राष्ट्र निर्माण का संकल्प ,शिक्षा का उत्थान शिक्षक का सम्मान, बेहतर शिक्षा बेहतर समाज
हिंदी भाषा शिक्षण
कॉमिक निमार्ण : एक नवाचार
1.नवाचार का सार : कॉमिक एक माध्यम है जहाँ विचारों को व्यक्त करने के लिए सामान्य पाठ्यक्रम के अपेक्षा चित्रों, एवं कुछ शब्दों के मिश्रण तथा अन्य चित्रित सूचनाओं की सहायता से पढ़ा जाता है। कॉमिक्स में निरंतर किसी भी विशिष्ट भंगिमाओं एवं दृश्यों को चित्रों के पैनल द्वारा जाहिर किया जाता है, कविताएं और कहानियां हमे आज भी अच्छी लगती है जरा सोचिए ऐसा क्या है उनमें की इस अवस्था मे भी हमे वे अपनी ओर आकर्षित करती है , हम अपने आप को कविता और कहानियों से जोड़ लेते है और अंत तक जुड़े ही रहते है, कहि न कहीं यह मान लेते है कि अमुक पात्र तो मेरे जैसा ही है या ये कहानी तो बिल्कुल मेरी ही है, ये कविता तो दिल को छु गयी..... वगैरह वगैरह.... यही भावना बाल मन मै भी होती है,बस वे अपनी भावनाओं को व्यक्त नही कर पाते , बता नही पाते की उनके अंदर क्या उथल पुथल चल रही है ,कहाँ पर अवरोध है, वैसे तो ढेरों बाल साहित्य है हमारे पास पर उन बाल साहित्यों मे परिवेशीय छुवन न के बराबर होती है बालक की कल्पना को वो आयाम नही मिल पाता जिसकी हमे *अधिगम को स्थाई और परिपक्व करने हेतु आवश्यकता होती है*।इसी सोच को मैंने बच्चो से खुद की कहानियां लिखने को कहा नियम था कम से कम शब्दों का प्रयोग ,ज्यादा चित्र और पूरी कहानी इस प्रकार हमारी कॉमिक का निर्माण हुआ ,बच्चे अपने जहन मे दबी हुई बाते तक अब बेहिचक लिखते है,।यही तो भाषा का मुख्य उद्देश्य है कि हम अपनी बात प्रभावी तरह से रख पाए, प्रस्तुत *शून्य नवाचर* प्राथमिक स्तर के छात्रों की अधिगम क्षमता, उनकी रूचि, को तो बढ़ा ही रहा है साथ साथ यह अध्यापक और बच्चो मे एक न टूटने वाले बंध का निर्माण भी कर रहा है। इन कॉमिक्स को पढ़ कर आप बच्चो का मूल्यांकन कर पाएंगे,उन्हें बिना देखे उनके परिवेश और लर्निंग एनवायरनमेंट के बारे मे जान पाएंगे।
2.नवाचार की आवश्यकता क्यों:
बच्चो के मन के अंदर विचार शक्ति को जागृत करना बहुत आवश्यक है,विचार ही स्थायी ज्ञान का वाहक है हम यदि बहुत अधिक मेहनत करने के उपरांत भी बालक के भीतर उसके स्वम के शुद्ध विचारो का निर्माण न करा पायें तो यह हमारे शिक्षण की असफलता है ,प्राथमिक स्थर से ही इस ओर ध्यान दिया जाये तो भविष्य के ये नागरिक जो आज हमरी शाला मे अध्यनरत है कल के बेहतर नागरिक , वैज्ञानिक ,शोधकर्ता ,साहित्यकार बन सकते है शर्त यह है उन्हें बाल पन से ही अपने विचारो के निर्माण का मौका दिया जाये ,मेरी शाला के कक्षा एक के छात्र भी धरा प्रवाह से अपनी हिन्ढी की पाठ्यपुस्तक तो पढने मे सक्षम थे परुन्तु किसी नए प्रकरण पे वे बात नहीं कर पाते थे ,विषयवस्तु से हट कर उनका ज्ञान व स्वम को प्रकट करने की क्षमता सिमित थी,तभी मैंने बच्चो को कुछ ऐसा करने को कहा जिसमे वे अपने परिवेश से सम्बंधित किस्से कहानियों को चित्रों और कम से कम शब्दों मे लिखे और इस प्रकार एक नवाचार का जन्म हुआ जिसे हमने कॉमिक निर्माण कहा|
सुनने मे यह स्वरचित कहानी जैसा लगती है परन्तु यह उससे बिलकुल भिन्न है और इसके अकादमिक लाभ भी सौ फिसिदी परिणाम देने वाले है |
3.नवाचार कब से प्रारंभ किया गया: नवाचार लगभग तीन वर्षो से विद्यालय मे प्रति माह किया जा रहा है|
4.आवश्यक सामग्री : पेन ,पेंसिल, ड्राइंग शीट,रंग इत्यादि
5.समय : बच्चे अपनी सुविधा अनुसार कार्य करतें है माह के अंत मे सभी बच्चो से उनके कार्यो को लिया जाता है और सर्वश्रेष्ठ कोमिको को सभी को पढ़ कर सुनाया जाता है तथा विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक मे बच्चो के कार्यो को उनके अभिभावकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है ,जिसे पढ़ कर वे न केवल हर्षविभोर होते है साथ ही साथ अपने पाल्यो को भी बेहतर समझ पाते है |
6.क्रियान्वयन: बच्चो को अत्यधिक उत्त्प्रेरण देने के पश्च्यात उन्हें कहा जाता है की अपने आस पास की किसी घटना किस्से को अपनी भाषा मे कम से कम शब्दों के प्रयोग करते हुए चित्रों के माध्यम से प्रकट कर के लाये ,शुरुवात मे बच्चे अपने आस पास के किस्से कहानियों का निर्माण करतें थे , पर अब वे नए नए प्रकरणों को अपनी कॉमिक मे प्रयोग करते है जिस से न केवल उनकी भाषाई क्षमता का विकास हो रहा है साथ ही साथ वे अब अपने स्वम के विचरो का भी निर्माणकरते है |
7.नवाचार से प्राप्त उपलब्धिया:
Ø कॉमिक से भाषागत विक्षमताये कम हो रही है
Ø बालक का मूल्यांकन लगातार उसी के द्वारा किये गए कार्य के आधार पर हो रहा है।
Ø बच्चा अब हमारे मित्र की भूमिका मे है
Ø बालक का विश्वाश बढ़ रहा है
Ø अधिगम स्थायी हो रहा है
Ø बच्चो को समझ कर पढ़ाना एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।
Ø एक छात्र की कॉमिक को दुसरे छात्र द्वारा जब पढ़ा जाता है तो विद्यार्थियों के मध्य आपसी समझ का विकास होता है इससे कक्षा मई लोकतान्त्रिक वातावरण बनाने मई अध्यापक को बहुत मदद मिलती है |
Ø बच्चो की रच्नात्मकता और सृजनात्मकता का विकास बाल पन से ही हो पा रहा है बाचे अब न केवल नयी नयी स्वरचित कहानियो का निर्माण कर पा रहे है साथ ही साथ कवितायेँ भी लिख पा रहे है |
Ø लिखते समय वे अपनी आंचलिक भाषा के शब्दों का प्रयोग करते है जो बहुत अच्छा है इसके साथ साथ उन्हें उन शब्दों के हिंदी मई अनुवाद बताया जाता है जिससे उनका शब्दकोश बढ़ रहा है
8.इसी क्रम मे कुछ झलकियां इस प्रकार से है |
#मनीष@मंदिर मे चोरी
#पंकज@शराबी बेटा
#राहुल@गरीब परिवार
#नेहा@चोरी का फल
#सुनीता@सच्चाई वाला