आप सभी सुधि पाठकों के हाथों में अपना पहला कविता संग्रह ‘पंछी सा मेरा मन’ सौंपते हुए मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है । मुझे पूरा विश्वास है कि आप इन कविताओं को पढ़ते हुए एक अपूर्व आनंद का अनुभव करेंगे । क्योंकि ‘पंछी सा मेरा मन’ अकृत्रिम और स्वाभाविक सर्जन का अद्भुत उदाहरण सिद्ध होगा । आज मुझे प्रसन्नता के साथ-साथ एक दायित्व बोध का अहसास भी हो रहा है । Read More...
इस विश्व में प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय है । सबकी अपनी एक पहचान है। सब के पास अपना कोई ना कोई विशेष गुण है। बस आवश्यकता है तो उसे पहचानने की। कोई भी व्यक्ति कभी भी किसी के कदमों में कदम रखकर नहीं चल सकता। पता नहीं क्यों कुछ लोग नकल करने का प्रयास करते हैं ? Read More...
नारी गाथा संघर्षों की
नारी साहस की एक कथा
पग-पग पर त्याग किए उसने
बलिदानों की वह मूक व्यथा || Read More...
नया एक गीत गाऊँगा
है कालचक्र कब थमता है
है कालचक्र कब थमता है
अनवरत एक गति चलता है ।।
सुख दुख किसको क्या मिलता है
कब सोच मार्ग यह चुनता है ।। Read more...
अरे मानवो! अब तो ठहरो
बहुत भोग के भागे पीछे
बहुत धरा के रत्न उलीचे
जलवायु दोनों अब रीते
अरे मानवो! अब तो ठहरो ।। Read more...
किससे कहूं ? चुप क्यों रहूं ?
इंसानियत गुम हो गई
प्रगति तो पर्वत चढ़ गई
क्यों आदमियत आदिम हुई ।। Read more...