Programming language एक special language होती है जो की computer और उस पर install software समझ सकते है एवं यह unique set of keywords और special syntax को follow करती है जो की computer को instructions देने के लिए काम मे आती है | Programming language दो तरह की हो सकती है – high Level and Low-Level |
High Level Programming language को formal computer language भी कहा जाता है | Yeh computers के लिए बनायीं गयी vocabulary set or grammatical rule का collection है जो की computer से communicate करने एवं computer को specific task perform करने के लिए instruction देती है | Programming Language को use करके software programs और scripts बनायीं जाती है जो की computers पर execute हो सके और end user उसको use करके अपना task perform कर सके |
Example – आपको आपके school के teachers की attendance को automatic maintain करने के लिए किसी software की जरुरत है तो आप किसी भी programmer के पास जा कर उनको request कर सकते है की मेरी ये जरुरत है and इसके लिए मुझे एक software चाहिए | programmer किसी भी best suitable high level programming language को use करते हुए आपके लिए software design कर देगा | आप उस software को अपने computer पर execute करके अपना task automate कर सकते है | इस प्रकार PL को use करके आप programs को create कर सकते है जो की आपकी machine का behavior control कर सकता है | High language को machine code मे convert करने के लिए एक दूसरे program जिसको की compiler or interpreter कहते है की जरुरत होती है |
Example of Languages – BASIC, FORTRAN, Java, C++ and Pascal, Visual Basic, Dot net etc
Low Level – Computer की most basic language को low-level computer language या machine language भी कहते है जो की केवल binary (‘1’ and ‘0’) code को समझती है लेकिन ये बहुत complex होती है जबकि high-level languages (जिसका example हमने ऊपर दिया – software for school) use करने मे बहुत easy होती है | Low language को machine code मे convert करने के लिए एक दूसरे program जिसको की compiler or interpreter कहते है की जरुरत नहीं होती |
मशीनी भाषा ( Machine language ) के अतिरिक्त सभी प्रोग्रामिंग भाषा ( Programming Language ) में 0 और 1 के अलावा अन्य अंकाेें और शब्दोंं का प्रयोग होता है लेकिन कंप्यूटर सीधे इस पढ नहीं पाता है, लेकिन भाषा अनुवादक ( Language Translator ) इन अंकों और शब्दों को मशीनी भाषा अथवा बायनरी अंकों में बदल देता है ताकि कंप्यूटर इस आसानी से पढ सके और प्रोग्राम के अनुसार काम कर सके
प्रोग्रामिंग भाषा अनुवादक ( Programming Language Translator ) तीन प्रकार के होते हैं -
कंप्यूटर असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे प्रोग्राम को नहीं समझता है कम्प्यूटर मात्र बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 यानि मशीनी भाषा को ही समझता है इसलिये असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे प्राेग्राम में लिखे प्रोग्राम को मशीनी भाषा ( Machine language ) में Translate किया जाता है और इस काम करता है प्रोग्रामिंग भाषा अनुवादक ( Programming Language Translator ) अब जो भाषा अनुवादक ( Language Translator ) असेम्बली भाषा (Assembly Language) को मशीनी भाषा ( Machine language ) मेंं Translate करतेे हैं वह असेम्बलर (Assembler) कहलाते हैं
असल में असेम्बलर (Assembler) कंप्यूटर का वह प्रोग्राम होता है जो असेम्बली भाषा (Assembly language) लिखे गये कोड जैसे नेमोनिक कोड ( Mnemonic code ) को मशीनी भाषा में यानि बायनरी कोड में बदल देता है और कंप्यूटर जो बायनरी के बाइनरी के सिद्धांत पर चलता है और यह 0 और 1 की भाषा ही समझता है
What is Mnemonic code- नेमोनिक कोड (Mnemonic code) का प्रयोग असेम्बली भाषा (Assembly Language) में प्रोग्राम लिखने के लिये किया जाता है नेमोनिक कोड (Mnemonic code) में नेमोनिक का अर्थ होता है आसानी से याद रहने वाले code.
उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High Level Programming language) जैसे बेसिक, सी, सी++, जावा आदि को भी मशीनी भाषा में अनुवाद करने की जरूरत होती है ताकि कंंम्यूटर उसे समझ सके कम्पाइलर (compiler) वो प्रोग्राम होता है जो किसी उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High Level Programming language) में लिखे प्रोग्राम को किसी मशीनी भाषा में बदल देता है।
उच्च स्तरीय कंप्यूटर भाषाएँ जैसे सी++, जावा में लिखे प्रोग्राम को सोर्स कोड कहा जाता है, कम्पाइलर इन सोर्स कोड को ऑब्जेक्ट कोड में बदलता है ऑब्जेक्ट कोड बाइनरी कोड होते हैं जिन्हें कंप्यूटर समझ सकता है या कहेंं तो कम्पाइलर (compiler) उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High Level Programming language) को निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा ( Low Level Programming language) में बदलने का काम करता है
इंटरप्रेटर ( Interpreter ) भी कम्पाइलर (Compiler) की तरह उच्च स्तरीय भाषा काे मशीनी भाषा में ट्रांसलेट करने का काम करता है, उच्च स्तरीय कंप्यूटर भाषाएँ जैसे सी++, जावा में लिखे प्रोग्राम को सोर्स कोड कहा जाता है इंटरप्रेटर ( Interpreter ) सोर्स कोड की पहली लाइन का अनुवाद करता है और यदि पहली लाइन में कोई गलती पाता है तो उसे दर्शाता है यानि एरर देता है और जब तक वह लाइन पूरी तरह से संशोधित नहीं हो जाती है यानि ठीक नहीं हो जाती है जब तक आगे नहीं बढता है जब पहली लाइन पूरी तरह से संशोधित हो जाती है तब दूसरी लाइन पर आगे बढता है तो इस तरह से इंटरप्रेटर ( Interpreter ) लाइन बाई लाइन किसी प्रोग्राम को मशीनी भाषा में अनुवाद करता है
यह हर प्रोग्राम को इस तरह से अनुवाद करता है, इस तरह से अनुवाद करने में इंटरप्रेटर ( Interpreter) कम्पाइलर (Compiler) से अधिक समय लेता है यह अपने सोर्स कोड को पूरी तरह से मशीनी कोड में नहीं बदलता है इसलिये हर बाद अनुवाद करते समय इसे सोर्स कोड की जरूरत होती है