सामाजिक विज्ञान

Class 10th | Bihar Board Pattern | हिन्दी माध्यम

VVI Questions

इतिहास, भूगोल, राजनीतिक शास्त्र, अर्थशास्त्र तथा आपदा प्रबंधन

History (इतिहास)

प्रश्न-1. राष्ट्रवाद क्या है?

उत्तर- राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है, जो सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की भावना उत्पन्न करती हैं । राष्ट्रवाद की भावना यूरोप में पुनर्जागरण के काल से ही आरंभ हो चुका था लेकिन 1789 ई०की फ्रांसीसी क्रांति के बाद यह उन्नत और आक्रमक रुप में उभर कर सामने आया ।

प्रश्न-2. मेटरनिख युग क्या है?

उत्तर- 1815 ई० मे एक वियना सम्मेलन हुआ, जिसका चांसलर मेटरनिख था। इस सम्मेलन में ब्रिटेन, प्रशा, रूस और ऑस्ट्रिया शामिल हुए। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गणतंत्र को समाप्त करके फिर से राजतंत्र को स्थापित करना था और नेपोलियन द्वारा किए गए कामों का विरोध करना था।

प्रश्न-3. 1830 ई० की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे?

उत्तर- 1815 ई० के बियना सम्मेलन के बाद यूरोप के शासकों ने अपनी ताकत को और मजबूत करने का प्रयास किया । उन्होंने अपने और दूसरे देशों में चलने वाले क्रांतिकारी आंदोलन को कुचलने का पूरा प्रयास किया । प्रेस की आजादी छीन ली गई और क्रांतिकारी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बड़ी संख्या में जासूस भर्ती किए गए और शक के आधार पर उनको मारा जाने लगा । यूरोप में क्रांतिकारी आंदोलन को दबाने के लिए वहाँ के शासकों ने जो उपाय किए, वे असफल सिद्ध हुए । इसके कारण लोगों में बहुत आक्रोश उत्पन्न हो गया और फिर से वहाँ के लोग एक मत होकर वहाँ के राजा के खिलाफ विद्रोह की, जो 1830 ई० की क्रांति के नाम से जाना गया । इस क्रांति के बाद वहाँ का राजा फ्रांस छोड़कर इंग्लैंड भाग गया और पुनः निरंकुश राज तंत्र की जगह संवैधानिक राजतंत्र स्थापित किया गया।

प्रश्न-4. 1848 ई० के क्रांति के क्या कारण थे तथा उसके क्या परिणाम हुए?

उत्तर- 1830 ई० की क्रांति के बाद 1848 ई० में पुनः क्रांति हुई फरवरी 1848 ई० में व्यापक रुप में बेरोज़गारी बढ़ गई थी। नए-नए कल-कारखाने स्थापित ना होने के कारण दिन-प्रतिदिन बेरोज़गारी बढ़ रही थी, जिसके कारण भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो रही थी। सर्व साधारण लोग जैसे- किसान, मज़दूर इत्यादि लोगों को सत्ता से अलग रखा जा रहा था। उनकी सत्ता में कोई भागीदारी नहीं थी और उनको कोई विशेष सुविधा नहीं मिल रही थी। लोगों का आक्रोश दिन- प्रतिदिन बढ़ते जा रहा था। इन सबसे त्रस्त होकर फ्रांस के लोग सड़कों पर उत्तर आए और राजा के खिलाफ आंदोलन कर दिए। इस आंदोलन के कारण जगह-जगह दंगे हुए, जिसके चलते सैनिक और आम लोग मारे गए। इन दंगों के कारण लोगों में आक्रोश और अधिक बढ़ गया और लोग एक बार फिर से पूरी तरह एकजुट होकर राजा के खिलाफ विद्रोह कर दिए। इस विद्रोह के कारण वहाँ का राजा डर के कारण फ्रांस छोड़कर इंग्लैंड भाग गया।

1848 ई० के क्रांति के निम्नलिखित परिणाम हुए—

1848 ई० के क्रांति के बाद लुई फिलिप, जो वहाँ का राजा था डर के कारण राज छोड़कर इंग्लैंड भाग गया। उसके बाद फ्रांस में लोकतंत्र की स्थापना की गई। सभी लोगों को समान मताधिकार प्रदान किया गया अर्थांत् सभी लोगों को समान मत देने का अधिकार दिया गया। सभी लोगों को रोज़गार देने की गारंटी दी गई। इसके लिए नए-नए कारखाने खोले गए। यह क्रांति फ्रांस के राजतंत्र को पूरी तरह से समाप्त करने में सफल तो नहीं रहा, लेकिन उनकी शक्ति को काफी कमजोर कर दिया। इस क्रांति में श्रमिक (मज़दूर) वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका थी। अतः इस क्रांति के बाद श्रमिक वर्ग एक नई राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया।

प्रश्न-5. जर्मनी के एकीकरण में क्या बाधाएं थी?

उत्तर- जर्मनी के एकी़करण में निम्नलिखित बाधाऍं थी—

  • जर्मनी 300 से अधिक छोटे-छोटे राज्य में बँटा हुआ था ।

  • इन राज्यों के सभी राज़ाओं की अलग-अलग सोच थी ।

  • जर्मनी की जनता में अपने राष्ट्र के प्रति देश प्रेम का अभाव था ।

  • जर्मनी की राजनीतिक स्थिति बहुत दयनीय थी और उसकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी ।

  • जर्मनी की धार्मिक एवं जातीय रूप में भी एक़जु़टता नहीं थी ।

ये सभी जर्मनी के एकीकरण में बाधाएं थी ।

प्रश्न-6. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की क्या भूमिका थी?

उत्तर- जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की महत्वपूर्ण भूमिका थी—

बिस्मार्क जर्मनी के एकीकरण के लिए “रक्त और तलवार” की नीति अपनाई । उसने डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और फ्रांस के साथ युद्ध किया, जिसके कारण जर्मनी का एकीकरण 1871 ई० में संभव हुआ । जर्मनी के एकीकरण के लिए सर्वप्रथम बिस्मार्कं ने अपने सैन्य शक्ति को मजबूत किया । इसके लिए उसने धन एकत्र करने का हर संभव प्रयास किया । इस तरह उसने धन एकत्र करके प्रशा की सैन्य शक्ति को मजबूत किया । इस कार्य में उसे अद्भुत सफलता मिली । उसने अपनी सैन्य शक्ति को पूरी तरह से सुसंगठित किया और उसे पूरी तरह तैयार करके शक्तिशाली बना दिया ।

इसके बाद उसने तीन युद्ध किए—

डेनमार्क से युद्ध:- बिस्मार्क ने कूट नीति का सहारा लेकर ऑस्ट्रिया के साथ समझौता कर लिया और डेनमार्क को युद्ध में पराजित कर उसके बहुत सारे राज्यों पर अधिकार कर लिया।

ऑस्ट्रिया से युद्ध:- डेनमार्क से युद्ध के बाद विस्मार्क ऑस्ट्रिया पर भी अधिकार करना चाहता था । इसके लिए वह फ्रांस, रूस और इंग्लैंड के साथ मिल गया । 1866 ई० में से सेडोवा का युद्ध हुआ । युद्ध के बाद विस्मार्क ने ऑस्ट्रिया के बीच बहुत सारे भू-भागों पर अधिकार कर लिया ।

फ्रांस के साथ युद्ध:- जर्मनी के एकीकरण करने के लिए फ्रांस से युद्ध बहुत आवश्यक था । फ्रांस को पराजित करने के बाद जर्मनी का एकीकरण करना आसान था । इसलिए विस्मार्क ने अपनी पूरी सैन्य शक्ति के साथ फ़्रांस के विरुद्ध युद्ध किया और सीडान के युद्ध में फ्रांस को बुरी तरह पराजित किया ।

प्रश्न-7. इटली के एकीकरण में मेजिनी, काउंट काबूर और गैरीबाल्डी के योगदा़नों का उल्लेख करें ।

उत्तर-

मेजिनी:- मेजिनी एक उदारवादी/ राष्ट्रवादी क्रांतिकारी था । वह इटली को निरंकुश शासकों से मुक्त कराना चाहता था और इटली को एकीकृत गणतंत्र के रूप में देखना चाहता था । उसने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए “यंग इटली” नामक एक संगठन बनाया, जिसमें युवा सदस्यों का शामिल किया गया । ये युवा सदस्य लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करते थे । मेजिनी ने अपने लेखों और रचनाओं के माध्यम से भी लोगों को इटली के एकीकरण के लिए प्रेरित करता था ।

काउंट काबूर:- सन् 1848 ई० में सार्डिनिया के शासक ने काउंट काबूर को अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया । काउंट काबूर इटली के एकीकरण का पक्का समर्थक था । उसने इटली के एकीकरण के लिए फ्रांस, ब्रिटेन से मित्रता किया और उसने ऑस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध के लिए मदद मांगी । फ्रांस और ब्रिटेन ने काउंट काबूर की मदद की और इन तीनों देश की सेनाओं ने मिलकर ऑस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध किया । इस युद्ध में ऑस्ट्रिया बुरी तरह पराजित हुआ और युद्ध में पराजित होने के बाद इटली के प्रमुख राज्य वेनेशिया और लोम्बार्डी पर से ऑस्ट्रिया का अधिकार समाप्त हो गया और काउंट काबूर में अपने इन प्रमुख राज्यों को इटली में मिला लिया । इस तरह इटली के एकीकरण में काउंट काबूर का महत्वपूर्ण योगदान रहा ।

गैरीबाल्डी:- गैरीबाल्डी का भी इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान रहा । गैरीबाल्डी युद्ध के बल पर इटली का एकीकरण करना चाहता था । इसके लिए उसने एक क्रांतिकारी संगठन बनाया और उसमें बहुत सारे क्रांतिकारी युवा शामिल किए गए । गैरीबाल्डी अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ सिसली द्वीप पहुंचा और 3 महीने के अंदर वहाँ के राजा को पराजित करके उसकी राजधानी पर अधिकार कर लिया । उसके बाद उसने नेपल्स के राजा को भी पराजित करके उस पर अपना अधिकार कर लिया । इस तरह उसने युद्ध के बल पर इटली के बहुत सारे छोटे राज्यों के राजाओं को पराजित करके उन पर अधिकार कर लिया और उन्हें इटली में मिला लिया । इस तरह इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का महत्वपूर्ण योगदान रहा ।

प्रश्न-8. इटली तथा जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की क्या भूमिका थी?

उत्तर- इटली तथा जर्मनी के एकीकरण के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक ऑस्ट्रिया था । ऑस्ट्रिया को बिना पराजित किए इटली तथा जर्मनी का एकीकरण संभव नहीं था । इसलिए ऑस्ट्रिया से मुक्ति (निजात) पाने के लिए उसको युद्ध में पराजित करना जरूरी था । इसके लिए इटली तथा जर्मनी के सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई तथा उनकी स्थिति मजबूत की गई और साथ-साथ कूट नीति के आधार पर ऑस्ट्रिया को युद्ध में पराजित किया, जिसके बाद इटली तथा जर्मनी का एकीकरण संभव हो सका।

प्रश्न-9. रुसीकरण की नीति रूस की क्रांति के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी?

उत्तर- रूस में विभिन्न प्रजातियाँ निवास करती थी। इनकी भाषा और संस्कृति अलग-अलग थी लेकिन रूस के जार (राजा) ने देश की एकता के लिए रुसीकरण की नीति अपनाई । इस नीति के अनुसार सभी लोगों पर समान भाषा, शिक्षा और संस्कृति थोपने का प्रयास किया गया जिससे लोगों में विद्रोह की भावना बढ़ गई। इस प्रकार रुसीकरण की नीति रूस की क्रांति के लिए उत्तरदायी थी।

प्रश्न-10. प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय ने रूस की क्रांति के लिए मार्ग कैसे प्रशस्त किया?

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय 1917 ई० की रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण बना। प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय होने पर लोग जार निकोलस द्वितीय से खफा हो गए। युद्ध में रूस की पराजय का कारण लोग जार को मानने लगे। इस प्रकार लोगों के मन में जार के प्रति विद्रोह की भावना भर गई। इस तरह प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय ने रूस की क्रांति के मार्ग को प्रशस्त कर दिया।

प्रश्न-11. 1929 ई० के आर्थिक संकट के कारणों का उल्लेख करें।

उत्तर- 1929 ई० के आर्थिक संकट के निम्न कारण थे—

  • औद्योगिक क्रांति के कारण वस्तुओं का उत्पादन आवश्यकता से अधिक हो गया, जिसके कारण नहीं बिकने के कारण वस्तु बहुत अधिक सस्ती हो गयी जो आर्थिक मंदी का प्रमुख कारण बना।

  • जब अधिक उत्पादन होने के कारण वस्तुओं की बिक्री बंद हो गयी तो सारे कल-कारखाने बंद हो गए। सभी मजदूर तथा उसमें कार्य करने वाले बेरोजगार हो गए।

  • प्रथम विश्वयुद्ध के कारण सभी यूरोपीय देशों की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई थी, जिससे सभी देशों में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गई थी।

प्रश्न-12. 1929 ई० के आर्थिक संकट के परिणामों को लिखें।

उत्तर- 1929 ई० के आर्थिक संकट के निम्न परिणाम हुए—

व्यापार में गिरावट:- आर्थिक संकट के कारण वस्तुओं की बिक्री बहुत ही कम हो गई तथा सस्ती भी हो गई जिसके कारण व्यापार में भारी गिरावट हुई।

कृषि उत्पादों के मूल्य में कमी:- आर्थिक संकट के कारण भारतीय कृषि उत्पादों के मूल्य में बहुत कमी आई। उस समय गेहूँ तथा चावल की कीमतों में लगभग 50% की गिरावट आई।

किसानों की दयनीय स्थिति:- आर्थिक संकट का सबसे बुरा प्रभाव किसानों पे पड़ा। कृषि उत्पादों के मूल्यों में अधिक कमी होने के कारण किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई।

बेरोजगारी की समस्या:- आर्थिक संकट के कारण वस्तुओं के अधिक उत्पादन होने के कारण उनकी बिक्री बंद हो गई जिसके कारण बहुत सारे कल-कारखाने बंद हो गए। अतः कल-कारखानों के बंद होने के कारण लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हो गए।

प्रश्न-13. खूनी रविवार की घटना का उल्लेख करें।

उत्तर- 1904-05 के रूसी-जापानी युद्ध में रूस की पराजय से उसकी प्रतिष्ठा को गहरी ठेस पहुँची। अतः इसके कारण 9 जनवरी, 1905 ई० को हजारों की संख्या में निहत्थे लोग जार के निवास स्थल सेंट पीटर्सबर्ग की ओर बढ़ी। जब जार को यह पता चला कि हजारों की संख्या में लोग जुलुस निकालकर उसकी तरफ बढ़ रहे है, तो उसके आदेश से सेंना ने उनलोगों पर गोलियाँ चलाई, जिसके कारण बहुत लोग मारे गए। यह घटना रविवार के दिन हुई थी। इसलिए इस घटना को खूनी रविवार (लाल रविवार) के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न-14. रूस की क्रांति के कारणों का उल्लेख करें।

उत्तर- रूस की क्रांति के निम्न कारण थे—

राजनीतिक कारण:- रूस का जार निकोलस द्वितीय अयोग्य और निरंकुश शासक था। उसकी रुसीकरण की नीति के कारण लोग जार के खिलाफ हो गए तथा रूस की पराजय का कारण जार निकोलस द्वितीय था। अतः रूस की जनता जार के खिलाफ विद्रोह कर दी।

सामाजिक कारण:- रूस की अधिकतर जनता किसान थी। जार की नीतियों के कारण किसानों की स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही थी। अतः रूस के किसान भी जार के खिलाफ थे।

आर्थिक कारण:- रूस में उद्योग-धंधे और व्यापार का विकास नहीं हो पा रहा था और ना ही नए उद्योग-धंधों को स्थापित किया जा रहा था। अतः रूस में बेरोजगारी बढ़ती जा रही थी, जिससे रूस की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई थी। इसलिए रूस की आम जनता भी जार के खिलाफ थी।

धार्मिक कारण:- रूस की जनता को धार्मिक स्वतंत्रता नहीं थी। लोगों के धार्मिक जीवन पर चर्च तथा जार का पूरा प्रभाव था। अतः रूसी जनता इनकी धार्मिक नीतियों के कारण जार से खफा थी।

बौद्धिक कारण:- रूस में बौद्धिक जागरण से जनता को जार के निरंकुश शासन के खिलाफ बगावत करने की प्रेरणा मिली। टोल्सटॉय, चेखव, कालमार्क्स इत्यादि की रचनाओं से रूस की जनता पर काफी प्रभाव पड़ा। उनकी रचनाओं से प्रभावित होकर रूसी जनता ने जार के खिलाफ विद्रोह कर दिया।

प्रश्न-15. रूसी क्रांति का क्या परिणाम हुआ अथवा रूस की क्रांति ने पूरे विश्व को कैसे प्रभावित किया?

उत्तर- रूसी क्रांति के निम्न परिणाम हुए—

  • सर्वहारा वर्ग के सम्मान में वृद्धि हुई।

  • रूस के समान अनेक देशों में साम्यवादी सरकारों की स्थापना हुई।

  • अंतर्राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन मिला।

  • रूसी क्रांति के कारण एशिया और अफ्रीका में साम्राज्यवाद का पतन हो गया।

  • रूसी क्रांति के बाद विभिन्न देशों में शीतयुद्ध आरंभ हो गया।

प्रश्न-16. लेनिन की नई आर्थिक नीति की विवेचना करें।

उत्तर- 1921 ई० में लेनिन ने रूस की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एक नई नीति अपनाई जिसे लेनिन की नई आर्थिक नीति कहा गया। लेनिन की इस नई आर्थिक नीति की निम्न विशेषताएँ थी—

  • नई आर्थिक नीति के अंतर्गत किसानों को अब अनाज के बदले एक निश्चित राशि कर के रूप में देनी थी।

  • किसानों को उनकी जमीनों का स्वामित्व दे दिया गया।

  • विदेशी पूँजी निवेश की अनुमति दे दी गई।

  • बैंकिंग व्यवस्था का विस्तार किया गया।

  • उद्योगों का विकेन्द्रीकरण कर दिया गया।

  • राजकीय बीमा एजेंसिया स्थापित की गई।

  • ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई।

प्रश्न-17. हिन्दचीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें।

उत्तर- 17 वीं शताब्दीं में अनेक फ्रांसीसी व्यापारी हिन्दचीन पहुँचे तथा 18 वीं शताब्दी से वें हिन्दचीन की राजनीति में सक्रिय हो गए। 1862 ई० में अन्नाम के साथ फ्रांस ने संधि करके चीन में अपना प्रभाव बढ़ाया। 1867 ई० में कोचीन-चीन में अनेकों फ्रांसीसी उपनिवेशों की स्थापना हुई। इस तरह धीरे-धीरे हिन्दचीन में फ्रांसीसी प्रभाव का प्रसार बढ़ता गया।

प्रश्न-18. होआ-होआ आंदोलन पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर- होआ-होआ आंदोलन उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन था। यह आंदोलन 1939 ई० में वियतनाम में आरंभ हुआ। इस आंदोलन को आरंभ करने वाला हुइन्ह-फू-सो था। इस आंदोलन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सरकार ने कठोर कार्यवाही की और इस आंदोलन को क्रूरता पूर्वक दबा दिया गया।

प्रश्न-19. एकतरफा अनुबंध व्यवस्था क्या थी?

उत्तर- एकतरफा अनुबंध व्यवस्था एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत मजदूरों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं था जबकि मालिकों को असीमित अधिकार थे। इस व्यवस्था में मजदूरों से रबड़ बागानों के खेतों और खानों में काम करवाया जाता था।

प्रश्न-20. जेनेवा समझौता कब और किसके बीच हुआ?

उत्तर- जेनेवा समझौता मई, 1954 ई० में हुआ। यह समझौता हिन्द-चीन समस्या पर वार्ता हेतु बुलाए गए सम्मेलन में हुआ। इस समझौता में वियतनाम को दो हिस्सों में बाँट दिया गया तथा लाओस और कंबोडिया में संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया।

प्रश्न-21. हो-ची-मिन्ह मार्ग क्या है?

उत्तर- यह मार्ग हनोई से चलकर लाओस और कंबोडिया के सीमा से गुज़रता हुआ दक्षिण वियतनाम तक जाता था। इस मार्ग से सैकड़ों कच्ची तथा पक्की सड़के जुड़ी हुई थी। वियतनामियों की सभी वस्तुओं की आयात-निर्यात का मार्ग हो-ची-मिन्ह मार्ग ही था। अतः वियतनामियों के लिए यह मार्ग बहुत ही महत्वपूर्ण था।

प्रश्न-22. नापाम और एजेंट ऑरेंज क्या था?

उत्तर- नापाम और एजेंट ऑरेंज घातक रासायनिक हथियार थे जिनका उपयोग अमेरिका ने वियतनामी युद्ध में किया था। नापाम में गैसोलिन मिला था जो त्वचा से चिपक कर जलता रहता था। एजेंट ऑरेंज एक खतरनाक जहर था। उसे जिन ड्रमों में रखा जाता था, उनपर ऑरेंज (नारंगी) रंग की पट्टियाँ बनी होती थी। युद्ध में इन दोनों के प्रयोग से धन-जन की भारी क्षति हुई।

प्रश्न-23. ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच दो विभिन्नताओं का उल्लेख करें।

उत्तर- ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच दो विभिन्नताएँ निम्न है—

  • ग्रामीण जीवन कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था होती है, जबकि नगरीय जीवन (शहरों) में व्यापार तथा उद्योग की अर्थव्यवस्था होती है।

  • ग्रामीण (गाँवों) में संयुक्त परिवार का चलन है, जबकि नगरीय जीवन में व्यक्तिगत परिवार का चलन होता है।

प्रश्न-24. अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कैसे हुई? इसके प्रारंभिक उद्देश्य क्या थे?

उत्तर- भारतीय राष्ट्रवादियों ने संगठित होने का निर्णय लिया। अतः 1883 ई० में दिसंबर में इंडियन एसोसिएशन के सचिव आनंद मोहन बोस ने कलकत्ता में नेशनल कांफ्रेंस नामक एक अखिल भारतीय संगठन का सम्मेलन बुलाया, जहाँ अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना पर बदल दिया गया।

इसके प्रारंभिक उद्देश्य निम्न थे—

  • इसका उद्देश्य बिखरे राष्ट्रवादियों को एकजुट करना था।

  • देशवासियों के बीच मित्रता तथा भाईचारे का संबंध स्थापित करना था।

  • देश के सभी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच एकता स्थापित करना था।

  • राष्ट्रीय एकता तथा उसके सुदृढ़ीकरण के लिए हर संभव प्रयास करना था।

प्रश्न-25. किन तीन प्रक्रियाओं द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई?

उत्तर- निम्न तीन प्रक्रियाओं द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई—

  • औद्योगिक पूॅंजी का उदय।

  • औपनिवेशिक शासन की स्थापना।

  • लोकतांत्रिक आदर्शों का विकास।

प्रश्न-26. हिंद चीन में फ्रांसीसी द्वारा उपनिवेश स्थापना के तीन उद्देश्यों का उल्लेख करें।

उत्तर- हिंद चीन में फ़्रांसीसियों द्वारा उपनिवेश स्थापना के तीन उद्देश्य निम्न थे—

  • डच एवं ब्रिटिश कंपनियों की व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए।

  • औद्योगिकरण हेतु कच्चे माल की प्राप्ति के लिए।

  • अपने उत्पादित सामानों को बेचने के लिए।

प्रश्न-27. औद्योगिक आयोग की नियुक्ति कब हुई? इसके क्या उद्देश्य थे?

उत्तर- औद्योगिक आयोग की नियुक्ति 1916 ० में हुई।

औद्योगिक आयोग की नियुक्ति का मुख्य उद्देश्य उद्योग तथा व्यापार के भारतीय वित्त से संबंधित प्रयत्नों के लिए उन क्षेत्रों का पता लगाना, जिसमें सरकार द्वारा उसे सहायता प्रदान की जा सके।

प्रश्न-28. स्वतंत्र भारत में प्रेस की भूमिका पर प्रकाश डालें।

उत्तर- स्वतंत्र भारत में प्रेस की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही है। प्रेस भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विकास में प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है। प्रेस अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रादेशिक तथा क्षेत्रीय घटनाओं की सूचना देने वाला प्रमुख माध्यम है। प्रेस के द्वारा सरकारी नीतियों, खेल-कूद, मनोरंजन इत्यादि महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती है।

प्रश्न-29. भारतीय प्रेस की तीन विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर- भारतीय प्रेस की तीन विशेषताएँ निम्न थी—

  • भारतीय प्रेस के कारण समाचार-पत्रों द्वारा धार्मिक आंदोलन को बल मिला।

  • भारतीय प्रेस के कारण सामाजिक सुधार आंदोलन को भी बल मिला।

  • भारतीय प्रेस के कारण भारतीय जनमत भी जागृत हुआ।

प्रश्न-30. सर्वहारा वर्ग किसे कहते है?

उत्तर- समाज का वह वर्ग, जिसमें गरीब किसान, मजदूर, आमलोग, सामान्य श्रमिक अर्थात् सभी वर्ग के लोग शामिल होते है, उस समाज को सर्वहारा वर्ग कहते है।

प्रश्न-31. शहर किस प्रकार की क्रियाओं के केंद्र होते है?

उत्तर- शहर विभिन्न क्रियाकलापों के केंद्र होते है। शहरों में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, प्रशासनिक इत्यादि क्रियाकलापों के केंद्र होते है। इसके अतिरिक्त रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, यातायात इत्यादि के केंद्र शहर ही होते है।

प्रश्न-32. यूरोपीय इतिहास में "घेटो" का क्या अर्थ है?

उत्तर- यूरोपीय देशों में यहूदी जाति के जो लोग रहते थे, उन यहूदी जाति के बस्तियों को घेटो कहा जाता था। अतः घेटो का शाब्दिक अर्थ है— "यहूदी जातियों की बस्ती।"

प्रश्न-33. बिहार के चंपारण किसान आंदोलन पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर- बिहार के चंपारण जिले में किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। यहाँ चंपारण जिले में ब्रिटिश सरकार द्वारा तीनकठिया व्यवस्था प्रचलित थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत यहाँ के किसानों को अपनी भूमि का 3/20 हिस्सों पर नील की खेती करनी पड़ती थी लेकिन यहाँ के किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे क्योंकि नील की खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती थी। इसके अतिरिक्त किसानों को उनकी उपज को कम मूल्य पर बेचने के लिए बाध्य किया जाता था।

इसके साथ-साथ किसानों पर अधिक कर भी लगा दिया गया था। अंग्रेजों के इन अत्याचारों के कारण एक किसान राजकुमार शुक्ल ने 1916 ई० में महात्मा गाँधी को चंपारण आने का आग्रह किया। अतः महात्मा गाँधी किसानों को अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए चंपारण आए। वे चंपारण आकर यहाँ के किसानों को संगठित किये तथा आंदोलन चलाए और अंग्रेजों के इन अत्याचारों से किसनों को मुक्ति दिलाई।

भारतीय इतिहास में इस आंदोलन को चंपारण किसान आंदोलन के नाम से जाना गया। इसे चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

प्रश्न-34. राॅलेट एक्ट क्यों पारित किया गया? इसका क्या परिणाम हुआ?

उत्तर- भारत की क्रांतिकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए 1919 ई० में यह एक्ट पारित किया गया। इस एक्ट के अनुसार ब्रिटिश सरकार केवल शक (संदेह) के आधार पर किसी भी भारतीय को गिरफ्तार कर सकती थी और उसपर बिना मुकदमा चलाए दंडित कर सकती थी। अतः इस कानून को लेकर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई। हर जगह इस कानून को लेकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ घोर विरोध किया गया।

प्रश्न-35. जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विषय में क्या जानते है?

उत्तर- रॉलेट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में बैशाखी के दिन हजारों की संख्या में भारतीय एकत्रित हुए थे। वहाँ रॉलेट एक्ट और पुलिस की दमनकारी नीतियों का विरोध हो रहा था। जब इसकी खबर अमृतसर के सैनिक कमांडर जनरल डायर के पास पहुँची तब जनरल डायर आक्रोशित होकर अपने सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचा और प्रवेशद्वार बंद करके निहत्थे भारतीयों पर गोलियाँ चलवादी, जिसके कारण बहुत सारे भारतीय मारे गए और हजारों की संख्या में घायल हो गए। अतः इस हत्याकांड को जलियाँवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न-36. ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई? इसके क्या उद्देश्य थे?

उत्तर- ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 ई० में आगा खाॅं के नेतृत्व में हुआ। आगा खाॅं ने मुसलमानों की माँगों को पूरा करने के लिए वायसराय मिंटों से मिला और ढाका में प्रमुख मुसलमानों ने एकत्रित होकर 30 दिसंबर, 1906 ई० को मुस्लिम लीग की स्थापना की।

इसका मुख्य उदेश्य मुसलमानों की माँगों को पूरा करना था।

प्रश्न-37. खिलाफत आंदोलन पर टिप्प्णी लिखें।

उत्तर- तुर्की का सुल्तान खलीफा इस्लामी जगत का धर्मगुरु भी था। सेवर्स की संधि द्वारा खलीफा की शक्ति और प्रतिष्ठा नष्ट कर दी गई, जिसके कारण भारतीय मुसलमान क्रोधित हो गए। अतः उन्होंने खलीफा को पुनः शक्ति और प्रतिष्ठा दिलाने के लिए 1919 ई० में खिलाफत समिति बनाकर आंदोलन करने की योजना बनाई गई, जिसे भारतीय इतिहास में खिलाफत आंदोलन के नाम से जाना गया।

प्रश्न-38. बिहार के किसान आंदोलन पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर- 1922-23 ई० में शाह मुहम्मद जुबैर ने मुंगेर में किसान सभा का गठन किया। 1 सितंबर 1936 ई० में बिहार सहित सभी देशों में किसान दिवस मनाया गया। उस दिन बिहार के किसानों ने जमींदारी शोषण से मुक्त करने तथा लगान कम करने की माँग को लेकर आंदोलन किया। बिहार में इस किसान आंदोलन को स्वामी सहजानंद सरस्वती ने इसको और प्रभावी बनाया। बिहार में किसानों द्वारा किए गए आंदोलन को किसान आंदोलन के नाम से जाना गया।

प्रश्न-39. साइमन कमीशन भारत क्यों आया?

उत्तर- साइमन कमीशन (आयोग) फरवरी 1928 ई० में भारत आया। इसका उद्देश्य 1919 के अधिनियम द्वारा स्थापित उत्तरदायी शासन की स्थापना में किए गए प्रयासों की समीक्षा करना और आवश्यक सुझाव देना था। इस आयोग में कोई भी भारतीय नहीं था। अतः जब साइमन कमीशन (आयोग) मुंबई पहुँचा, तो वहाँ भारतीय प्रदर्शनकारियों ने उनका स्वागत काले झंडो से किया और साइमन वापस जाओ का नारा लगाया गया।

प्रश्न-40. असहयोग आंदोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन करें।

उत्तर-

कारण:- ब्रिटिश सरकार ने 1919 ई० में रॉलेट एक्ट पारित किया, जिसको भारतीयों ने काला कानून कहकर इसका विरोध किया। इस कानून के विषय पर इसके विरोध के लिए अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक सभा आयोजित की गई। जब इस सभा की खबर जनरल डायर को मिली तब उसने अपने सैनिकों के साथ वहाँ पहुँच कर निहत्थे भारतीयों पर गोलियाँ बरसा दी, जिसमें बहुत लोग मारे गए। इस घटना से पूरे भारत के लोग आक्रोशित हो गए। इसके बाद भारत में जब खिलाफत आंदोलन शुरू हुई, तो गाँधीजी इस आंदोलन को सत्य और न्याय पर आधारित आंदोलन मानते थे। इस अवसर का लाभ उठाकर गाँधीजी हिंदु-मुस्लिम एकता को मजबूत करने तथा ब्रिटिश सरकार की नीतियों के विरोध में एक अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन करने की घोषणा कर दी। इस असहयोग आंदोलन के अंतर्गत महात्मा गाँधी ने देश के सभी भारतीयों से अपील किए कि सभी लोग विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और सरकारी लोग अपने पदो का त्याग कर दें।

परिणाम:- महात्मा गाँधी द्वारा किया गया असहयोग आंदोलन पूर्णतः सफल तो नहीं हो पाई लेकिन बहुत जगहों पर अधिक मात्रा में लोगों ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया तथा सरकारी शिक्षण संस्थाओं का भी बहिष्कार हुआ। इस असहयोग आंदोलन के कारण लोगों में स्वदेशी की भावना मजबूत हुई तथा लोगों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत हुई। इस आंदोलन के कारण बहुत भारतीय लोगों का साथ मिला, जिससे कांग्रेस को एक नयी दिशा मिली।

प्रश्न-41. महात्मा गाँधी द्वारा किए गए भारत छोड़ो आंदोलन का वर्णन करें।

उत्तर- ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया अत्याचार चरम सीमा पर पहुँच चुका था। देश का प्रत्येक भारतीय ब्रिटिश सरकार के खिलाफ था। सभी वर्ग के लोग ब्रिटिश सरकार से खफा थे और वे चाहते थे कि ब्रिटिश सरकार को भारत से हटाना होगा। अतः महात्मा गाँधी द्वारा किया गया भारत छोड़ो आंदोलन एक जन आंदोलन था क्योंकि सभी भारतीय ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुट हो गए थे। इसलिए महात्मा गाँधी ने अपने इस आंदोलन में करो या मारो का नारा दिया। इस आंदोलन में पूरे देश के सभी भारतीयों ने भाग लिया। इस आंदोलन में हर वर्ग के लोग एकजुट होकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भाग लिए। बहुत सारे जगहों पर लोगों ने बिजली के खंभों को तोड़ दिया, टेलीफोन के तार काट दिए गए, रेल के पटरियों को उखाड़ दिया गया तथा सरकारी पदों तथा विदेशी वस्तुओं का पूरी तरह से बहिष्कार किया गया। यह आंदोलन इतना उग्र था कि इस आंदोलन में ब्रिटिश सरकार की नींव को हिला दिया। इस आंदोलन के कारण भयभीत होकर ब्रिटिश सरकार ने भारत को स्वतंत्र करने की घोषणा कर दी। अतः महात्मा गाँधी द्वारा किया गया भारत छोड़ो आंदोलन एक निर्णायक आंदोलन था, जिसने ब्रिटिश सरकार को भारत स्वतंत्र करने को विवश कर दिया।

प्रश्न-42. सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों तथा परिणामों का वर्णन करें।

उत्तर- सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्न कारण थे—

  • साइमन कमीशन का भारत आना:- साइमन कमीशन जब भारत आया, तो उसमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था, जिसके कारण इसका विरोध किया गया। इस विरोध के खिलाफ ब्रिटिश सरकार ने कठोर दमनकारी नीति अपनाई। इस विरोध में पुलिस के लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई, जिससे भारतीय, ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आक्रोशित हो गए।

  • आर्थिक मंदी का प्रभाव:- विश्व में व्याप्त आर्थिक मंदी का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा। भारतीय अर्थव्यवस्था भी दयनीय हो गई। लोग बेरोजगार हो गए थे तथा मॅंहगाई के कारण भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इस दिशा में ब्रिटिश सरकार भारतीयों के जन-कल्याण के लिए कोई कार्य नहीं कर रही थी। अतः भारतीय, ब्रिटिश सरकार के खिलाफ हो गए थे।

  • क्रांतिकारी गतिविधियों में वृद्धि:- ब्रिटिश सरकार को भारत से भगाने के लिए दिन-प्रतिदिन क्रांतिकारी गतिविधियों में वृद्धि हो रही थी।

  • पूर्ण स्वराज्य की माँग:- लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज्य की माँग की। 26 जनवरी 1930 ई० को देश में पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाया गया, जिससे लोगों में नया उत्साह उत्पन्न हुआ।

  • गाँधी इरविन समझौता:- गाँधीजी ने 1931 ई० में इरविन के समक्ष अपनी 11 सूत्री माँग रखी, जिसपर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।

  • दांडी यात्रा:- गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार से खफा होकर 12 मार्च 1930 ई० को दांडी यात्रा आरंभ करके नामक कानून भंग किया तथा सरकार के बहिष्कार की नीति अपनाई। 5 मार्च 1931 ई० को गाँधी-इरविन समझौता के बाद इस आंदोलन को गाँधीजी ने वापस ले लिया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्न परिणाम हुए—

  • इस आंदोलन में समाज के सभी वर्ग के लोगों ने भाग लिया।

  • इस आंदोलन में एक बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी भाग लिया।

  • इस आंदोलन में बहिष्कार की नीति से ब्रिटिश सरकार को आर्थिक क्षति पहुँची।

  • इस आंदोलन के कारण भारत में संवैधानिक सुधारों की प्रक्रिया में तेजी आयी।

प्रश्न-43. औद्योगिकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया?

उत्तर- औद्योगिकरण के विकास के कारण मजदूरों की आजीविका पर बुरा प्रभाव पड़ा। कल-कारखानों के विकास के कारण मशीनों से वस्तुओं का उत्पादन तेजी से होने लगा, जिसके कारण कल-कारखानों में मजदूरों की संख्या कम कर दी गयी। अतः बेरोजगार मजदूरों की संख्या बहुत अधिक हो गयी, जिससे मजदूरों को कम वेतन पर ही अधिक समय तक काम करना पड़ता था। इस प्रकार औद्योगिकरण के कारण बेकारी की समस्या बहुत अधिक बढ़ गई।

प्रश्न-44. न्यूनतम मजदूरी कानून कब और किस उद्देश्य से पारित किया गया?

उत्तर- भारत सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 ई० में पारित किया गया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य उद्योगों में मजदूरी दर को नियत करना था, जिससे मजदूरों को कम से कम इतनी मजदूरी मिलनी चाहिए, जिससे वें अपनी कार्य कुशलता बनाए रखते हुए अपनी अच्छी तरह से गुजारा कर सके।

प्रश्न-45. औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही क्यों हुई?

उत्तर- औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही हुई, इसके निम्न कारण थे—

  • इंग्लैंड की भौगोलिक स्थिति उद्योग-धंधों के लिए अनुकूल थी।

  • इंग्लैंड में प्रचुर मात्रा में लोहा, कोयला इत्यादि खनिज उपलब्ध थे।

  • इंग्लैंड में अच्छे समुद्री बंदरगाह भी थे।

  • इंग्लैंड में नए-नए मशीनों का आविष्कार हो चुका था।

  • इंग्लैंड के पास अधिक मात्रा में पूँजी भी थी।

  • इंग्लैंड के पास बड़ी संख्या में सस्ते मजदूर भी उपलब्ध थे।

प्रश्न-46. औद्योगिक क्रांति का क्या परिणाम हुआ?

उत्तर- औद्योगिक क्रांति के निम्न परिणाम हुए—

  • कल-कारखानों का अधिक संख्या में विकास।

  • पूँजीपति वर्ग का विकास।

  • श्रमिक वर्ग का उदय।

  • स्त्री-श्रम का विकास।

  • बाल-श्रम की प्रथा।

  • स्लम-पद्धति का विकास।

  • मध्यम वर्ग का उदय।

  • कुटीर उद्योगों का पतन।

प्रश्न-47. उपनिवेशवाद से आप क्या समझते है? औद्योगिकरण ने उपनिवेशवाद को कैसे जन्म दिया?

उत्तर- औद्योगिक क्रांति के कारण उपनिवेशवाद का जन्म हुआ। औद्योगिकरण के कारण कल-कारखानों का विकास इंग्लैंड के अतिरिक्त धीरे-धीरे अन्य देशों में भी होने लगा। इन कल-कारखानों द्वारा उत्पादित सामानों की बिक्री के लिए बाजार की आवश्यकता थी। अतः भारत सहित एशिया और अफ्रीका में अन्य देशों ने अपने वस्तुओ को बेचने के लिए वहाँ जमीन लेकर रहने लगे और अपने वस्तुओं को बेचने लगे, जिसे उपनिवेशवाद कहते है। अतः इंग्लैंड के अतिरिक्त फ्रांस, जर्मनी इत्यादि देशों ने भी अपने-अपने उपनिवेश स्थापित किए। इस उपनिवेशवाद के कारण आगे चलकर साम्राज्यवाद का भी जन्म हुआ।

  • कल-कारखानों का अधिक संख्या में विकास।

  • पूँजीपति वर्ग का विकास।

  • श्रमिक वर्ग का उदय।

  • स्त्री-श्रम का विकास।

  • बाल-श्रम की प्रथा।

  • स्लम-पद्धति का विकास।

  • मध्यम वर्ग का उदय।

  • कुटीर उद्योगों का पतन।

प्रश्न-48. शहरीकरण ने किन नई समस्याओं को जन्म दिया?

उत्तर- शहरीकरण ने अनेकों प्रकार की नई समस्याओं को जन्म दिया—

  • शहरीकरण के कारण आवास, यातायात इत्यादि समस्याएँ उत्पन्न हुई।

  • शहरीकरण के कारण पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

  • शहरीकरण ने प्रतियोगिता तथा अवसरवाद जैसी प्रवृतियों को जन्म दिया।

  • शहरीकरण ने समाज में वर्ग-विभेद जैसी प्रवृति को जन्म दिया।

प्रश्न-49. शहरों में मध्यम वर्ग की भूमिका पर प्रकाश डालें।

उत्तर- शहरों में पूँजीपति और श्रमिक वर्ग के साथ-साथ शहरों में मध्यम वर्ग का भी उदय हुआ। इस मध्यम वर्ग में बुद्धिजीवी, नौकरीपेशा समूह, राजनीतिज्ञ, चिकित्सक, व्यापारी प्रमुख थे। इन मध्यम वर्ग ने समाज में राजनीतिक चिंतन दिया तथा विभिन्न आंदोलनों को दिशा और नेतृत्व प्रदान किया।

प्रश्न-50. विश्व बाजार से आप क्या समझते है? इसका उदय और विकास कैसे हुआ?

अथवा औद्योगिक क्रांति ने विश्व बाजार के स्वरूप का विस्तार कैसे किया?

उत्तर- विश्व बाजार का अर्थ वैसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार से है, जहाँ विश्व के विभिन्न देशों के व्यापारी वस्तुओं की खरीद बिक्री करते है। विश्व बाजार का उदय औद्योगिक क्रांति के बाद हुई। विश्व बाजार के स्वरूप को विकसित करने में औद्योगिक क्रांति की महत्वपूर्ण भूमिका थी क्योंकि कारखानों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराने तथा उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार उपलब्ध कराने का काम विश्व बाजार ने किया। व्यापार, पूँजी तथा मजदूरों के पलायन ने भी विश्व बाजार के विस्तार में सहयोग दिया।

प्रश्न-51. गिरमिटिया मजदूरों पर एक टिप्पणी लिखें।

उत्तर- गिरमिटिया मजदूर वैसे मजदूरों को कहा जाता था जिन्हें अनुबंध के अंतर्गत भारत से ले जाया गया। इन मजदूरों को उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब तथा हरियाणा से जमैका, टोबैगो, मॉरीशस इत्यादि देशों में ले जाया गया। इनको मुख्यतः नगदी फसलों के उत्पादन में ले जाया गया। 1921 ई० में ब्रिटिश सरकार ने यह व्यवस्था बंद कर दी।

प्रश्न-52. न्यू डील पर टिपण्णी लिखें।

उत्तर- आर्थिक महामंदी के प्रभाव को दूर करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति रुजवेल्ट ने जो नई आर्थिक नीति अपनाई, उसे न्यू डील कहा जाता है। इस नीति के अंतर्गत जन-कल्याण की व्यापक योजनाएँ बनाई गई। इस योजना का उद्देश्य कृषि तथा उद्योग का विकास करना था।

प्रश्न-53. भारत पर आर्थिक महामंदी का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर- भारत पर आर्थिक महामंदी का निम्न प्रभाव पड़ा—

  • आर्थिक महामंदी से भारत का आयात-निर्यात घटकर आधा हो गया।

  • आर्थिक महामंदी से सबसे बुरी स्थिति किसानों की हुई।

  • आर्थिक महामंदी से बंगाल के पटसन उत्पादकों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई।

  • आर्थिक महामंदी के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार भारत से सोने का निर्यात करने लगी।

प्रश्न-54. भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभाव को स्पष्ट करें।

उत्तर- भारत पर भूमंडलीकरण का प्रभाव जीविकोपार्जन और आर्थिक क्षेत्र में व्यापक रूप से पड़ा। इसका प्रभाव सेवा क्षेत्र, बैंकिंग तथा बीमा क्षेत्र, सूचना तथा संचार के क्षेत्र में भी पड़ा। भूमंडलीकरण ने भारत में बेरोजगारी को कम किया तथा नागरिकों का जीवन स्तर भी बढ़ा।

प्रश्न-55. पांडुलिपि क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है?

उत्तर- छापाखाना के आविष्कार के पूर्व भोजपत्र पर हाथ से सुंदर अक्षरों में लिखकर पुस्तकें तैयार की जाती थी, जिसे पांडुलिपि कहते है। इनको तैयार करना कठिन और महॅंगा था, लेकिन ये बहुत अधिक आकर्षक होती थी। पांडुलिपि हमारे पूर्वजों के दुर्लभ ज्ञान का महत्वपूर्ण भंडार था, जिसका अध्ययन करके आसानी से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न-56. छापाखाना यूरोप में कैसे पहुँचा?

उत्तर- 1295 ई० में मार्कोपोलो जब चीन से इटली वापस आया तो अपने साथ चीन में प्रचलित वुड ब्लॉक छपाई की तकनीक लेते आया। इसके कारण चीन में हस्तलिखित पांडुलिपियों के स्थान पर वुड ब्लॉक छपाई होने लगी। इस तरह छापाखानों इटली से आरंभ होकर यह तकनीक यूरोप के अन्य भागों में भी फैल गई।

Political Science (राजनीतिक शास्त्र)

प्रश्न-1. सत्ता में साझेदारी से क्या समझते है?

उत्तर- सत्ता में साझेदारी का अर्थ होता है— सरकारी क्रियाकलापों में जनता की भागीदारी तथा सरकार के निर्णयों तथा नीति-निर्माण में भाग लेना। सत्ता में जनता की साझेदारी के कारण लोकतंत्र को जनता का शासन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में जनता सरकार के कार्यों में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेती है।

प्रश्न-2. परिवारवाद और जातिवाद बिहार में किस तरह लोकतंत्र को प्रभावित करते है?

उत्तर- बिहार की राजनीति में परिवारवाद और जातिवाद एक स्थापित तथ्य बन गया है। परिवारवाद और जातिवाद की भावना का इस्तेमाल करके राजनीतिक सत्ता को प्राप्त करते है या प्राप्त करने की कोशिश करते है। यहाँ जाति के आधार पर चुनाव में प्रत्याशी भी चुने जाते है। इसके अतिरिक्त मंत्रिमंडल के गठन में भी जाति का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। इसप्रकार हम कह सकते है कि बिहार की राजनीति में परिवारवाद और जातिवाद लोकतंत्र को प्रभावित करता है।

प्रश्न-3. लैंगिक असमानता तथा बँधुआ मजदूर किसे कहते है?

उत्तर-

लैंगिक असमानता:- लिंग के आधार पर पुरुषों और स्त्रियों में भेद-भाव करना, स्त्रियों को पुरुषों की तुलना में कम तथा हीन समझने की भावना को लैंगिक असमानता कहते है।

बँधुआ मजदूर:- जो व्यक्ति अपने ऋण को चुकाने के बदले अपने ऋणदाता के लिए श्रम करते है, वैसे मजदूरों को बँधुआ मजदूर कहते है।

प्रश्न-4. राष्ट्रीय प्रगति में महिलाओं का क्या योगदान है?

उत्तर- राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं का मत्वपूर्ण योगदान है। आधुनिक युग में महिलाएँ हर क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। वकील, वैज्ञानिक, शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबंधक, कंप्युटर इत्यादि हर क्षेत्र में महिलाएँ इन पदों पर अपना योगदान दे रही है। राजनीति में भी महिलाएँ अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर पहुँच चुकी है। आज की महिलाएँ पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। अतः राष्ट्रीय प्रगति में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

प्रश्न-5. लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है, कैसे?

उत्तर- लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही सारी शक्तियों का स्रोत होता है। लोकतंत्र में सारी शक्ति जनता में निहित होती है, क्योंकि जनता अपनी इच्छा के अनुसार सरकार के प्रतिनिधियों को चुनती है और जनता के अनुरूप कार्य नहीं होने पर उनको पुनः हटा भी सकती है। अतः लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है।

प्रश्न-6. संघीय और एकात्मक शासन में अंतर बतायें।

उत्तर- संघीय और एकात्मक शासन में निम्नलिखित है—

  • संघीय शासन में शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर दिया जाता है जबकि एकात्मक शासन व्यवस्था में सभी शक्तियाँ केवल केंद्र के पास रहती है।

  • संघात्मक शासन में एक लिखित संविधान अवश्य होता है लेकिन एकात्मक शासन में लिखित संविधान का होना आवश्यक नहीं होता है।

प्रश्न-7. संघीय सरकार की विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर- संघीय शासन की विशेषताएँ निम्नलिखित है—

लिखित संविधान:- संघीय शासन व्यवस्था में लिखित संविधान होता है।

कठोर संविधान:- संघीय शासन व्यवस्था में कठोर संविधान होता है। कठोर संविधान होने से कोई भी सरकार अपने हित में सरलता से इसमें संसोधन नहीं कर सकती है।

शक्तियों का विभाजन:- संघीय सरकार में शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर दिया जाता है।

स्वतंत्र न्यायपालिका:- संघीय शासन व्यवस्था में स्वतंत्र न्यायपालिका होती है।

प्रश्न-8. भाषा नीति क्या है?

उत्तर- भारत विविधताओं का देश है। यहाँ विभिन्न प्रकार के धर्म तथा जाति के लोग रहते है। यहाँ विभिन्न प्रकार के वेश-भूषा, भाषा, खान-पान, ऋतुएँ है। इन सभी के अतिरिक्त भारत में विभिन्न प्रकार की भाषाएँ बोली जाती है। विभिन्न प्रकार के राज्यों की अलग-अलग भाषाएँ है। अतः भाषा नीति के अंतर्गत यहाँ हिन्दी को राजभाषा माना गया है। इस नीति के अंतर्गत राज्य सरकार को अपने-अपने राज्य में अपनी भाषा के प्रयोग की स्वतंत्रता दी गई है। अंग्रेजी भाषा का प्रयोग सरकारी काम-काज में किया जा सकता है। इस तरह भाषा नीति के अंतर्गत विभिन्न भाषाओं को मान्यता प्राप्त है तथा हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया है।

प्रश्न-9. ग्राम पंचायत के प्रमुख अंगों का वर्णन करें।

उत्तर- ग्राम पंचायत के प्रमुख अंग निम्न है—

ग्राम सभा:- ग्राम सभा ग्राम पंचायत की व्यवस्थापिका सभा होती है। ग्राम पंचायत क्षेत्र में रहने वाले सभी वयस्क स्त्री-पुरुष इस ग्राम सभा के सदस्य होते है।

मुखिया:- ग्राम सभा का अध्यक्ष मुखिया होता है। यह ग्राम सभा की बैठक को बुलाता है और उसकी अध्यक्षता करता है।

ग्राम कचहरी:- यह ग्राम पंचायत की अदालत होती है, जो पंचायत क्षेत्र के न्यायिक कार्य को करता है।

ग्राम रक्षादल:- ग्राम रक्षादल गाँव की पुलिस व्यवस्था को कहते है।

प्रश्न-10. राजनीतिक दलों को लोकतंत्र का प्राण क्यों कहा जाता है?

उत्तर- राजनीतिक दल चुनाव में भाग लेते है तथा चुनाव जीत कर सरकार का गठन करते है। राजनीतिक दल जनता को राजनीतिक प्रशिक्षण देते है तथा विपक्षी दल सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करके उचित मार्गदर्शन प्रदान करती है। राजनीतिक दलों के बिना हम लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं कर सकते है। इसलिए राजनीतिक दलों को लोकतंत्र का प्राण कहा जाता है।

प्रश्न-11. राजनीतिक दलों के कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर- राजनीतिक दलों के निम्न कार्य है—

  • राजनीतिक दल चुनाव (निर्वाचन) में भाग लेते है।

  • राजनीतिक दल चुनाव जीत कर सरकार का गठन करते है।

  • राजनीतिक दल जनता को राजनीतिक प्रशिक्षण भी देते है।

  • विपक्षी पार्टी के रूप में राजनीतिक दल सरकार पर नियंत्रण रखते है।

  • लोकतंत्र की सफलता राजनीतिक दलों पर निर्भर करती है।

प्रश्न-12. राजनीतिक दलों के दोषों का वर्णन करें।

उत्तर- राजनीतिक दलों के निम्न दोष है—

  • राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव के समय झूठे वादे कर जनता को गुमराह करना।

  • राजनीतिक दलों में अनुशासन तथा ठोस सिद्धांतों का आभाव होना।

  • राजनीतिक दलों द्वारा अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए काले धन का प्रयोग करना।

  • राजनीतिक दलों द्वारा जातिवाद और साम्प्रदायिकता को प्रोत्साहन देना।

प्रश्न-13. राष्ट्रीय राजनीतिक दल किसे कहते है?

उत्तर- राष्ट्रीय राजनीतिक दल उन दलों को कहते है, जो लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में चार या चार से अधिक राज्यों में पड़े कुल वैध मतों का 6% मत प्राप्त किया हो या इसके अतिरिक्त लोकसभा में कम-से-कम 2% अर्थात् 11 सीटें हो। इस प्रकार के दल को राष्ट्रीय राजनीतिक दल कहते है।

प्रश्न-14. चिपको आंदोलन क्या है?

उत्तर- चिपको आंदोलन उत्तराखंड में किया गया था। उत्तराखंड में वन-विभाग के अधिकारियों ने व्यवसायियों को उनके व्यवसाय के लिए उनको पेड़ काटने की इजाजत दे दी। अतः इसके विरोध में वहाँ के स्थानीय गाँव के लोगों ने उनके खिलाफ आंदोलन कर दिया। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए ग्रामीणों ने एक अनूठा तरीका अपनाया। वे पेड़ों को काटने से पहले ही उनसे चिपक जाते थे ताकि पेड़ की कटाई संभव ना हो सकें। इसी कारण इस आंदोलन का नाम चिपको आंदोलन पड़ा।

प्रश्न-15. भारतीय लोकतंत्र के गुणों का वर्णन करें।

उत्तर- भारतीय लोकतंत्र के निम्न गुण है—

  • भारतीय लोकतंत्र द्वारा कल्याणकारी राज्य की स्थापना की गई है, जहाँ सभी लोगों की भलाई तथा विकास का कार्य होता है।

  • भारतीय लोकतंत्र समानता का पोषक है। यहाँ जाति, वंश, रंग, धर्म, लिंग इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।

  • भारतीय लोकतंत्र में कानून के समक्ष सभी नागरिक समान है।

  • भारतीय लोकतंत्र में लोगों में राष्ट्रभक्ति की भावना भी विकसित होती है।

प्रश्न-16. भारतीय लोकतंत्र के दोषों (दुर्गुणों) का वर्णन करें।

उत्तर- भारतीय लोकतंत्र के निम्न दोष है—

  • भारत में निरक्षरता अधिक है, जिसके कारण यहाँ लोकतंत्र पूरी तरह से सफल नहीं हो पाता।

  • भारत में आर्थिक असमानता व्याप्त है, जिसके कारण लोकतंत्र का विकास पूरी तरह से नहीं हो पाया है।

  • भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक दल के अंदर बुराइयाँ अधिक है।

  • भारतीय लोकतंत्र में वीरपूजा की प्रवृति अभी भी विद्यमान है।

प्रश्न-17. लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक शर्तों का वर्णन करें।

उत्तर- लोकतंत्र की सफलता के लिए निम्न शर्तों का होना आवश्यक है—

  • सभी लोगों का शिक्षित होना ताकि उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों का सही ज्ञान प्राप्त हो सके।

  • लोकतंत्र की सफलता के लिए आर्थिक समानता होनी चाहिए।

  • जनता को लोकतंत्र के प्रति पूरी तरह से निष्ठा और आस्था होनी चाहिए।

  • स्थानीय स्वशासन की स्थापना होनी चाहिए।

प्रश्न-18. लोकतंत्र को एक उत्तरदायी शासन व्यवस्था क्यों कहा जाता है?

उत्तर- लोकतंत्र एक उत्तरदायी शासन व्यवस्था कहलाती है क्योंकि इसमें जनता ही सरकार के प्रतिनिधि को चुनती है तथा उनपर नियंत्रण रखती है। लोकतंत्र में ऐसी व्यवस्था की जाती है, ताकि शासक जनता की इच्छाओं और उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखें तथा अधिक से अधिक जनकल्याण का कार्य हो सके। इसलिए लोकतंत्र को एक उत्तरदायी शासन व्यवस्था कहा जाता है।

प्रश्न-19. अशिक्षा भारतीय लोकतंत्र के लिए एक चुनौती है, कैसे?

उत्तर- शिक्षित जनता ही अपने अधिकारों और कर्तव्यों के महत्वों को समझ सकती है। शिक्षित जनता ही राजनीति के प्रति सजग रहती है। शिक्षा के अभाव में मतदाता अपने मत्ताधिकार का सही प्रयोग नहीं कर पाते है, जिससे लोकतंत्र की नींव कमजोर पड़ जाती है। शिक्षा के अभाव के कारण लोग लापरवाह और उदासीन लोगों को अपना प्रतिनिधि चुन लेते है, जिसके कारण उनका तथा राष्ट्र का विकास नहीं हो पाता है। अतः अशिक्षा भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।

प्रश्न-20. क्या आतंकवाद लोकतंत्र कर लिए एक चुनौती है? स्पष्ट करें।

उत्तर- हाँ, आतंकवाद लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में जनता को यह सरकार से अपेक्षा रहती है कि इस शासन व्यवस्था में उनका जीवन सुरक्षित रहें तथा शांति और सुरक्षा का वातावरण बना रहें। लोगों के बीच भाईचारा और सहयोग की भावना हो, लेकिन आतंक से जनता परेशान हो जाती है। आतंक के वातावरण में लोग भयभीत रहते है, विकास की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। इसके अतिरिक्त आतंकवाद के कारण जनता के बीच भाईचारे का वातावरण प्रभावित होता है तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता खतरे में पड़ जाती है। आतंकवादियों के हिंसा के कारण लोकतंत्र सफल नहीं हो पाता है। इसलिए हम कह सकते है कि आतंकवाद लोकतंत्र के लिए एक चुनौती है।

प्रश्न-21. परिवारवाद और जातिवाद बिहार में किस तरह लोकतंत्र को प्रभावित किया है?

उत्तर- बिहार के अधिकांश राजनीतिक दलों में परिवारवाद तथा जातिवाद प्रवृति पाई जाती है। परिवारवाद तथा जातिवाद से राजनैतिक भ्रष्टाचार बढ़ता है तथा अपराधिक प्रवृति बढ़ती है। परिवारवाद के कारण नेता अपने पार्टी के सुयोग्य उम्मीदवार के जगह पर अपने घर के या परिजनों को राजनैतिक सत्ता दे देते है, जिससे लोकतंत्र पर बुरा असर पड़ता है। राजनीतिक दल चुनाव में भी जाति के आधार पर अपने उम्मीदवार को चुनाव में खड़ा करते है, जो सफल लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। इस प्रकार परिवारवाद और जातिवाद का बुरा असर बिहार के लोकतंत्र में हो रहा है।

प्रश्न-22. मानवधिकार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर- मानवधिकार का अर्थ होता है— दबे-कुचले, शोषित तथा कमजोर लोगों को जीने का अधिकार प्रदान करना। विश्व में इस प्रकार के लोगों की एक विशाल जनसंख्या है। इस दिशा में मानवाधिकार संगठन इस प्रकार के कमजोर लोगों के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इस संगठन द्वारा पीड़ित लोगों के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे है तथा उनकी सहायता भी की जाती है। इसके अतिरिक्त आतंकवाद, सांप्रदायिक दंगे तथा असामाजिक तत्वों के प्रति आवाज उठाकर मानवाधिकार संगठन इन् दोषियों पर कार्यवाही करता है और पीड़ित लोगों की सहायता करता है।

प्रश्न-23. राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के लिए उपायों को लिखें।

उत्तर- राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के निम्न उपाय है—

  • वंशवाद, जातिवाद, परिवारवाद इत्यादि बुराइयों को राजनीतिक दलों से समाप्त करना।

  • राजनीतिक दलों के सदस्यों में सादगी, ईमानदारी, कर्मठ इत्यादि गुणों का होना।

प्रश्न-24. बिहार में 1974 में हुए छात्र आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे? आप किस प्रकार कह सकते है कि इस छात्र आंदोलन का स्वरूप राष्ट्रीय हो गया?

उत्तर- केंद्र सरकार के कुछ गलत नीतियों के कारण देश की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही थी। बेरोजगारी धीरे-धीरे बढ़ रही थी तथा दूसरी तरफ वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही थी। चारों तरफ भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई थी। अतः सरकार के इस शासन व्यवस्था के खिलाफ बिहार के छात्रों ने 1974 में जो आंदोलन किया, उसे छात्र आंदोलन कहा गया।

इस छात्र आंदोलन का नेतृत्व जयप्रकाश नारायण ने किया। पटना के गाँधी मैदान में विशाल जन-समूह को जयप्रकाश नारायण ने संबोधित किया। बाद में सभी गैर-कांग्रेसी दल इस आंदोलन के खिलाफ एकजुट हो गए और जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी हो गया।

प्रश्न-25. दल-बदल कानून क्या है?

उत्तर- विधायकों और सांसदों को एक दल से दूसरे दल में पलायन को रोकने के लिए संविधान में संशोधन कर एक कानून बनाया गया है, जिसे दल-बदल कानून कहते है।

Economics (अर्थशास्त्र)

प्रश्न-1. एक अर्थव्यवस्था के अंतर्गत कौन-कौन से क्षेत्र होते है?

उत्तर- एक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र को दो भागों में बाँटा जाता है— स्वामित्व के आधार पर तथा व्यवसाय के आधार पर।

  • स्वामित्व के आधार पर किसी अर्थव्यवस्था के निम्न क्षेत्र होते है— निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र तथा संयुक्त क्षेत्र

  • व्यवसाय या आर्थिक क्रियाओं के आधार पर किसी अर्थव्यवस्था के मुख्य तीन क्षेत्र होते है— प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र तथा तृतीयक क्षेत्र

प्रश्न-2. एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की विवेचना करें।

उत्तर- एक अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्र होते है—

प्राथमिक क्षेत्र:- प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत कृषि, पशुपालन, खनन इत्यादि आते है।

द्वितीयक क्षेत्र:- द्वितीयक क्षेत्र के अंतर्गत उद्योग, निर्माण, विनिर्माण, गैस, विधुत सेवा इत्यादि आते है।

तृतीयक क्षेत्र:- तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत बैंक, बीमा, परिवहन, संचार इत्यादि आते है।

प्रश्न-3. विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्था में मूल अंतर क्या होता है?

उत्तर- विकसित अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों का पूर्ण उपयोग होता है तथा विकसित अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय का स्तर बहुत ऊँचा होता है। इसके विपरीत विकाशशील अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों का पूर्ण उपयोग नहीं होता है तथा विकसित अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय का स्तर कम होता है।

प्रश्न-4. सतत् विकास क्या है?

उत्तर- सतत् विकास का अर्थ है कि पर्यावरण को बिना नुकसान पहुॅंचाए विकास हो तथा वर्त्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की पूर्ति में बाधा न बने।

प्रश्न-5. आर्थिक नियोजन क्या है? नियोजन के मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर- आर्थिक नियोजन से राष्ट्र की आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रसस्त होता है। कोई भी राष्ट्र अपनी परिस्थितियों और उद्देश्यों के अनुसार लक्ष्यों का निर्धारण करता है तथा नियोजन से उन लक्ष्यों की प्राप्ति की जाती है। आर्थिक नियोजन से गरीबी, बेरोजगारी इत्यादि समस्याएँ सुलझाएँ जाते है। आर्थिक विकास की दर को तीव्र बनाना, गरीबी तथा बेरोजगारी को दूर करना तथा आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति करना नियोजन के मुख्य उद्देश्य है।

प्रश्न-6. सकल राज्य घरेलू उत्पाद तथा शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर- राज्य घरेलू उत्पाद का आकलन दो आधारों पर किया जाता है— सकल राज्य घरेलू उत्पाद तथा शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद।

किसी राज्य के लेखावर्ष (वित्तीय वर्ष) में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्यों को सकल राज्य घरेलू उत्पाद कहते है। सकल राज्य घरेलू उत्पाद को प्राप्त करने में कुछ व्यय करना पड़ता है। सकल घरेलू उत्पाद में से व्यय को घटाने के बाद जो शेष राशि बच जाती है, उसे शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद कहते है। राज्य के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय तथा उनका जीवन स्तर इसी पर निर्भर करता है।

प्रश्न-7. राष्ट्रीय आय और प्रतिव्यक्ति आय में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर-

राष्ट्रीय आय:- किसी देश के प्राकृतिक संसाधनों पर श्रम और पूँजी लगाकर उनका उपयोग किया जाता है तथा उसे प्रत्येक वर्ष वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन से जो आय प्राप्त होती है, उसे राष्ट्रीय आय कहते है।

प्रतिव्यक्ति आय:- जब देश की कुल राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होती है।

प्रश्न-8. बिहार की प्रतिव्यक्ति आय कम होने के क्या कारण है? बिहार के किस जिले की प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक और किस जिले की सबसे कम है?

उत्तर- बिहार की गणना देश के सर्वाधिक पिछड़े राज्यों में की जाती है तथा इसकी प्रतिव्यक्ति आय बहुत कम है। इसका मुख्य कारण यह है कि बिहार की कृषि अत्यंत पिछड़ी अवस्था में है तथा राज्य में उद्योग धंधों का अभाव है। इसलिए बिहार की प्रतिव्यक्ति आय कम है। बिहार सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार पटना जिले की प्रतिव्यक्ति आय सबसे अधिक तथा शिवहर जिले की प्रतिव्यक्ति आय सबसे कम है।

प्रश्न-9. कुल राष्ट्रीय उत्पाद से क्या समझते है?

उत्तर- किसी देश में एक वित्तीय वर्ष के अंतर्गत जिन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है तथा उसका विनिमय होता है, तो उनके बाजार मूल्यों को राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) कहते है। कुल राष्ट्रीय उत्पाद में केवल वें ही वस्तुएँ सम्मिलित की जाती है, जो उपभोक्ताओं द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अंतिम रूप से उपभोग की जाती है। उदाहरण के लिए— कपड़ा अंतिम वस्तु है, जिसके उपभोग के लिए प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न-10. राष्ट्रीय आय क्या है? राष्ट्रीय आय की गणना में होने वाली कठिनाइयों का वर्णन करें।

उत्तर- किसी देश के प्राकृतिक संसाधनों पर श्रम और पूँजी लगाकर उनका उपयोग किया जाता है तथा उसे प्रत्येक वर्ष वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन से जो आय प्राप्त होती है, उसे राष्ट्रीय आय कहते है। राष्ट्रीय आय की गणना करने में अनेकों प्रकार की कठिनाइयाँ उत्पन्न होती है। इसमें सबसे पहली कठिनाई पर्याप्त और विश्ववसनीय आकड़ों की कमी है। देश में उत्पादित बहुत सी वस्तुओं का मुद्रा के द्वारा विनिमय नहीं होता है। अतः इस कारण भी राष्ट्रीय आय को मापने में कठिनाई होती है।

प्रश्न-11. मुद्रा की परिभाषा दीजिए। मुद्रा के क्या कार्य है?

उत्तर- मुद्रा वह वस्तु है, जो विनिमय के माध्यम एवं मूल्य मापन का कार्य करती है। रॉबर्टसन के अनुसार— "मुद्रा वह वस्तु है, जिसे वस्तुओं का मूल्य चुकाने तथा अन्य प्रकार के व्यवसायिक दायित्वों को निपटाने के लिए व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।

मुद्रा के निम्न कार्य है—

विनिमय का माध्यम:- मुद्रा के प्रयोग से विनिमय आसान हो गया है क्योंकि वस्तु विनिमय में अनेकों कठिनाइयाँ और असुविधाएँ होती थी। अतः मुद्रा विनिमय माध्यम का कार्य करती है।

मूल्य को मापने का साधन:- मुद्रा का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को मापना है। मुद्रा के प्रयोग से मूल्यों को मापने की कठिनाई दूर हो गई है।

विलंबित भुगतान का मान:- मुद्रा के प्रयोग से ऋण लेने तथा उसका भुगतान करने में बहुत ही आसानी हो गई है।

मूल्य का संचय:- वस्तुओं का संचय करने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होती है तथा उनकी देख-रेख में भी कठिनाई होती है। अतः मूल्य अथवा धन के संचय के लिए मुद्रा अधिक उपयुक्त है।

प्रश्न-12. वस्तु विनिमय प्रणाली की प्रमुख समस्या क्या थी? मुद्रा ने इस समस्या को कैसे दूर किया? (आवश्यकताओं के दोहरे संयोग से क्या समझते है?)

उत्तर- मुद्रा के पूर्व वस्तु-विनिमय का प्रचलन था। इस प्रणाली के अंतर्गत लोग अपनी वस्तुओं का आदान-प्रदान करके विनिमय करते थे। जैसे:- चावल देकर कपड़ा लेना, गेहूँ देकर दाल लेना इत्यादि । अतः वस्तु विनिमय में अनेकों कठिनाइयाँ और असुविधाएँ थी तथा वस्तु विनिमय प्रणाली के अंतर्गत दो व्यक्तियों में संपर्क होना भी आवश्यक था जिनके पास एक-दूसरे की आवश्यकता की पूर्ति की वस्तुएँ हो। इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहा जाता है। वस्तु-विनिमय की इन समस्याओं को मुद्रा ने दूर कर दिया। मुद्रा से कोई भी वस्तु का क्रय-विक्रय आसानी से किया जा सकता है तथा मुद्रा को आसानी से एक जगह से दूसरे जगह ले जा सकते है।

प्रश्न-13. साख क्या है? साख के तीन प्रमुख आधार क्या है?

उत्तर- साख का अर्थ विश्वास या भरोसा होता है। आर्थिक शब्दों में जब हम किसी व्यक्ति या संस्था से ऋण लेते है और जब उस व्यक्ति को ईमानदारी पूर्वक तथा आसानी से ऋण लौटाते है, तो उससे साख का बोध होता है।

साख के तीन मुख्य आधार है—

  • साख का पहला आधार विश्वास है।

  • साख का दूसरा आधार ऋणी व्यक्ति का चरित्र तथा उसकी ईमानदारी है।

  • साख का तीसरा आधार सही समय पर ऋण लौटने की क्षमता है।

प्रश्न-14. साख पत्र क्या है? कुछ प्रमुख साख पत्रों का उल्लेख करें।

उत्तर- साख पत्रों का अर्थ उन पत्रों या साधनों से होता है, जिनका साख-मुद्रा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इन साख पत्रों के आधार पर ऋण का आदान-प्रदान होता है तथा वस्तुओं और सेवाओं का क्रय-विक्रय होता है। आधुनिक अर्थव्यवस्था के संचालन में साख-पत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अधिकतर व्यापारिक लेन-देन साख पत्रों के माध्यम से ही होती है। साख पत्र के कई प्रकार है, जिनमें चेक, बैंक ड्राफ्ट, यात्री चेक, हुंडी इत्यादि आते है।

प्रश्न-15. व्यवसायिक बैंक कितने प्रकार की जमा राशि को स्वीकार करता है?

उत्तर- लोगों की बचत को जमा के रूप में स्वीकार करना व्यवसायिक बैंक सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। बैंक चार प्रकार के खातों में जमा राशि स्वीकार करता है— स्थायी जमा, चालू जमा, संचयी जमा तथा आवर्ती जमा।

  • स्थायी जमा एक निश्चित अवधि के लिए होती है। इस जमा पर ब्याज की दर अधिक होती है।

  • चालू जमा खाते में धन जमा करने या निकालने पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं रहता है, जमाकर्ता कभी भी रुपया जमा कर सकता है या निकाल सकता है।

  • संचयी जमा तथा आवर्ती जमा में जमाकर्ता प्रतिमाह एक निश्चित रकम एक निश्चित अवधि के लिए जमा करते है। इन जमा रकम पर उन्हे ब्याज भी मिलता है।

प्रश्न-16. किसानों को साख साख या ऋण की आवश्यकता क्यों होती है?

उत्तर- किसानों को कृषि कार्य के लिए साख या ऋण की आवश्यकता होती है। किसानों को अल्पकालीन, मध्यकालीन तथा दीर्घकालीन इन तीन प्रकार की साख की आवश्यकता होती है।

अल्पकालीन साख:- अल्पकालीन साख की अवधि 6 से 12 महीनों तक होती है। इसे मौसमी साख भी कहते है। अल्पकालीन साख की आवश्यकता खाद्य तथा बीज खरीदने, मजदूरी चुकाने और ब्याज का भुगतान करने के लिए होती है।

मध्यकालीन साख:- मध्यकालीन साख की अवधि 1 वर्ष से 5 वर्ष के लिए होती है। मध्यकालीन साख कृषि यंत्र, हल, बैल इत्यादि खरीदने के लिए ली जाती है।

दीर्घकालीन साख:- दीर्घकालीन साख की अवधि 5 वर्षों से अधिक होती है। दीर्घकालीन साख की आवश्यकता खेतों की सिंचाई करने, भूमि को समतल बनाने तथा महँगे कृषि यंत्रों को खरीदने के लिए होती है।

प्रश्न-17. स्वयं-सहायता समूह से क्या समझते है?

उत्तर- स्वयं-सहायता समूह द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन व्यक्तियों को समूहों में संगठित करके तथा उनकी बचत पूँजी को एकत्र किया जाता है। स्वयं-सहायता समूह में गाँव के एक-दूसरे के पड़ोसी लगभग 15 से 20 सदस्य होते है। इन समूह के सदस्य नियमित रूप से बचत करते है और इनकी बचत को एकत्र किया जाता है तथा आवश्यकता पड़ने पर इन सदस्यों को ऋण की आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है।

प्रश्न-18. बाह्य-स्रोतीकरण किसे कहते है?

उत्तर- जब बहुर्राष्ट्रीय कंपनियाँ या अन्य कंपनियाँ अपने लिए सेवाएँ किसी विदेशी अथवा किसी दूसरी संस्था से प्राप्त करती है, तो इसे बाह्य-स्रोतीकरण कहते है। आधुनिक युग में सूचना प्रौद्योगिकी के अधिक प्रसार होने के कारण बाह्य स्रोतीकरण की गतिविधि अधिक तथा महत्वपूर्ण हो गई हैं।

प्रश्न-19. वैश्वीकरण का बिहार पर क्या प्रभाव पड़ा है?

उत्तर- वैश्वीकरण का बिहार पर निम्न प्रभाव पड़ा है—

रोजगार के अवसरों में वृद्धि:- वैश्वीकरण के कारण राज्यों में रोजगारों के अवसरों में वृद्धि होती है। वैश्वीकरण के कारण बहुर्राष्ट्रीय कंपनियाँ शिक्षित व्यक्तियों तथा कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार उपलब्ध कराती है।

निर्धनता में कमी:- वैश्वीकरण के कारण बहुत सारी बहुर्राष्ट्रीय कंपनियाँ स्थापित हुई है, जिसके कारण बहुत सारे लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए है। अतः वैश्वीकरण से निर्धनता में कमी आई है।

कृषि में पिछड़ापन:- वैश्वीकरण के कारण विभिन्न प्रकार की कंपनियाँ स्थापित हो जाने से बहुत सारे श्रमिकों को भी रोजगार प्राप्त हुए है, जिसके कारण कृषि तथा कृषि पर आधारित उद्योग पिछड़ रहे है।

प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि:- वैश्वीकरण के कारण बहुत सारे लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए है, जिससे लोगों की प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि हुई है।

प्रश्न-20. उदारीकरण से क्या समझते है?

उत्तर- उदारीकरण का अर्थ होता है— सरकार द्वारा लगाए गए अनावश्यक नियंत्रणों तथा प्रतिबंधों जैसे- लाइसेंस, कोटा इत्यादि को हटाना। सरकार ने लोगों के आर्थिक विकास के लिए 1991 ई० से उदारीकरण की नीति अपनाई है जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया गया है ताकि लोग स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकें।

प्रश्न-21. आय किसे कहते है?

उत्तर- जब किसी व्यक्ति के द्वारा किया गया शारीरिक अथवा मानसिक कार्य के बदले जब उसे पारिश्रमिक मिलता है, तो उसे उस व्यक्ति की आय कहते है। किसी भी अर्थव्यवस्था की संपन्नता का सूचक उस देश के रहने वाले लोगों की व्यक्तिगत तथा सामाजिक आय से होती है। आय वह मापदंड है, जिसके द्वारा किसी भी देश के आर्थिक विकास की स्थिति को जान सकते है।

Geography (भूगोल)

प्रश्न-1. संसाधन को परिभाषित करें।

उत्तर- प्रकृति द्वारा प्रदत वे सभी पदार्थ जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करते है तथा सुख-सुविधा प्रदान करने में उपयोगी होते है, उसे संसाधन कहते है। जल, वायु, सूर्य का प्रकाश, खनिज, पेट्रोलियम इत्यादि संसाधन है, जो मानव के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इन संसाधनों का उपयोग करके मानव अपना विकास करता है।

प्रश्न-2. संसाधन निर्माण में तकनीक की भूमिका का उल्लेख करें।

उत्तर- संसाधन निर्माण में तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बिना तकनीकी सहायता से संसाधनों का उपयोग नहीं हो सकता है। विकासशील और विकसित देशों में संसाधन उपलब्ध होते है, लेकिन विकसित देशों में तकनीक विकसित होने के कारण संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग होता है।

प्रश्न-3. मृदा अपरदन क्या है? मृदा संरक्षण के उपायों का उल्लेख करें।

उत्तर- प्राकृतिक या मानवीय कारणों से जब मृदा (मिट्टी) अपने मूल स्थान से बह कर या उड़ कर दूसरी जगह चली जाती है अर्थात् मिट्टी अपनी उपजाऊ परत से अलग हो जाती है, तो उसे मृदा अपरदन कहते है।

मृदा संरक्षण के उपाय निम्न है—

  • अधिक से अधिक पेड़ लगाना।

  • फसल-चक्र पद्धति को अपनाना।

प्रश्न-4. फसल-चक्रण मृदा संरक्षण में किस प्रकार सहायक है?

उत्तर- जब एक ही खेत में अदल-बदल कर फसलों को उपजाया जाता है, तो उसे फसल-चक्र कहते है। एक फसल द्वारा जब मिट्टी से जिस प्रकार के पोषक तत्वों को ग्रहण कर लिया जाता है, तो पुनः दूसरी फसल उसी मिट्टी में बोने पर ग्रहण किये गए पोषक तत्वों की आपूर्ति फिर से हो जाती है। इस तरह फसल-चक्र के कारण मृदा की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। अतः फसल-चक्रण मृदा संरक्षण में सहायक होती है।

प्रश्न-5. भारत में भूमि निम्नीकरण की स्थिति को स्पष्ट करें।

उत्तर- भारत में भूमि निम्नीकरण की स्थिति गंभीर है। रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के प्रयोग से यहाँ की भूमि निम्नीकृत हुई है। इसके अतिरिक्त यहाँ जल-जमाव, बर्फीली जमीन तथा लवणता के कारण भूमि निम्नीकृत है। भारत में लगभग आँकड़ों के अनुसार लगभग 13 करोड़ हेक्टेयर भूमि निम्नीकृत है। इस प्रकार हम कह सकते है कि भारत में भूमि निम्नीकरण की स्थिति अच्छी नहीं है।

प्रश्न-6. स्थानबद्ध (स्थानीय) मिट्टी वाहित मिट्टी में क्या अंतर है?

उत्तर- जब चट्टानों का विखंडन और वियोजन अपने ही स्थान पर होता है तथा उनमें अन्य जैव पदार्थ के मिलने से जो मिट्टी बनती है, उसे स्थानबद्ध या स्थानीय मिट्टी कहते है। लाल मिट्टी तथा काली मिट्टी स्थानीय मिट्टी के उदाहरण है।

जब प्राकृतिक कारणों जैसे- नदियों या पवन द्वारा बहकर या उड़कर जब मिट्टी अपने मूल स्थान से हट कर दूसरी जगह जमा हो जाती है और वहाँ जमा होकर अलग मृदा (मिट्टी) का निर्माण करती है, उसे वाहित मिट्टी कहते है। जलोढ़ मिट्टी और लोएस मिट्टी वाहित मिट्टी के उदाहरण है।

प्रश्न-7. जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है, कैसे?

उत्तर- जल के बिना कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकता। जल की आवश्यकता मानव, पेड़-पौधों, फसलों, जीव-जन्तुओं इत्यादि सभी को होती है। जल का उपयोग सिंचाई करने, खाना बनाने, कपड़े धोने में की जाती है। जल का उपयोग उद्योगों में, यातायात में, बिजली उत्पन्न करने इत्यादि बहुत सारे कार्यों में होता है। अतः इससे स्पष्ट है कि जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है।

प्रश्न-8. नदी घाटी परियोजनाओं के मुख्य उद्देश्यों को लिखें।

उत्तर- नदी घाटी परियोजनाओं के मुख्य उद्देश्य निम्न है—

  • बाढ़ नियंत्रण में

  • विधुत उत्पादन में

  • सिंचाई में

  • उद्योगों तथा परिवहन में

  • मत्स्य पालन में

प्रश्न-9. सोन अथवा कोसी नदी घाटी परियोजनाओं के महत्व पर प्रकाश डालें।

उत्तर- बिहार की प्रसिद्ध नदी सोन नदी है। इस सोन नदी के पास बाँध बनाकर नहरे निकाली गयी है। यहाँ से निकली गयी नहरों से औरंगाबाद, भभुआ, सासाराम, गया तथा पटना जिले में सिंचाई की जाती है। इस परियोजना के कारण इन क्षेत्रों के रहने वाले किसान अपने खेतों में आसानी से इन नहरों द्वारा सिंचाई करते है।

कोसी नदी घाटी परियोजना बिहार-नेपाल की सीमा पर स्थित है। इस नदी पर बाँध बनाकर नदी के दोनों ओर से नहरे निकली गयी है। इन नहरों के द्वारा सिंचाई की जाती है तथा इस परियोजना से जल-विधुत उत्पन्न करने के लिए शक्तिगृह भी बनाए गए है।

प्रश्न-10. जल-संरक्षण के उपायों को लिखें।

उत्तर- जल-संरक्षण के उपाय निम्न है—

  • शुद्ध जल के दुरुपयोग को रोकना।

  • जलाशयों का निर्माण कर जल एकत्र करना।

  • वर्षा-जल संचय की विधि को अपनाना।

  • अधिक से अधिक पेड़ लगाना।

प्रश्न-11. जल संकट क्या है? भारत में पेय जल संकट की स्थिति की चर्चा करें।

उत्तर- एक व्यक्ति को प्रतिदिन एक हजार घन मीटर जल की आवश्यकता होती है। जब इससे कम जल की उपलब्धता हो, तो उसे जल संकट कहते है। भारत में मानसून की अनिश्चिता, जल का दुरुपयोग, पेड़-पौधों की कमी तथा प्रदूषण के कारण पेय जल की स्थिति अर्थात् जल संकट की स्थिति बढ़ती जा रही है। भारत के बहुत सारे राज्यों में जल संकट की स्थिति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

प्रश्न-12. जल संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है?

उत्तर- जल एक बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन है। जल का उपयोग पेड़-पौधे, मानव तथा जीव-जन्तुओं के अतिरिक्त बहुत सारे उपयोगी कार्यों में होता है, लेकिन वर्तमान समय में पूरा संसार जल संकट की स्थिति से गुजर रहा है। पेड़-पौधों को काटने तथा प्रदूषण से भूमिगत जल का भंडार दिन-प्रतिदिन घटते जा रहा है। इसलिए जल संकट को दूर करने के लिए जल का संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है।

प्रश्न-13. भौमजल का पुनर्भरण कैसे किया जा सकता है?

उत्तर- भूमि के अंदर जल को भौमजल (भूमिगत जल) कहा जाता है। पेय जल के रूप में, अन्य घरेलू कार्यों में, सिंचाई में, औद्योगिक कार्यों में इत्यादि जल के उपयोग से भौमजल का स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है। अतः इस स्तर को कायम रखने के लिए पुनर्भरण की आवश्यकता है। भौमजल का पुनर्भरण वर्षा-जल के द्वारा संभव है। इसके अतिरिक्त पेड़-पौधों को लगाकर तथा बाँध बनाकर जल के बहाव को रोक कर भौमजल का पुनर्भरण किया जा सकता है।

प्रश्न-14. अंतरराज्यीय जल-विवाद के क्या कारण है?

उत्तर- दो राज्यों के बीच नदी के जल के उपयोग के लिए उत्पन्न विवाद को अंतरराज्यीय जल-विवाद कहते है। देश की अधिकांश नदियाँ एक से अधिक राज्यों से होकर प्रवाहित होती है। अतः प्रत्येक राज्य अपनी सीमा क्षेत्र के अंतर्गत बहने वाली नदियों के जल का अधिकतम उपयोग करना चाहता है, जिससे अंतरराज्यीय जल-विवाद उत्पन्न होता है। इस विवाद का निपटारा केन्द्रीय न्यायाधिकरण द्वारा किया जाता है। भारत में कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद अंतरराज्यीय जल-विवाद के उदाहरण है।

प्रश्न-15. वन्य जीवों के ह्यस (कमी) के चार कारकों का उल्लेख करें।

उत्तर- वन्य जीवों के ह्यस (कमी) के चार कारक निम्न है—

  • वन्य जीवों का शिकार।

  • प्रदूषण की समस्या।

  • वनों में आग लगना।

  • वनों की कटाई के कारण उनके प्राकृतिक आवास की कमी।

प्रश्न-16. वन्य जीवों के संरक्षण से संबंधित कानूनी प्रावधानों का उल्लेख करें।

उत्तर- वन्य जीवों के संरक्षण के लिए अनेकों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नियम और कानून बनाए गए है। इनमें राष्ट्रीय कानून वन और वन्य प्राणी के संरक्षण से संबंधित है। इस कानून में संविधान की धारा 21 के अंतर्गत अनुच्छेद 47, 48, 51 शामिल है, जो वन और वन्य प्राणी के संरक्षण से संबंधित है।