“आज़ादी के अमृत महोत्सव की सदा शुभकामना”
उत्सव हैं ये बलिदान का, अभिमान का, संग्राम का,
अमृतमयी रसपान का, स्वराज के गुणगान का
आज़ादी के अमृत महोत्सव की सदा शुभकामना
माता, वो बहने, बेटियाँ, भार्या बनी वीरांगना
स्वाधीनता की स्थापना ही एक थी मनोकामना
खडग धरी अडिग रही, प्रतिबद्ध आजादी महि
झुल्मों को जड़ से काटने गाथा अमर गाती रही
वो हिन्द नार को वंदना-अभिनन्दना
आज़ादी के अमृत महोत्सव की सदा शुभकामना
माँ धरा के चरण में सर्वस्व अर्पित कर गए
प्रचंड साहस ह्रदय धर जयघोष व्योमे भर गए
ये जूनून मिटने पाए ना, ये सुकून गुम हो जाए ना
शौर्य से सजी हर कहानी, भूल कर भी भुलाये ना
स्वतंत्रता के सारथी को वंदना-अभिनंदना
आज़ादी के अमृत महोत्सव की सदा शुभकामना
काव्य रचना द्वारा:
श्री गोविंद मकवाणा, संगीत शिक्षक
केन्द्रीय विद्यालय वल्लभ विद्यानगर
के.वि.सं. अहमदाबाद संभाग
Mo-9409381139
आधुनिक समय में अनेक समस्याओं एवं विरोधाभासों से घिरी इस दुनिया में 'कला' मानव के लिए उदात्त सद्भाव के रूप में एक दैवीय उपहार है। अमय सर्वललित- कलाओं में सर्वश्रेष्ठ हमारा भारतीय संगीत है। भारतीय संगीत 'स्वर से ईश्वर' की प्राप्ति में सक्षम है। प्राचीन वैदिक काल से लेकर आज तक हमारा यह समृद्ध संगीत मानव जीवन के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर पहलू को छूता रहा है। भारतीय संगीत के विभिन्न भेद चाहे जो भी हों, और चाहे जितने भी हों, लक्ष्य केवल एक ही है "दिव्य परमानंद की प्राप्ति"। जो इस मानंदादायी सत्व का एहसास करता रहता है वह वास्तव में भाग्यशाली है। एक स्वतंत्र वेद के रूप में सामवेद का संगीतमय रूप और साम के अंतर्गत वैदिक छंदों की रचना ही हमारे भारतीय संगीत की महानता को दर्शाती है।
बचपन से ही संगीत में रुचि और लगाव होने के कारण मैंने संगीत सीखने का निर्णय लिया और मेरी संगीत यात्रा शुरू हो गई। मैं संगीत के हर पहलू का बहुत बारीकी से मूल्यांकन करने की कोशिश करता रहा। गायन के एक छात्र के रूप में, जब मेरी मास्टर डिग्री के लिए लघुशोघ निबंध तैयार करने का समय आया, तो मैंने संगीत से संबंधित कई विषयों पर अपने गुरु के साथ व्यापक चर्चा की, जिसके परिणामस्वरूप "भारतीय वैदिक संगीत एक अध्ययन" विषय तय किया गया।
संगीत की परिभाषा, उत्पत्ति और विकास, नाद, शास्त्रीय गायन शैली, शास्त्रीय गायन के प्रकार, वैदिक गीत इसकी उत्पत्ति और विकास, सामगान, गंधर्वगान, वैदिक गायन शैली का संपूर्ण अध्ययन कर मतों, आलोचनाओं, मान्यताओं के साथ मौलिक न्याय करने का प्रयास किया गया है। इत्यादि विभिन्न संबंधित ग्रंथों का, जिनमें विषय-विशेष संदर्भ ग्रंथ, पुस्तकें, मौखिक मार्गदर्शिकाएँ एवं अन्य संदर्भ सामग्री आदि प्रमुख रहे हैं।
इस लघुशोघ निबंध में 'संगीत की परिभाषा, उत्पत्ति और विकास, नाद, शास्त्रीय गायन शैली, शास्त्रीय गायन के प्रकार, वैदिक गीत, इसकी उत्पत्ति और विकास, सामगान, गंधर्वगान, वैदिक गायन शैली का संपूर्ण अध्ययन, राय पर पांच अध्याय हैं। आलोचनाओं, मान्यताओं आदि ने इस पद्धति के साथ न्याय करने का प्रयास किया है, जिनमें विषय-विशेष के संदर्भ ग्रंथ, पुस्तकें, मौखिक मार्गदर्शिकाएँ तथा अन्य संदर्भ सामग्री आदि प्रमुख रहे हैं।
मैंने "भारतीय वैदिक संगीत एक अध्ययन" लघु शोध निबंध के शोध कार्य में यथासंभव सावधानी बरतने का प्रयास किया है, अतः यदि कोई त्रुटि हो तो मेरा आपसे अनुरोध है कि मेरे शोध कार्य को प्रोत्साहित करें। इस लघु शोध निबंध को संगीत के विद्यार्थियों, विद्यार्थियों और अपने शिक्षकों को समर्पित करते हुए मुझे बहुत खुशी और गर्व महसूस हो रहा है।