वो बिना मां-बाप के अकेले, डरे हुए, निराश, बेघर और बेसहारा हैं। वो बहुत कुछ बोलना चाहते हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
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वो बिना मां-बाप के अकेले, डरे हुए, निराश, बेघर और बेसहारा हैं। वो बहुत कुछ बोलना चाहते हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
अनाथालयों में रहने वाले अनाथों को उनके सम्मानपूर्वक जीवन जीने, आंदोलन, संपत्ति के अधिकार और सामाजिक सुरक्षा के अधिकारों से वंचित किया जाता है। भारतीय संविधान में गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार सभी देशवासियों को प्राप्त है लेकिन क्या अनाथालय में गुजार बसर करने वाले अपना जीवन गरिमापूर्ण रूप से जी पाते हैं ? समानता के अधिकार का प्रावधान सभी के साथ एकसमान व्यवहार करने हेतु किया गया है हालांकि अनाथ बच्चों को समाज में दीन हीन दृष्टि से देखा जाता है कुछ तो उनको अभागा भी कहते हैं। सामाजिक सुरक्षा जैसा प्रमुख मानव अधिकार जो कहता है कि मनुष्य को अपने लिए एक अच्छा और सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार देता है, लेकिन अनाथ बच्चों को न जाने कितनी यातनाएं झेलनी पड़ती हैं। अक्सर विश्वविद्यालय में भाग लेने और नौकरी का अनुभव या अन्य जीवन कौशल हासिल करने के लिए वे संघर्ष करते हैं। यूनिसेफ का अनुमान है कि दुनिया भर में 143-210 मिलियन अनाथ हैं। अगर अनाथों का देश होता, तो यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों की रैंकिंग में 5वें और 8वें के बीच होता। इन नंबरों में अपंजीकृत परित्याग के साथ-साथ बेचे गए और/या तस्करी किए गए बच्चे शामिल नहीं हैं।
कहा तो ऐसा जाता है कि जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है , लेकिन क्या भगवान के बनाए हुए बाकी मनुष्यों ने इन अनाथों को इनका हक दिया। हर धर्म के व्यक्तियों ने अपने अपने सुविधा के अनुसार संविधान व सरकार में अपना हक तय कर लिया । हर जाति वर्ग के लिए आरक्षण हो गया और अगर नहीं हुआ तो लड़कर ले लिया। पढ़ने के लिए हर बच्चे को उनके विशेष जाति व धर्म के आधार पर सुख सुविधाएं व छात्रवृत्ति अलग लेकिन जिनको वाकई में जरूरत है जिनका कोई नहीं उनको दिया तो जाता लेकिन उनको उनका हक नहीं बस एहसान में दिया जाता है जो लोग देते क्या ये अनाथ बच्चे किसी धर्म या जाति के नहीं होते , या फिर ये भारत के नागरिक नहीं होते या सारी सुविधाएं व केवल अपनी अपनी जाति और धर्म के लोगों के लिए है । कब तक इन अनाथ और बेसहारा बच्चों को यूं ही लोगों का एहसान लेना पड़ेगा और तड़पते रहना पड़ेगा कि कोई आएगा और इनकी मदद करेगा , कब इनको इनके हक से सबकुछ मिलेगा और एहसान से नहीं मान सम्मान से मिलेगा । शायद इनके बल पर जो अपनी राजनीति कर जाते हैं , समाज में अपना स्थान इनको एहसान देकर बना जाते हैं, ऐसे लोगों से कब इन्हें छुटकारा मिलेगा , जिससे की ये भी समाज में पूरे मान व सम्मान के साथ रह सकें व किसी की मदद के मोहताज ना रहें । शायद इन बच्चों को भी इनका हक जल्दी ही मिले |