Chemistry VVI Subjective (Guess)

Bihar Board Class 10th

Only Physics | सेट-1 : 2 Marks

लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर

विज्ञान | 51 Questions

प्रश्न-1. प्रकाश के परावर्त्तन के नियमों को लिखें।

उत्तर- प्रकाश के परावर्त्तन के दो नियम होते है—

  • आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर खींचा गया अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते है।

  • आपतन कोण, परावर्त्तन कोण के बराबर होता है।

प्रश्न-2. वास्तविक प्रतिबिंब तथा काल्पनिक प्रतिबिंब में क्या अंतर है?

उत्तर-

प्रश्न-3. अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण में क्या अंतर है?

उत्तर- अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण में निम्न अंतर है—

प्रश्न-4. अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण के क्या उपयोग है?

उत्तर- अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण के निम्न उपयोग है—

प्रश्न-5. आवर्धन किसे कहते है?

उत्तर- प्रतिबिंब की ऊँचाई और वस्तु (बिम्ब) की ऊँचाई के अनुपात को आवर्धन कहते है। इसे m से सूचित करते है।

आवर्धन (m) = प्रतिबिंब की ऊँचाई/ बिंब की ऊँचाई = h₂/h₁

प्रश्न-6. अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण में क्या अंतर है?

उत्तर- अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण में निम्नलिखित अंतर है—

प्रश्न-7. हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य (पृष्टदर्शी) दर्पण के रूप में वरीयता देते है क्यों? अर्थात् उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों में साइड मिरर के रूप में क्यों होता है?

उत्तर- उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों में साइड मिरर के रूप में इसलिए होता है क्योंकि उत्तल दर्पण में हमेशा सीधा प्रतिबिंब बनता है तथा यह विस्तृत दृष्टिक्षेत्र बनाता है।

प्रश्न-8. एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन +1 है। इसका क्या अर्थ है?

उत्तर- आवर्धन (m) = h₂/h₁ = +1, अर्थात् h₂ = h₁

इससे स्पष्ट है कि प्रतिबिंब की ऊँचाई और वस्तु की ऊँचाई आपस में बराबर है तथा धनात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब काल्पनिक और सीधा है।

प्रश्न-9. वाहनों के अग्रदीपों (हेडलाइट) में अवतल दर्पण का उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर- वाहनों के अग्रदीपों (हेडलाइट) में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है क्योंकि प्रकाश स्रोत दर्पण के फोकस पर व्यवस्थित हो जाती है तथा परावर्त्तन के बाद प्रकाश की किरण समांतर रूप से फैल जाती है, जिसके कारण वाहनों के आगे की वस्तुओं को देखने में आसानी होती है। इसलिए वाहनों के अग्रदीपों (हेडलाइट) में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न-10. प्रकाश के अपवर्त्तन के कितने नियम होते है?

उत्तर- प्रकाश के अपवर्त्तन के दो नियम होते है—

  • आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर डाला गया अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते है।

  • आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्त्तन कोण की ज्या का अनुपात किन्हीं दो माध्यमों के लिए एक नियतांक होता है।

प्रश्न-11. स्नेल का नियम क्या है?

उत्तर- स्नेल के नियम के अनुसार प्रकाश के किसी विशेष रंग के लिए आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्त्तन कोण की ज्या का अनुपात किन्ही दो माध्यमों के लिए एक नियतांक होता है।

µ = sin i/ sin r, जहाँ µ एक नियतांक है।

प्रश्न-12. उत्तल लेंस और अवतल लेंस में क्या अंतर है?

उत्तर- उत्तल लेंस और अवतल लेंस में निम्न अंतर है—

प्रश्न-13. लेंस की क्षमता किसे कहते है?

उत्तर- लेंस के फोकस दूरी के व्युत्क्रम को लेंस की क्षमता कहते है। इसे प्रायः P से सूचित करते है। लेंस की क्षमता का S.I. मात्रक डाइऑप्टर (D) होता है।

प्रश्न-14. हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का क्या अभिप्रायः है?

उत्तर- हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है, अर्थात् इसका अपवर्तनांक काफी अधिक है। इसलिए हीरा एक सघन माध्यम है। अतः हीरे में प्रकाश का वेग बहुत ही कम होगा।

प्रश्न-15. समंजन क्षमता किसे कहते है?

उत्तर- आँखों की ऐसी क्षमता जिससे नेत्र लेंस की फोकस दूरी अपने आप बदलती रहती है, जिससे नेत्र दूर स्थित तथा निकट स्थित वस्तुओं को आसानी से स्पष्ट रूप से देख सकता है। मानव नेत्र की स्पष्ट रूप से देखने की इस क्षमता को नेत्र की समंजन क्षमता कहते है।

प्रश्न-16. निकट दृष्टिदोष किसे कहते है? इसके कारण तथा उपचार को लिखें।

उत्तर- आँख का वह दोष जिसमें कोई व्यक्ति निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन वह दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है। आँख के ऐसे दोष को निकट दृष्टिदोष कहते है।

कारण:- निकट दृष्टिदोष होने के निम्न कारण है—

  • नेत्र गोलक का लंबा हो जाना।

  • नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाना।

उपचार:- निकट दृष्टिदोष को दूर करने के लिए हमें उचित फोकस दूरी के अवतल लेंस का उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न-17. दीर्घ (दूर) दृष्टिदोष किसे कहते है? इसके कारण तथा उपचार को लिखें।

उत्तर- आँख का वह दोष जिसमें कोई व्यक्ति दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन वह निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है। आँख के ऐसे दोष को दीर्घ (दूर) दृष्टिदोष कहते है।

कारण:- दीर्घ (दूर) दृष्टिदोष होने के निम्न कारण है—

  • नेत्र गोलक का छोटा हो जाना।

  • नेत्र लेंस की फोकस दूरी बढ़ हो जाना।

उपचार:- दीर्घ (दूर) दृष्टिदोष को दूर करने के लिए हमें उचित फोकस दूरी के उत्तल लेंस का उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न-18. प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण किसे कहते है?

उत्तर- जब सूर्य का प्रकाश (श्वेत प्रकाश) किसी प्रिज्म से गुजरता है, तो वह अपने विभिन्न अवयवी रंगों में विभक्त हो जाता है। सूर्य के प्रकाश को विभिन्न रंगों में विभक्त होने की घटना को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण कहते है।

प्रश्न-19. वर्णपट्ट (स्पेक्ट्रम) किसे कहते है?

उत्तर- जब सातों रंग प्रिज्म के दूसरी ओर एक परदे पर रंगीन पट्टी के रूप में प्राप्त होती है, तो उसे वर्ण पट्ट या स्पेक्ट्रम कहते है। वर्ण पट्ट पर प्राप्त रंगों के क्रम इस प्रकार होते है— बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल।

प्रश्न-20. स्वच्छ आकाश का रंग नीला क्यों होता है?

उत्तर- बैंगनी तथा नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन अन्य रंगों की तुलना में अधिक होता है। हमारी आँख बैंगनी रंग की तुलना में नीले रंग के लिए अधिक प्रभावी होता है। इसलिए नीले रंग का प्रकीर्णन प्रचुर मात्रा में दिखाई देता है, जिसके कारण स्वच्छ आकाश का रंग नीला होता है।

प्रश्न-21. 1 एम्पियर की परिभाषा दें।

उत्तर- जब किसी चालक से 1 सेकंड में 1 कूलम्ब आवेश प्रवाहित होता है, तो उस चालक से प्रवाहित धारा 1 एम्पियर कहलाती है।

1 एम्पियर = 1 कूलम्ब/1 सेकंड

प्रश्न-22. एक वोल्ट की परिभाषा लिखें।

उत्तर- यदि एक कूलम्ब आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किया गया कार्य 1 जूल (J) हो तो उन दोनों बिंदुओं के बीच का विभवांतर 1 वोल्ट (V) होता है।

1 वोल्ट = 1 जूल/1 कूलम्ब

प्रश्न-23. 1 ओम किसे कहते है?

उत्तर- यदि किसी चालक के दोनों सिरों पर 1 वोल्ट विभवांतर आरोपित करके उससे 1 एम्पियर की धारा प्रवाहित की जाए तो उस चालक के प्रतिरोध को 1 ओम कहते है।

1 ओम = 1 वोल्ट/1 एम्पियर

प्रश्न-24. नाइक्रोम का उपयोग प्रतिरोध बनाने में नहीं किया जाता है, क्यों?

उत्तर- जिन मिश्रधातुओं का प्रतिरोध ताप गुणांक काफी अधिक होता है, उसका उपयोग मानक प्रतिरोध बनाने में नहीं किया जाता है। अतः नाइक्रोम का प्रतिरोध ताप गुणांक काफी अधिक होने के कारण इसका उपयोग प्रतिरोध बनाने में नहीं किया जाता है।

प्रश्न-25. जूल का ऊष्मीय नियम किसे कहते है?

उत्तर- किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबंधी नियम का प्रतिपादन जूल ने किया था, जिसे जूल का ऊष्मीय नियम कहते है। इस नियम के अनुसार चालक में उत्पन्न ऊष्मा—

  • उस चालक से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा के वर्ग का सीधा समानुपाती होता है तथा

  • चालक के प्रतिरोध का सीधा समानुपाती होता है।

प्रश्न-26. 1 वाट क्या है?

उत्तर- 1 जूल प्रति सेकेंड कार्य करने की दर को 1 वाट कहते है।

1 वाट = 1 जूल/1 सेकेंड

प्रश्न-27. 1 जूल किसे कहते है?

उत्तर- 1 वोल्ट विभवांतर के अधीन चालक से 1 कूलम्ब आवेश प्रवाहित करने पर किये गए कार्य को 1 जूल कहते है।

1 जूल = 1 कूलम्ब × 1 वोल्ट

प्रश्न-28. ओम का नियम क्या है? ओम के नियम में ताप को अचर क्यों रखा जाता है?

उत्तर-

ओम का नियम:- ओम के नियम के अनुसार अचर ताप पर किसी चालक से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा चालक के सिरों के बीच के विभवांतर का सीधा समानुपाती होता है।

V I (जहाँ ताप अचर है)

चालक का प्रतिरोध ताप के परिवर्तन से बदलता है। ऐसा होने पर चालक से प्रवाहित होने वाली धारा का सही-सही मान प्राप्त नहीं होता है। इसलिए ओम के नियम में ताप को अचर रखा जाता है।

प्रश्न-29. विधुत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखें।

उत्तर- विधुत धारा का S.I. मात्रक ऐम्पियर (A) होता है।

ऐम्पियर:- जब किसी चालक से 1 सेकेंड में 1 कूलम्ब आवेश प्रवाहित होता है, तो उस चालक से प्रवाहित धारा 1 ऐम्पियर कहलाती है।

प्रश्न-30. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट है। (अर्थात् 1 वोल्ट किसे कहते है?)

उत्तर- यदि एक कूलम्ब आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किया गया कार्य 1 जूल (J) हो तो उन दोनों बिंदुओं के बीच का विभवांतर 1 वोल्ट (V) होता है।

1 वोल्ट = 1 जूल/1 कूलम्ब

प्रश्न-31. विधुत टोस्टरों तथा विधुत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते है?

उत्तर- विधुत टोस्टरों एवं विधुत इस्तरियों के तापन अवयव नाइक्रोम का बना होता है। नाइक्रोम एक मिश्रधातु है। ये तापन अवयव मिश्रधातु के बनाए जाते है, क्योंकि—

  • मिश्रधातु का गलनांक अधिक होता है।

  • मिश्रधातु की प्रतिरोधकता उसके अव्ययी धातु से अधिक होता है।

प्रश्न-32. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैधुत युक्तियों को पार्श्व क्रम में बैटरी से संयोजित करने के क्या लाभ है?

उत्तर- जब अनेक युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है तो प्रत्येक युक्ति समान विभवांतर प्राप्त कर लेता है। इसलिए यदि कभी एक युक्ति बंद या खराब भी हो जाती है, तो अन्य युक्ति कार्य करती रहती है। इसलिए श्रेणीक्रम में संयोजित करने की अपेक्षा वैधुत युक्तियों को पार्श्व क्रम (समांतर क्रम) में संयोजित करना अधिक लाभप्रद है।

प्रश्न-33. किसी विधुत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?

उत्तर- विधुत हीटर की डोरी मोटे ताँबे का बना होता है। इसलिए इसका प्रतिरोध अवयव की तुलना में कम होता है। डोरी और अवयव से समान धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न ऊष्मा का मान अवयवों में अधिक होता है। इसलिए अवयव अधिक गर्म होकर उत्तप्त हो जाता है जबकि डोरी ना गर्म होती है और ना उत्तप्त होती है।

प्रश्न-34. विधुत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एक मात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर- टंगस्टन की प्रतिरोधकता उच्च होती है। इसलिए विधुत आवेश के कारण बिना बहुत अधिक गर्म हुए प्रकाश उत्पन्न कर सकता है तथा इसका गलनांक भी अधिक होता है। इसलिए विधुत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एक मात्र टंगस्टन का ही उपयोग किया जाता है।

प्रश्न-35. विधुत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विधुत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के क्यों बनाये जाते है?

उत्तर- मिश्रधातु की प्रतिरोधकता शुद्ध धातु की अपेक्षा अधिक होती है, जिसके कारण उनका जल्दी ऑक्सीकरण नहीं होता है और वें उच्च तापमान को भी सह सकते है। इसलिए विधुत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विधुत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के बनाये जाते है।

प्रश्न-36. घरेलू विधुत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?

उत्तर- घरेलू विधुत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग करने पर विधुत पथ का प्रवाह अलग-अलग बँट जाने के कारण वोल्टेज कम हो जाएगी। इसके अतिरिक्त श्रेणीक्रम संयोजन के कारण सारे घरों के बल्ब, पंखे, इत्यादि एक ही स्विच से चलेंगे अर्थात् उनको स्वतंत्र रूप से जलाया या बुझाया नहीं जा सकेगा। इसलिए घरेलू विधुत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग नहीं किया जाता है।

प्रश्न-37. विधुत संचारण के लिए प्रायः कॉपर तथा एलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर- कॉपर तथा एलुमिनियम के तारों का प्रतिरोध न्यूनतम होता है जिसके कारण इन तारों से विधुत धारा का प्रवाह आसानी से होता है। इसलिए विधुत संचारण के लिए प्रायः कॉपर तथा एलुमिनियम के तारों का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न-38. किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय रेखाये खींचीए।

उत्तर-

प्रश्न-39. दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाऍं एक-दूसरे को प्रतिछेद क्यों नहीं करती?

उत्तर- यदि दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाऍं किसी एक बिंदु पर प्रतिछेद करती है तो उस बिंदु पर दो अलग दिशा प्राप्त होगी, जो संभव नहीं है। इसलिए दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाऍं एक-दूसरे को प्रतिछेद नहीं करती हैं।

प्रश्न-40. चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक (कंपास) की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?

उत्तर- दिक्सूचक (कंपास) की सुई भी एक छोटा चुम्बक ही होता है। जब उसे चुम्बक के निकट लाया जाता है, तो क्रियाशील आकर्षण या प्रतिकर्षण बल के कारण दिक्सूचक की सुई विक्षेपित हो जाती है।

प्रश्न-41. फ्लेमिंग का वामहस्त नियम क्या है?

उत्तर- फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार– यदि बाऍं हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अँगूठे को परस्पर लम्बवत इस प्रकार फैलाऍं कि यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा धारा की दिशा दर्शाता हो तो अँगूठा धारावाही चालक पर लगे बल की दिशा को व्यक्त करेगा।

प्रश्न-42. विद्युत मोटर क्या है? इसका क्या उपयोग है?

उत्तर- विद्युत मोटर एक ऐसी युक्ति है, जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक उर्जा में परिवर्तित कर देती है। इसका उपयोग विद्युत पंरते, कपड़ा धोने की मशीनों, रेफ्रिजरेटरो इत्यादि के निर्माण में किया जाता है।

प्रश्न-43. फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम क्या है?

उत्तर- फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम के अनुसार :- यदि दाहिने हाथ की तर्जनी मध्यमा और अँगूठे को परस्पर लम्बवत इस प्रकार फैलाये की यही तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, अँगूठा चालक के गति के दिशा को व्यक्त करें तो मध्यमा चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा को व्यक्त करेंगी।

प्रश्न-44. प्रत्यावर्ती धारा से क्या क्या हानियाँ हैं?

उत्तर- प्रत्यावर्ती धारा निम्न‌ हानियाँ है।

  • प्रत्यावर्ती धारा से विद्युत लेपन तथा बैटरियों का आवेशन नहीं किया जा सकता है।

  • प्रत्यावर्ती धारा को संचालक सेल में संवित नहीं किया जा सकता है।

  • प्रत्यावर्ती धारा काफी घातक होती है।

  • प्रत्यावर्ती धारा का उपयोग विद्युत चुंबक में नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न-45. ऊर्जा के उत्तम स्रोत किसे कहते है?

उत्तर- ऊर्जा के उत्तम स्रोत उसे कहते है जो—

  • सरलता से उपलब्ध हो।

  • सस्ता हो।

  • जिसका भंडारण तथा परिवहन आसानी से किया जा सकें।

  • जो प्रति इकाई द्रव्यमान अधिक कार्य करें।

प्रश्न-46. उत्तम ईंधन किसे कहते है?

उत्तर- उत्तम ईंधन उसे कहते है, जिसका—

  • ऊष्मीय मान उच्च हो।

  • जिसे प्रज्वलन ताप की प्राप्ति हो।

  • जो जलने के बाद कम धुआँ तथा अधिक ऊष्मा उत्पन्न करें।

  • जो सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध हो।

प्रश्न-47. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे है?

उत्तर- जीवाश्म ईंधन को प्राप्त करने में अधिक कठिनाई तथा अधिक खर्च होती है। इसके साथ-साथ जीवाश्म ईंधन ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है, जिसके कारण यह एक न एक दिन समाप्त हो जायेंगे। इसलिए हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे है।

प्रश्न-48. सौर कुकर के लिए कौन-सा दर्पण— अवतल, उत्तल अथवा समतल सर्वाधिक उपयुक्त होता है और क्यों?

उत्तर- सौर कुकर के लिए अवतल दर्पण सबसे अधिक उपयुक्त होता है क्योंकि अवतल दर्पण सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणों को परावर्तित करके एक बिंदु पर अभिसारित कर देती है, जिसके कारण वहाँ ताप बाढ़ जाता है और खाना बनाने में सुविधा होती है।

प्रश्न-49. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ है? क्या ऐसे भी क्षेत्र है जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?

उत्तर-

प्रश्न-50. रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है? क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते है? क्यों अथवा क्यों नहीं?

उत्तर- हाँ, CNG की तुलना में हाइड्रोजन को स्वच्छ ईंधन माना जाता है। इसके प्रमुख कारण निम्न है—

  • हाइड्रोजन का ऊष्मीय मान CNG से अधिक होता है।

  • CNG के जलने से हानिकारक गैसें निकलती है, जबकि हाइड्रोजन गैस के जलने से कोई हानिकारक गैसें नहीं निकलती है?

  • CNG ऊर्जा का परंपरागत स्रोत है जबकि हाइड्रोजन नहीं है।

प्रश्न-51. बायोगैस का मुख्य अवयव क्या होता है तथा इसकी क्या उपयोगिता है?

उत्तर- बायोगैस का मुख्य अवयव मेथेन है। बायोगैस की निम्न उपयोगिता है—

  • बायोगैस से अधिक मात्रा में ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है।

  • बायोगैस का उपयोग उर्वरक के रूप में भी किया जाता है।

  • बायोगैस के उपयोग से वनों की कटाई को रोका जा सकता है।