अपनी सत्य पहचान जानने की सहज चाभी है स्वदर्शन चक्र I इनमें से मुख्य है अंत और आदि का अपना पार्ट जानना सृष्टि चक्र के प्रथम मानव जिन्हें आदम कहते हैं, वही इस समय संगम पर ब्रह्मा है I सृष्टि के अंत और आदि के समय जिसे हम संगमयुग कहते हैं, यही वह समय है जब हमें इस बात का ज्ञान प्राप्त होता है कि आदम कौन है और ब्रह्मा कौन है, साथ ही यह भी की “कौन कौन है” I
परमात्मा ज्ञान के सागर हैं I रचता और रचना का सारा ज्ञान परमात्मा में समाया है I मनुष्य आत्मायें ज्ञान/जानकारी अपने इन्द्रियों (आँख, कान, नाक, इत्यादि) के आधार पर करती हैं I होने और दिखने मैं काफी फर्क होता है I इन्द्रियों के आधार पर ज्ञान प्राप्ति भ्रम को जन्म देता है, क्योंकि भावनात्मक तौर पर किए गए निर्णय अक्सर गलत निष्कर्ष का कारण बन जाते हैं I