उत्तर- ऊर्जा के उत्तम स्रोत उसे कहते है जो—
सरलता से उपलब्ध हो।
सस्ता हो।
जिसका भंडारण तथा परिवहन आसानी से किया जा सकें।
जो प्रति इकाई द्रव्यमान अधिक कार्य करें।
उत्तर- उत्तम ईंधन उसे कहते है, जिसका—
ऊष्मीय मान उच्च हो।
जिसे प्रज्वलन ताप की प्राप्ति हो।
जो जलने के बाद कम धुआँ तथा अधिक ऊष्मा उत्पन्न करें।
जो सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध हो।
उत्तर- ऊर्जा स्रोत के दो प्रकार होते है—
नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
परंपरागत तथा गैर-परंपरागत स्रोत
उत्तर-
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत:- वैसे ऊर्जा के स्रोत जो समाप्त नहीं हो सकते, उसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते है। जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, जैव द्रव्यमान ऊर्जा, महासगरीय ऊर्जा इत्यादि।
अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत:- वैसे ऊर्जा के स्रोत जो एक न एक दिन समाप्त हो जायेंगे तथा एक बार उपयोग कर लेने के बाद पुनः उसे उपयोग में नहीं लाया जा सकता, उसे अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते है। जैसे:- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस इत्यादि।
उत्तर-
परंपरागत ऊर्जा स्रोत:- वैसे ऊर्जा के स्रोत जिनका उपयोग व्यापक तौर पर किया जाता है, उसे परंपरागत ऊर्जा स्रोत कहते है। जैसे:- जीवाश्म ईंधन, जैव द्रव्यमान ऊर्जा इत्यादि।
गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत:- वैसे ऊर्जा के स्रोत जिनका उपयोग व्यापक तौर पर नहीं किया जाता है, उसे गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत कहते है। जैसे:- सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, महासागरीय तापीय ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा इत्यादि।
उत्तर- पेड़-पौधे तथा जन्तुओं के अवशेष जो करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी के अंदर दबकर ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ताप तथा दाब के कारण ईंधनों में परिवर्तित हो गया, जिसे जीवाश्म ईंधन कहते है। जैसे:- कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन के उदाहरण है।
उत्तर- जीवाश्म ईंधन पृथ्वी के तल के नीचे पाया जाता है। यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है। जीवाश्म ईंधन के जलने से कार्बन, नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइड मुक्त होते है, जिससे हमारा वातावरण दूषित हो जाता है। जीवाश्म ईंधन अम्लीय वर्षा में भी सहायक होती है।
उत्तर- जीवाश्म ईंधन को प्राप्त करने में अधिक कठिनाई तथा अधिक खर्च होती है। इसके साथ-साथ जीवाश्म ईंधन ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है, जिसके कारण यह एक न एक दिन समाप्त हो जायेंगे। इसलिए हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे है।
उत्तर- कोयला के निम्न प्रकार होते है—
पीट:- यह निम्न कोटि का कोयला होता है। इसमें केवल 60% कार्बन उपस्थित रहता है।
लिग्नाइट:- यह भी निम्न कोटि की कोयला श्रेणी में आता है। इसमें 67% कार्बन उपस्थित रहता है। यह जलने के बाद अधिक धुआँ तथा कम ऊष्मा देता है।
बिटुमिनस:- इसमें लगभग 70-80 % कार्बन उपस्थित रहता है। यह जलने के बाद कम धुआँ तथा अधिक ऊष्मा देता है।
एंथ्रासाइट:- यह उत्तम कोटि का कोयला होता है। इसमें लगभग 96% कार्बन उपस्थित रहता है। यह जलने के बाद अति अल्प धुआँ तथा अधिक ऊष्मा देता है।
उत्तर-
उपयोग:-
कोयले का उपयोग खाना बनाने तथा पानी गर्म करने में किया जाता है।
कोयले का उपयोग तापीय विधुत संयंत्रों में किया जाता है।
कोयले का उपयोग रासायनिक उद्योगों में भी होता है।
हानि:-
कोयला को जलाने पर CO₂ गैस मुक्त होती है, जो वातावरण को दूषित करती है।
कोयला को जलाने पर कार्बन-मोनो-ऑक्साइड गैस भी उत्पन्न होती है, जो मानव के लिए बहुत ही हानिकारक होती है।
उत्तर- अपने भोजन को गर्म करने के लिए मैं नवीकरणीय एवं प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत का उपयोग करूँगा क्योंकि यह पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करेगा तथा पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखेगा। जैसे:- भोजन को गर्म करने के लिए माइक्रोओवन का उपयोग किया जा सकता है।
उत्तर- हमारी सुविधा के लिए पवन चक्की का उपयोग करके पवन ऊर्जा और जल विधुत संयंत्र लगाकर जल ऊर्जा में सुधार किए गए है।
उत्तर- सौर कुकर के लिए अवतल दर्पण सबसे अधिक उपयुक्त होता है क्योंकि अवतल दर्पण सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणों को परावर्तित करके एक बिंदु पर अभिसारित कर देती है, जिसके कारण वहाँ ताप बाढ़ जाता है और खाना बनाने में सुविधा होती है।
उत्तर- जब किसी कारणवश पृथ्वी के अंदर तप्तस्थल का निर्माण हो जाता है और भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आती है, तो भाप उत्पन्न होती है। जब यह तप्त जल ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग में लाई जाती है, तो इसे भू-तापीय ऊर्जा कहते है।
उत्तर- कोई भी ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत में सौर सेल को प्रदूषण मुक्त माना जाता है, लेकिन वास्तव में सौर सेल से भी प्रदूषण होता है क्योंकि यह अधिक मात्रा में अवरक्त विकिरणों को प्राप्त करती है।
उत्तर- जल ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा दो ऐसे ऊर्जा के स्रोत है, जिन्हें हम नवीकरणीय मानते है। ये दोनों ऊर्जा के स्रोत ऐसे स्रोत है, जो कभी समाप्त नहीं हो सकते। इन स्रोतों की पुनः प्राप्ति प्रकृति द्वारा होती रहती है और इनका उपयोग हम ऊर्जा स्रोत के रूप में कर सकते है।
उत्तर- कोयला तथा पेट्रोलियम ऊर्जा के ऐसे दो स्रोत है, जिन्हें हम समाप्य मानते है अर्थात् ये ऊर्जा के ऐसे स्रोत है, जो एक न एक दिन समाप्त हो जायेंगे। इन दोनों स्रोतों की सीमित मात्रा होने के कारण ये कभी भी समाप्त हो सकते है।
उत्तर-
उत्तर- कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन की परिघटना प्रदर्शित करने वाले प्रभाव को टिंडल प्रभाव कहते है।
उत्तर-
उत्तर- ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम निम्न है—
ऊर्जा के बढ़ती माँग के फलस्वरूप हमारा पर्यावरण दिन प्रतिदिन प्रदूषित होते जा रहा है।
ऊर्जा के बढ़ती माँग के कारण ऊर्जा संकट बढ़ रही है।
ऊर्जा की खपत को कम करने के निम्न उपाय है—
जीवाश्म ईंधन का उपयोग सावधानी पूर्वक तथा संतुलित मात्रा में करना होगा।
ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विधुत ऊर्जा इत्यादि का उपयोग अधिक करना होगा।
उत्तर- हाँ, CNG की तुलना में हाइड्रोजन को स्वच्छ ईंधन माना जाता है। इसके प्रमुख कारण निम्न है—
हाइड्रोजन का ऊष्मीय मान CNG से अधिक होता है।
CNG के जलने से हानिकारक गैसें निकलती है, जबकि हाइड्रोजन गैस के जलने से कोई हानिकारक गैसें नहीं निकलती है?
CNG ऊर्जा का परंपरागत स्रोत है जबकि हाइड्रोजन नहीं है।
उत्तर- नाभिकीय ऊर्जा का निम्न महत्व है—
नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग विधुत उत्पादन में होता है।
इसका उपयोग युद्ध क्षेत्र में होता है।
इसका उपयोग स्पेस रिसर्च में भी होता है।
उत्तर- महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं के नाम तथा सीमाएँ निम्न प्रकार से है—
ज्वारीय ऊर्जा:- ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बहुत ही कम ऐसे स्थान है, जहाँ बाँध बनाकर इस ऊर्जा को प्राप्त की जा सकती है।
तरंग ऊर्जा:- तरंग ऊर्जा प्राप्त करने की तकनीक काफी महँगी है, जिसके कारण तरंग ऊर्जा को आसानी से प्राप्त नहीं की जा सकती है।
उत्तर- भारत में कुछ प्रमुख जल विधुत परियोजनाओं के नाम निम्न है—
भाखड़ा नांगल परियोजना
हीराकुंड परियोजना
चमेड़ा जल विधुत परियोजना
उत्तर-
प्राकृतिक गैस:- प्राकृतिक गैस एक जीवाश्म ईंधन है। यह मेथेन, इथेन तथा प्रोपेन गैसों का मिश्रण है।
CNG (संपीडित प्राकृतिक गैस):- जब उच्च दाब पर प्राकृतिक गैस को द्रव रूप में संग्रहित किया जाता है, तो उसे CNG कहते है। CNG का उपयोग वाहनों में ईंधन के रूप में, विधुत उत्पन्न करने में तथा खाद्य या उर्वरक उत्पादन में किया जाता है।
बायोमास (जैव मात्रा):- पेड़-पौधे तथा जानवरों के शरीर में निहित जैव पदार्थ को बायोमास या जैव मात्रा कहते है।
चारकोल:- जब लकड़ी को सीमित वायु की उपस्थिति में जलाया जाता है, तो उसमें उपस्थित जल एवं वाष्पशील पदार्थ बाहर निकल जाते है तथा गहरे काले रंग का जो अवशेष बचता है, उसे चारकोल कहते है। लकड़ी की तुलना में चारकोल एक अच्छा ईंधन माना जाता है क्योंकि यह जलने के पश्चात लकड़ी की अपेक्षा बहुत ही कम धुआँ देता है तथा बिना ज्वाला के जलते रहता है।
उत्तर- बायोगैस का मुख्य अवयव मेथेन है। बायोगैस की निम्न उपयोगिता है—
बायोगैस से अधिक मात्रा में ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है।
बायोगैस का उपयोग उर्वरक के रूप में भी किया जाता है।
बायोगैस के उपयोग से वनों की कटाई को रोका जा सकता है।