राष्ट्र निर्माण का संकल्प ,शिक्षा का उत्थान शिक्षक का सम्मान, बेहतर शिक्षा बेहतर समाज
यह नवाचार प्रारंभिक कक्षाओ से ही बच्चो में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मनोदसा को विकसित करने हेतु बहुत लाभदायक है।
एक बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा वही हो सकती है जो बच्चे की सहज शिक्तियो को निखार सके , उसकी अधिगम से सम्बंधित सकरात्मक गुणों को चरम तक ले जा सके और उसकी नकरात्मक गुणों का हरास कर बालक का सर्वांगीण विकास कर सके ,वह न केवल अकादमिक विषयों मे बेहतर करे साथ ही साथ वह अपने परिवेश में हो रही सामान्य घटनाओ और बदलावों को प्रारंभ से ही समझ सके ,परिवर्तनों के कारणों को स्वम दूंढ़ सके और धीरे धीरे अपने व्यक्तिव में वैज्ञानिक दृष्टि कोण स्थापित कर सके और अन्य महान वैज्ञानिकों के जैसे ही राष्ट्र को अपना श्रेष्ठ प्रदान कर सके।
उपरोक्त विचार के क्रियान्वयन के लिये बहुत आवयश्क है की बालक के पास या फिर विद्यालय के पास वे सारे संसाधन उपलब्ध हो जिन से बालक की जिज्ञासा को शांत कर उसकी समस्या का निराकरण किया जा सके - अपनी कक्षा के एक अनुभव के आधार पर एक उदहारण देकर बतलाता हु -----
मेरी कक्षा में कक्षा 2 का एक बालक मनीष कुमार एक दिन अपने परिवेश से कुछ रंग बिरिंगे कवको को (मशरूम ) को उठा लाया और उनसे खेलने लगा कुछ बड़े बच्चो ने उसे डराया की "ये जहरीले मशरूम है तू मर जायगा " लेकिन मनीष लगातार उनसे खेल रहा था ,हलाकि मशरूम जहरीला नहीं था , में यह सब देख रहा था बच्चो को अपने घर और परिवेश से ये तो ज्ञान था की जो चीज उन्होंने उठाई है उसे मशरूम कहते है और यह जहरीला भी होता है ,में देख कर हैरान था की बच्चे कितना कुछ अपने परिवेश से सीखते है , इसी आधार पर बच्चो की जानकारी को और बेहतर करने के प्रयास से तथा आस पास बिखरे ज्ञान को सुनियोजित तरीके से बच्चो तक पहुँचाने का विचार आया जिससे उनके पूर्व ज्ञान को और स्थाई और सुव्यवस्थित किया जा सके।
इसी आधार पर बाल विज्ञान उद्यान नवाचार का उदय हुआ जिसकी निम्न विशेषताये है-
1. खेल खेल में विज्ञान की अवधारणा को स्पस्ट किया जाता है
2. यह एक शून्य निवेश नवाचार है जिसके अन्तर्गत कोई धनराशी खर्च नहीं की जाती है
3.इस कार्यक्रम में विज्ञान के खेलों को प्रयोगों द्वारा समझाया गया है। इसमे क्रिया और प्रतिक्रिया के नियम को भी प्रयोग द्वारा बताया जाता है।
4. प्राथमिक कक्षाओं के ही प्रकरणों को विज्ञानं शिक्षण हेतु प्रयोग किया जाता है जैसे -
*पानी कहाँ से आता है?
*बिजली कैसे घरो तक आती है ?
*इन्द्रधनुष क्या है और कैसे बनता है ?
*तूफान क्या होता है ?
*चिड़िया कैसे उड़ पति है ?
ऐसे ही अनके प्रकार के परिवेशीय प्रकरणों को हम बच्चो को बाल विज्ञानं उद्यान के अन्तर्गत सिखाते है और बच्चो को प्रोत्सहित करते है की वे प्रशन पूछे और अपने आस पास हो रही घटनाओ को अपनी कॉपी मई लिखे
5. हर प्रश्न को विज्ञान मॉडल बनाकर तदुपरांत उस प्रकरण का ऑडियो विडियो दिखा कर बच्चे की जिज्ञासा का हल किया जाता है .
6.विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करने के लिए बच्चे खेल-खेल में विज्ञान सीखते हुए और भी बहुत कुछ नया ज्ञान सीखते है , इसके लिए विभिन्न गतिविधियों जैसे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट का निर्माण करना, टॉय-जॉय, मैकेनिक्स, साउंड एनर्जी, आपदा के प्रति समझ, फन विद केमेस्ट्री, हेंड ऑफ मैथमेटिक्स, नेचर वॉक, एस्ट्रोनॉमी ,स्काई वॉचिंग, साइंस क्विज और फिल्म शो से विज्ञान समझाया और सिखाया जाता है।
7. खेल बच्चो की नैसर्गिक प्रकृति होती है और जब खेल को ही अधिगम के लिये प्रयोग मई लिया जाता है तो बच्चे आनन्द के साथ न सिर्फ सीखते है बल्कि वे घर और परिवेश में भी छोटे मोटे प्रयोग करने लगते है जैसे कोई बैटरी और बल्ब ले कर उसे जलाने का प्रयास करता है तो कोई मोटर को बैटरी से जोड़कर उसका पंखा बनाने लगता है ,कोई लेंस से दूरबीन बनाने लगता है तो कोई आकाश को निहार कर ध्रुव तारा दूंढ़ ने लगता है ,ऐसे बहुत से उधाहरण मुझे मेरे शिक्षण से प्राप्त हुए है ,जो बाल विज्ञानं की महत्वता को साबित करता है
8.क्योकि यह एक शून्य निवेश नवाचार है तो इसके क्रियान्वयन में कोई धन खर्च नहीं होता विज्ञान मॉडल्स को वेस्ट मटेरियल और मिटटी से बनाया जाता है .
9. इन गतिविधियो की प्रभावशीलता इतनी अधिक हो चुकी है की अब बच्चे स्वम ही छोटे मोटे मॉडल्स खुद बनाने लग गए है और अपने परिवेश का पूर्ण ज्ञान रखते है - मसलन अगर आप उनसे अब पूछेंगे की हवा कैसे चलती है ? तो तपाक से उत्तर मिलेगा " सर हवा चलती नहीं बहती है " और फिर खुद ही पूरी प्रक्रिया का वर्णन करने लगेंगे .
10. क्योकि बाल विज्ञानं उद्यान में बहुत सी गतिविधिया कक्षा कक्ष से बाहर होती है तो बच्चे अपने परिवेश का पूरा ज्ञान रखते है.
11. बाल विज्ञानं उद्यान की जो प्रक्रिया हम अपने विद्यालय में प्रयोग करते है वह बच्चो की सहजवृत्ति ,रचनात्मक ता का पोषण करती है .
12 .सेवित क्षेत्र में व्याप्त अंधविश्वास को दूर कर बच्चो को यथार्थ के समीप लाने में बाल विज्ञान उद्यान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है
13.विज्ञान ज्ञान निर्माण के एक आधार स्तम्भ की तरह है जिस पर अन्य विषयों की सहायता से पूर्ण ज्ञान का निर्माण किया जा सकता है,बाल विज्ञान कार्यक्रम इस विचार का पूर्ण पोषण करता है .
अतः बाल विज्ञान उद्यान न सिर्फ बच्चो में नवीन ज्ञान उत्पन करने मई सक्षम है साथ ही साथ यह बच्चो में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और रचनात्मकता का भी पोषण करती है .
बाल विज्ञान उद्यान एक ऐसा है जो क्रिया करके समझने के सबसे अधिक अवसर प्रदान करता है। इसी प्रकार किया गया कार्य और कार्य करने एवं प्रयोग करने हेतु प्रेरित करता है, बच्चे छोटे मोटे विज्ञान उपकरण ,मॉडल इत्यादि स्वम बनाने लगे है ,जो भविष्य के लिये एक मजबूत नीव की तरह है .
क्योकि विज्ञान हमारे चारों ओर घट रही सामान्य घटनाओं के रूप में हेमेशा रहता है अतः इन्हें पहचानना और इन का कारण दूंढ़ना बालक को व्यस्त रखता है ,और वह अपने व्यक्तिव का भी विकास कर पाता है .
बाल विज्ञान उद्यान विज्ञानं को खेल खेल में सिखाने और नए ज्ञान का निर्माण करने को प्रोत्सहित करता है यह शिक्षण प्रक्रियाओं की सहायता से ज्ञान को कक्षा कक्ष से बाहर लाने में सहयोग करता है। यह निश्चित करता है कि सिर्फ ज्ञान ही काफी नहीं, ज्ञान निर्माण एवं ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया भी उतनी ही आवश्यक है जितना विषय की समझ।
बच्चो से उनके परिवेश पर बातचीत करे और उन्हें मोटीवेट करे की वे अध्यापक से उनके परिवेश में हो रही घटनाओ ,बदलाव को पहचाने और उन्हें लिखे ,उन्हें प्रोत्सहित करे की वे आस पास से आधारित प्रश्न पूछे .
बच्चो को जैविक और अजैविक कूड़े के बारे मई बत्ताते हुए उन्हें 3R भी बताया जाये ,तदुपरांत ऐसी सामग्री को इकठ्ठा करने को बोले जिनका दोबारा कुछ इस्तेमाल किया जा सके जैसे प्लाटिक बोतल ,मोटर्स , स्पीकर्स , चुम्बक , गत्ते इत्त्यादी
अब कोई भी सामान्य विज्ञानं प्रकरण या बच्चो द्वारा लाये गए प्रश्न या फिर पाठ्यपुस्तक के किसी प्रकरण को लिया जा सकता है और उस पर बातचीत की जा सकती है उदहारण के तौर पर मेरी कक्षा मई एक बच्चे ने पुछा की "सर भारत स्वच्छ कैसे होगा ? " प्रश्न की महत्वता द देखते हुए मैंने बच्चो को स्वच्छ भारत मॉडल के बारे में पहले तो एक व्याख्यान दिया उसके बाद स्वच्छ भारत का एक सुंदर मॉडल उनके साथ मिलकर बनाया जो इस बात को दिखा रहा था की जब हमारे विद्यालय स्वच्छ होंगे , हेर घर मई शौचालय हुंगे ,जब हमारे शहर स्वच्छ हुंगे और लोग स्वस्थ रहेंग, लोग कूड़े को कूड़ेदान मई डालेंगे तो कमोबेश भारत स्वच्छ रहेगा |
गतिविधि इतनी सफल रही की हर प्रतिभागी स्वच्छ भारत के उपर न सिर्फ लिख सकता था साथ ही साथ अपने शब्दों मे प्रकरण पर लिख सकता था .
प्रकरण की बेहतर समझ विकसित करने के उदेश्य से बच्चो को गतिविधि उपरांत एक चलचित्र के माध्यम से प्रकरण पर उनकी मजबूत पकड़ बनाने का प्रयास किया जाता है .
अकादमिक सत्र के अंत में 28 फ़रवरी विज्ञानं दिवस के दिन विद्यालय मई विज्ञानं दिवस का सामारोह आयोजित किया जाता है ,जिसे समुदाय के संग मिल कर विद्यालय प्रांगण में मनाया जाता है तथा पूरा वर्ष बाल विज्ञान उद्यान में किये गए कार्यो का प्रदर्शन पब्लिक के समक्ष किया जाता है ,जिससे न सिर्फ बच्चे गौरवान्वित महसूस करते है ,उनके अभिभावक भी अपने बच्चो के आकर्षक कार्य को देख कर बहुत खुश होते है .
इस प्रकार बाल विज्ञान उद्यान कर्यक्रम बच्चो के अन्दर न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने में सक्षम हो पा रहा है साथ ही साथ यह नवीन ज्ञान का निर्माण भी कर पा रहा है .
हमारे आस पास फैले कूड़े जैसे प्लास्टिक बॉटल , कार्ड बोर्ड ,मिठाई के बॉक्स इत्यादि कूड़े को रख लिया जाता है ,फिर बच्चो के प्रकरणों लो लेकर मॉडल निर्माण किया जाता है ,कई बार बच्चो को स्कूल उपरांत प्रकृति के सानिध्य में ले जा कर भी विज्ञान की बारीकियां सिखाई जाती है।
उदहारण के लिए - मशरूम का ज्ञान , विभिन्न पेड़ पौधों का ज्ञान , सौर परिवार का ज्ञान , विंड मिल ,जल मिल , इत्यादि इत्यादि। ........
मॉडल्स बनाने के लिए किसी भी धनराशि की जरुरत नहीं पड़ती ,कबाड़ को ही रूपांतरित कर के उपयोगी मॉडल्स बना कर बच्चो को प्रयोगिग विज्ञानं सिखाया जाता है।
विद्यालय में समय नहीं होने के कारन इस नवाचार की गतिविधिया विद्यालय समय उपरांत की जाती है।
साल के अंत में एक बार बच्चो की बनाई सभी सामग्री की प्रदर्शनी समुदाय के समक्ष की जाती है जिससे न सिर्फ बच्चो का मनोबल ऊँचा होता है साथ ही साथ स्कूल और समुदाय के सम्बन्ध भी मधुर बनते है।