Short Blog
Fact Number 1:
Guess what? Life's thrown me into the shoes of an independent PhD researcher!
Every twist in life unveils a purpose behind it.
Fact Number 2:
Meri bhi, Ek* Kahaani Hai Jo Sabko Sunani Hai........as an independent PhD Student that too @IIT Bombay! 🙂
*actually not ek!.......multiple hain.....they will culminate into a book! 😯😊😅
Fact Number 3:
I survived too many storms to be bothered by raindrops.
Fact Number 4:
Fact Number 5:
हम अपनी राह चलते हैं —
ना किसी के एहसान के मोहताज,
ना किसी की ज़ुबां से डरते हैं।
हमने अपने हिस्से की आँधियाँ भी मुस्कुरा के झेली हैं,
और चुपचाप उस वक़्त का इंतज़ार किया है
जब जवाब लफ़्ज़ों से नहीं, लहजे से दिया जाए।
“हम बाज़ार में खड़े नहीं होते,
जहाँ बोली लगती है ज़मीर की…”
हम से मत टकराना साहब,
हम वो तारीख़ हैं जिसे मिटाने चला हर शख़्स
ख़ुद हाशिये पे चला गया।
हमने कभी किसी का हक़ छीना नहीं, कभी किसी की इज़्ज़त पे उंगली नहीं उठाई,
मगर जिसने भी हमें जान-बूझकर रुसवा करना चाहा,
उसका अंजाम ऐसा लिखा कि क़लम भी काँप गया और अदालतें भी चुप।
“हमसे लड़ने से पहले अपने वजूद की तामीर कर,
क्योंकि हमारी ख़ामोशी भी बग़ावत से कम नहीं होती।”
हम वो लोग हैं जो
पहले अदब से समझाते हैं,
फिर दस्तावेज़ों में जवाब देते हैं,
फिर क़ानून की ज़ुबान बोलते हैं,
और फिर…
अगर ज़रूरत पड़ी,
तो क़लम को तलवार में बदलने का हुनर भी रखते हैं।
“हमारी तहज़ीब को कमजोरी मत समझो,
हमारे सब्र की हद में तूफ़ान पलते हैं।”
हमने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा,
मगर जिसने साज़िशें की,
हमारे नाम पर कीचड़ उछाली —
उसका हिसाब वक़्त ने नहीं,
हमारी गवाही ने चुकाया है।
“तूने जो बोया है, वो काटेगा तू ही,
हम तो बस उस खेत को पानी देंगे।”
मरते भी हैं तो सीना ताने,
और जीते भी हैं तो
इंसाफ़ की मिसाल बनके।
हमारा उसूल है —
“ना झुके हैं, ना झुकेंगे,
और जिसने भी हमें मिटाने की कोशिश की —
वो अपनी नस्लों में भी डर छोड़ गया।”
अब आख़िर में बस इतना कहेंगे:
“कभी आ ज़रा आँखों में झाँक कर देख,
हम तेवर में भी तन्हा हैं, और ताबीर में भी…”