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अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्ति मूलमनौषधम्।
अयोग्यः पुरुषो नास्ति योजकस्तत्र दुर्लभः॥६॥
अन्वयः-
अमन्त्रम् अक्षरम् न अस्ति अनौषधम् मूलम् न अस्ति अयोग्यः पुरुषः न अस्ति योजकः दुर्लभः
अनुवादः-
ऐसा कोई अक्षर नहीं हैं जिसमें मन्त्रशक्ति ना हो, ऐसा कोई पौधा नहीं है जिसमे औषधि गुण ना हो तथा ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसमे कोई भी गुण ना हो, ऐसे व्यक्ति हीं दुर्लभ हैं जो हर व्यक्ति में गुण देख कर उन्हें संघठित कर सके।