पढ़ने वाली शायरी
पढ़ने वाली शायरी
कौन सा ज़िंदा हूँ मैं जो मरने से डर जाऊं ,
कौन सा ज़िंदा हूँ मैं जो मरने से डर जाऊं ,
रोज़ ही हर मोड़ पे, मैं ज़हरे अज़ाब देखता हूँ !
रोज़ ही हर मोड़ पे, मैं ज़हरे अज़ाब देखता हूँ !
कौन जी पाता है आज अपने मुताबिक,
कौन जी पाता है आज अपने मुताबिक,
हर चेहरे पर अज़ीब सा, मैं तनाव देखता हूँ !........
हर चेहरे पर अज़ीब सा, मैं तनाव देखता हूँ !........
ख्वाब सी इस ज़िन्दगी में,
ख्वाब सी इस ज़िन्दगी में,
ख्वाब ऐसे बन की लेके रुखसत इस जहां से
ख्वाब ऐसे बन की लेके रुखसत इस जहां से
खुले जब आँखें तेरी तब खुदा
खुले जब आँखें तेरी तब खुदा
से सामना करने में कभी झुके न तेरी नज़र….
से सामना करने में कभी झुके न तेरी नज़र….
वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी…
वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी…
मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी…
मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी…
उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना…
उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना…
वो नादान है यारो… अपना हाथ जला लेगी.
वो नादान है यारो… अपना हाथ जला लेगी.
क्या उम्मीद करें हम उनसे...
क्या उम्मीद करें हम उनसे...
जिन को वफा मालूम नहीं...
जिन को वफा मालूम नहीं...
गम देना मालूम है... मगर...
गम देना मालूम है... मगर...
गम की दवा मालूम नहीं...
गम की दवा मालूम नहीं...