पद्यखण्ड

१. मीरा के पद - मीरा बाई 

1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न -

(क) गिरघर का अर्थ है -

(i) गिरकर उठना (ii) गिरगिट (iii) कृष्ण (iv) गिरि को धारण करने वाला

उत्तर : (iii) कृष्ण

(ख) कृष्ण ने किसकी लाज बचाई -

(i) मीरा की (ii) द्रोपदी की (iii) ध्रुव की (iv) प्रहलाद की।

उत्तर : (ii) द्रोपदी की।

(ग) राजा हरिश्चन्द्र किसके यहाँ काम किए - -

(i) माली के यहाँ (ii) कुम्हार के यहाँ (i) डोम के यहाँ (iv) ब्राह्मण के यहाँ

उत्तर : (iii) डोम के यहाँ।

(घ) इन्द्रासन पाने के चक्कर में पाताल कौन गया?

(i) रावण (ii) मेघनाद (iii) बेलि (iv) कुम्भकर्ण

उत्तर : (iii) बलि ।

2. लघुउत्तरीय प्रश्न

(क) मीरा किसकी भक्तन थी ?

उत्तर: मीरा श्रीकृष्ण की भक्तन थी।

(ख) द्रोपदी की लाज किसने और कैसे बचाई ?

उत्तर : द्रोपदी की लाज श्रीकृष्ण ने वत्र (साड़ी) बढ़ाकर बचाया।

(ग) कृष्ण के होठों पर क्या सुशोभित हो रहा है?

उत्तर : कृष्ण के होठो पर मुरली (वंशी) सुशोभित हो रही है?

(घ) गउवन के रखवारे किसे और क्यों कहा गया है?

उत्तर: गउवन के रखवारे श्रीकृष्ण को कहा गया है क्योंकि वे गायों को रखते थे और उनकी देखभाल करते थे।

(ङ) 'विष से अमृत करे' का क्या अर्थ है ?

उत्तर : मीरा के ससुर राणा सांगा ने मीरा को मारने के लिए विष का प्याला भेजा था, पर प्रभु की कृपा से विष अमृत बन गया। मीरा पर विष का कोई प्रभाव न पड़ा।

3. बोधमूलक प्रश्न

(क) मीरा के नेत्रों में कृष्ण का कौन सा रूप बस चुका है?

उत्तर: मीरा के नेत्रों में कृष्ण का वह रूप बस चुका है जो मन को मुग्ध कर लेती है, जिसका रूप साँवला सलोना है, आँखें विशाल है, मस्तक पर मोर मुकुट, कानों में मकर के आकार के कुंडल, मस्तक पर लाल टीका, होंठो पर मुरली, वक्षस्थल पर वैजंती माला, कमर की करधनी में छोटी-छोटी घंटियाँ तथा पैरों में नूपुर शोभाय-मान हो रहे हैं।

(ख) कृष्ण ने अपने किन-किन भक्तों की कैसे रक्षा की ?

उत्तर : श्री कृष्ण ने द्रौपदी के लाज की रक्षा भरी सभा में उसका चीर (साड़ी) बढ़ाकर, भक्त प्रह्लाद की रक्षा नरसिंह का रूप धारण कर हिरण्यकश्यप को मारकर, जल में डूबते हुए गजराज की रक्षा उसे जल से बाहर निकाल कर की।

(ग) गोकुल के प्रभात का वर्णन कीजिए।

उत्तर: गोकुल में प्रभात (सुबह) हो जाने पर हर घर के दरवाजे खुल जाते थे। सभी लोग जाग जाते थे। गोपियाँ दधि (दही) मथने लगती थीं। उनके कंगन की ध्वनि सुनाई पड़ने लगती थी। कृष्ण के दरवाजे पर देवता और मनुष्य सभी उनके दर्शन के लिए खड़े हो जाते थे। गोप बालक मिलकर श्री कृष्ण की जय-जयकार करने लगते थे।

(घ) 'करम गति टारे नाहि टरे' के सन्दर्भ में मीरा ने किन-किन उदाहरणों को प्रस्तुत किया है?

उत्तर: करम गति टारे नाहि टरे के सन्दर्भ में मीराबाई ने जो उदाहरण दिया है उसके अनुसार सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र को वाराणसी में डोम के यहाँ काम करना पड़ा। पाण्डवों को कुन्ती तथा द्रौपदी सहित हिमालय के बर्फ में गड़ जाना पड़ा। बलि ने स्वर्ग का राज्य प्राप्त करने के लिए यज्ञ किया पर उसे पाताल जाना पड़ा।

(ङ ) निम्नलिखित पंक्तियों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए -

अ. "उठो लाल जो भोर भयी है, सुर नर ठाढ़े द्वारे। ग्वाल बाल सब करत कोलाहल, जयजय सबद उचारे।"

उत्तर : प्रस्तुत पद में माता यशोदा प्रातःकाल अपने प्यारे कन्हैया को जगा रही हैं। माँ यशोदा जी कह रही हैं कि मेरे प्यारे, वंशी वाले लाल कन्हैया जाग जाओ। रात बीत गई, सुन्दर प्रभात हो गया है। प्रत्येक घर के दरवाजे खुल गए हैं। सभी घरों के लोग जाग गए हैं। गोपियाँ दही मथने लगी हैं। उनके दही मथने की ध्वनि सुनाई पड़ती है। उनके कंगन की झंकार (ध्वनि) गूँज रही है। प्यारे लाल उठो, सबेरा हो गया है। दरवाजे पर देवता तथा मनुष्य सभी तुम्हारे दिव्य दर्शन के लिए खड़े हैं। सभी गोप बालक मिलकर तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। उनकी आवाज सुनाई पड़ रही है। मैं हाथ में मक्खन रोटी ली हूँ। तुम तो गायों के रक्षक गोपाल हो उठो । गिरि को धारण करने वाले प्रिय चतुर श्री कृष्ण को संबोधित करते हुए मीराबाई कहती हैं- हे प्रभु आप मेरे स्वामी हैं। मैंने आपका आश्रय (शरण) ग्रहण किया है। अतः आप मेरा इस संसार सागर से उद्धार कर दीजिए।

ब. "यज्ञ किया बलि लेन इन्द्रासन, से पाताल धरे । मीरा के प्रभु गिरघर नागर, विष से अमृत करे।"

उत्तर : प्रस्तुत पद में मीरा बाई का कथन है कि इस संसार में हर व्यक्ति को अपने अच्छे बुरे कर्म का फल भोगना पड़ता है।

मीराबाई कहती हैं कि अपने कर्म का फल सभी को भोगना पड़ता है। कर्म की गति टालने से भी नहीं टल सकती। पौराणिक उदाहरणों के जरिए इस तथ्य को मीराबाई द्वारा अच्छी तरह से समझाया गया है। उनके अनुसार प्राचीन युग में राजा हरिश्चन्द्र बड़े ही सत्यवादी थे, पर उन्हें भी अधम (डोम) के घर पानी भरना पड़ा अर्थात् उसके यहाँ उन्हें नौकरी करनी पड़ी। पाण्डवों ने महाभारत युद्ध में विजय हासिल की। उनकी वीरता अनोखी थी। पर पाँचों पाण्व सहित कुन्ती तथा द्रौपदी सभी की हड्डियाँ हिमालय पर्वत के बर्फ में गड़ गईं। राजा बलि ने इन्द्र का सिंहासन पाने के लिए यज्ञ किया, लेकिन वह स्वर्ग नहीं पहुँच सका। बल्कि उसे पाताल में जाना पड़ा। मीराबाई का मानना है कि गिरिधर गोपाल ही उनके जीवन के सर्वस्व हैं। प्रभु श्री कृष्ण ने अपनी कृपा से विष को भी अमृत बना दिया। उसके ससुर राणा सांगा ने उसे मारने के लिए विष का प्याला भेजा, लेकिन उसका कुछ भी नहीं बिगड़ा। प्रभु ने उनकी रक्षा के लिए विष को अमृत बना दिया।

4. व्याकरण एवं बोध

(क) निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध रूप लिखिए ?

सोभित - शोभित

सबद - शब्द

कारन - कारण

सरीर - शरीर

सतबादी - सत्यवादी

(ख) निम्नलिखित शब्दों का पर्यायवाची शब्द लिखिए -

नन्दलाल : कृष्ण, श्याम, मोहन, गिरिधर, कन्हैया।

नीर: जल, पानी, अंबु, तोय, वारि।

सरीर: तन, काया, देह, बदन।

उजनी : रात, निशा, रात्रि, रैन।

विष: जहर, गरल, हलाहल, माहुर।

(ग) निम्नलिखित शब्दों का विलोम शब्द लिखिए -

अमृत - विष

पाताल - आकाश

भक्त - भगवान

साँवरी - गोरी

दधि - दूध

(घ) निम्न शब्दों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए -

गिरिघर = कृष्ण - भगवान श्री कृष्ण को गिरिधर कहते हैं।

गजराज = श्रेष्ठ हाथी - भगवान ने जल में डूबते गजराज के प्राण की रक्षा की थी।

पीर = पीड़ा - भगवान अपने भक्तों की सुमिरन करते ही पीड़ा हर लेते हैं।

माखन = मक्खन - बच्चों को माखन रोटी अच्छी लगती है।

इन्द्रासन = स्वर्ग के राजा का सिंहासन बलि ने इन्द्रासन पो पाने के लिए यज्ञ किया।


२. संगठन - राम नरेश त्रिपाठी 

1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न


(क) कवि किसकी सेवा करने की कामना करता है-


(i) माता-पिता की


(ii) गुरुजनों की


(iii) स्वदेश की


(iv) दुश्मनों की।


उत्तर : (iii) स्वदेश की।


(ख) कवि बीस वर्षों तक किस व्रत का पालन करना चाहता है-


(i) वृहस्पति व्रत


(ii) ब्रह्मचर्य व्रत


(iii) वाणप्रस्थ व्रत


(iv) गृहस्थ व्रत।


उत्तर:(ii) ब्रह्मचर्य व्रत ।


(ग) हमारी वीरता किसके लिए भय का कारण बने-


(i) दोस्त के लिए


(ii) दुश्मन के लिए


(iii) अपनों के लिए


(iv) भिखारी के लिए।


उत्तर : (iii) अपनों के लिए।

(घ) कवि किस बन्धन को तोड़ना चाहता है-


(i) पारिवारिक


(ii) सामाजिक


(iii) कुरीति


(iv) मेल-जोल।


उत्तर:(ii) सामाजिक


2. लघुउत्तरीय प्रश्न


(क) कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है?


उत्तर: कवि ईश्वर से देश सेवा एवं मानव की भलाई में लगे रहने की प्रेरणा देने की प्रार्थना करता है।


(ख) इस कविता के माध्यम से कवि ने हमें क्या सन्देश दिया है? 


उत्तर: 'संगठन' कविता के माध्यम से कवि ने हमें कर्तव्य मार्ग से न चूकने, स्वदेश की रक्षा के लिए तत्पर बने रहने तथा कभी निर्बल न बनने का संदेश दिया है। 


(ग) कवि किन साधनों को प्राप्त करने की कामना करता है?


उत्तर: कवि बल, बुद्धि, विद्या तथा धन जैसे अनेक साधनों को प्राप्त करने की कामना करता है। 


(घ) किन परिस्थितियों में कवि हिम्मत न हारने की सलाह हमें दे रहा है?


 उत्तर: संकटों में चाहे हम दरिद्र बन जाएँ, विपत्ति-बाधाओं से चाहे हम घिर क्यों न जाएँ परन्तु ऐसी परिस्थिति में कवि हमें हिम्मत न करने की सलाह दे रहा है। 


3. बोधमूलक प्रश्न


(क) संगठन कविता का मूल सार अपने शब्दों में लिखिए।


उत्तर: प्रस्तुत कविता 'संगठन' में कवि भगवान से ऐसी शान्ति पाने की प्रार्थना करता है जिससे कि भारत संगठित बना रहे हम देश के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दें। मन और तन को शान्ति संपन्न बनाने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करें। सारी कुरीतियों को तोड़ डालें किसी भी संकट के समय साहस न छोड़े। हमारी बीरता से शत्रु भयभीत हो उठे प्राण रहते हम स्वदेश की रक्षा करते रहें। सारे संसार को हम अपना बना सके हमारी सुकीर्ति गूँजे।


 (ख) कवि मातृ-भूमि की सेवा कैसे करना चाहता है ?


उत्तर: कवि चाहता है कि मातृभूमि की सेवा में ही वह अपना शरीर अर्पित कर दे। वह बल, बुद्धि, विद्या एवं धन के सभी साधनों को देश के लिए समर्पित कर देना चाहता है। वह चाहता है कि स्वदेश के प्रति उसमें सदैव सच्चा प्रेम बना रहे। जब तक उसके शरीर में प्राण का संचार होता रहे तब तक वह देश की रक्षा करता रहे। विदेश सेवा को ही सबसे बड़ी सेवा और देश पर मर मिटने को ही सबसे बड़ा बलिदान मानता है। 


(ग) कवि निर्बलता एवं पतन से बचने के लिए हमें क्या सलाह देता है?


उत्तर: निर्बलता एवं पतन से बचने के लिए कवि हमें यह सलाह देना चाहता है कि हम समाज में फैली सारी कुरीतियों के बंधन को तोड़ दें और बीस वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए मानसिक और शारीरिक दृष्टि से सर्व शक्ति संपन्न बन जाएँ जिससे हम कभी निर्बल न हो और कभी हमारी अवनति न हो।


 (घ) कवि ईश्वर से शक्ति क्यों माँगता है?


उत्तर: कवि ईश्वर से शक्ति इसलिए मागता है, ताकि वह उसे पाकर सारे संसार को अपना बना सके। ईश्वर को फिर से अपने देश में बुला सके। सुख के समय प्रभु को कभी न भूले तथा दुःख में कभी हार न माने कर्तव्य मार्ग से कभी पीछे न हटे। संसार में सर्वत्र उसकी कीर्ति फैले।


(ङ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर यथानिर्देश दीजिए- 

अ. "छीने न कोई हमसे प्यारा वतन हमारा।"


(i) कवि एवं कविता का नाम लिखिए। 


(ii) उक्त अंश में कवि क्या संदेश देता है और क्यों ?


उत्तर : (i) प्रस्तुत पंक्ति के कवि श्री रामनरेश त्रिपाठी जो है। यह 'संगठन' कविता से उद्धृत है। 


उत्तर : (ii) उक्त अंश के माध्यम से कवि हमें संदेश देते हुए कहता है कि हम इतने शक्तिशाली और संगठित हो कि कोई भी हमारे देश पर आक्रमण करके हमारी मातृभूमि पर अपना अधिकार न जमा सके जिससे हम सदैव आजाद रहें।


ब. "गायें सुयश खुशी से जग में सुजन हमारा"


(i) सुयश और सुजन का अर्थ लिखिए।


(ii) संसार के लोग हमारा सुयश कैसे गा सकते हैं?


उत्तर: (i) यहाँ 'सुयश' का अर्थ- सुन्दर प्रशंसनीय कीर्ति है और 'सुजन' का अर्थ - भले लोग है अपनी शक्ति से जो सदैव अच्छा कार्य करते हैं।


(ii) कवि के अनुसार जब हम सारी दुनिया के लोगों को अपना हितैषी बना लेंगे, तो संसार के लोग हमारा सुगा सकते हैं। पूरी दुनिया में हमारे बड़प्पन को कीर्ति इस तरह फैलेगी कि सभी हमारी तहेदिल से तारीफ करेंगे। हमारी ओर मित्रता का हाथ बढ़ाएंगे।


4. भाषा और बोध


(क) निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग अलग करो : –


शब्द उपसर्ग


संगठन सम् + गठन


स्वदेश स्व + देश


निरन्तर निः + अन्तर


कुरीति कु + रीति


सुजन सु + जन


(ख) निम्नलिखित शब्दों का पर्यायवाची शब्द लिखिए :


देश – राष्ट्र, जनपद, जन्मभूमि ।


विद्या – ज्ञान, बोध, विद्वता।


देह – शरीर, तन, बदन।


जग – संसार, विश्व, दुनिया।


भिखारी – भिक्षुक, याचक, मांगनेवाला।


(ग) संस्कृत के मूल शब्दों को तत्सम शब्द कहते हैं। पाठ में आए कुछ तत्सम शब्दों को चुनकर लिखो।


उत्तर: स्वदेश, समर्पण, शक्ति, धर्म, न्याय, सुयश 


(घ) निम्नलिखित शब्दों का विलोम शब्द लिखिए:


निर्बल – सबल 


स्वदेश –- विदेश


संगठन  –-विघटन


पतन —उत्थान


भिखारीदाता – दानी


3. भारतवर्ष --- जयशंकर प्रसाद

1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर विक्लप से चुनकर लिखिए ---

(क) निर्वासित राजकुमार कौन थे --

उत्तर --- (ii) राम

(ख) भारतवर्ष कविता के कवि हैं --

उत्तर – जयशंकर प्रसाद

(ग) ‘ रत्नाकर’ का शाब्दिक अर्थ है --

उत्तर – सागर

(घ) दधीचि कौन थे --

उत्तर – एक ऋषि


2. लघूत्तरीय प्रश्न ---

(क) दधीची ने क्या दान किया था तथा क्यों ?

उत्तर – दधीचि ने अपना अस्थि दान किया था ।

उनकि अस्थि से इन्द्र ने बज्र का निर्माण कर वज्रासुर राक्षस का बध किया था। अत: देवताओं की विजय तथा असुरों के पराजय के लिए दधीचि ने अपनी अस्थि का दान किया था ।

(ख) बौद्ध भिक्षु बनकर घूमने वाले राजा कौन थे ? इसका कारण क्या था ?

उत्तर – बौद्ध भिक्षु बनकर घूमने वाले राजा अशोक थे।

बौद्ध धर्म के प्रचार तथा सम्पूर्ण मानवता के कल्याण के लिए सम्राट अशोक भिक्षु बनकर घूमे।

(ग) निर्वासित राजा के प्रसिद्धि का क्या कारन था?

उत्तर – निर्वासित राजा राम ने रावण का विनाश करने के लिए तथा देवताओं, ऋषिओं और मानवता के संकट को दूर करने के लिए सागर की छाती पर सेतु का निर्माण किया । यही उनकि प्रसिद्धि का कारण था ।

(घ) हिमालय के आँगन किसे और क्यों कहा गया है?

उत्तर --- भारतवर्ष को हिमालय का आँगन कहा गया है क्योंकि भारत हिमालय के चरणों में स्थित है।हिमालय भारत का गौरव है ।


4. भाषा बोध ---

(क) निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग एवं मूल शब्द अलग कीजिए :


शब्द उपसर्ग + मूल शब्द

अलोक आ + लोक

विमल वि + मल

अतिथी अ + तिथी

अभिमान अभि + मान

संगित सम् + गीत


(ख) निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद कर संधि का नाम लिखिए :

हिमालय – हिम + आलय (स्वर संधि)

संसृति -- सम् + सृति (व्यंजन संधि)

निर्वासित – नि: + वासित (विसर्ग संधि)

संचय --- सम् + चय (व्यंजन संधि)

रत्नाकर – रत्न + आकर (स्वर संधि)



(ग) निम्नलिखित सनासिक पदों को विग्रह कर समास का नाम लिखिए --

सप्त स्वर – सात स्वरों का समाहार (द्विगु समास)

उत्थान-पतन – उत्थान और पतन (द्वन्द समास)

शान्ति-संदेश – शान्ति का संदेश (तत्पुरुष समास)

अस्थि-युग -- अस्थि का युग (तत्पुरुष समास)


(घ) पाठ से इत, ता, यों, ई , आ प्रत्ययों से बाना शब्दों को चुनकर लिखिए --

इत --- निर्वाहित

ता --- जातियता

यों --- जातियों

ई --- हमी

आ --- लिखा


(ङ) निम्नलिखित शब्दों का अर्थ लिखकर वाक्यों मेे प्रयोग करो ---

पुरन्दर – इन्द्र – पुरन्दर ने वज्र से वज्रासुर राक्षस का वध किया ।

रत्नाकर – समुन्द्र – राम ने रत्नाकर कि छाती पर पुल बनाया ।

सर्वस्व – सबकुछ – हमें स्वदेश पर सर्वस्व न्योछावर करना चहिए।

नम्रता -- विनय – हमारे पूर्वजों में सदा नम्रता बनी रही।

अभिनन्दन – स्वागत – हमें महान पुरुषों का अभिनन्दन करना चाहिए ।




4. जागरण गीत ---- सोहनलाल द्विवेदी


1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर विक्लप से चुनकर लिखिए ---

(क) जागरन गीत कविता के कवि हैं --

उत्तर -- सोहनलाल द्विविदी

(ख) कवि इस कविता के द्वारा कैसे लोगों को जगाने की बात कर रहा हैं ---

उत्तर – कल्पनात्मक जीवन वाले को


2. लघूत्तरीय प्रश्न ---

(क) ‘उदयाचल’ और 'अस्ताचल’ शब्दों का क्या अर्थ हैं ?

उत्तर – ‘उदयाचल’का अर्थ है -- पूर्व दिशा में स्थित वह काल्पनिक पर्वत जहाँ से सूर्य उदय होता हुआ दिखाई देता है। यह जीवन में प्रगति का प्रतीक है।

‘अस्ताचल’का अर्थ है -- पश्चिम दिशा में स्थित वह काल्पनिक स्थल जहाँ से सूर्य अस्त होता हुआ दिखाई देता है।


(ख) ‘ विपथ’ होने का आशय क्या है?

उत्तर -- यहाँ विपथ होने का आशय ऐसे लोगों से है जो अज्ञान और अकर्मण्यता के कारण सच्चे रास्ते को छोड़कर पथभ्रष्ट हो जाते हैं अर्थात अपने लक्ष्य के पथ से भटक जाते हैं।



(ग) ‘कल्पना में उड़ने’ से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर -- कल्पना में उड़ने से कवि का तात्पर्य – कल्पना के हवाई महल बनाना, मन में ऊँची-ऊँची कल्पनाएं करना तथा मन में करोड़ों की संपत्ति जोड़ना है। ऐसे लोग अपने जीवन में कर्मठ बनकर कार्य सिद्ध करने की चेष्टा नहीं करते । वह हमेशा केवल बड़ी-बड़ी बातें किया करते हैं ।



(घ) मँझधार से कवि किसको और कैसे पार लगाएगा।

उत्तर -- जो लोग नदी की मँझदार को देखकर घबड़ा जाते हैं। कवि उन्हें पार लगाना चाहता है। कवि उन्हें मानसिक तौर पर सहारा दे रहा है कि पतवार लेकर घबराए नहीं कभी उन्हें तट पर थकने नहीं देगा, उन्हें पार लगाने की चेष्टा करेगा ।




4. भाषा बोध ---

(क) निम्नलिखित शब्दों का अर्थ लिखकर वाक्यों मेे प्रयोग करो ---

प्रगति- उत्थान- कर्मठ बनकर ही मनुष्य अपने सांसारिक जीवन में प्रगति कर सकता है।

अरुण- लाल सूर्य- प्रभात होते ही बाल अरुण पूर्व दिशा में उदय होता है ।

शूल- कांटा – मनुष्य प्रयत्न कर शूल को फूल बना सकता है।

श्रृंखला - बंधन- हमें अपनी सभी मानसिक श्रृंखलाओं को तोड़ देना चाहिए ।

पतवार - पार उतारने का साधन - पतवार के सहारे नाविक नदी पार करता है।




(ख)निम्नलिखित शब्दों का विलोम शब्द लिखिए- 

आकाश- पाताल

कल्पना - यथार्थ

दुःख - सुख

फूल - शूल

गुरु - लघु



(ग) पाठ से प्र , वि , अ , सम् उपसर्ग लगे शब्दों को चुनकर लिखो।

प्र – प्रीति

वि – विपक्ष

अ – अटल

सम् – संकीर्णताएँ



(घ) पर्यायवाची शब्द लिखिए–

नभ - आकाश , गगन , आसमान ।

धरती - धरा , पृथ्वी,भू ।

फूल –पूष्प, सुमन, कुसुम।

सिंधु – सागर, समुद्र, रत्नाकर ।







5. रक्षा बन्धन --- हरिकृष्ण 'प्रेमी'

1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) राखी कौन बाँधता है

(i) माँ

(ii) बेटी

(iii) बहन

(iv) पत्नी।

उत्तर: (iii) बहन

(ख) भाई कहाँ जा रहा है

(i) विद्यालय

(ii) मन्दिर

(iii) घर

(iv) समर में।

उत्तर : (iv) समर में।

(ग) मूल रूप से इस कविता का स्रोत है

(i) बहन-भाई प्रेम

(ii) प्रकृति प्रेम

(iii) वात्सल्य प्रेम

(iv) देश प्रेम एवं स्वतन्त्रता ।

उत्तर : (iv) देश प्रेम एवं स्वतन्त्रता।

(घ) रक्षा बन्धन के लिए भाई अपनी बहन को कौन सा उपहार देना चाहता है

(i) अमूल्य उपहार

(ii) आँखों के आँसू

(iii) स्वतन्त्रता

(iv) निद्रा

उत्तर : (ii) आँखों के आँसू ।



2. लघुउत्तरीय प्रश्न

(क) रक्षा बन्धन कविता में किसके किस अत्याचार की बात कही जा रही है?

उत्तर: रक्षा बंधन कविता में अंग्रेज शासकों के अत्याचार की बात कही जा रही है। अन्यायी अंग्रेज शासकों ने हमारे देश की लाखों युवतियों को विधवा बना दिया था।

(ख) आश्रयहीन होने पर बहन का माथा ऊँचा कैसे होगा ?

उत्तर: आश्रयहीन होने पर भी बहन का माथा इसलिए ऊंचा होगा क्योंकि कि उसका भाई मातृभूमि की आजादी के लिए, देश को जालिमों के अत्याचार से बचाने के लिए आत्म बलिदान कर देगा। देश के नवयुवक वीरों को देश पर मर मिटने के लिए शंखनाद करने का उसे शुभ अवसर मिल जाएगा।

(ग) बहन भाई के उपहार को क्या कहती है ?

उत्तर: भाई के उपहार स्वरूप आंसुओं की बूँदों को बहन मणियों की भाँति बहुमूल्य कहती है क्योंकि उन मणियों पर सारा संसार न्योछावर हो जाता है।

(घ) भाई अमर नशे में कब झूलने की कामना करता है ?

उत्तर: भाई स्वंत्रता संग्राम के रणक्षेत्र में आत्म बलिदान करने के लिए प्रस्थान करने की तैयारी कर रहा है। वह अपनी बहन को उपहार के रूप में आँखों के आंसुओं को देना चाहता है उसी समय वह बहन से कहता है कि बहन अपने चरण कमल बढ़ाओ में उन्हें धूम लूँ उसी समय भाई उसके पावित्र स्नेह से अमर नशे में झूमने की कामना करता है।

3. बोधमूलक प्रश्न

(क) रक्षा बन्धन कविता का मूल सार अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: प्रस्तुत कविता 'रक्षा बन्धन' में कवि ने देश के नवयुवकों को गुलामी की जंजीर को तोड़ देने के लिए तथा मातृभूमि की बलिवेदी पर आत्मबलिदान कर देने की प्रेरणा दी है। आजादी की लड़ाई में जाने से पूर्व एक भाई अपनी बहन से कह रहा है कि उसे समर में जाना है इसलिए वह उसे राखी बाँध दे तथा आशीर्वाद दे कि वह भारत माता के चरणों पर आत्मबलिदान कर दे जिस अन्यायी शासकों ने देश को वीरान तथा अवराध बना दिया उनकी प्यास बुझाने के लिए देश के लाखों वीर नवयुवक विजय पथ पर जा रहे हैं बहन उसके मस्तक पर हाथ रख दें जिससे उसका मस्तक कभी झुके नहीं। उन हत्यारों ने हमारे देश को तहस नहस कर डाला। आज हमारे पास बहन को उपहार देने के लिए केवल मेरी आँखों के आँसू है। जिन्हें वह मणियों के समान बहुमूल्य समझती है, भाई प्रस्थान करने के पूर्व बहन के चरण छूकर उसके पवित्र स्नेह में झूमना चाहता है।

(ख) इस कविता के माध्यम से आप कैसे कह सकते हैं कि यह स्वतन्त्रता से पूर्व लिखी गई थी ?

जिन पंक्तियों से यह स्पष्ट हो रहा है; उन्हें लिखिए।

उत्तर: इस कविता को जिन पंक्तियों को पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि यह कविता स्वतंत्रता के पूर्व लिखी गई थी, निम्नलिखित है।

"यह पोंछ ले अश्रु गुलामी का यदि दुःख मिटाना है।"

"उस हत्यारे ने......... मेरा माथ।"

(ग) भाई बहन को समर में जाने से पूर्व क्या-क्या कह रहा है?

उत्तर: समर में जाने के पूर्व भाई बहन को कह रहा है कि वह उसे आर्शिवाद है, उसके आँसू पोंछ से अन्तिम बार राखी बांधकर प्यार कर ले। मस्तक पर स्नेहपूर्वक अपना हाथ रख दे। अत्याचारी अंग्रेज शासकों ने न जाने कितनी युवतियों के माँग का सिन्दूर पोंछ दिया। कितने भारतीय वीरों को मार डाला। आश्रयहीन होने पर वह लोगों को विजय पाने के लिए प्रेरित करे। अन्तिम बार वह बहन के चरण कमलों को स्पर्श करने के लिए कहता है।

(घ) हमारा देश कब और किस प्रकार अनाथ हो गया ?

उत्तर: हमारा देश जब पराधीन था, आत्याचारी अंग्रेज यहाँ के शासक थे उन्होंने कितनी नवविवाहिताओं के माँग के सिंदूर पोंछ डाले। उनके इस जहान्य कुकृत्य से हमारा अनाथ हो गया। अन्यायी सरकार ने भारतीयों पर अनेक जुल्म किये। हमारे देश की सारी संपत्ति लूट कर अपने देश उठा ले गए। देश को वीरान बना डाला। हमारे देश की आजादी के लिए आवाज उठाने वाले नवयुवकों को शूली पर चढ़ा दिए। न जाने और कितनी माताओं एवं बहनों के सुहाग लुट गये। इस प्रकार देश अनाथ हो गया।



4. भाषां और बोध

(क) इन शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए:

भीषण --- आजकल युद्ध में भीषण गरमी है।

क्रूर --- क्रूर अंग्रेज शासकों ने देश पर जुल्म ढहाया।

चकनाचूर --- सोहन के सारे सपने चकनाचूर हो गए।

विमल --- झरने का जल विमल और पीने लायक होता है।

आँचल --- माँ आँचल से अपने बच्चे का मुँह पोछ रही थी।



(ख) निम्नलिखित शब्दों के अर्थों में अन्तर बताइए -

स्नेह (छोटों से) --- बच्चों से स्नेह ।

प्यार --- प्रेम-लोगों से प्रेम ।

अमूल्य --- बेहद कीमती कोहिनूर हीरा अमूल्य है।

बहुमूल्य --- कीमती यह पुस्तक बहुमूल्य है।

ऊँचा --- उन्नत, ऊपर उठा हुआ।

ऊँचाई --- उठान, श्रेष्ठता।

डाल --- शाखा।

ढाल = तलवार का आघात रोकने का एक साधन ।



(ग) 'अमूल्य' में 'अ' उपसर्ग और 'उपहार' में 'उप' उपसर्ग की तरह प्रयोग हुआ है। 'अ' और 'उप' उपसर्गो के योग से तीन-तीन शब्द बनाइए।

अ ---- अमूल्य, अकर्म, अचल, अजर, अधर्म ।

उप ---- उपहार, उपकार, उपवन, उपकरण।

(घ) भिखारिन शब्द में 'इन', स्वर्गीय में 'ईय' और आश्रयहीन में 'हीन' प्रत्ययों की हुए हैं। 'इन' 'ईय' और 'हीन' प्रत्ययों के योग से तीन-तीन शब्द बनाइए।

इन --- भिखारिन, मालकिन, नातिन, पड़ोसिन ।

ईय --- स्वर्गीय, जातीय, भारतीय, राष्ट्रीय

हीन --- आश्रयहीन, जलहीन, शक्तिहीन




6. वरदान माँगूगा नहीं --- शिवमंगल सिंह 'सुमन'

1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) इस कविता में कवि ने जीवन को क्या कहा है?

(i) खण्डहर

(ii) महासंग्राम

(iii) वरदान

(iv) नदी।

उत्तर : (ii) महासंग्राम

(ख) कवि इस कविता से किसकी प्रेरणा देता है?

(i) संघर्ष एवं कर्तव्य परायणता

(ii) स्मृति की

(iii) संपत्ति प्राप्ति की

(iv) भीव माँगने की।

उत्तर : (i) संघर्ष एवं कर्तव्य परायणता ।



2. लघुउत्तरीय प्रश्न

(क) किसके लिए कवि विश्व की सम्पत्ति नहीं चाहता है ?

उत्तर: कवि अपने सुखद क्षणों को यादगार बनाने के लिए, अपने अभावों की पूर्णता के लिए तथा भग्न अवशेषों के निर्माण के लिए विश्व की संपत्ति नहीं चाहता है।

(ख) 'लघुता' शब्द से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: 'लघुता' का अर्थ तुच्छता या हल्कापन है। यहाँ कवि ने बड़े लोगों से तुलना करते हुए अपने आप को उनके

दृष्टिकोण से छोटा या अल्प शक्ति एवं सामर्थ्य वाला कहा है।

(ग) कवि किससे वरदान की कामना नहीं कर रहा है?

उत्तर: कवि अपने आप को एक सामान्य वर्ग का व्यक्ति मानता है। वह अपने आपको महान, श्रेष्ठ, सर्वसाधन संपन्न समझने वाले लोगों से दूर ही रखना चाहता है। वे महान बने रहें। कवि ऐसे लोगों से वरदान की कामना नहीं कर रहा है।



3. बोधमूलक प्रश्न

(क) "वरदान माँगूँगा नहीं" कविता का संक्षिप्त सार लिखिए।

उत्तर: प्रस्तुत कविता 'वरदान माँगूँगा नहीं' में कवि जीवन को एक महासंग्राम तथा के समान जीवन में पराजय को एक पड़ाव मानता है। वह किसी भी परिस्थिति में दया की भिक्षा नहीं माँग सकता। अपने सुखद यादों के लिए या अपने अभाव को पूरा करने के लिए भी वह विश्व का वैभव नहीं चाहता। महान बने लोगों से दूर रहकर वह अपने दिल के दर्द को नहीं छोड़ेगा। उसे कष्ट मिले या श्राप किन्तु वह अपने कर्तव्य मार्ग पर अडिग बना रहेगा। वह कभी भी किसी से किसी वरदान की याचना नहीं करेगा।

(ख) कवि किन-किन परिस्थितियों में वरदान नहीं माँगने की बात करता है?

उत्तर: कवि का कहना है कि अपने जीवन में चाहे वह तिल-तिल कर मिट जाए पर वरदान नहीं मांग सकता। अपनी सुखद यादों के लिए, अपनी कमी को पूर्ण करने के लिए, अपने हृदय की पीड़ा को दूर करने के लिए तथा संताप या अभिशाप की स्थिति में भी कवि वरदान नहीं मांगना चाहता।

(ग) निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -----

1). संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही,

वरदान माँगूँगा नहीं।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने स्पष्ट किया है कि जीवन यात्रा में चाहे उसे विजय मिले या पराजय वह किसि भी परिस्थिति में तनिक भी भयभित नहीं होगा। जीवन में विरोधी स्थिति भी आती है, तकराव भी होते हैं, पर वह सभी को सच मानकर स्वीकार करेगा। किसी के सामने याचना नहीं करेगा।

2). कुछ भी करो कर्तव्य पद से किन्तु भागा नहीं,

वरदान माँगूँगा नहीं।

उत्तर: प्रस्तुत कविता पंक्तियों के माध्यम से कवि स्पष्ट करते हुये काहाता है कि वह किसी भी परिस्थिति में अपने कर्त्तव्य मार्ग से दूर नहीं हटेगा। वह संघर्ष कर सफलता को प्राप्त करेगा।



4. भाषा बोध

(क) निम्नलिखित शब्दों का विलोम शब्द लिखिए

हार ----- जीत

जीवन ---- मृत्यु

स्मृति ---- विस्मृति

लघुता ----- गुरुता

वरदान ---- अभिशाप।

(ख) निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग अलग कीजिए

वरदान ------ वर + दान

अभिशाप ----- अभि + शाप

विराम ----- वि + राम

प्रहर ----- प्र + हर

सुखद ----- सु + खद

व्यर्थ ---- वि + अर्थ

संग्राम ---- सम् + ग्राम

(ग) पाठ से ता, ना और ओ प्रत्ययों से बने शब्दों को चुनकर लिखिए।

ता ----- लघुता।

ओ ----- प्रहरों, खंडहरों।

ना ---- वेदना।

(घ) निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करो -

अभिशाप ---- पूरी दुनिया में प्रदूषण आज एक अभिशाप बन गया है।

कर्तव्य ---- हमे अपने कर्तव्य का पालन अवश्य करना चाहिए।

महासंग्राम ---- मानव जीवन एक महासंग्राम है।

खण्डर ---- कुछ प्राचीन खण्डहर अज भी दिखलाई पड़ते हैं।

संघर्ष ---- हमें अपने कर्म क्षेत्र में संघर्ष से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।




7. कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है --- बशीर बद्र

1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) इस पाठ के कवि कौन है----

(i) साबीर अली

(ii) बशीर बद्र

(iii) जावीर बद्र

(iv) कैफी आजमी।

उत्तर : (ii) बशीर बद्र ।

(ख) प्रस्तुत कविता का छन्द है----

(i) दोहा

(ii) चौपाई

(iii) गजल

(iv) रुबाई।

उत्तर: (i) गज़ल।



2. लघुउत्तरीय प्रश्न

(क) कवि ने दुश्मन के किस लहजे को अजीब कहा है और क्यों?

उत्तर: कवि ने दुश्मन की मुस्कराहट के लहजे को अजीब कहा है क्योंकि दुश्मन अपने उस लहजे से कभी उसे पतन की ओर ढकेलता है तो कभी संभालता है। दुश्मन के परिवर्तित विचारधारा को कवि अजीब मानता है।

(ख) 'गज़ल की शाख' का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: यहाँ गजल की शाख का आशय यह है कि कवि की कविता के हर पंक्ति में फूल खिला है अर्थात् हर पंक्ति में विचारों एवं भावों की खुशबू है।

(ग) “फ़साद में जली मूरत पे हार डाला है।" के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर: 'फ़साद में जली मूरत पे हार डाला है' के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि दंगों में निर्दोष लोग जलाए जाते हैं, लोगों को बेसहारा बना दिया जाता है। इन दंगों में हमेशा निर्दोष हो प्रभावित होते हैं। अबोध बालक इस दंगों या अग्नि कांड से अपरिचित है। उस निरीह मासूम बच्चे को क्या पता कि इस आदमी को क्यों जलाया गया। यहाँ कवि ने दंगों के अमानवीय पहलू की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है।

(घ) बेलिवास का अर्थ स्पष्ट करो।

उत्तर:बेलिवास का अर्थ बिना लिवास के अथवा बिना परिधान या आच्छादन है। यहाँ एक बेलिवास एक पत्थर का जिक्र है। पत्थर बिलकुल नग्न अर्थात् आच्छादन रहित है। भाव यह है कि दंगों के कारण समाज बेपर्द हो जाता है। समाज का नंगा स्वरूप सबसे सामने आ जाता है।



3. बोधमूलक प्रश्न

(क) इस कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: इस कविता का सारांश कविता की व्याख्या ही है।

(ख) 'कोई चिराग नहीं है मगर उजाला है।' कवि ऐसा क्यों कहता है? इसका प्रतीकार्थ स्पष्ट करें।

उत्तर: 'कोई चिराग नहीं है मगर उजाला है' कवि ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि बिना किसी दीपक के चारों है ओर रोशनी फैली हुई है। दीपक का उजाला वहाँ फैलता है जहाँ अंधकार रहता परन्तु जहाँ प्रकाश है वहीं तो दीपक की रोशनी के बिना ही उजाला रहता है। कवि अपनी कविता की पंक्तियों में फूल की महक की बात कह कर यह स्पष्ट कर देना चाहता है कि जहाँ पवित्र भाव हो, संकीर्णता नहीं हो, वहाँ मानवता का प्रकाश स्वतः बिना दीपक के प्रकाशमान बना रहता है। जहाँ दंगों के कारण आगजनी होती है, स्वतः चारों और बिना चिराग के उजाला रहता है।

(ग) निम्नलिखित पंक्तियों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए

1) निकल के पास की मस्जिद से एक बच्चे ने,

फ़साद में जली मूरत पे हार डाला है।

उत्तर: प्रस्तुत अंश कोई चिराग नहीं मगर उजाला है' नामक पाठ से उद्धृत है। इसके कवि बशीर बद्र है। इस अंश में कवि ने दंगों की भयंकरता का वर्णन किया है। दंगा फसाद असमाजिक तत्वों द्वारा शुरु किया जाता है। परन्तु इसमें निरीह तथा निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। मस्जिद जैसे पवित्र स्थानों में लोगों को पनाह लेनी पड़ती है। ऐसे ही एक दंगे की ओर कवि ने संकेत किया है। दंगे की आग में जल जाने से किसी अनजान व्यक्ति का शरीर बाहर पड़ा हुआ है। पास की मस्जिद से निकलकर एकबच्चा उस पर फूलों की माला डाल कर उस मृतक का सम्मान करता है।

2) तमाम वादियों में सेहरा में आग रोशन है,

मुझे खिजों के इन्हीं मौसमों ने पाला है।

इस पंक्ति का भावार्थ सहित व्याख्या करें।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि अपने आंतरिक विचारों को उजागिर करते हुए कहता है कि सभी घाटियों में, तटों पर एवं बस्तियों में आग प्रदीप्त हो रही है। बड़े-बड़े लोगों पर भी इसका प्रभाव है। इन्हीं वीरान स्थितियों में इसी मुरझाए हुए वातावरण ने हमारा लालन पालन किया है। कवि कह रहा है कि ऐसे पतझड़ के मौसम में ही उनका जीवन बीत रहा है।

3) गज़ब की धूप है इक बेलिवास पत्थर पर, पहाड़ पर तेरी बरसात का दुशाला है।

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि स्पष्ट कर रहा है कि इन नंगे पत्थरों पर विचित्र धूप पड़ रही है। पहाड़ पर बरसात की चादर बिछी हुई है। कहीं नग्न स्थिति है तो कहीं परिधान, कोई बेपर्द है तो कहीं आवरण से नग्नता

ढकी हुई है।



4. भाषा और बोध

(क) पाठ में आए निम्नलिखित उर्दू के शब्दों का हिन्दी रूप लिखिए

रोशन = प्रकाशमान

बादियों = घाटियों

खिजा = पतझड़

फंसाद = उपद्रव

शाख = टहनी।

(ख) निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए :----

मस्जिद ---- मस्जिद मुसलमानों का प्रार्थना स्थल है।

मुस्कराहट ---- बच्चे के चेहरे पर स्वच्छ मुस्कुराहट देखी जा सकती है।

दुशाला ----- कश्मीर का बना हुआ ऊनी दुशाला बहुत प्रसिद्ध है।

चिराग ----- हर चिराग के नीचे अंधेरा होता है।

अजीब ---- यह छोटा सा बालक अजीब स्वभाव का लगता है।

(ग) निम्न शब्दों का विलोम शब्द लिखिए

धूप ---- छाया

दुश्मन ---- मित्र

बेलिवास ---- लिवास पूर्ण

आग ----- पानी

फ़साद ---- शान्ति।

(घ) बेलिवास शब्द में 'बे' और दुश्मन में दुश् उपसर्ग जुड़ा है: 'बे' और दु:/ दुश् उपसर्ग से तीन शब्द बनाओ।

दश् -------- दुश्चरित्र, दुश्मन, दुष्कर्म, दुस्साहस।

बे ---- बेलिवास, बेखौफ, बेश्रम।






8.माँ --- रंजन श्रीवास्तव

 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) माँ किसका फूल बिखरा देती है?

(i) कमल का

(ii) ममता का

(iii) क्रूरता का

(iv) घृणा का

उत्तर: (ii) ममता का

(ख) रचनाकार ने किसे परिवार और समाज से ऊपर माना है?

(i) पिता को

(ii) भाई-भतीजे को

(iii) सास श्वसुर को

(iv) माँ को

उत्तर:(iv) माँ को



2. लघुउत्तरीय प्रश्न

(क) कवयित्री आश्चर्य चकित क्यों हो जाती है?

उत्तर: माँ अपने घर तथा परिवार के तमाम कष्टों को अपने भीतर ही आत्मसात् कर लेती है। अपनी पीड़ा को कभी प्रकट नहीं करती। वह सभी के साथ प्यार का व्यवहार करती है। अतः माँ की सहनशीलता तथा ममता की भावना पर कवयित्री आश्चर्यचकित हो जाती है।

(ख) 'परम्परावादी' और 'बदरंग आदर्श' से क्या समझते हो ?

उत्तर: 'परम्परावादी' का अर्थ है पुरानी रीतियों का पोषक वंश परंपरा से चली आ रही प्रथाओं को मानने वाले। 'बदरंग आदर्श' से तात्पर्य है रंगहीन या बेमेल रंग के नमूने वंशानुक्रम से चली आ रही अशोभनीय बेडगी प्रथाएँ।

(ग) प्रस्तुत पाठ में किसकी किस दशा का चित्रण हुआ है?

उत्तर: प्रस्तुत पाठ में माँ की पीड़ामयी दशा का चित्रण हुआ है। माँ समस्त परिवार के साथ ममता भरा व्यवहार रखते हुए भी सभी की उपेक्षा तथा तिरस्कार का शिकार होती है तथा अपनी पीड़ा प्रकट नहीं करती। उसमें अद्भुत सहनशीलता होती है।

(घ) माँ 'वन्दनीय' और 'अतुलनीय' कैसे होती है?

उत्तर: माँ उदारता, ममता तथा सहनशीलताको प्रतिमूर्ति होती है। फिर भी वह परिवार के अपने ही लोगों से उपेक्षा एवं तिरस्कार का शिकार होती है। सभी यातनाओं को सहते हुए भी वह मौन बनी रहती है। सबसे भिन्न होते हुए भी सभी को आत्मसात् कर लेती है। इसीलिए माँ वन्दनीय और पूजनीय होती हैं।

3. बोधमूलक

(क) माँ परिवार की किन-किन वासनाओं को रहती है? लिखिए।

उत्तर: माँ पिता की डाँट फटकार को तथा उनके क्रोध एवं अभिमान भरी फुफकार को सहती है। दकियानूसी विचारों वाले खास श्वसुर भाई-भतीजों के अशोभनीय बेढंगी बातों को सुनती और सहती है। माँ की उच्चाशयता को लोग नहीं देखते। माँ सारी पीड़ा को चुपचाप सह लेती और प्रतिकार नहीं करती। सभी के द्वारा किए जाने वाले छल-कपटपूर्ण आघातों को वह चुपचाप सहन कर लेती है।

(ख) माँ के अन्दर किन गुणों का भण्डार है?

उत्तर: माँ अनगिनत गुणों का भण्डार होती है। वह ममतामयी, वात्सल्यमयी उदारता से भरी सभी का शुभ चाहने वाली है। वह घर के सभी सदस्यों के प्रति अपनत्व का भाव रखती है। चाहे कोई तिरस्कार करे या, उपेक्षा करे माँ उसके प्रति सदा सहृदय बनी रहती है। वह सारी पीड़ा को आत्मसात् कर लेती है और ममता के फूल ती रहती है। परिवार के अन्य सदस्यों के कटु वाक्यों एवं परपरावादी विचारों से उत्पन्न उनके व्यंग्य को सहन करने की माँ में अपार धैर्य, साहस तथा ममत्व की भावना होती है। माँ इतनी महान है कि समय की विपरीत स्थितियों का उस पर कोई असर नहीं पड़ता। सबसे अलग होते हुए भी वह सबमें समाहित है।

(ग) प्रस्तुत पाठ के द्वारा किन भारतीय समाज में स्त्रियों की किस दशा और दुर्दशा का वर्णन हुआ है? उत्तर : भारतीय समाज के परंपरावादी तथा दकियानूसी परिवारों में स्त्रियों के प्रति लोगों के मन में हीन भावना भरी हुई है। आज भी पुरुष प्रधान समाज में नारी को उचित सम्मान नहीं मिलता। उन्हें पति को डांट-फटकार सुननी पड़ती है। पति के अहंकार तथा क्रोध का भी उन्हें शिकार होना पड़ता है। सास श्वसुर तथा भाई-भतीजों के कटु व्यवहार भी वे सहती और भोगती है। वह स्त्रियों को पूरी स्वतंत्रता नहीं होती। कहीं-कहीं आज भी पर्दा प्रथा प्रचलित है और उनका कार्य क्षेत्र घर के भीतर ही माना जाता है। उन्हें घरेलू काम-काज करने की मशीन समझा जाता है।

(घ) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए ----

1) लिजलिजे परम्परावादी बदरंग आदर्शों को पीढ़ियों से घिसी-पिटी अपमानजनक बातों को अपने से जुड़ी उलनामयी अघातों को।

(क) इन पंक्तियों के रचनाकार कौन हैं?

उत्तर : इन पंक्तियों की रचयिता रंजना श्रीवास्तव है।

(ख) रेखांकित पंक्तियों का अर्थ लिखिए।

उत्तर: इन पंक्तियों में समाज में व्याप्त युगों से चली आ रही रूढ़ियों की ओर संकेत किया गया है। 'माँ' परिवार में सास, श्वसुर और भाई-भतीजों की बेढंगी विपरीत आदर्शों से भरी अपमानजनक बातों को सुनकर भी मौन बनी रहती है। उसकी ममता का आंचल सभी को कोमल छाया प्रदान करता है।

(ग) इन पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इन पंक्तियों में ममतामयी माँ की अद्भुत सहनशीलता तथा क्षमता का उल्लेख है। 'माँ' परिवार में साम, श्वसुर एवं भाई-भतीजों की बेढंगी विपरीत आदर्शों से भरी अपमानजनक बातों को सुनकर भी मौन बनी रहती है। उसकी ममता का आंचल सभी को कोमल छाया प्रदान करता है।



54. भाषा और बोध

(क) इस कविता में कुछ उर्दू के शब्दों का प्रयोग हुआ है, उन शब्दों का हिन्दी रूप लिखिए

बदरंग ------ रंगहीन

बेमेल ------- रंग

जज्ब ------ शोषण

दामन ----- आँचल

रूख ------ दिशा

(ख) निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए ---------

ममता ---- माँ घर में ममता के फूल बिखेर देती है।

अभिमान --- हमे अपने देश पर अभिमान करना चाहिए।

प्रतिमूर्ति --- माँ सेवा तथा ममता की प्रतिमूर्ति होती है।

वन्दनीय --- अपनी सहनशीलता के कारण माँ वन्दनीय होती है।

अतुलनीय ---- भारतीयों का प्रताप अतुलनीय रहा है।

(ग) निम्नलिखित शब्दों का पर्याय लिखिए

फूल ----- पुष्प, सुमन, कुसुम ।

पिता ------ जनक, तात, बाप।

माँ ------- जननी, माता, अम्ब ।

भाई ------ भ्राता, सहोदर, बन्धु ।

पीड़ा ----- दर्द, व्यथा, कष्ट।

(घ) अप्, प्रति, अ, बद उपसर्गों तथा वादी, ता, नीय, इन प्रत्ययों से तीन-तीन शब्द बनाइये।

उपसर्ग

अप् ----- अपमान, अपयश, अपकार

प्रति ---- प्रतिकार, प्रतिदान, प्रतिरोध

अ----- अधर्म, अज्ञान, अकाल

बद ---- बदनाम, बदमाश, बदबू

प्रत्यय

वादी ----- आशावादी, स्पष्टवादी, साम्यवादी।

ता ------ लघुता, सुंदरता, प्रभुता ।

नीय ----- अभिनंदनीय, गोपनीय, कथनीय।

ई ----- लोभी, साहसी, योगी

इन ---- नातिन, मालकिन, पड़ोसिन ।