आर्यभट्ट : गणितीय प्रयोगशाला
गणित को कर के सीखे
राष्ट्र निर्माण का संकल्प ,शिक्षा का उत्थान शिक्षक का सम्मान, बेहतर शिक्षा बेहतर समाज
आर्यभट्ट : गणितीय प्रयोगशाला
गणित को कर के सीखे
आर्यभट्ट : गणितीय प्रयोगशाला
गणित को कर के सीखे
आर्यभट्ट : गणितीय प्रयोगशाला
गणित को कर के सीखे
इस नवाचार के लिये हमने अपने विद्यालय की कक्षा के एक कोने को सर्वप्रथम प्रयोगशाला का स्वरूप दिया और उपलब्ध संसाधनों , साजो सामान से उसे सजा दिया ,ये संसाधन और कुछ नहीं बस पूर्व मे किये गए कार्य और TLM सामग्री थे | इस प्रयोगशाला में हम गणितीय समस्याओं को गतिविधियी , मॉडल , से हल करते हैं।
आर्यभट्ट प्रयोगशाला नवाचार के निम्न गुण है
1.रूचिकर विधि है। बच्चे गणित को कर के सीखते है तथा यह गतिविधि विद्यालय में आनंदमयी वातावरण बनाने मे मदद करती है
2.स्थाई अधिगम का स्रोत है
3. क्योकि गतिविधि करते समय बच्चो और अध्यापक के समक्ष बातचीत होती रहती है अतः बच्चो में तर्क क्षमता निगमन क्षमता का विकास होता है।
4.रचनात्मकता का विकास होता है।
5. क्रियाकलाप करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है की गतिविधि की लागत शून्य रहे इस हेतु प्रयोगों हेतु पुराने गत्तो , कागजो ,मिटटी का प्रयोग किया जाता है .
प्रयोगशाला बच्चे को अधिक प्रभावी रूप से शब्द समस्याओं की व्याख्या करने में सक्षम बनाती है क्योकि अब अधिगम मात्र जोड , घटाना ,गुना ,भाग तक ही सिमित नहीं रह गया है बच्चा अब इन संक्रियाओ को हमारे द्वारा स्थापित प्रयोगशाला मे कर के सीखता है , हर प्रकार की संक्रिया को बालक के जीवन से जोड़ते हुए सिखाया जाता है और गणित को उसके वयवहार का हिस्सा बनाने का प्रयास किया जाता है
इबारती प्रशनो या शब्द समस्याओ हेतु बच्चो को कहानियों के सृजन द्वारा या फिर बच्चो के साथ मिलकर गतिविधि करने से वे जल्दी और सहज रूप से सीखते चले जाते है
आर्यभट्ट गणितीय प्रयोगशाला में बच्चे सीखने में सक्रिय प्रतिभागी करते है और क्रिया को सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने के रूप में न लेकर क्रिया से नविन ज्ञान निर्माण कर अपनी क्षमताओं को बढ़ाते है .यह एक विद्यार्थी-केन्द्रित गतिविधि है |अब बच्चे गणित को अन्य विषयों के जैसे ही लेते है , बच्चो के निष्पादन में सुधार करने में तथा निरंतर निगरानी में मदद मिलती है जिसकारण हर बालक का मूल्यांकन अवलोकन द्वारा भी किया जा सकता है तथा उसके कठिन स्थरो की पहचान की जा सकती है
विद्यालय के कक्षा के किसी कोने को प्रयोगशाला के लिये चयन किया जाता है , तत्पच्यात वहा की साफ सफाई उपरांत गणित के TLM ,चार्ट पेपर दिवार पर चस्पा किये जाते है .
साप्ताहिक या पाक्षिक रूप से गणितीय प्रयोगशाला में गतिविधिया आयोजित की जाती है , गतिविधि आयोजित करने से पुर्व बच्चो की समस्याओ को लिखित रूप से एक अन्य गणितीय डायरी मे लिखा जाता है ,बच्चो के कठिन स्थरो को समझ कर उपयुक्त गतिविधि आयोजित करने का निर्णय लिया जाता है |
समस्या चयन के बाद बच्चो के साथ मिल कर सम्बंधित प्रकरण पर मॉडल या फिर आवयशक शिक्षण सामग्री का निर्माण किया जाता है
मॉडल बन जाने के बाद उस समस्या पर पुनः बच्चो से बात करे और मॉडल के प्रदर्शन व गतिविधि द्वारा उनसे प्रश्न का उत्तर निकलवाने का प्रयास किया जाता है , इस प्रक्रिया में बातचीत करना व मॉडल व गतिविधि का संचालन बहुत अहम् होता है .
उदहारण के लिये दिए गए विडियो में इसी बात का प्रदर्शन किया गया है ,बच्चो को समतल और ठोस आकृतियों मे कुछ परेशानी हुई ,बच्चो का प्रश्न था -` सर क्या चाँद और रोटी का आकर वृताकार है ?
2. माँ की चूड़ी और चंदा मामा दोनों गोल है ?
ऐसे ही बहुत से प्रश्न उन्होने पूछे ,जिससे सर्वप्रथम उनके कठिन स्थरो की पहचान की गयी तदुपरांत मॉडल व एक रोचक गतिविधि द्वारा उनके कठिन स्थरो का निदान किया गया ( सलग्न विडियो देखे )
इसी प्रकार से इबारती प्रश्नों समस्याओ हेतु एक अन्य गतिविधि प्रयोगशाला मे संपन्न की गयी (विडियो सलग्न )
बच्चो को प्रकरण स्पस्ट हुआ या नहीं इसके मूल्यांकन के लिये पुनः बच्चो से बातचीत की जाती है ,शिक्षक अपने विवेक से इस बात का पता लगाने का प्रयास करते है की समस्या के लिये संपन्न की गयी गतिविधि कहाँ तक सफल रही ,यदि बच्चो से बातचीत मे कुछ विरोधाभास दिखाई पड़ता है या यह लगता है की अभी भी बच्चो को अमुख प्रकरण समझ नहीं आया तो शिक्ष क पुनः अन्य गतिविधि का आयोजन करता है ,
इस प्रकार हमारी गणितीय प्रयोगशाला पूर्ण रूप से बाल केन्द्रित नवाचार है जो गणित को खेल खेल में बहुत रोचक रूप से सिखाने मे मदद कर रही है
स्वाभाविक रूप से बचपन खेल-कूद के लिये होता है यह बच्चो की नैसर्गिक प्रवत्ति है और इसके सिवा उन्हें अन्य सब क्रियाकल्प नीरस लगने लगते है वे अध्यापक की साधारण शिक्षण प्रक्रिया के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाते और अधिगम में पिछड़ जाते है ,एक नवाचारी शिक्षक को चाइये की वह बच्चो को अपने शिक्षण से संतुस्ट करे और उनकी योग्यता को चरम पे ले जाये |
वैसे तो हम हम अपने विद्यालय मे बच्चो को हर विषय की शिक्षा खेल से जोड कर ही सिखाते है जिस से विद्यालय में बड़ा आनन्द का वतावरण बना रहता है और बच्चो का शैक्षिक स्तर बेहतर होता जा रहा है | हलाकि गणित जैसे विषय में भी खेल खेल मे सिखाने के अपने ही विशिस्ट लाभ है ,जोड ,घटाना ,गुना ,भाग जैसी आधारभूत संक्रियाओ को बहुत ही बेहतर तरीके से खेल खेल मे सिखाया जा सकता है और मेरे विद्यालय मे भी इस हेतु बहुत सी गतिविधियो का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है , परन्तु गणित के कुछ प्रकरण ऐसे भी है जिन्हें मात्र खेल की अवधारणा से ही स्पष्ट नहीं किया जा सकता है इस हेतु की पूर्ती के लिये ही इस नवचार की सुरुवात हुई जिसका नाम है - आर्यभट्ट गणितीय प्रयोगशाला - इसे एक लघु प्रयोगशाला के रूप में आप देख सकते है जहाँ बच्चे न सिर्फ आधारभूत संक्रियाओं को सीखते है साथ ही साथ अन्य प्रकरणों को भी बड़ी ही रुचि और आनन्द से सीखते है अपनी बात को एक उदहारण से समझाऊंगा -
बच्चो को ठोस और समतल आकृति की समझ विकसित करने के उदेश्य से हमने निम्न प्रकार से अपनी प्रयोगशाला में कार्य किया
1. गत्तो से वर्ग ,आयत , त्रिभुज ,वृत्त , पञ्च भुज , अष्ट भुज इत्यादि समतल आकृतियों के मॉडल बच्चो के साथ मिल कर बनाये गए ,आकृतियों को बनाते समय बच्चो से बातचीत प्रशनो के माध्यम से चलती रही .
2. तदुपरांत पुराने बॉक्स से , चाय के डब्बे से घन ,घनाब ,शंकु ,और गेंद से गोलाकार का निर्माण किया गया पूर्व की भांति बच्चो से प्रश्नों के रूप में बातचीत की गयी और ठोस और समतल आकृति का कांसेप्ट स्पस्ट करने का प्रयास किया गया .
3. अब बच्चो को स्पष्ट है की ठोस और समतल आकृतिया क्या होती है उन्हें साथ ही साथ इन आकृतियों के परिमाप , आयतन , क्षेत्रफल का भी ज्ञान दिया गया , अध्यापक चाहे तो इन के उपर अलग से भी गतिविधि का संचालन कर सकते है ,मैंने शिक्षण के दौरान समतल और ठोस आकृतियों की सभी गतिविधियो को एक साथ संपन्न किया
4.सबसे अंत मई सबसे अधिक महतवपूर्ण पद इस नवाचार का यह है की ,बच्चो से कहें की इस प्रकरण पर आप लोग कोई कहानी ,कविता , पहेली ,या नाटक का मंचन करे ,बच्चो को समूह में काम करने दे इससे उनमे लोकतान्त्रिक भावना का विकास होता है और वे एक दुसरे से भी सीखते है . उपरोक्त प्रकरण मे मेरे छात्रों ने समतल और ठोस आकृतियों पर एक लघु नाटिका का मंचन किया .
इस आधार पर उनका मूल्यांकन भी संपन्न हो गया
ऐसे ही बहुत से टॉपिक्स पर हम काम करते है जो न सिर्फ खेल खेल मे शिक्षण पद्दति को बढावा देते है साथ ही साथ इस पद्दति को और भी बेहतर बनाने की और अग्रसर है