VVI Subjective Questions
Very Very Important Questions & Answers | Class 10th | Bihar Board
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उत्तर- औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम 18 वीं शताब्दी में इंग्लैंड में हुई। इंग्लैंड में खनिज संपदा जैसे:- लोहे और कोयले के असीमित भंडार थे। इसके अतिरिक्त इंग्लैंड के पास प्रर्याप्त पूँजी थी तथा उसके पास सस्ते तथा कुशल श्रमिक भी उपलब्ध थे। अतः इंग्लैंड में अनेकों कल-कारखाने स्थापित किए, जिसके कारण अब वस्तुओं का उत्पादन हाथों की जगह पर मशीनों से होने लगा। आधुनिक मशीनों के द्वारा वस्तुओं के उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई। अतः हाथों द्वारा बनाई गई वस्तुओं के स्थान पर आधुनिक मशीनों के द्वारा व्यापक स्तर पर वस्तुओं के निर्माण प्रक्रिया को औद्योगिक क्रांति कहा गया।
उत्तर- औद्योगिक क्रांति के कारण कल-कारखाने का विकास तेजी से हुआ। इन कल-कारखानों के बढ़ने के कारण रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में श्रमिक (मजदूर) अपना गाँव-घर छोड़कर इन कल-कारखानों के निकट शहरों में बसने लगे। वहाँ उनके रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी। अतः वें कल-कारखानों के निकट ही घर बनाकर रहने लगे। उनकी ये बस्ती बहुत ही गंदी तथा अस्वास्थ्यकर थी। उनकी इन गंदी बस्तियों को स्लम पद्धति कहा गया। इस प्रकार औद्योगिकरण ने स्लम पद्धति को जन्म दिया।
उत्तर- औद्योगिकरण के विकास के कारण मजदूरों की आजीविका पर बुरा प्रभाव पड़ा। कल-कारखानों के विकास के कारण मशीनों से वस्तुओं का उत्पादन तेजी से होने लगा, जिसके कारण कल-कारखानों में मजदूरों की संख्या कम कर दी गयी। अतः बेरोजगार मजदूरों की संख्या बहुत अधिक हो गयी, जिससे मजदूरों को कम वेतन पर ही अधिक समय तक काम करना पड़ता था। इस प्रकार औद्योगिकरण के कारण बेकारी की समस्या बहुत अधिक बढ़ गई।
उत्तर- 1850 ई० के बाद ब्रिटिश सरकार ने अपने उद्योगों को विकसित करने के लिए मुक्त व्यापार की नीति अपनाई। भारत से आयात वाली वस्तुओं पर अधिक बिक्रीकर तथा परिवहन कर लगाया गया तथा भारत से अधिक मात्रा में कच्चा माल का निर्यात किया जाने लगा। अतः इसके कारण देशी उद्योगों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा।
उत्तर- भारत सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 ई० में पारित किया गया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य उद्योगों में मजदूरी दर को नियत करना था, जिससे मजदूरों को कम से कम इतनी मजदूरी मिलनी चाहिए, जिससे वें अपनी कार्य कुशलता बनाए रखते हुए अपनी अच्छी तरह से गुजारा कर सके।
उत्तर- स्वदेशी आंदोलन के कारण भारतीयों ने बहिष्कार की नीति अपनाकर भारतीय वस्तुओं का उपयोग करना शुरू कर दिया। अतः स्वदेशी आंदोलन के कारण भारतीय उद्योगों को अधिक मात्रा में लाभ हुआ। स्वदेशी आंदोलन के कारण सूती वस्त्र का उत्पादन बहुत अधिक मात्रा में बढ़ गया। इस आंदोलन के कारण भारत के कपड़ा उद्योग के अतिरिक्त अन्य छोटे-छोटे उद्योगों का भी बहुत अधिक विकास हुआ।
उत्तर- ब्रिटिश सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण देशी उद्योगों में लगातार गिरावट आती गई। 19 वीं शताब्दी में मैनचेस्टर से बने कपड़ों का बड़े पैमाने पर आयात किया गया, जिसके कारण भारत के बहुत सारे वस्त्र उद्योग बंद होने की स्थिति के कगार पर पहुँच गए। इसके अतिरिक्त ब्रिटिश सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण अन्य भारतीय कुटीर उद्योग भी समाप्त होने लगे। इसे ही भारत में निरुद्योगिकरण कहा गया।
उत्तर- औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही हुई, इसके निम्न कारण थे—
इंग्लैंड की भौगोलिक स्थिति उद्योग-धंधों के लिए अनुकूल थी।
इंग्लैंड में प्रचुर मात्रा में लोहा, कोयला इत्यादि खनिज उपलब्ध थे।
इंग्लैंड में अच्छे समुद्री बंदरगाह भी थे।
इंग्लैंड में नए-नए मशीनों का आविष्कार हो चुका था।
इंग्लैंड के पास अधिक मात्रा में पूँजी भी थी।
इंग्लैंड के पास बड़ी संख्या में सस्ते मजदूर भी उपलब्ध थे।
उत्तर- औद्योगिक क्रांति के निम्न परिणाम हुए—
कल-कारखानों का अधिक संख्या में विकास।
पूँजीपति वर्ग का विकास।
श्रमिक वर्ग का उदय।
स्त्री-श्रम का विकास।
बाल-श्रम की प्रथा।
स्लम-पद्धति का विकास।
मध्यम वर्ग का उदय।
कुटीर उद्योगों का पतन।
उत्तर- औद्योगिक क्रांति के कारण उपनिवेशवाद का जन्म हुआ। औद्योगिकरण के कारण कल-कारखानों का विकास इंग्लैंड के अतिरिक्त धीरे-धीरे अन्य देशों में भी होने लगा। इन कल-कारखानों द्वारा उत्पादित सामानों की बिक्री के लिए बाजार की आवश्यकता थी। अतः भारत सहित एशिया और अफ्रीका में अन्य देशों ने अपने वस्तुओ को बेचने के लिए वहाँ जमीन लेकर रहने लगे और अपने वस्तुओं को बेचने लगे, जिसे उपनिवेशवाद कहते है। अतः इंग्लैंड के अतिरिक्त फ्रांस, जर्मनी इत्यादि देशों ने भी अपने-अपने उपनिवेश स्थापित किए। इस उपनिवेशवाद के कारण आगे चलकर साम्राज्यवाद का भी जन्म हुआ।
कल-कारखानों का अधिक संख्या में विकास।
पूँजीपति वर्ग का विकास।
श्रमिक वर्ग का उदय।
स्त्री-श्रम का विकास।
बाल-श्रम की प्रथा।
स्लम-पद्धति का विकास।
मध्यम वर्ग का उदय।
कुटीर उद्योगों का पतन।