राष्ट्र निर्माण का संकल्प ,शिक्षा का उत्थान शिक्षक का सम्मान, बेहतर शिक्षा बेहतर समाज
मेरी दिवार
सदनों में बच्चो को रचनात्मक कार्य के मौके प्रदान करना
मेरी दिवार
सदनों में बच्चो को रचनात्मक कार्य के मौके प्रदान करना
मेरी दीवार एक शून्य निवेश नवाचार है ,इस नवाचार में बच्चे सदनों में कार्य करते है , विद्यालय की छात्र संख्या अनुसार कितने ही सदन बनाये जा सकते है मेरे विद्यालय मे इस समय तीन सदन कार्यरत है ये क्रमश रमन सदन, टैगोर सदन और शिवाजी सदन है |
क्योकि बच्चो की रचनात्मक ,और सृजन करने की क्षमता का विकास इसी स्थर पर सबसे अधिक होता है अतः उन्हें उनकी रचनात्मक व सृजनात्मकता के मौके देना विद्यालय का प्रमुख कार्य होना चाइये ,परन्तु बहुत चाहने पर भी कई बार अध्यापक संसाधनों की कमी के कारण बच्चो को वे मौके नहीं दे पाते जो उनके सर्वांगीण विकास हेतु वांछनीय होता है , इसी कमी से झूझते हुए यह विचार आया की विद्यालय की दीवारों को ही बच्चो को एक संसाधन के रूप मे दिया जाये जिसमे में वे अपनी रचनात्मक कौशलो का प्रदर्शन कर पाए | वे अपनी गतिविधि नियमित और अनुशाषित रहे इस हेतु कुछ नियम भी बनाये बच्चो के मन मे विश्वाश , उर्जा और नेत्रित्व हेमाशा बना रहे इसीलिये तीन सदनों का निर्माण किया और हेर सदन का एक लीडर नियुक्त किया जिसका कार्य था बच्चो से उनके रचनात्मक कार्यो को लेकर प्रदर्शन हेतु अपने अपने सदनों के स्थान पर चस्पा करना |
इस नवाचार हेतु कोई नियत समय नहीं है बच्चो को उनकी सुविधा अनुसार कार्य करने दिया जाता है वे ये कार्य कला के वादन में या फिर अपने खाली समय का सदुपयोग करते हुए कभी भी कर सकते है ,सदन लीडर का कार्य है की वह अपने अपने सदनों के बच्चो के कार्यो को ले और हेर शनिवार को निर्धारित स्थान पर चस्पा कर दे ,और अन्त मे अध्यापक बच्चो के कार्यो का निरक्षण करते है तथा बच्चो को पुनर्बलन प्रदान करते हुए उनका मूल्यांकन भी करते है क्युकी यह एक सामुदायिक गतिविधि है तो बच्चो के अंदर अकादमिक गुणों के साथ साथ लोकतान्त्रिक भावनाओ का भी विकास होता है |
बच्चे मेरी दीवार नवाचार में निबंध-लेखन, चित्रकला ,कहानी ,कविता , गायन, वादन, नृत्य, अभिनय, हस्त-कला ,फेब्रिक पेंटिंग ,आदि रचनात्मक कार्य करते है मेरा मत है कि विद्यार्थियों में अकादमिक गुणवत्ता और सर्वांगीण विकास की दृष्टि से उन्हें रचनात्मक गतिवेधियो के ढेरो मौके देने चाइये यह विद्यार्थी को उसके जीवन में चुनौतियों का सफलता से सामना करने में सहायक होती है। विद्यालयों में गठित सदनों के रूप में की गई गतिविधियाँ विद्यार्थी में नेतृत्व गुण तथा अपने साथियों के साथ समरस होने की सामर्थ्य भी पैदा करती है। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् द्वारा प्रकाशित न्यूनतम अधिगम स्तर में उल्लेखित सुनने, बोलने और लिखने की योग्यता भी ऐसी गतिविधियों से प्राप्त होती है।
बच्चो को अपनी अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के मौके प्रदान कर रही है मेरी दीवार नवाचार
बच्चो के कार्यो को दीवार पर प्रदर्शित करने से बच्चो को अपने उपर गौरवान्वित होते देखा गया है जो न केवल उनके स्वम के विकास के लिए आवयश्क है साथ ही विद्यालय मे जो आगंतुक आते है वे भी विद्यालय के कार्यो को देख कर प्रश्नं होते है ,इससे समाज मे विद्यालय का एक अलग स्थर बन जाता है .
विद्यालयों में गठित सदनों के रूप में की गई गतिविधियाँ विद्यार्थी में नेतृत्व गुण तथा अपने साथियों के साथ समरस होने की सामर्थ्य भी पैदा करती है। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् द्वारा प्रकाशित न्यूनतम अधिगम स्तर में उल्लेखित सुनने, बोलने और लिखने की योग्यता भी ऐसी गतिविधियों से प्राप्त होती है।
बच्चो को उत्त्साह वर्धन करते हुए उन्हें खूब रचनात्मक कार्यो को करने को कहा जाता है ,उन्हें चित्र, स्वरचित कविता, कहानी ,निबंध ,चुटकलों को लिखने के लिये प्रेरित किया जाता है ,उनसे कहा जाता है की वे ये सब कार्य अपनी सुविधा अनुसार खाली समय का सदुपयोग करते हुए कर सकते ,उन्हें प्रेरित करते हुए कहा जाता है की जो सदन सबसे अच्छा कार्य करेगा वह पुरस्कार पायेगा यह कथन उनके लिए एक सकरात्मक पुनर्बलन का कार्य करता है और वे बेहतर कार्य करते है .
अब विद्यालय की छात्र संख्या अनुसार सदनों का निर्माण किया जाता है और उन सदनों का नाम रखा जाता है , जैसे रमन ,टैगोर ,शिवाजी ,अशोका , नेहरु , गाँधी इत्यादि सदनों का निर्माण करते वक़्त इस बात का ध्यान रखा जाता है की हर सदन में बच्चो का सामंजस्य बना रहे ऐसा न हो की एक सदन बहुत मजबूत हो जाये और अन्य बहुत अधिक दुर्बल इस से बच्चो के प्रदर्शन पे विपरीत असर पड़ेगा और वे समूह की शक्ति का नकरात्मक अनुमान लगायेंगे और कुंठाओं से घिर भी सकते है .
विद्यालय की किसी दीवार को ले कर वहाँ पर अलग अलग चार सदनों के नाम लिख दे ,या फिर कागज पे लिख कर चिपका दें ,और सदनों को बता दे अपने अपने नियत स्थान पर ही अपना रचनात्मक कार्य चस्पा करे
हर सदन से एक कैप्टेन और वाईस कैप्टेन बनया जाता है जो अपने अपने सदनों के प्रति उत्तरदायी होते है इस वयवस्था से बच्चो के अन्दर लोकतान्त्रिक भावना और नेत्रित्व का विकास होता है ,और वे बेहतर नागरिक बनने का प्रशिक्षण भी प्राप्त करते है
हर शनिवार को बच्चो को उनके कार्यो को मेरी दीवार पर प्रदर्शित करने को कहा जाता है ,तदुपरांत अध्यापक बच्चो के कार्यो का अवलोकन कर उन्हें प्रोत्सहित करते है सभी सदनों मे प्रथम आये सदन को प्राथना सभा में सम्मानित करते है ,इससे बच्चे अग्रिम भविष्य में भी अच्छा कार्य करते रहते है और उनकी रचनात्मकता ,सृजन की क्षमता को नया आयाम शैनः शैनः मिलता रहता है
मेरी दिवार
सदनों में बच्चो को रचनात्मक कार्य के मौके प्रदान करना
मेरी दीवार एक शून्य निवेश नवाचार है ,इस नवाचार में बच्चे सदनों में कार्य करते है , विद्यालय की छात्र संख्या अनुसार कितने ही सदन बनाये जा सकते है मेरे विद्यालय मे इस समय तीन सदन कार्यरत है ये क्रमश रमन सदन, टैगोर सदन और शिवाजी सदन है |
क्योकि बच्चो की रचनात्मक ,और सृजन करने की क्षमता का विकास इसी स्थर पर सबसे अधिक होता है अतः उन्हें उनकी रचनात्मक व सृजनात्मकता के मौके देना विद्यालय का प्रमुख कार्य होना चाइये ,परन्तु बहुत चाहने पर भी कई बार अध्यापक संसाधनों की कमी के कारण बच्चो को वे मौके नहीं दे पाते जो उनके सर्वांगीण विकास हेतु वांछनीय होता है , इसी कमी से झूझते हुए यह विचार आया की विद्यालय की दीवारों को ही बच्चो को एक संसाधन के रूप मे दिया जाये जिसमे में वे अपनी रचनात्मक कौशलो का प्रदर्शन कर पाए | वे अपनी गतिविधि नियमित और अनुशाषित रहे इस हेतु कुछ नियम भी बनाये बच्चो के मन मे विश्वाश , उर्जा और नेत्रित्व हेमाशा बना रहे इसीलिये तीन सदनों का निर्माण किया और हेर सदन का एक लीडर नियुक्त किया जिसका कार्य था बच्चो से उनके रचनात्मक कार्यो को लेकर प्रदर्शन हेतु अपने अपने सदनों के स्थान पर चस्पा करना |
इस नवाचार हेतु कोई नियत समय नहीं है बच्चो को उनकी सुविधा अनुसार कार्य करने दिया जाता है वे ये कार्य कला के वादन में या फिर अपने खाली समय का सदुपयोग करते हुए कभी भी कर सकते है ,सदन लीडर का कार्य है की वह अपने अपने सदनों के बच्चो के कार्यो को ले और हेर शनिवार को निर्धारित स्थान पर चस्पा कर दे ,और अन्त मे अध्यापक बच्चो के कार्यो का निरक्षण करते है तथा बच्चो को पुनर्बलन प्रदान करते हुए उनका मूल्यांकन भी करते है क्युकी यह एक सामुदायिक गतिविधि है तो बच्चो के अंदर अकादमिक गुणों के साथ साथ लोकतान्त्रिक भावनाओ का भी विकास होता है |
बच्चे मेरी दीवार नवाचार में निबंध-लेखन, चित्रकला ,कहानी ,कविता , गायन, वादन, नृत्य, अभिनय, हस्त-कला ,फेब्रिक पेंटिंग ,आदि रचनात्मक कार्य करते है मेरा मत है कि विद्यार्थियों में अकादमिक गुणवत्ता और सर्वांगीण विकास की दृष्टि से उन्हें रचनात्मक गतिवेधियो के ढेरो मौके देने चाइये यह विद्यार्थी को उसके जीवन में चुनौतियों का सफलता से सामना करने में सहायक होती है। विद्यालयों में गठित सदनों के रूप में की गई गतिविधियाँ विद्यार्थी में नेतृत्व गुण तथा अपने साथियों के साथ समरस होने की सामर्थ्य भी पैदा करती है। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् द्वारा प्रकाशित न्यूनतम अधिगम स्तर में उल्लेखित सुनने, बोलने और लिखने की योग्यता भी ऐसी गतिविधियों से प्राप्त होती है।
इस नवाचार में बच्चे उनसे संबंधित क्रियाकलापों, प्रक्रियाओं और निर्णयों में भाग ले रहे हैं तथा उनकी आवश्यकताओं की अनुरूप इन्हें संचालित किया जा रहा है। बच्चों के पास अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अधिकार और क्षमता है तथा वयस्कों का यह कर्त्तव्य है कि वे उनके विचारों को सुनें तथा परिवार, विद्यालय और समुदाय में उन्हें प्रभावित करने वाले सभी मामलों में उनकी मामलों में उनकी प्रतिभागी को मजबूत बनाएं। यदि बच्चे आज प्रतिभागिता करना सीखेंगे, तो वे भविष्य में सक्षम नागरिकों के रूप में इनमें प्रतिभागिता करने में समर्थ होंगे। जैसे – जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं उन्हें समाज के कार्यकलापों में प्रतिभागिता करने के लिए अधिक अवसर प्रदान किए जाने चाहिए ताकि वे वयस्कता प्राप्त करने में इनमें और बेहतर रूप से भागीदारी करने की तैयारी कर सकें। विभिन्न परिस्थितियों में संकटों के संभावित शिकार बच्चों के सशक्तिकरण के लिए बच्चों की प्रतिभागिता एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह नवाचार बिना किसी निवेश के उनके अंदर वे सभी मौलिक मूल्यों का विकास करने मई सक्षम है जो उन्हें भविष्य के बेहतर नागरिक बनाएगा और रास्त्र निर्माण मई उनका योगदान सुनिश्चित करता है |