उत्तर- जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो उसकी दिशा में होने वाले परिवर्त्तन को प्रकाश का अपवर्त्तन कहते है।
उत्तर- प्रकाश के अपवर्त्तन के दो नियम होते है—
आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर डाला गया अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते है।
आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्त्तन कोण की ज्या का अनुपात किन्हीं दो माध्यमों के लिए एक नियतांक होता है।
उत्तर- स्नेल के नियम के अनुसार प्रकाश के किसी विशेष रंग के लिए आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्त्तन कोण की ज्या का अनुपात किन्ही दो माध्यमों के लिए एक नियतांक होता है।
µ = sin i/ sin r, जहाँ µ एक नियतांक है।
उत्तर- काँच स्लैब से निकलने वाली निर्गत किरण तथा आपतित किरण के मूल पथ के बीच की लम्बवत दूरी को पार्श्विक विस्थापन कहते है।
उत्तर- प्रकाश के अपवर्त्तन के निम्न प्रभाव होते है—
पानी में डूबी पेंसिल या छड़ी का मुड़ा हुआ प्रतीत होना।
अक्षरों के ऊपर काँच का स्लैब रखकर देखने पर अक्षरों का उठा हुआ प्रतीत होना।
मछुवारों को मछली भेदने में कठिनाई होना।
उत्तर- पेंसिल के अग्र भाग से निकलने वाले प्रकाश की किरण अभिलम्ब से दूर भाग जाती है क्योंकि प्रकाश की किरण पानी से हवा में प्रवेश करती है। ऐसी स्थिति में प्रकाश की किरण दूसरे बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है। इसलिए पानी में डूबी पेंसिल या छड़ी मुड़ी हुई प्रतीत होती है तथा छोटी दिखाई देती है।
उत्तर-
अपवर्तनांक:- किसी दो माध्यमों के लिए आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्त्तन कोण की ज्या का अनुपात नियतांक होता है, जिसे अपवर्तनांक कहते है। इसको µ से सूचित करते है।
निरपेक्ष अपवर्तनांक:- निर्वात में प्रकाश की चाल तथा किसी माध्यम में प्रकाश की चाल के अनुपात को निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते है। इसे n से सूचित करते है।
निरपेक्ष अपवर्तनांक (n) = निर्वात में प्रकाश की चाल/ माध्यम में प्रकाश की चाल
उत्तर- दो निश्चित आकार वाले ज्यामितीय सतहों से घिरे पारदर्शी माध्यम को लेंस कहते है। यह काँच का बना होता है। गोलीय सतहों से घिरे लेंस को गोलीय लेंस तथा बेलनाकार सतहों से घिरे लेंस को बेलनाकार लेंस कहते है।
उत्तर- गोलीय लेंस मुख्यतः दो प्रकार के होते है—
उत्तल लेंस:- ऐसा लेंस जिसके किनारे का भाग पतला तथा बीच का भाग मोटा होता है, उसे उत्तल लेंस कहते है। इस लेंस को अभिसारी लेंस भी कहते है।
अवतल लेंस:- ऐसा लेंस जिसके किनारे का भाग मोटा तथा बीच का भाग पतला होता है, उसे अवतल लेंस कहते है। इस लेंस को अपसारी लेंस भी कहते है।
उत्तर- उत्तल लेंस और अवतल लेंस में निम्न अंतर है—
उत्तर- लेंस के फोकस दूरी के व्युत्क्रम को लेंस की क्षमता कहते है। इसे प्रायः P से सूचित करते है। लेंस की क्षमता का S.I. मात्रक डाइऑप्टर (D) होता है।
उत्तर- जब किसी लेंस की फोकस दूरी (f) 1 m होती है, तो उस लेंस की क्षमता 1 D होती है।
उत्तर- हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है, अर्थात् इसका अपवर्तनांक काफी अधिक है। इसलिए हीरा एक सघन माध्यम है। अतः हीरे में प्रकाश का वेग बहुत ही कम होगा।
उत्तर- वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जब जल में तिरछी प्रवेश करती है, तो प्रकाश किरण अभिलम्ब की ओर झुकेगी क्योंकि जल, वायु की अपेक्षा अधिक सघन है तथा वायु की अपेक्षा जल में उसका वेग घट जाता है।
उत्तर-
किरोसिन का अपवर्तनांक = 1.44
तारपीन का तेल का अपवर्तनांक = 1.47
जल का अपवर्तनांक = 1.33
चूँकि जिसका अपवर्तनांक जितना ही कम होगा उसमें प्रकाश उतनी ही अधिक चाल से चलेगी। इसलिए यहाँ जल का अपवर्तनांक सबसे कम है। अतः यहाँ जल में प्रकाश की चाल सबसे अधिक होगी।