अमेरिका में विगत दस वर्षों से स्कूली छात्र-छात्राओं को हिन्दी शिक्षा प्रदान कर रही संस्था युवा हिन्दी संस्थान की तरफ से पेनसिलवेनिया प्रदेश में स्थित नार्थ वेल्स नगर में 21 सितम्बर को 'हिन्दी दिवस' समारोह आयोजित किया गया। समारोह ग्वेन-नोर एलीमेंट्री स्कूल में आयोजित किया गया जहाँ इस वर्ष स्टारटॉक हिन्दी शिविर गत 24 जून से 12 जुलाई तक चला। विश्व हिंदी सचिवालय, मौरीशस, के सहयोग से आयोजित ’ हिन्दी दिवस' समारोह का मुख्य उद्देश्य भारतीय मूल के बच्चों में हिन्दी के प्रति जागरूकता पैदा करना और भाषा का निरन्तर प्रयोग करने के लिए वातावरण तैयार करना था। अमेरिका के प्रारंभिक, माध्यमिक, और हाई स्कूल के विद्यार्थियों को हिन्दी बोलना, पढ़ना, और लिखना सिखाने के लिए युवा हिन्दी संस्थान स्टारटॉक कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार की गतिविधियां शामिल की गयी थीं। तीन सप्ताह तक चलने वाले इस शिविर का मुख्य विषय था, 'भारत की यात्रा’, जिसके अंतर्गत बच्चों ने मसूरी, ओड़िशा, मैसूर, और गुजरात के गिर वन के दौरे किए और उन स्थानों की विशेषताओं के बारे में जानकारी हासिल की। कक्षा में परस्पर बातचीत के दौरान उन्होंने इन स्थानों पर देखने योग्य स्थलों की जानकारी प्राप्त की और उनका वर्णन सहज, सुलभ भाषा में किया। आपस में बातचीत, प्रश्नोत्तर, और उन स्थानों के खान पान की चीज़ों के बारे में जानकारी प्राप्त करने, बोलने, और लिखने का यह कारगर तरीका पूरे तीन सप्ताह चला। कार्यक्रम के प्रारम्भ और अंत में उनकी भाषा क्षमता का आकलन करने के लिए 'अमेरिकन कौंसिल ऑन टीचिंग फॉरेन लैंग्वेज' द्वारा भाषा प्रवीणता आकलन परीक्षण आयोजित किया गया। इन परीक्षाओं में शामिल विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गए। हिन्दी दिवस समारोह में अनेक विद्यार्थियों ने, जिनमें वंश, हाली पटल, शिवानी, प्रमुख थे, अपने हिंदी ज्ञान के आधार पर प्रस्तुतीकरण भी दिया।
युवा हिन्दी संस्थान और मॉरिशस के विश्व हिन्दी सचिवालय के सहयोग से आयोजित 'हिन्दी दिवस' समारोह हिन्दी प्रचार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास था। नार्थ वेल्स और आसपास के इलाकों में भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। उनमें से अधिकांश औषधि उत्पादक कंपनियों या सूचना-प्राद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत हैं। भारतीय-अमेरिकी समाज में हिन्दी का प्रयोग दिन ब दिन बढ़ रहा है । ख़ास तौर पर जब से बच्चे हिन्दी विद्यालयों और स्टारटॉक जैसे कार्यक्रमों में जाने लगे हैं, हिन्दी के प्रति नयी लहर पैदा हुई है। "लोगों को, विशेष तौर पर भारतीय मूल के माता-पिता सांस्कृतिक सामारोहों या सामजिक अवसरों पर हिन्दी में बात चीत करने में संकोच नहीं करते", यह टिप्पणी की एक हिन्दी शिक्षार्थी की माँ ने।