उत्तर- आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की महत्त्वपूर्ण भमिका है. इसीलिए वे सबसे पहले राहत-शिविर का निर्माण करें। वहाँ सभी उपकरण और प्राथमिक उपचार की सामग्रियाँ उपलब्ध कराए तथा एम्बुलेंस गाड़ी, डॉक्टर, अग्निशामक आदि की व्यवस्था में तत्परता दिखाए कागजी दाँव-पेंच में न पड़कर राहत-राशि और राहत सामग्री को पहुँचाकर आपदा प्रबंधन को सरल तथा सहज बना सकते हैं।
उत्तर- आग लगने की स्थिति में सबसे पहले आग में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना एवं घायल को तत्काल प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल पहुँचाना । प्राथमिक उपचार में ठंडा पानी डालना, बर्फ से सहलाना, बरनौल आदि का उपयोग करना। आग के फैलाव को रोकना, बालू, मिट्टी एवं तालाब के जल का उपयोग करना एवं यदि बिजली से आग लगी हो तो सबसे पहले बिजली का तार काटना जरूरी है।
उत्तर- जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन किसी प्रशासन की सफलता की कसौटी होती है। इसके अंतर्गत आपदा के आते ही प्रभावित लोगों को आपदा से निजात दिलाना ही प्रमुख उद्देश्य होता है। जैसे-आग लगने पर, स्थानीय लोगों की तुरंत भागीदारी, बाढ़ में किसी व्यक्ति की डूबने पर तुरंत उसे स्थानीय लोगों द्वारा बचाव करना आदि । अलग-अलग प्रकार के प्रभावित आपदाओं के आकस्मिक प्रबंधन में अलग-अलग प्रकार की प्राथमिकता होती है। यह आपदा के समय जीवन-रक्षक प्रबंधन है। जीवन-रक्षक आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय लोगों की भागीदारी अधिक होती है। इसके अलावे स्वयंसेवी संस्था, स्थानीय प्रशासन द्वारा किये गये कार्य आदि ।
उत्तर- बाढ़ के समय लोगों को बचाना एवं मवेशियों को तथा घर के सामग्रियों को निकालने की प्राथमिकता होती है। सरक्षित स्थान पर पहुचान क बाद भोजन और पेयजल की व्यवस्था आवश्यक है। बच्चे के लिए दूध की व्यवस्था, महामारी से बचने के लिए गर्म जल, गर्म भोजन एवं छोटे जगह में मिल-जुलकर रहने के लिए वातावरण बनाना आकस्मिक प्रबंधन कहलाता है।
उत्तर- यह जीवन रक्षा करने, संपत्ति की क्षति घटाने तथा औद्योगिक हितों को सुरक्षित रखने का कार्य करता है।
उत्तर- भूकंप एवं सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन के तीन प्रमुख कार्य होते हैं—
(i) बचे हुए विस्थापित लोगों को राहत कोष में ले जाना या उसे सभी प्रकार की आवश्यक सुविधायें उपलब्ध कराना ।
(ii) वैसे लोगों को मलवे से निकालना जो अभी भी दबे हुए हैं।
(iii) अकाल मृत्यु प्राप्त आम लोगों को और जानवरों को उपयुक्त स्थानों पर या धार्मिक रीतियों के अनुरूप अंतिम संस्कार करना ताकि महामारी फैलने की संभावना रहती हो।
उत्तर- स्थानीय प्रशासन का आकस्मिक प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके लिए आवश्यक है कि वे राहत शिविर का निर्माण करें । वहाँ सभी उपकरण और प्राथमिक उपचार की सामग्रियाँ उपलब्ध करायें तथा एमब्युलेंस-गाड़ी, डॉक्टर, अग्निशामक इत्यादि की व्यवस्था में तत्परता दिखावें । कागजी दाँव पेंच में न पड़कर राहत-राशि और राहत सामग्री को पहुँचाकर आपदा प्रबंधन को सरल तथा सहज बना सकते हैं।
आपदा प्रबंधन के समय में स्वयंसेवी संस्था द्वारा गाँव या मुहल्ले को प्रेरित और प्रशिक्षित करें, वरन् लोगों को फिल्म या वीडियो या नुक्कर नाटक द्वारा बहादुरी के कारनामों को दिखायें जिससे कि आपदाओं से लड़ने की मानसिक दृढ़ता उत्पन्न हो । आकस्मिक प्रबंधन में जाति, धर्म एवं लिंग का कोई महत्त्व नहीं होता है। केवल मिल-जुलकर आपदा से लड़ने का संदेश देना आवश्यक है। इस प्रकार का संदेश विद्यालय के बच्चों को भी देने की जरूरत है। ये कार्य स्वयंसेवी संस्थाएँ कर सकती हैं।
उत्तर- आपदा के दौरान आकस्मिक प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य प्रभावित लोगों को आपदा से निजात दिलाना होता है।
उत्तर- रूई, छिड़काव वाली दवा, कैंची, ओ० आर० एस० पैकेट, बैंडेंज, क्रप बैंडेज आदि ।
उत्तर- आपदा की स्थिति में प्राथमिक प्रबंधन का कार्य गाँव या समाज के लोग ही कर सकते हैं।
उत्तर- खाद्य पदार्थ, पशु चारा, महामारी आने से संबंधित जीवन रक्षक दवाई छिड़काव की सामग्री इत्यादि का पूर्व प्रबंधन आकस्मिक प्रबंधन को सफल बनाता है।
उत्तर- बाढ़ की स्थिति में आपदा प्रबंधन की पहली प्राथमिकता बाढ़ रोकना नहीं बल्कि बाढ़ से लोगों को मुक्ति दिलाना है।
उत्तर- आपदा के समय पंचायत प्रबंधन का स्वयंसेवी संस्था तथा गाँव के यवकों के साथ समन्वय करना आवश्यक होता है।
उत्तर- आपदा प्रबंधन को दो चरणों में लागू करने की जरूरत है–
(i) आकस्मिक प्रबंधन,
(ii) दीर्घकालीन प्रबंधन ।
उत्तर- प्राथमिक उपचार के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं–
(i) जीवन की रक्षा करना
(ii) शिकार हुए व्यक्ति की दशा को बिगड़ने से रोकना तथा
(iii) स्थिति में सुधार को सुविधाजनक बनाना।
उत्तर- आकस्मिक प्रबंधन के तीन प्रमुख घटक हैं–
(i) स्थानीय प्रशासन
(ii) स्वयंसेवी संगठन तथा
(iii) गाँव अथवा मुहल्ले के लोग।