राष्ट्र निर्माण का संकल्प ,शिक्षा का उत्थान शिक्षक का सम्मान, बेहतर शिक्षा बेहतर समाज
आओ बचपन को मनाये रचनात्मक बने
1नवाचार का सार : बचपन बार बार नहीं आता यह मानव के जीवन का एक ऐसा अध्याय होता है जो उसके आगामी जीवन की नीव रखता है अतः जब तक यह है इसे उत्सव की तरह मनाना चाइये इसी उदेश्य के की पूर्ति करता है यह नवाचार - जश्ने बचपन।
यह मात्र एक नवाचार नहीं है बल्कि नवाचार के अंदर ढेरो ढेर नवाचार है इस प्रकिया से न केवल बच्चो का बचपन बना रहता है साथ ही साथ उन्हें सहजता से सिखाया जा सकता है। शिक्षण के दौरान पाठ को समझाते समय शिक्षक जिन-2 सामग्रियों का प्रयोग करता है वह पाठ्य सहायक सामग्री कहलाती है। सहायक सामग्री की सहायता से अध्ययन को रोचक व प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है। इन सामग्रियों द्वारा सीखा ज्ञान न केवल छात्रों में उत्साह जागृत करता है वरन् सीखे हुए ज्ञान को लंबे समय तक अपने स्मृति पटल में संजोए रख सकता है। दूसरी ओर शिक्षक भी अपने अध्यापन के प्रति उत्साहित रहता है। परिणाम स्वरूप कक्षा का वातावरण हमेशा सकारात्मक बना रहता है और बच्चे हमेशा ऊर्जा से भरे रहते है और सीखते चले जाते हैं।
आज वही शिक्षक छात्रों के लिए आदर्श होता है और उसी शिक्षक का शिक्षण आदर्ष शिक्षण कहलाता है जो अपनी पाठ्य सामग्री को इन रोचक सहायक सामग्री के माध्यम से प्रस्तुत करता है। क्योंकि ये न केवल छात्रों का ध्यान केन्द्रित करती है बल्कि उन्हें उचित प्रेरणा भी देती है और उनमे रचनात्मकता के साथ साथ सृजन की क्षमता का भी विकास करती है इन पाठ्य सहगामी क्रियाओ का बालक के सम्पूर्ण विकास मे भी बहुत बड़ा योगदान है ये क्रियाएं न केवल उनकी अधिगम क्षमता का विकास करती है साथ ही खेल खेल मे सिखने की भावना को भी प्रबल करती है जब हर विषय को रचनात्मक क्रिया से जोड कर सिखाया जाता है तो शिक्षण बहुत सफल होता है इस हेतु मेरे विद्यालय मे विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जाता है जो पुर्णतः शून्य निवेश पर आधारित है कुछ मुख्य क्रियाएं इस प्रकार से है
• आओ बच्चो मुखोटे लगायें
• हम बेंचें सामन खोली अंग्रेजी दुकान
• भाषा विकास हेतु कहानी शिक्षण
• आओ सीखे वैदिक भाषा संस्कृत
• भिन्नो की परिकल्पना
• क्या होती समतल और ठोस आकृतिया
• फेब्रिक पेंटिंग
• आओ बच्चो रंगोली बनाये
• शिष्टाचार कक्षा -विद्यालय प्रबंधन समिति के साथ
• सेवित क्षेत्र मे बच्चो के साथ पृथ्वी दिवस सामारोह व रैली नुकड़ नाटक के माध्यम से पर्यावरण जनजागरण
• चार भाषाओँ हिंदी इंग्लिश संस्कृत कुमोउनी के विकास हेतु समान्तर गतिविधि
• बच्चो को नैतिक मूल्यों का वास्तिविक अनुभव प्रदान करने हेतु “ शिक्षा का प्रसार नशे का तिरिस्कार “ कार्यकर्म का संचालन
• गणित शिक्षण हेतु “व्यपारी आया खेल”
• विज्ञानं की आधारभूत समझ विकसित करने के उदेश्य से “बाल विज्ञानं उद्यान” और कबाड़ से जुगाड़ कार्यक्रम का सफल संचालन
• बच्चो मे रचनात्मकता का विकास प्रारंभ से ही हो पाए इस हेतु कक्षा 1 व 2 के बच्चो को आधारभूत रचनात्मक कार्य करवाया जाता है जो की परिवेश से ही प्राप्त वस्तुओ से किया जाता है जैसे लेडी बग बनाओ टूटी चूडियो से रचनात्मक निर्माण इत्यादि
• हमारे उत्तराखंड मे भीमल नाम का एक पेड़ होता है जिसके रेशो से रस्सी बनती है यह यहाँ बहुतायत मई मिल जाता है हमने बच्चो को इस रेशे से बहुत सुंदर वाल हैंगिंग बनाना सिखाया
• हमारी सांस्कृतिक विरसत को बढावा देने के उदेश्य से विद्यालय मे बच्चो के साथ मिल कर बसंत पंचमी फूल देई हेरेला व अन्य त्योहारों का आयोजन बच्चो के सिखने की दृष्टि से व पाठ्यक्रम को ध्यान मई रख कर किया जाता है
• सरस्वती व लक्ष्मी चौकी का निर्माण बच्चो से करवाया गया इस गतिविधि ने न सिर्फ बच्चो को उनकी सांकृतिक धरोहर से परिचित करवाया साथ ही साथ उनकी रचनात्मकता को एक आरोहित स्थान भी प्राप्त करवाया
• मोटर कौशलो के विकास हेतु हर शनिवार को कक्षा एक व दो के छात्र मिटटी का कार्य करते है जिसमे वे अपनी अपनी समझ व इच्छा अनुसार विभिन्न प्रकार के आकारों का निर्माण करते है जिससे न केवेल उनके हाथो व उंगलियों का विकास होता है साथ ही साथ आनन्द के साथ सिखने मई यह महतवपूर्ण होता है
• बाल रचनात्मकता को विशेष ध्यान मई रखते हुए प्रतिवर्ष विद्यालय मे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सामारोह का आयोजन किया जाता है जिसके अन्तर्गत बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों मई प्रतिभाग करते है और अपनी माताओं हेतु ग्रीटिंग कार्ड नुकड़ नाटक स्वरचित कविता कहानी का निर्माण करते है विशेष बात यह है की यह आयोजन समूह के साथ किया जाता है
• बाल रचनात्मकता को ध्यान मे रखते हुए विद्यालय मे सार्वजनिक संस्थाओ के प्रतिनिधियों को बुलाया जाता है बच्चो से उनका साक्षात्कार करवाया जाता है वे बच्चो जो संस्थाओ के कार्यो केबारे मई बताते है और समाज को इन संस्थाओ के योगदान के बारे मे प्रत्यक्ष रूप मई बताते है अभी तक पुलिस बैंक अधिकारी ग्राम प्रधान BDC सदस्य VDOपोस्टमैन पुजारी इत्यदि प्रतिनिधि विद्यालय भ्रमण कर चुके है
• गणित की आधारभूत संकल्पना को स्पस्ट करने के उदेश्य से “बाल गणितीय प्रयोगशाला : आर्यभट्ट” का संचालन किया जाता है जिसमे बच्चे गणित को खेल खेल मे सिखने के साथ साथ गणितीय संकल्पनाओ को वास्तिविक रूप से कर के सीखते है
• बाल रचनात्मकता के विकास और नैतिक शिक्षा को केवल पाठयपुस्तको तक ही सिमित न रखने के उदेश्य से विद्यालय प्रतिवर्ष वृद्ध जन दिवस मान्य जाता है जिसमे बच्चे अपने बुजर्गो का सम्मान करते है और उन्हें अपने हाथ से बनाई गयी रचनात्मक वस्तुए उपहार मे प्रदान करते है
• विद्यालय समाज के साथ मिलकर प्रतिवर्ष स्वच्छता प्रदर्शनी का आयोजन करते है जिससे सामाजिक जागरूकता के साथ साथ लोगो को स्वछता का महत्व पता चलता है और अभिभावक अपने पाल्यो की स्वछता पर विशेष ध्यान देता है
इन सभी गतिविधियों से छात्रों के मस्तिष्क में एक बिंब का निर्माण होता हैऔर छात्रों का सम्पूर्ण विकास संभव हो पाता है । हम कह सकते है कि वर्तमान शिक्षण के अन्तर्गत अध्यापन में नवीनता लाने के लिए उपरोक्त पाठ्य सहायक गतिविधियों CCAका प्रयोग शिक्षक के लिए बांछनीय ही नहीं अनिवार्य भी है।
2नवाचार की आवश्यकता क्यों:
बच्चो के मन के अंदर विचार शक्ति को जागृत करना बहुत आवश्यक हैविचार ही स्थायी ज्ञान का वाहक है हम यदि बहुत अधिक मेहनत करने के उपरांत भी बालक के भीतर उसके स्वम के शुद्ध विचारो का निर्माण न करा पायें तो यह हमारे शिक्षण की असफलता है प्राथमिक स्थर से ही इस ओर ध्यान दिया जाये तो भविष्य के ये नागरिक जो आज हमारी शाला मे अध्यनरत है कल के बेहतर नागरिक वैज्ञानिक शोधकर्ता साहित्यकार बन सकते है शर्त यह है उन्हें बाल पन से ही अपने विचारो के निर्माण का मौका दिया जाये मेरी शाला के कक्षा एक के छात्र भी धरा प्रवाह से अपनी हिन्ढी की पाठ्यपुस्तक तो पढने मे सक्षम थे परुन्तु किसी नए प्रकरण पे वे बात नहीं कर पाते थे विषयवस्तु से हट कर उनका ज्ञान व स्वम को प्रकट करने की क्षमता सिमित थीशिक्षा समाज में समाज के द्वारा समाज के लिए दी जाती है। शिक्षक और समाज का घनिष्ठ संबंध है। शिक्षा समाज में परिवर्तन लाने का सार्थक एवं सशक्त साधन है। शिक्षा की प्रक्रिया के द्वारा ही नए युवकों में ऐसे गुणों का विकास किया जा सकता है जो स्वस्थ समाज के लिए वांछनीय है। बालक के सर्वांगीण विकास हेतु निम्न पक्षों के विकास आवश्यक है- शारीरिक मानसिक सामाजिक और भावात्मक विकास । पाठ्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय के विषयों के शिक्षण में छात्रों के ज्ञानात्मक पक्ष का विकास अधिक होता है। लेकिन भावात्मक और क्रियात्मक पक्षों का विकास नहीं हो पाता इसलिए इन पक्षों के विकास के लिए पाठ्य सहगामी क्रियाओं का सहारा लिया जाता है। विद्यालयों में आज हम इन क्रियाओं को शिक्षा पद्धति का महत्वपूर्ण अंग स्वीकार करते हैं । पाठ्यक्रम का आज जब विकसित अर्थ लिया जाता है तो समुचित विकास के लिए इन सहगामी क्रियाओं को पाठ्यक्रम में उचित स्थान देना आवश्यक है। पाठ्य सहगामी क्रियाएं छात्रों को अच्छा नागरिक बनने का प्रशिक्षण देती हैं । ऐसी गतिविधियाँ विद्यार्थियों को स्कूल में व्यस्त रखती है। पाठ्य सहगामी क्रियाएं शिक्षण में श्रेष्ठ स्थान रखती है और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में पूरा-पूरा योगदान देती है। इनमें शामिल होकर छात्र अपने गुणों की क्षमता से आगे निकलकर विकास करता है। उनमें आत्मनिर्भरता आती है। वे किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए सक्षम बनते है।
तभी मैंने बच्चो को कुछ ऐसा
3नवाचार कब से प्रारंभ किया गया: नवाचार लगभग तीन वर्षो से विद्यालय मे प्रति माह किया जा रहा है
4आवश्यक सामग्री : पेन पेंसिल ड्राइंग शीटरंग इत्यादि
5समय : बच्चे अपनी सुविधा अनुसार कार्य करतें है तथा विषय के कठिन स्थरो को ध्यान मे रख कर उपयुक्त गतिविधि का नियोजन किया जाता है तथा विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक मे बच्चो के कार्यो को उनके अभिभावकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है जिससे वे न केवल हर्षविभोर होते है साथ ही साथ अपने पाल्यो को भी बेहतर समझ पाते है
6क्रियान्वयन: बच्चो को अत्यधिक उत्त्प्रेरण देने के पश्च्यात उन्हें कहा जाता है की अपनी अपनी अधिगम की समस्याओ को शिक्षक के समक्ष लाये समस्या आने के बाद मै उसके लिये गतिविधि का चयन और नियोजन करता हु उदहारण के लिये जब बच्चो को इंग्लिश मे कुछ विशेष शब्दों को समझने मे समस्या हुई तो मैंने एक गतिविधि सम्पन्न की जिसका नाम था “हम बेचे सामान खोली अंग्रेजी दुकान” इसमे बच्चो को घरेलू वस्तुओ जैसे साबुन टूथपेस्ट टूथब्रश आयल इत्यादि सामग्री की वयवस्था करते हुए उन्हें वस्तुओ के नाम इंग्लिश मे बताये गए मसलन मैगी का उदहारण देते हुए उन्हें क्रमशः MAGGI MINUTE NOODLES FAVOURITE TASTE YOUR TRULY GOOD IRON QUALITY SPICES INGREDIENTS व अन्य शब्दों का उच्चारण अर्थ प्रयोग समझाया गया तदुपरांत उस जानी पहचानी वस्तु पर पांच पंक्तिया इंग्लिश व हिंदी मे लिखने को कहा गया इस प्रकार न केवल उनका भाषाई कौशल विकसित हुआ साथ ही साथ उनकी विचारो और प्रश्न करने की क्षमता का भी विकास हुआ इसी प्रकार उपरोक्त लिखित नवाचार व गतिविधिया इस संकल्पना को पोषित करते है
7नवाचार से प्राप्त उपलब्धिया:
• भाषागत विक्षमताये कम हो रही है
• बालक का मूल्यांकन लगातार उसी के द्वारा किये गए कार्य के आधार पर हो रहा है।
• बच्चा अब हमारे मित्र की भूमिका मे है
• बालक का विश्वाश बढ़ रहा है
• अधिगम स्थायी हो रहा है
• बच्चो को समझ कर पढ़ाना एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।
• सामूहिक गतिविधि द्वारा विद्यार्थियों के मध्य आपसी समझ का विकास होता है इससे कक्षा मे लोकतान्त्रिक वातावरण बनाने मई अध्यापक को बहुत मदद मिलती है
• बच्चो की रच्नात्मकता और सृजनात्मकता का विकास बाल पन से ही हो पा रहा है बाचे अब न केवल नयी नयी स्वरचित कहानियो का निर्माण कर पा रहे है साथ ही साथ कवितायेँ भी लिख पा रहे है
• लिखते समय वे अपनी आंचलिक भाषा के शब्दों का प्रयोग करते है जो बहुत अच्छा है इसके साथ साथ उन्हें उन शब्दों के हिंदी मई अनुवाद बताया जाता है जिससे उनका शब्दकोश बढ़ रहा है
• इनसे छात्रों में नागरिक के गुणों के विकास हेतु अवसर प्रदान किया जाते है।
• छात्रों में नेतृत्व के गुणों का विकास होता है।
• छात्रों को नवीन प्रकार की अभिरुचियों के विकास के लिए अवसर मिलते है।
• पाठ्य सहगामी क्रियाओं के अंतर्गत छात्रों में समाजीकरण होता होता है।
• इन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है।
• सभी को अपनी प्रतिभा दिखाने के समान अवसर मिलते है।
• किसी भी गतिविधि के दौरान विद्यार्थियों में आपस में सामाजिक अंतर्क्रिया होती है जिनसे उन्हें आपस में बहुत कुछ सीखने के अवसर प्राप्त होते है।
• विद्यार्थियों में आत्मविश्वास का विकास होता है।
• उनमें पारस्पारिक सहभागिता का विकास होता है ।
• उनमे सीखने की रूचि उत्पन्न करता है ।
• समूह अधिगम में सहायक होता है ।
NCF-2005 ने भी असली शिक्षा उसे माना जो केवल पढ़ने का न होकर बच्चों के अनुभव-क्षेत्र और उसकी समझ को विस्तृत करे क्योंकि शिक्षा सूचना देना नहीं है वह तभी सार्थक है जब वह बच्चे के व्यक्तित्त्व और उसके परिवेश के साथ एकाकार हो जाए और जिसमें ज्ञान का निर्माण वे स्वयं करें अपने परिवेश को साथ लेकर । बच्चे काली स्लेट की तरह नहीं होते है जिसपर आप कुछ भी लिख दें बहुत जरुरी है कि पुस्तकों की जबान और उसके उदाहरण ऐसे हो जिसमें बच्चें ज्ञान का निर्माण अपने अनुभव-क्षेत्र परिवेश के माध्यम से विकसित कर सकें ।
मेरा पूर्ण विश्वास है की मेरे उपरोक्त नवाचार गतिविधि सभी प्रकार से शिक्षा के नियमो पे खरे उतरती है और मेरे छात्रों को सामयिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे है
भास्कर जोशी
सहायक अध्यापक
राजकीय प्राथमिक विद्यालयबी बजेला
विकासखंड धौलादेवी
जिला अल्मोड़ा उत्तराखंड
9410166577
8899477295
bhaskarjoshi2024gmailcom