राष्ट्र निर्माण का संकल्प ,शिक्षा का उत्थान शिक्षक का सम्मान, बेहतर शिक्षा बेहतर समाज
नन्ही दहाड़
जरा सोचे कोई वयक्ति आपके आस पास शराब पिता है ,बीड़ी पीता है , सिगरेट पीता या अन्य मादक द्रव्यों का प्रयोग करता है तो आप क्या करेंगे ? मेरी समझ से आप दो कार्य करेंगे। .......
१. या तो उस अमुक वयक्ति से कहेंगे की यहाँ यह हरकत न करे , ऐसा करने पैर वह वयक्ति भड़क कर आपको नुकसान पहुंचा सकता है।
२. दूसरी परिस्थति में आप वंहा से चले जायेंगे और उस वयक्ति को उसी की हालत पर छोड़ देंगे।
मेरी समस्या ऊपर दोनों बिन्दुओ से भिन्न थी ,मेरे सेवित क्षेत्र में अभिभावकों में नशे की लत के कारण बच्चो का अधिगम स्तर अच्छा नहीं हो रहा था , क्या आप सोच सकते है हमने बच्चो के साथ मिलकर किस प्रकार इस समस्या का समाधान , हमारी कहानी और अनुभव को पूरा अवश्य पढ़े।
क्या सिर्फ बच्चो के एक नारे से नशेड़ी भाग सकते है। ........
क्षेत्र में सामुदायिक सहभागिता एवं गांधीगिरी का प्रयोग करते हुए बच्चों को नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाना इस नवाचार का उद्देश्य है ,इस नवाचार में ना केवल हमारे छात्र प्रतिभाग करते हैं बल्कि अभिभावक ,जनप्रतिनिधि एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी सहयोग करते हैं यह एक शून्य निवेश नवाचार है जो बच्चों के अंदर मौलिकता को बहुत गहराई से अंतर्निहित करने में 100 प्रतिशत लाभकारी सिद्ध हुआ है,साथ ही साथ यह मौलिक शिक्षा को मात्र किताबे तक सिमित नहीं करता यह उन्हें उसका हाथो हाथ अनुभव भी प्राप्त कराता है।
सेवी क्षेत्र में बच्चों और अभिभावकों में नशे रूपी कुरीति के प्रति जागरूकता फैल रही है वह अपने बच्चों के पढ़ाई लिखाई में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
बच्चों को नैतिक शिक्षा मौलिक आधार पर प्राप्त हो रही है जिससे ना केवल उन्हें हस्त गत अनुभव प्राप्त हो रहे हैं साथ ही साथ वे गांधीगिरी के रूप में बुरी चीजों का प्रतिकार करना भी सीख रहे हैं गांधीजी ने हमें यही तो सिखाया है की बुरी चीजों का प्रतिकार भी भली-भांति किया जाए जिससे दूसरे को कोई नुकसान ना पहुंचे और अपना कार्य सिद्ध हो जाए। यह नवाचार न सिर्फ गाँधी जी के विचारो को बच्चो के अंदर समावेशित करने में मदद कर रहा है साथ ही साथ राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका अभी से सुनिश्चित कर रहा है।
बच्चे और अभिभावक दोनों ही अब अपनी सहभागिता विद्यालय में दे रहे हैं जिससे ना केवल बच्चों का पठनीय स्तर बेहतर हो रहा है साथ ही साथ समुदाय व विद्यालय के बीच में एक बेहतर सहयोग की भावना विकसित हो रही है जिससे विद्यालय का विकास भी हो रहा है.
विद्यालय प्रबंधक समिति के साथ बैठक कर बच्चों की शिक्षा दीक्षा हेतु चर्चा की जाती है वह क्यों पेंसिल नहीं ला रहे हैं वे पढ़ाई में क्यों पिछड़ रहे हैं वे क्यों झगड़ा कर रहे हैं अबे क्यों झूठ बोल रहे हैं इत्यादि बातों की गहराई से जांच पड़ताल की जाती है और अभिभावकों से इसे रोकने हेतु योजना बनाने को कहा जाता है जिसमें जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन बच्चों द्वारा बच्चों के लिए किया जाता है
बच्चों को विश्वास में लेकर उन्हें सभी अनैतिक कार्यों को ना करना व नशीले मादक पदार्थ को कभी प्रयोग ना करने हेतु शपथ दिलाई जाती है ।
बच्चो के साथ कार्ययोजना बना कर सेवित क्षेत्रों के अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर नुकड़ नाटकों , रैलीयों का आयोजन किया जाता है ,जिसे मुख्यतः बच्चे ही संचालित करते है ।
नए नए गीतों ,कविताओं, नाटकों ,स्लोगनों का निर्माण हर पाक्षिक किया जाता है और फिर बच्चो के साथ मिलकर उनका प्रदर्शन सेवित क्षेत्र मे किया जाता है ,इसके लिए हम इंग्लिश ,हिंदी, और पहाड़ी भाषा का प्रयोग भी करतें है इससे हमें हर एक व्यक्ति तक अपना संदेश पहुंचाने में मदद मिलती है ।
कई बार इसमे स्थानीय पुलिस की मदद की बच्चों को जागरूक करने के लिए ली जाती है इसकी फोटो भी मैंने लगाई है
बच्चो को बताया जाता है कि यदि आप को कही भी कोई व्यक्ति धूम्रपान व मद्यपान करता हुआ दिखे तो आपको सावधान की स्थिति में खड़े होकर शिक्षा का प्रसार नशे का तिरस्कार नारा लगाना है।
इसका असर यह होता है कि अमुक व्यक्ति शर्म के कारण वहां से चला जाता है और फिर कभी भी बच्चों के सम्मुख या सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान मद्यपान नहीं करता है, यह एक आंदोलन बन चुका है, अब बच्चे पहले से बहुत अच्छा काम कर रहे हैं अब बच्चे अपने अधिगम की सभी सामग्रियों उनके पास होती हैं ।
फेसबुक नवाचार महात्मा गांधी के सत्याग्रह पर आधारित है इसका नाम है गांधीगिरी शिक्षा का प्रसार नशे का तिरस्कार यहां से भी क्षेत्र में एक आंदोलन के रूप में क्रियान्वित किया जाता है जिससे बच्चे अभिभावक और जनप्रतिनिधि सभी मिलकर क्रियान्वित करते हैं पूर्व बच्चे जब विद्यालय आते थे तब वह अपने अधिगम की सामग्रियां जैसे किताब पैन पेंसिल इत्यादि नहीं लाते थे उनसे बात करने पर कोई समस्या पता नहीं चल पाए तब लगा की समस्या वाकई बहुत गहरी है अनुसंधान से पता चल पाया कि बच्चों के अभिभावक नशे के आदी हैं वह लेबर मजदूरी तैयारी करके जो भी धन लाते थे उसका अधिकतर हिस्सा मद्यपान व अन्य नशों के लिए प्रयोग कर लेते थे ।
फिर हमने इस नवाचार की शुरुआत की जो मुख्य था एक जागरूकता कार्यक्रम था इस कार्यक्रम में हमने समुदाय का सहभाग किया बच्चे इस नवाचार को क्रियान्वित करने में अहम भूमिका निभाते हैं वह पूर्णता गांधीगिरी ही है बच्चे नुक्कड़ नाटक कविताएं स्लोगन कहानियां इत्यादि तेरी क्षेत्र में सुनाते हैं कभी-कभी हम लोग रैलियां भी निकालते हैं जिसमें सभी लोग प्रतिभा करते हैं इस समाचार का स्तर इतना लाभकारी सिद्ध हुआ कि अब अपने अधिगम में भी काफी आगे बढ़ चुके हैं और गांव में नशे का प्रकोप बहुत कम हो सकता है इस बात को कई मीडिया कर्मियों ने भी माना है ।