I enjoy writing Hindi poetry, where I explore my thoughts and emotions. In my free time, I often reflect on random ideas and imagine conversations with people—listening to them, speaking with them, and forming deep connections. These imagined moments inspire my poems, which express my beliefs, feelings, and inner world. At the same time, my love for poetry keeps me inspired, as I find meaning and beauty in the richness of language.
मैंने सारी कविताएँ ख़ुद के लिए
नहीं लिखी।
कुछ उन लोगो के लिए भी लिखी
जो ख़ुद नहीं लिख पाते।
मैंने अपने उस दोस्त के लिए लिखा
जिसे अपने पसंद वाली नौकरी नहीं मिली।
उस दोस्त के लिए लिखा जो चाह कर भी
नहीं जी पाया वैसी ज़िंदगी जैसी वो जीना चाहता था।
उस संगी के लिए भी लिखा
जिसका मैं बॉयफ्रेंड था कुछेक दोस्तों की नज़रों में।
उस संगी के लिए जिसे
मैं अपना सुकून घर कहता था।
मेरी कविताएँ मेरी नहीं होती
कभी कभी वो होती है तुम्हारी।
पर मेरी कविताएँ होती है बिलकुल मेरे जैसी
बस नहीं होती है तो स्वार्थी।
#मेरी कविताएँ कही नहीं जाती
जाते है तो बस जाने वाले
और इस भागती दौड़ती ज़िंदगी में
इतवार के सुकून सी है ये कविताएँ मेरे लिये…❣️
ये बम्बई एक बड़ा शहर है,
इसमें न लोग बहुत है
फिर भी ना जाने क्यों ये मन बहुत शांत
छोटा और ख़ुद को अकेला महसूस कर रहा है
अक्सर ये मन अकेलेपन में अटक जाता है
उस कच्चे मकान में
चलने लगता है गाँव कि उन कच्ची पगडंडियों पर
तो कभी घाटो की उन यादों में
जिनको एक अरसे से सम्भाल रखा है भीतर
आज उन रंगो की याद आ रही है
जिनको ना जाने कितनो सालों तक
छिपा कर रखा था कि इक रोज़
इन्ही रंगो के साथ होली खेलेंगे
हाँ पता है होली चली गई है
पर ये भी तो जान लो
वो रंग भी फीके होते जा रहे है…❣️
#कई बार स्पर्श कितना निष्ठुर होता है
किसी की स्मृति
मन को छूती है,
और के गहरी उदासी छोड़ जाती है