपों के आकार में तथा स्वरूप में बहुत विविधता देखने को मिलती है। टिब्बा विभिन्न स्वरूपों और आकारों में निर्मित हो सकता है और यह सब वायु की दिशा और गति पर निर्भर करता है।
5.13. ड्रमलीन किसे कहते हैं
उत्तर : हिमनद प्रभावित प्रदेश में गोलश्मी मृत्तिका के संचय तथा हिमनद द्वारा निर्मित लम्बाकार टीला जिसकी आकृति उलटी हुई नाव के समान होती है। ड्रमलिन की अक्ष रेखा हिमनद की प्रवाह दिशा के समानांतर होती है। ड्रमलिन में हिमनद के सम्मुख वाले भाग की ढाल खड़ी तथा खुरदरी होती है और विमुखी डाल मंद तथा चिकनी होती है। ड्रमलिन मुख्यतः समूह में पाये जाते हैं अतः ड्रमलिन समूह वाली स्थालकृति को अंडे की टोकरी वाली स्थलाकृति कहते हैं।
5.14. अनाच्छादन किसे कहते हैं ?
उत्तर : बहिर्जात बल का कार्य भूपटल पर अनाच्छादन के रूप में होता है। इसके अन्तर्गत अपरदन तथा अपक्षय की क्रियायें सम्मिलित होती हैं । अपक्षय की क्रिया में विघटन तथा वियोजन की क्रियायें होती हैं जिससे चट्टानें टूट-फूट कर वियोजित होती हैं। इनको अपरदनात्मक प्रक्रम एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं।
5.15. 'अपवाहन गर्त' का निर्माण किस प्रकार होता है ?
उत्तर : अपवाहन या बात गर्त (Deflation out or Blow out) : पवन धरातल की ढीली तथा असंगठित शैलों को अपवाहन क्रिया द्वारा उड़ाकर ले जाता है। इससे छोटे-छोटे गर्त बनते हैं जिन्हें वातगर्त या अपवाहन वर्ग कहते हैं। इनका आकार तश्तरीनुमा होता है। ऐसी आकृति सहारा, कालाहारी आदि मरुस्थलों में पायी जाती है।
5.16. हिमशैल क्या है?
उत्तर : जब किसी प्रदेश में बहता हुआ हिमनद समुद्र तक पहुँच जाता है तो उसकी हिमशिलाएँ समुद्र में तैरने लगती हैं। इसे हिमशैल (Ice berg) कहते हैं।
5.17. पक्षियों के पंजे की तरह डेल्टा का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर : जब नदी के जल के साथ बारीक कण घोल के रूप में मिले हुए होते हैं तथा उनमें अवसाद की मात्रा अधिक होती है, तो इनके निक्षेपण से पंजाकार डेल्टा का निर्माण होता है।
5.18. जलप्रवाह से उत्पन्न अपरदन किसे कहते हैं ?
उत्तर: जलप्रवाह से उत्पन्न अपरदन जब नदी में जल का वेग तथा आयतन अधिक हो जाता है तो नदी के द्वारा अपरदन कार्य भी अधिक होने लगता है।
5.19. 'दून' क्या है ?'
उत्तर: शिवालिक हिमालय के दक्षिण में कंकड़ और मिट्टी से बने कई ऊँचे मैदान को दून (dun) कहा जाता है।
5.20 दोआब किसे कहते हैं ?
उत्तद : दोआब (Doab) या दियरा दो नदियों के बीच का क्षेत्र दोआब (Doab) कहलाता है।
5.21. हिमक्षेत्र क्या है ?
उत्तर : हिमक्षेत्र (Snow field) : जो प्रदेश या पहाड़ हिम-रेखा से अधिक ऊँचाई पर स्थित है वहाँ हिम का ढेर लगा रहता है। ऐसे प्रदेशों को हिम-क्षेत्र (Snow-field) कहते हैं। टुण्ड्रा प्रदेश, ग्रीन लैण्ड आदि क्षेत्र वर्ष भर हिम से ढँके रहते हैं। अतः ये हिम-क्षेत्र के अच्छे उदाहरण हैं।
5.22.हिम- रेखा क्या है ?
उत्तर : हिम- रेखा (Snow-line) : हिम-क्षेत्र की निचली सीमा को हिम- रेखा (Snow line) कहते हैं। यह वह रेखा होती है, जिसके ऊपर वर्ष भर हिमावरण रहता है तथा बर्फ पिघल नहीं पाती है। हिम-रेखा की ऊँचाई भू-पटल के समस्त भागों पर समान न होकर अलग-अलग होती है। यह भूमध्य रेखा पर अधिक ऊँचाई पर होती है तथा ध्रुवों पर कम ऊँचाई पर होती है। हिमालय में हिमरेखा की ऊँचाई 4500 से 600 मीटर है जबकि नार्वे ( यूरोप में 1500 मीटर तथा आर्कटिक प्रदेश में यह घटकर समुद्र तल पर आ जाती है।
5.23. निम्नीकरण क्या है ?
उत्तर: निम्नीकरण या तलावचन बहिर्जात प्रक्रियाओं द्वारा भू-स्थल के उच्चभागों को काटकर नीचा करने के क्रम को निम्नीकरण या तलावचन कहते हैं।
5.24. अन्तः प्रवाह क्षेत्र क्या है ?
उत्तर : अन्तः प्रवाह क्षेत्र उन नदियों द्वारा प्रवाहित क्षेत्र जिनके द्वारा नदी का पानी सागर या महासागर में नहीं पहुँचता है।
5.25. नदी द्रोणी क्या है ?
उत्तर : वह विस्तृत भू-भाग जिसके पानी को एक मुख्य नदी और उसकी सहायक नदियाँ बहाकर ले जाये उसे नदी द्रोणी कहते हैं।
5.26. गिरिखण्ड किसे कहते हैं ?
उत्तर : गिरिखण्ड : नदी अपरदन के द्वारा यह एक प्रसिद्ध स्थलाकृति है सामान्यतः नदी की गहरी एवं सँकरी घाटी को ही पर्वतीय क्षेत्र में गिरिखण्ड कहा जाता है।
5.27. हिमोढ़ क्या है ?
उत्तर : हिमोढ़ (Moraine): जब हिम नदी पिघलने लगती है या पीछे हटने लगती है तो अपने साथ लाई
गई सामग्री का निक्षेप करने लगती है, जिसे हिमोढ़ (Moraine) कहते हैं।
5.28. जलचक्र क्या है?
उत्तर : जलीय चक्र या जलचक्र : जीव मण्डल में जल महत्वपूर्ण तत्व होता है जो विभिन्न रूपों, स्थानों एवं भण्डारों में रहता है जैसे- झील, सागर, महासागर और भूमिगत जल, आदि में। जीवित जीवों एवं जैविक पदार्थों के रूप में, वायुमण्डल में जलवाष्प के रूप में इस प्रकार वाष्पीकरण के द्वारा वायुमण्डल में संघनन किया के फलस्वरूप वर्षा होती है और वर्षाजल नदी, झील आदि में एकत्रित होकर वाष्पीकरण के द्वारा पुनः वायुमण्डल में प्रवेश होने की क्रिया को जलचक्र कहा जाता है।
5.29. तल संतुलन (Gradation) क्या है ?
उत्तर: तल संतुलन ( Gradation) :- यह प्रक्रिया धरातल की विषमताओं को कम करके समतल भूमि का निर्माण करती है इसे ही तल संतुलन कहते हैं।
5.30 बालुका स्तूप की आकृति एवं आयतन लिखिए।
उत्तर : बालुका स्तूप बालू का कोई भी टीला या कटक जिसके शिखर होता है बालुका स्तूप कहलाता है मरूस्थलों में इनकी ऊँचाई 300 मीटर तक तथा लम्बाई 3 से 150 कि०मी० तक हो सकता है।
5.31. मरूस्थलीय तत्व क्या है ?
उत्तर : मरूस्थलीय तत्व : मरूस्थलीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले महीन बालू के कण-कंकड़-पत्थर को मरूस्थलीय तत्व कहा जाता है।
5.32. हिम-चादर क्या है?
उत्तर : हिम-चादर (Ice Sheet) : जब किसी विशाल क्षेत्र में हिम के लगातार संचयन के कारण हिम की विस्तृत चादर का विकास हो जाता है तो उस भाग में अलग-अलग हिमनद न होकर समस्त भाग एक हिमनदी के रूप में होता है। इस तरह की हिमनदी का विस्तार सर्वाधिक होता है। इसी कारण इसे महाद्वीपीय हिमनदी कहते हैं। महाद्वीपीय हिम को हिम-चादर (Ice-sheet) भी कहा जाता है।
5.33.मरूस्थल कहाँ स्थित है ?
उत्तर : मरूस्थल : मरूस्थल या रेगिस्तान ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों का कहा जाता है जहाँ जलप्राप्ति अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा बहुत ही कम होती है। विश्व का सबसे बड़ा मरूस्थल सहारा उत्तरी अफ्रिका में स्थित है जब कि भारत का मरूस्थल 'थार' राजस्थान में है।
5.34. एस्चुअरी क्या है ?
उत्तर : एस्चुअरी : सभी नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती हैं। छोटी नदियाँ अपने मुहाने पर इतना जमाव नहीं करती कि उनके मुहाने अवरुद्ध हों। गहरे समुद्र तथा डूबे हुए तट पर गिरने वाली नदियाँ भी डेल्टा नहीं बनाती हैं जो नदियाँ दीर्घ ज्वार-भाटे वाले सागर में गिरती हैं उनके मुहाने का अवसाद ज्वार के समय समुद्र में बह जाता है। इनका मुहाना चौड़ा होता है, ऐसे मुहानों को एस्चुअरी कहते हैं। विश्व का सबसे बड़ा एस्चुअरी उत्तरी रूस में ओब नदी का मुहाना है। इसकी लम्बाई 885 कि०मी० एवं चौड़ाई 80 कि०मी० है ।
5.35.तट बाँध क्या है ?
उत्तर : तट बाँध (Levee) : बाढ़ के समय मैदानी भाग में मिट्टी का जमाव अधिक होता है। यह कालान्तर में आस-पास की भूमि से अधिक ऊँचा हो जाता है। ये बाँध के समान होते हैं। इन्हें तट बाँध कहते हैं। चूँकि ये बाँध प्रकृति द्वारा बनाये जाते हैं तथा इनसे बाढ़ के समय सुरक्षा होती है, अतः इस तट बाँध को प्राकृतिक तट बाँध (Natural Levee) कहते हैं।
5.36. टार्न झील कहाँ स्थित है ?
उत्तर : टार्न झील : सर्क में जमी हुई बर्फ के पिघल जाने पर जल एकत्रित होकर एक झील का निर्माण करता है जिसे टार्न झील या हिमज झील कहते हैं।
5.37. प्लावी हिमशैल (Ice berge) क्या है?
उत्तर: जब हिमनद आगे बढ़कर समुद्र तक पहुँच जाता है तो उसकी हिमशिलाएँ समुद्र में तैरने लगती हैं। इसे प्लावी हिमशैल कहते हैं। लैब्रोडोर की ठंडी जलधाराएँ अपने साथ बहाकर प्लावी हिम शिलाओं को उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर स्थित न्यू फाउलैण्ड तट तक लाती हैं। यह जलयानों के लिए हानिकारक होती है। हिमशिला से टकराकर ही टाइटानिक जहाज डूबा था।
5.38.केम क्या है ?
उत्तर : ये हिमानी धौत मैदानों में रेत और बजरी से बने गोल टीले हैं। इनकी ऊँचाई 35 मी० से 60 मी० तक होती है।
निम्नलिखित की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए --- (3 अंक)
6.1. नदी के परिवहन कार्यों की तीन विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिये ।
उत्तर : परिवहन कार्य (Transportation Work) : अपरदन से प्राप्त पदार्थों को नदियाँ काट कर बहा ले जाती हैं। इसे परिवहन (Transporation) कहते हैं ।
बहकर जाने वाले शिला चूर्ण नदियों के बोझ या भार हैं जो चार निम्नलिखित प्रकार से होते हैं:
(i) निलम्बन क्रिया (By suspension) छोटे-छोटे पदार्थ जैसे बालू नदी की धारा में चक्राकार रूप में प्रवाहित होते हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर उत्प्लावित रूप में जाते हैं तथा इसी रूप में नदी की धारा के साथ बहते हैं, इसे निलम्बन क्रिया (Suspension) कहते हैं।
(ii) उत्परिवर्तन (By Saltation) : कंकड़-पत्थर नदी के जल के साथ आगे-पीछे या ऊपर-नीचे होने लगते हैं इस क्रिया को उत्परिवर्तन कहते हैं।
(iii) तल प्रवाह (By Traction) : इस प्रक्रिया में भारी पदार्थ जैसे कंकड़ के टुकड़े, पत्थर आदि नदी की धारा की दिशा में परिवहन शक्ति के कारण तल के साथ प्रवाहित होते हैं।
(iv) घोल क्रिया (By solution) : नदी की धारा में पदार्थ घुलकर बह जाते हैं। इसे Solution कहते हैं। चुना पत्थर (Limestone) क्षेत्र में और सेंधा नमक (Rock Salt) क्षेत्र में यह प्रक्रिया अधिक होती है। नदी में कंकड़, पत्थर, मिट्टी, बालू इत्यादि की शक्ति जल की मात्रा, जल का वेग तथा चट्टानों के ढोने के आकार पर निर्भर करती है। इस कारण नदी का परिवहन कार्य सदा एक-सा नहीं रहता।
6.2. नदी के मुहाने पर डेल्टा का निर्माण क्यों होता है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर : नदी अपनी अन्तिम अवस्था में मुहाने के पास लाये हुए मलबे का जमाव करने लगती है। नदी की मुख्य शाखा कई उपशाखाओं में विभाजित हो जाती है। समुद्र तल के निकट की असमतल जमीन एक समतल त्रिभुजाकार भू भाग में बदल जाती है। इस प्रकार एक त्रिकोण डेल्टा का निर्माण होता है। गंगा और पद्मा नदियों का मध्य त्रिकोण भाग संसार का सबसे बड़ा डेल्टा है।
डेल्टा के निर्माण की आवश्यक दशाएँ :- (i) नदी की धारा में पर्याप्त मात्रा में अवसाद आना चाहिए। (ii) समुद्र की ओर से ज्वारीय लहर या तूफानी लहर कम उठे। (ii) सम्पूर्ण डेल्टा का जल विशेष धीमा रहे जिससे नदी की मुख्य शाखा कई उपशाखाओं में बँटकर अवसाद फैलाती है।
(iv) नदी के निचले बेसिन में अधिक वर्षा होती रहने से भी डेल्टा के विस्तार में विशेष सहायता मिलती है। (v) तटीय समुद्र भाग उथला हो जिससे नदी द्वारा मुहाने पर अवसाद का जमाव सुगमता से हो सके।
6.3. मरूस्थलीय क्षेत्रों में बायु कार्य प्रधान होता है क्यों ?
उत्तर : मरुस्थलीय प्रदेशों में वर्षा के अभाव, वनस्पति की न्यूनता, तापमान की अधिकता, वाष्पीकरण की तीव्रता, दैनिक तापान्तर का अत्यधिक भेद और मेघरहित आकाश आदि के कारण वायु कार्य प्रधान होता है।
6.4. लटकती घाटी में जलप्रपात की सृष्टि क्यों होती है ?
अथवा, लटकती घाटी में जल प्रपातों का निर्माण क्यों होता है ?
उत्तर : लटकती घाटी में जल प्रपात की उत्पत्ति का कारण सहायक हिमनद की घाटी की तली मुख्य हिमनद की घाटी की तली से ऊँची होती है, जिसके कारण सहायक हिमनद की घाटियाँ मुख्य हिमनद की घाटी पर लटकती हुई सी प्रतीत होती हैं। तापामन बढ़ने पर हिम के पिघलने से लटकती घाटियों से जल मुख्य हिमनद की निचली घाटी में गिरने लगता है जिससे जल प्रपातों का निर्माण होता है। इसीलिए लटकती घाटियों पर जल प्रपात का निर्माण होता है।
6.5.हमादा तथा रेग क्या हैं ?
उत्तर : हमादा या चट्टानी मरुस्थल (Hamada): ऐसे मरुस्थल जिनकी सतह पर मुख्यतः नग्न चट्टानें पायी जाती हैं, जहाँ चट्टानों का ऊपरी आवरण, बालू और धूल हवा द्वारा उड़ा लिया जाता है हमादा कहलाता है। वायु के अपवाहन तथा अपघर्षण कार्य से चट्टानी सतह पर कहीं गड्ढे तो कहीं टीले बन जाते हैं। मरुस्थल का यह प्रकार विशेषतः सहारा में पाया जाता है।
रेग या पथरीला मरुस्थल (Reg) : ये ऐसे मरुस्थल हैं जिनकी सतह से महीन बालू उड़ गया होता है और धरातल पर केवल छोटे-छोटे पत्थर तथा बजरी शेष रह गयी होती है। सहारा में ऐसी मरुभूमियाँ पायी जाती हैं। इसे बजरी मरुस्थल भी कहते हैं।
6.6. लटकती या निलम्बित घाटी क्या है ?
अथवा, हिमनद लटकती घाटी का निर्माण कैसे करता है ?
उत्तर : लटकती या निलम्बित घाटी (Hanging Valleys) : मुख्य हिमनद अपनी सहायक नदी की अपेक्षा बड़े होने के कारण अधिक कटाव करता है जिससे मुख्य हिमनद की घाटी सहायक हिमनद की घाटी की अपेक्षा अधिक गहरी होती है। अतः दोनों के संगम स्थल पर सहायक हिमनद की घाटी मुख्य हिमनद की घाटी पर लटकती हुई प्रतीत होती है।
6.7. गंगा को आदर्श नदी क्यों कहा जाता है ?
उत्तर: जिस नदी में तीनों अवस्थाएँ पाई जाती हैं उसे आदर्श नदी कहते हैं।
(i) गंगा गंगोत्री ग्लेशियर से निकलकर हरिद्वार तक पर्वतीय अवस्था में प्रवाहित होती है।
(ii) गंगा नदी हरिद्वार से मुर्शिदाबाद तक अपने मैदानी अवस्था में प्रवाहित होती है।
(iii) मुर्शिदाबाद से आगे गंगा नदी भागीरथी-डुगली नदियों के रूप में प्रवाहित होती हुई अपने डेल्टा में प्रवेश करती है।
इस प्रकार नदी की तीनों अवस्थाओं के पाए जाने के कारण गंगा नदी को आदर्श नदी कहते हैं।
6.8. स्थिति एवं विस्तार की दृष्टि से हिमनदी को कितने भागों में चांदा गया है ?
उत्तर : स्थिति एवं विस्तार की दृष्टि से हिमनदी का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया जा सकता है :
(i) पर्वतीय या घाटी हिमनद (Mountain or Valley glacier): ऊंचे पर्वतीय भागों में डाल के सहारे पुरानी नदियों की घाटियों से होकर फिसलने वाले हिमनद को पर्वतीय या घाटी हिमनद कहते हैं; जैसे पश्चिमी हिमालय का सियाचीन (60 किमी० लम्बा) हिमनद, गंगोत्री हिमनद (39 किमी० लम्बा), जेमू हिमनद (26 किमी० लम्बा है। यहीं से तिस्ता नदी निकलती है, सिन्धु घाटी का बियाको बलतोरो हिमनद (60) किमी०), हिस्पार व बाइरा हिमनद (50 किमी०) आदि। इसके अलावा रॉकी, आल्पस, एन्डीज की ऊँची डालों पर भी ऐसे हिमनदों का विस्तार है।
(ii) गिरिपद हिमनद (Piedmont glacier) पर्वतों से उतर कर जो हिमनद पर्वतों की तलहटी तक चला आता है, उसे गिरिपद हिमनद कहते हैं। अलास्का का मेलस्पाइना (Malaspina) इसी कोटि का हिमनद है। इसका फैलाव प्राय: 4000 वर्ग किमी० में है।
(iii) महाद्वीपीय हिमनद (Continental glacier): जो हिमनद अपने हिमावरण (Icesheets) से सम्पूर्ण महादेश को ढक लेता है, उसे महाद्वीपीय हिमनद कहते हैं। ग्रीनलैण्ड और अण्टार्कटिका में महाद्वीपीय हिमनद अधिक पाये जाते हैं।
व्याख्यात्मक प्रश्न --- (5 अंक)
7.1. ग्लेशियर अपरदन से बनी तीन स्थल आकृतियों का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर : (i) कंघीनुमा कटक (Comb Ridge): जब एक पर्वतीय कटक की दोनों ढालों पर हिमनदियाँ अनेक सर्क बना देती हैं तब कंधीनुमा कटक का निर्माण होता है। अधिक अपरदन के कारण तेज नुकीली सुइयाँ बड़ी दिखाई देती हैं, जिन्हें एरीट (Arete) कहते हैं।
(ii) U. आकार की घाटी (U-shaped valley) हिमनदी अपनी घाटी स्वयं नहीं बनाती, बल्कि पूर्व स्थित नदियों की V-आकार की घाटी से होकर बहती है। कालान्तर में हिमानी अपने किनारों को काटने लगती है. और निरन्तर कटाव से उस घाटी का आकार जैसा हो जाता है।
(iii) लटकती घाटी (Hanging valley) नदियों की भाँति हिमनदी की भी सहायक हिमनदियाँ होती हैं और वे मुख्य हिमनदी के साथ आकार मिलती हैं। मुख्य हिमनदी सहायक हिमनदियों की अपेक्षा अपनी घाटी को शीघ्रता से अधिक गहरा करती है और मुख्य हिमनदी तथा सहायक हिमनदी के संगम स्थल पर तीव्र ढाल पैदा हो जाती है। जब बर्फ पिघलती है तो सहायक हिमनदी का जल मुख्य हिमनदी की घाटी में जल प्रपात के रूप में गिरने लगता है तथा सहायक हिमनदी की घाटी मुख्य हिमनदी की घाटी में लटकती हुई प्रतीत होती है, इसे लटकती हुई घाटी कहते हैं।
7.2. नदी के अपरदन कार्य से बनने वाले तीन प्रमुख स्थल रूपों का चित्र सहित वर्णन कीजिए। अथवा, नदी के कटाव से बनने वाली स्थलाकृतियों का वर्णन करो।
उत्तर : नदी पर्वतीय भाग में निम्नलिखित भू-दृश्यों का निर्माण करती है :
(i) V आकार की घाटी (V-shaped valley) नदी जब पर्वतीय अवस्था में रहती है तो डाल अधिक होने के कारण नदी का वेग अधिक होता है। अतः नदी क्षैतिज अपरदन कम करती है। नदी द्वारा लम्बवत् कटाव अधिक होता है। अतः नदी 'V' अक्षर जैसे आकार की घाटी का निर्माण करती है। इस घाटी के किनारे खड़े एवं ऊँची ढाल वाले होते हैं।
(II) गार्ज (Gorge) : पर्वतीय अवस्था में नदी जब बहुत संकरी और गहरी घाटी का निर्माण करती है तो उनके किनारे खड़ी ढाल वाले होते हैं और उसे गार्ज कहते हैं। इसका निर्माण नदी द्वारा तीव्र गति से निम्न प्रवाह होने पर होता है। सिन्धु, कोसी, सतलुज एवं ब्रह्मपुत्र नदियों में कई स्थानों पर खड़ या गार्ज का निर्माण हुआ है।
(iii) कैनियन (Canyon) : कैनियन गार्ज से कुछ भिन्न होता है। कैनियन में गार्ज जैसी घाटी की लम्बाई कु किमी० से कई किमी० तक होती है। कैनियन में अपने धरातल से सैकड़ों मीटर की गहराई में खड़ी ढालों के बीच गहरे मोड़ बनाती हुई बहती है। संयुक्त राज्य अमेरिका की को लोरेडो नदी पर कैनियन का निर्माण हुआ है। जिसे ग्राण्ड कैनियन कहते हैं।
(iv) द्रुतवाह / क्षिप्रिका (Rapids) : जब नदी के मार्ग में कोमल एवं कठोर चट्टानें लम्बवत स्थिति में पायी जाती हैं तो नदी के कटाव द्वारा मुलायम चट्टानें कटकर बह जाती हैं एवं कठोर चट्टानें मार्ग में खड़ी रहती हैं। नहीं का जल इन लम्बवत खड़ी कठोर चट्टानों से ऊपर उठकर आगे बढ़ता है। ऐसी स्थिति में पानी का प्रवाह आगे की ओर न होकर पीछे की ओर होने लगता है जिसे द्रुतवाह (Rapids) कहते हैं।
(v) जलगर्तिका (Pot Holes) : पर्वतीय मार्ग में नदी के द्वारा मुलायम चट्टानें काटकर बहा ली जाती है। इन चट्टानी भाग में गड्ढे बन जाते हैं। कालान्तर में नदी के साथ प्रवाहित होने वाले कंकड़ और पत्थर इन गड्डों को काटकर चौड़ा तथा गहरा कर देते हैं। इसे जल गर्तिका (Pot Holes) कहते हैं।
7.3. हिमनद जलोढ़ द्वारा निर्मित प्रमुख निक्षेपणात्मक स्थालाकृतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर : सरिता हिमानी निक्षेप द्वारा निर्मित स्थलाकृतियाँ (Fluvio-Glacial Deposits) : निक्षेपण कार्य अकेले हिमानी द्वारा ही नहीं होता अपितु हिमानी के पिघलने पर बना जल भी इसमें सहायक होता है। हिमानी और बहते जल दोनों की संयुक्त क्रिया के द्वारा निम्नलिखित स्थलाकृतियाँ बन जाती हैं
(क) हिमगर्तिका या केतली (Icehole or Kettle) : सरिता हिमी निक्षेपों में बने छोटे-छोटे ग या केतली हैं। हिमानी के पिघलते समय बर्फ के कुछ बड़े-बड़े खण्ड अवसादों में दबे रह जाते हैं। कुछ समय बाद ये पिघल जाते हैं। इस तरह अवसादों में गहे बन जाते हैं। इनमें पानी भरे रह जाने पर छोटी-छोटी झीलें बन जाती हैं, जिन्हें केतली कहते हैं।
(ख) एस्कर या हिमनदमृद कंटक (Eskar) : ये हिमजलीय प्रक्रिया से बनते हैं। ये रेत और बजरी की परतों से बनी सँकरी और टेढ़ी-मेढ़ी कम ऊँचाई की कटक (Ridge) होती हैं। ये देखने में प्राकृतिक बंध जैसे लगते हैं। हिमानी के पिघलने से अवसाद वहीं जमा हो जाते हैं। ये उत्तरी अमेरिका, यूरोप, उत्तरी एशिया के हिमनदी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यूरोप में इनके ऊपर से होकर सड़कें बनाई जाती हैं।
(ग) हिमानीधौत मैदान (Outwash plain ) : हिमानी के पिघलने से जल की धाराएँ बहने लगती हैं। ये जल धाराएँ अपने साथ अंतस्थ हिमोढ़ों के महीन अवसादों को बहाकर ले जाती हैं। इन अवसादों के जमा होने से ऊँची-नीची भूमि समतल हो जाती है और डेल्टा की तरह एक मैदान बन जाता है, यही हिमानीचीत मैदान कहलाता है।
(घ) घाटी हिमोड़ (Valley Moraine): यह घाटी की दीवारों के बीच तथा उसके निचले भाग में निक्षेपित अवसादों से बनता है। हिमानी के पिघलने से बनी जलधाराएँ हिमोढ़ के पथरीले भाग को बहा ले जाती है। इन पथरीले अवसादों से घाटी हिमोढ़ बनते हैं।
(ङ) केम (Kame): ये हिमानीधौत मैदानों में रेत और बजरी से बने गोल टीले हैं। ये 35-60 मीटर तक ऊँचे हो सकते हैं।
(च) सुदूर फैले या विस्थापित शिलाखण्ड (Erratic Blocks): कभी-कभी महाद्वीपीय हिमानी अपने साथ विशाल आकार का पत्थर मैदानी भाग तक बर्फ के साथ खींचकर ले आती है। चूँकि यह अपने जन्मस्थान से सैकड़ों किलोमीटर दूर तक बहाए जाते हैं, अतः इन्हें विस्थापित शिलाखण्ड कहते हैं।
(छ) केतलीनुमा जमाव (Glacial kettle) : अन्तिम हिमोढ़ क्षेत्र में जमे हिमोढ़ के बीच प्राकृतिक रूप से छोटे-छोटे गड्ढे पाये जाते हैं जो शंकु की तरह होते हैं। इनमें बड़े-बड़े हिमखण्ड होते हैं जो ग्रीष्मऋतु में पिघलकर पीछे हट जाते हैं। ये गहे पानी के गड्ढे के रूप में बदल जाते हैं। इसे केतलीनुमा जमाव या गड्डे कहते हैं।
7.4. चित्र की सहायता से नदी द्वारा डेल्टाई मार्ग में बनाये गये विभिन्न प्रकार के भू-दृश्यों का वर्णन करो।
अथवा, नदी के अन्तिम अवस्था में बनने वाली प्रमुख स्थलाकृतियों का वर्णन करो।
अथवा, नदी की वृद्धावस्था में बनने वाली प्रमुख स्थलाकृतियों का वर्णन करो।
उत्तर : नदी अपनी अन्तिम अवस्था में अपनी परिवहन क्षमता लगभग खो देती है और अपने साथ बहाकर 'लाये गए मलबे का जमाव करने लगती है। नदी की मुख्य शाखा कई उपशाखाओं में विभाजित हो जाती है। इस प्रकार नदी निम्न भू-दृश्यों का निर्माण करती है :
(i) डेल्टा (Delta) : नदी अपनी अन्तिम अवस्था में समुद्र के पास अथवा समुद्र से मिलने से पूर्व अपने साथ बहाकर लाये गये अवसाद का जमाव करती है। अवसाद का जमाव अधिक होने से नदी की मुख्य शाखा कई वितरिकाओं में बँटकर प्रायः त्रिकोणाकार मैदान का निर्माण करती है। इसे डेल्टा (Delta) कहते हैं।
डेल्टा के प्रकार : सामान्यतः आकृति के आधार पर डेल्टा निम्न प्रकार के होते हैं :
(a) चापाकार डेल्टा (Arcuate Delta) ऐसे डेल्टा का अग्र भाग चापाकार या धनुषाकार होता है। अधिकांश नदियाँ प्रायः इसी प्रकार के डेल्टा का निर्माण करती हैं। नदी की मुख्य शाखा कई उपशाखाओं में बंट जाती हैं। नदी धारा के दोनों ओर एवं सागर से मिलने के स्थान पर मलबे का जमाव बराबर मात्रा में करती है। इससे डेल्टा त्रिकोणाकार होने के साथ आगे की ओर चापाकार होने लगता है।
(b) पंजाकार डेल्टा (Bird's foot Delta) : जब नदी की अन्तिम घाटी में महीन भौतिक अवसाद कम एवं रासायनिक अवसाद अधिक हो साथ ही समुद्र के तट व मुहाने पर शान्त दशाएँ पाई जाएँ तो नदियों की मुख्य शाखा के पास ही अधिक रासायनिक पदार्थ का जमाव होता रहता है। ऐसी दशा में अन्य शाखाओं पर जमाव कम गति से होता है। इस प्रकार के डेल्टा की आकृति पक्षी के पंजे जैसे होती है। उदाहरणस्वरूप मिसीसिपी नदी की डेल्टा पंजाकार डेल्टा है।
(ii) एस्चुरी (Estuary) : जब नदी के मुहाने के पास समुद्र की जल धारा काफी तीव्र रहती है तो मुहाने पर नदी द्वारा जमा किया गया अवसाद मुख्य घाटी की धारा के साथ-साथ कुछ दूर तक सागर की ओर फैल जाता है। नदी एक धारा के रूप में सीधे सागर में गिरती है। ऐसी नदी मुख को एस्चुरी या मुहाना कहते हैं। भारत की नर्मदा, ताप्ती नदियाँ डेल्टा का निर्माण न करके सिर्फ एस्चुरी का निर्माण करती हैं।
(iii) बालू भित्ति एवं बालू द्वीप (Sand Bars and Sand Island) कुछ नदियाँ अपने साथ चीका एवं दोमट मिट्टी के साथ-साथ बालू के कण भी लाती रहती हैं। साथ-साथ समुद्री लहरों द्वारा भी मुहाने पर बालू इकट्ठा होता है। इस प्रकार अपतटीय समुद्र में अवसादों के जमा होते रहने से बालू के द्वीप का निर्माण होता है। ब्रह्मपुत्र नदी में ऐसे स्थायी बालू के द्वीप पाये जाते
(iv) वितिरिका (Distribuary): मुहाने के पास नदी के अत्यधिक जमाव के कारण उसकी मुख्य शाखा कई उप-शाखाओं में विभाजित होकर वितिरिका का निर्माण करती है। यह उप-शाखा मुख्य नदी को छोड़ देती है। जब नदी की निचली घाटी की ढाल समान रहती है एवं अवसाद का जमाव अधिक होता है, तभी वितिरिकाएँ निर्मित होती हैं।
7.5. वायु के जमाव द्वारा निर्मित भू-दृश्यों का संक्षेप में वर्णन करो ।
अथवा, वायु के निक्षेपण से बनने वाले भू-दृश्यों का वर्णन करो।
उत्तर : हवा अनेक प्रकार से एवं अलग-अलग परिस्थितियों में जमाव कार्य करती है। हवा के मार्ग में जहाँ भी बाधा आ जाती है, रेत या बालू का जमाव प्रारम्भ हो जाता है। इस प्रकार हवा के निक्षेप से बनी स्थलाकृतियाँ निम्न हैं:
(i) उर्मिकायें (Ripples) : रेतीले मरुस्थलों में सतह पर सागरीय लहरों की भांति निशान पाये जाते हैं। इनका निर्माण पवन की दिशा के समकोण पर महीन रेत के निक्षेपण से होता है।
(ii) बरखान (Barkhans) : बालू और धूल का वहन करती वायु के मार्ग में जब कोई बाधा आ जाती है तो वायु अपने साथ उड़ाकर लाये गये मलबे का निक्षेप करने लगती है। इस प्रकार चापाकर भू-दृश्य का निर्माण एलहोता है जिसे बरखान कहते हैं। बरखान प्रचलित पवन के समकोण पर निर्मित होते हैं। इनके शिखर की ओर पूर्ण विकसित दो सींगे होती हैं। इनका निर्माण उस समय होता है, जब रेत की पूर्ति एवं पवन का वेग दोनों सामान्य हो । बरखान प्राय: श्रृंखला में स्थित होते हैं एवं उनकी शृंखलाएँ पवन की दिशा में होती हैं।
(iii) बालुका स्तूप (Sand Dunes) : शुष्क प्रदेशों की वायु के जमाव से बनी सबसे महत्वूर्ण आकृति बालुका स्तूप है। जब रेत एवं थूल का वहन करती हुई वायु के मार्ग में कोई बाधा उपस्थित होती है तो वायु अपने साथ उड़ाकर लाये मलबे का निक्षेप करने लगती है। यह निक्षेप कटक और छोटी पहाड़ियों के रूप में होता है। बालू का यह टीला धीरे-धीरे पवन प्रवाह की दिशा में आगे खिसकता रहता है। बालुका स्तूप तीन प्रकार के होते हैं:
(क) अर्ध चन्द्राकार बालुका स्तूप इनका जमाव अर्ध चन्द्रमा के आकार के रूप में होता है। इन्हीं का विकसित रूप बरखान कहलाता है। बरखान में मिट्टी के मोटे कण होते हैं। ऐसे अर्ध चन्द्राकार स्तूप थार मरुस्थल में पाये जाते हैं।
(ख) अनुदैर्ध्य बालुका स्तूप इनका विस्तार पवन की प्रवाह दिशा के सामानान्तर होता जाता है। इनकी लम्बाई 2 से 5 किलोमीटर एवं ऊँचाई 20-40 मी० तक होती है। सहारा में इन्हें सीफ एवं बार में इन्हें घोरे कहते हैं।
(ग) अनुप्रस्थ बालुका स्तूप ऐसे स्तूप निरन्तर एक दिशा में चलने वाले पवन के क्षेत्र में पाये जाते हैं। बहती हवा के मार्ग में बाधा आने पर इनका निर्माण एवं विस्तार होता है। कुछ स्तूपों के मध्य के निम्न क्षेत्र में अंदर पड़ जाने से भी बालू का जमाव होता है रहता है। इन्हें अनुप्रस्थ बालुका स्तूप कहते हैं ।कभी-कभी नदी तट पर एवं समुद्र व झीलों के तट पर भी विभिन्न आकृति में स्तूपों का जमाव होता रहता है। मरुस्थलीय भागों में पुराने बालुका स्तूप पवन प्रवाह के साथ अपना स्थान बदलते रहते हैं। वनस्पति आवरण होने पर ये बालुका स्तूप स्थायी भी हो जाते हैं।
(iv) बालुका चादर (Sand Sheet) : ये बालू के विस्तृत, समतल एवं आकारविहीन क्षेत्र होते हैं। इनमें मात्र उर्मियाँ पायी जाती हैं। लीबिया का सेलिमा चादर इसका श्रेष्ठ उदाहरण है।
(v) लोयस (Loess) : वायु जब मरुस्थलीय सीमा के बाहर अपने साथ उड़ाकर लाये गये महीन बालू एवं मिट्टी का जमाव करती है और वायु के निक्षेपण द्वारा बड़े मैदानी भागों का निर्माण होता है तो इसे लोयस कहते हैं। यह भू-भाग उपजाऊ होता है। ढीले होने के कारण इसे नदियाँ आसानी से काट देती हैं। लोयस के निक्षेप उत्तरी चीन, न्यूजीलैण्ड, मध्यपूर्वी ऑस्ट्रेलिया व उत्तरी अमेरिका में पाये जाते हैं।