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काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा॥२२॥
अन्वयः-
धीमताम् कालः काव्यशास्त्रविनोदेन गच्छति तु मूर्खाणाम् व्यसनेन निद्रया वा कलहेन ।
अनुवादः-
बुद्धिमान् लोगों का समय काव्य और शास्त्र की परिचर्चा करने में व्यतीत होता है, जब कि मूर्खों का समय व्यसन, नींद व कलह में व्यतीत होता है।