मानव मात्र की चित्तवृत्तियों को शब्दों का सहज और सुगम साधन उपलब्ध करवा देना अनंत आनंद प्रदान करता है। शायद यही कविता रचना है।
जन्म - 4 जुलाई 1976
जन्म स्थान- ग्राम- डांगरवाडा़ ( डाबर ) तहसील - राजगढ़
जिला- अलवर ( राजस्थान )
हिंदी और संस्कृत दोनों भाषाओं में स्नातकोत्तर श्री घनश्याम शर्मा की काव्यात्मक यात्रा अलवर राजस्थान के प्रसिद्ध सरिस्का अभ्यारण क्षेत्र के एक छोटे से गांव डांगरवाड़ा से हुई। ग्रामीण परिवेश, नदी, झरनों, पहाड़ों व पेड़ों से सुरम्य भौगोलिक स्थितियों तथा पिता श्री मोतीलाल शर्मा के सामाजिक, नैतिक व आध्यात्मिक विचारों ने इनके मन में बचपन से ही कवित्व का बीजारोपण कर दिया। अपने प्रारंभिक संस्कारों और सद् विचारों से प्रेरणा प्राप्त करके इन्होंने काव्य रचना प्रारंभ की। इनकी कविताओं के मुख्य विषय प्रकृति, पर्यावरण, ग्रामीण जीवन और देशभक्ति हैं । इनकी कविताओं में तन्हाई, आशा, निराशा, सौंदर्य के प्रति आकर्षण और युवा हृदय की भाव-विह्वलता की अभिव्यक्ति है।
लेखक निरंतर 20 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत है। इन्होंने अनेक छात्रों को अपने लेखन के द्वारा प्रेरणा प्रदान की है । इनके अनेक छात्र आज प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं । आपकी कर्तव्यनिष्ठा और हिंदी लेखन के प्रति जुनून काबिले तारीफ हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण अलवर राजस्थान के प्रसिद्ध वन्य पशु अभ्यारण्य सरिस्का क्षेत्र के एक छोटे से गांव डांगरवाड़ा में श्री मोतीलाल शर्मा और श्रीमती विमला देवी की चौथी संतान के रूप में पैदा हुए श्री घनश्याम शर्मा ‘उपमन’ का प्रारम्भिक जीवन ठेठ ग्रामीण परिवेश में व्यतीत हुआ। यह क्षेत्र पहाड़ों व वनों से घिरा हुआ है। वर्षा ऋतु में यहां कई नदी और नाले बहते हैं। खेत, खलिहान, पगडंडियां, गाय, बैल और गांव की मिट्टी की सौंधी महक यहां की पहचान है । अभावों से भरी जिंदगी को लेखक ने अत्यंत करीब से देखा है। सरिस्का अभयारण्य में बसे छोटे-छोटे गांवों व ढाणियों की परिस्थितियों तथा वहां के वन्य सौंदर्य को आपने बहुत करीब से देखा और अनुभव किया है। गांव के यही अनुभव कविता-संग्रह ‘पंछी सा मेरा मन' में उतर आए हैं।
लेखक की प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण वातावरण में हुई। उच्च शिक्षा के लिए जयपुर जाना पड़ा। अतः कॉलेज के समय आपको शहर की आपाधापी की जीवन शैली और अकेलेपन का अहसास हुआ। ऐसे समय में आशा, निराशा व तन्हाई के अनुभवों से संबंधित अनेक कविताएं कवि हृदय से फूट पड़ी। इनकी कविताओं में जहां एक ओर युवा हृदय की भाव-विह्वता की अभिव्यक्ति हुई है वहीं प्रकृति-प्रेम, देशभक्ति, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सौंदर्य के प्रति आकर्षण आदि विचारों का उद्वेलन स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है ।
महाविद्यालय में अध्ययन के दौरान आपको आकाशवाणी केंद्र जयपुर में कार्य करने का मौका मिला तथा आपकी कई कविताएं और कहानियां आकाशवाणी पर प्रसारित हुई। आपने यहां अनेक छात्रों व शिक्षाविदों के साथ कार्य किया।
केंद्रीय सेवा में होने के कारण पूरे भारतवर्ष को देखने व समझने का अवसर भी आपको मिला जिससे आपके लेखन ने एक गति पकड़ी तथा अपने मित्रों व सहकर्मियों की प्रेरणाओं के परिणाम स्वरुप आपने सुंदर कविता संग्रह ‘पंछी सा मेरा मन' के सृजन के संकल्प को पूरा किया।
A poetic journey of Shri Ghanshyam Sharma, a postgraduate in both Hindi and Sanskrit languages, came from Dangarwara, a small village in the famous Sariska Sanctuary area of Alwar Rajasthan. The pictures que geographical conditions from the rural environment, river, waterfalls, mountains and trees, and social, moral and spiritual views of father Shri Motilal Sharma planted seeds in his mind from childhood. Inspired by his early rites and good thoughts, he started writing poetry. The main themes of his poems are nature, environment, rural life and patriotism. In his poems, there is an expression of loneliness, hope, despair, attraction towards beauty and the feeling of youthfulness.
The author has been working in the field of education for 20 consecutive years. He has inspired many students through his writing. Many of his students are working in prestigious positions today. Your honesty and passion for Hindi writing are well appreciated.