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अन्धं तमः प्रविशन्ति येऽसम्भूतिमुपासते ।
ततो भूय इव ते तमो य उ सम्भूत्याꣳ रताः ॥ १२॥
अन्वयः-
ये असम्भूतिम् उपासते अन्धम् तमः प्रविशन्ति उ ये सम्भूत्याम् रताः ते उ भूयः इव तमः ॥
अनुवादः-
मराठी हिन्दी English टीका/भाष्यम्
जो असम्भूति (कारण ब्रह्म) की उपासना करते हैं , वे घोर अन्धकारमें प्रवेश करते हैं | जो सम्भूति (कार्यब्रह्म) में रत हैं, वे मानो उससे भी अधिक अन्धकारमें (प्रवेश करते हैं) |