Chemistry VVI Subjective (Guess)

Bihar Board Class 10th

Only Chemistry | सेट-1 : 2 Marks

लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर

विज्ञान | 78 Questions

प्रश्न-1. वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ क्यों किया जाता है?

उत्तर- वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को सरेस पेपर (रेगमाल) से साफ किया जाता है, ताकि रिबन के ऊपर जमी हुई मैग्नीशियम ऑक्साइड की परत हट जाए और वायु में उपस्थित ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके आसानी से जल सके। इसलिए वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ किया जाता है।

प्रश्न-2. संयोजन अभिक्रिया किसे कहते हैं?

उत्तर- वैसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं, उसे संयोजन अभिक्रिया कहते हैं।

जैसे:- C + O₂CO₂

प्रश्न-3. वियोजन अभिक्रिया किसे कहते हैं?

उत्तर- वैसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें एकल अभिकारक (अभिकर्मक) टूटकर छोटे-छोटे उत्पाद का निर्माण करते हैं, उसे वियोजन अभिक्रिया कहते हैं।

जैसे:- CaCO₃ (चूना पत्थर) → CaO + CO₂ (बुझा हुआ चूना)

प्रश्न-4. तेल और वसा युक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया जाता है?

उत्तर- खाद्य पदार्थ वाले बर्तनों या पैकेटों में से ऑक्सीजन को हटाकर नाइट्रोजन जैसे कम सक्रिय गैस को भर दिया जाता है ताकि तेल और वसा युक्त वाले खाद्य पदार्थों का उपचयन न हो सके। अतः तेल और वसायुक्त वाले खाद्य पदार्थों में नाइट्रोजन गैस भरने से खाद्य पदार्थों का उपचयन नहीं हो पाता है और उसका स्वाद भी बहुत दिनों तक खराब नहीं होता है । इसलिए तेल और वसा युक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित किया जाता है।

प्रश्न-5. श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया क्यों कहते हैं?

उत्तर- भोजन में कार्बोहाइड्रेट होता है । इन कार्बोहाइड्रेट के टूटने से ग्लूकोज बनता है। श्वसन क्रिया के द्वारा ऑक्सीजन हमारी कोशिका में पहुँचता है तथा ग्लूकोज हमारी कोशिका में उपस्थित ऑक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करती है । इस अभिक्रिया को श्वसन अभिक्रिया कहते हैं । इस श्वसन अभिक्रिया में ऊर्जा भी मुक्त होती है । इसलिए श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया भी कहते हैं।

प्रश्न-6. विकृतगंधिता किसे कहते हैं?

उत्तर- वसा तथा तेल से बने खाद्य पदार्थों में उपचयन की क्रिया के कारण उनमें अरुचिकर गंध और स्वाद उत्पन्न हो जाता है, जिसे विकृतगंधिता कहते हैं। विकृतगंधिता को निम्न तरीकों द्वारा रोका जा सकता है—

  • खाद्य पदार्थों को रेफ्रिजरेटर (फ्रिज) में रखकर ।

  • वायुरोधी बर्तनों में रखकर ।

प्रश्न-7. कॉपर सल्फेट के घोल में लोहे की कील डुबोने पर विलयन का रंग क्यों बदल जाता है?

उत्तर- जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है, तो लोहे की कील कॉपर सल्फेट के विलयन से कॉपर को विस्थापित कर देता है और आयरन सल्फेट बनाता है । आयरन सल्फेट बनने के कारण कॉपर सल्फेट का गहरा नीला रंग मलीन हो जाता है और हल्के हरे रंग में बदल जाता है। इसीलिए कॉपर सल्फेट के घोल में लोहे की कील डुबोने पर विलयन का रंग बदल जाता है ।

Fe + CuSO₄ (नीला) → FeSO₄ + Cu (हरा)

प्रश्न-8. किसी पदार्थ X के विलयन का उपयोग सफेदी करने के लिए होता है—


  1. पदार्थ X का नाम तथा इसका सूत्र लिखें।

उत्तर- पदार्थ X का नाम = बिना बुझा हुआ चूना (CaO)


  1. पदार्थ X की जल के साथ अभिक्रिया लिखें।

उत्तर- CaO + H₂OCa(OH)₂ + ऊष्मा

प्रश्न-9. एक भूरे रंग का चमकदार तत्व X को वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर वह काले रंग का हो जाता है इस तत्व X और उस काले रंग के यौगिक का नाम बताए।

उत्तर-

तत्व X → कॉपर (Cu)

काले रंग का यौगिक → CuO (कॉपर ऑक्साइड)


ऊष्मा

2Cu + O₂2CuO

प्रश्न-10. संक्षारण किसे कहते हैं? इसको कम करने के क्या उपाय हैं?

उत्तर- जब कोई धातु वायु, नमी, सूर्य का प्रकाश,अम्ल इत्यादि के संपर्क में आने के कारण संक्षारित हो जाता है, उसे संक्षारण कहते हैं। संक्षारण को कम करने के उपाय निम्नलिखित हैं—

    • वस्तुओ को पेंट करके ।

    • तेल या ग्रीस लगाकर।

प्रश्न-11. वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत क्यों कहा जाता है? इन अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए।

उत्तर- संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं, जबकि वियोजन अभिक्रिया में एकल अभिकारक टूटकर दो या दो से अधिक उत्पाद का निर्माण करते हैं। इसलिए वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत कहा जाता है।

जैसे:-

C + O₂CO₂ (संयोजन अभिक्रिया)

CaCO₃CaO + CO₂ (वियोजन अभिक्रिया)

प्रश्न-12. उपचयन या अपचयन किसे कहते हैं?

Question-26 | What is Oxidation or reduction?

उत्तर-

उपचयन:- जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि (योग) या हाइड्रोजन की कमी होती है तो उसे उपचयन कहते हैं। उपचयन अभिक्रिया को ऑक्सीकरण अभिक्रिया भी कहते हैं।

जैसे:- 2Cu + O₂ → 2CuO (कॉपर का उपचयन)

अपचयन:- जब किसी पदार्थ में हाइड्रोजन की वृद्धि या ऑक्सीजन की कमी होती है तो उसे अपचयन कहते हैं। अपचयन अभिक्रिया को अवकरण अभिक्रिया भी कहते हैं।

जैसे:- H₂ + Cl₂ 2HCl (Cl का अपचयन)

प्रश्न-13. अम्ल और क्षारक में क्या अंतर है?

उत्तर- अम्ल और क्षारक में निम्न अंतर है—

प्रश्न-14. सूचक किसे कहते हैं?

उत्तर- सूचक:- सूचक ऐसे पदार्थ को कहते हैं, जो अपने रंग परिवर्तन के द्वारा पदार्थ के अम्लीय, क्षारीय या उदासीन होने की सूचना देते है, उसे सूचक कहते हैं।

जैसे:- लिटमस पत्र, मेथिल ऑरेंज, तथा फीनॉलफ्थेलिन तीन सामान्य सूचक है।

प्रश्न-15. प्राकृतिक सूचक तथा संश्लेषित सूचक के नाम लिखें।

उत्तर-

प्राकृतिक सूचक:- लिटमस, हल्दी, लाल पत्ता गोभी, शलगम (चुकंदर), हाइड्रेंजिया, पेटूनिया।

संश्लेषित सूचक:- मेथिल ऑरेंज, फीनॉलफ्थेलिन।

प्रश्न-16. गंधीय सूचक किसे कहते हैं ?

उत्तर- कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं, जिनकी गंध अम्लीय या क्षारीय माध्यम में बदल जाती है, उसे गंधीय सूचक कहते हैं।

जैसे:- प्याज, वैनिला, लॉन्ग का तेल, इत्यादि।

प्रश्न-17. पीतल या ताँबे के बर्त्तन में दही या खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखनी चाहिए।

उत्तर- दही और खट्टे पदार्थों में अम्ल होता है। अम्ल धातुओं से अभिक्रिया करके लवण तथा हाइड्रोजन गैस बनाता है, जिसके कारण बर्त्तन में रखा पदार्थ खाने योग्य नहीं रह जाता है तथा बर्त्तन संक्षारित भी हो जाता है। इसलिए पीतल और ताँबे के बर्त्तन में दही या खट्टे पदार्थ नहीं रखनी चाहिए।

प्रश्न-18. धोने का सोडा और बेकिंग सोडा का दो प्रमुख उपयोग बताये?

उत्तर-

# धोने का सोडा या धोवन सोडा का उपयोग निम्न है—

    • जल की स्थायी कठोरता दूर करने में।

    • घरों की साफ-सफाई में।

# बेकिंग सोडा का उपयोग निम्नलिखित है—

    • बेकिंग पाउडर बनाने में।

    • सोडा-अम्ल अग्निशामक में।

प्रश्न-19. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्त्तन में क्यों रखा जाना चाहिए? इसकी व्याख्या कीजिए।

उत्तर- प्लास्टर ऑफ पेरिस आसानी से जल को अवशोषित कर लेता हैं और कठोर जिप्सम का निर्माण करता है। इसलिए प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्त्तन में रखा जाना चाहिए।

प्रश्न-20. आसवित जल विधुत का चालक क्यों नहीं होता है जबकि वर्षा जल होता है?

उत्तर- आसवित जल में कोई आयनिक यौगिक घुले नहीं रहते हैं जिसके कारण यह आयनों में विघटित नहीं होते है, जबकि वर्षा जल में विभिन्न प्रकार के अम्लीय गैस घुले होते हैं । इसीलिए यह आयनो में विघटित हो जाते है जिसके कारण आसवित जल में विधुत का चालक नहीं होता है जबकि वर्षा जल में होता है।

प्रश्न-21. विरंजक चूर्ण क्या है? इसका रासायनिक सूत्र क्या है तथा इसके क्या उपयोग है?

उत्तर- जब शुष्क बुझा हुआ चूना [Ca(OH)₂] के साथ क्लोरीन की अभिक्रिया होती है तो विरंजक चूर्ण का निर्माण होता है।

विरंजक चूर्ण का रासायनिक सूत्र CaOCl₂ होता है।

# विरंजक चूर्ण के निम्न उपयोग है।

  • उद्योगों में तथा साफ कपड़ों के विरंजक के लिए।

  • रासायनिक उद्योगों में उपचायक के रूप में।

  • पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए।

प्रश्न-22. धोने का सोडा क्या है? इसका रासायनिक सूत्र तथा उपयोग बताये।

उत्तर- बेकिंग सोडा को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जाता है तथा उसको पुनः क्रिस्टलीकरण करके धोने का सोडा प्राप्त किया जाता है। धोने का सोडा का रासायनिक सूत्र Na₂CO₃•10H₂O होता है।

# इसका निम्नलिखित उपयोग है—

    • घरों में साफ-सफाई करने में।

    • जल की अस्थाई कठोरता को हटाने में।

    • साबुन, काॅच तथा कागज उद्योग में।

प्रश्न-23. प्लास्टर ऑफ पेरिस क्या है, तथा इसके क्या उपयोग है?

उत्तर- जिप्सम को 373K के ऊपर गर्म करने पर यह जल के अणुओं को त्याग कर कैल्शियम सल्फेट अर्धहाइड्रेट हेमिहाइड्रेट बनाता है, जिसे प्लास्टर ऑफ पेरिस कहते हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस का रसायनिक सूत्र CaSo₄•½H₂O होता है।

प्लास्टर ऑफ पेरिस का निम्न उपयोग है—

    • खिलौने बनाने में।

    • सजावट का सामान बनाने में।

    • सतह को चिकना बनाने में।

    • टूटी हुई हड्डियों को सही जगह स्थिर रखने में।

प्रश्न-24. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विधुत का चालन करता है?

उत्तर- अम्ल जल में घुलकर आयनों का निर्माण करता है। इसलिए अम्ल का जलीय विलयन विधुत का चालन करता है।

HCl → H+ + Cl-

प्रश्न-25. अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए ना कि जल को अम्ल में?

उत्तर- अम्ल को जल में डालकर उसे धीरे-धीरे मिलाना चाहिए । ऐसा करने से उसमें उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा बहुत कम होती है। इसके विपरीत यदि जल को अम्ल में मिलाते हैं तो उसमें उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा बहुत अधिक हो जाएगी जिसके कारण उसमें उफान आ सकता है। जो हमारे चेहरे और कपड़ों को जला सकती है तथा कांच के बर्तन टूट भी सकते हैं। इसलिए हमें अम्ल को जल में मिलाना चाहिए ना कि जल को अम्ल में।

प्रश्न-26. सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए

उत्तर- सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के विलयन को गर्म करने से सोडियम कार्बोनेट, जल तथा कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस बनता है।


गर्म करने पर

2NaHCO₃ Na₂Co₃ + H₂O + Co₂

प्रश्न-27. प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए?

उत्तर- CaSo₄▪½H₂O + ³⁄₂H₂OCaSo₄•2H₂O

प्रश्न-28. सोडियम, पोटैशियम या लिथियम को किरोसिन तेल में डुबोकर क्यों रखा जाता है?

उत्तर- सोडियम, पोटैशियम या लिथियम को हवा में खुला छोड़ने पर यह ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके स्वत: (लगभग 23°C पर) आग पकड़ लेती है अर्थात् जलने लगती है । इसलिए इसको सुरक्षित रखने के लिए इसे किरोसीन तेल में डुबो कर रखा जाता है क्योंकि यह किरोसीन तेल के साथ ना कोई अभिक्रिया करती है और ना इसमें घुलती है।

प्रश्न-29. उभयधर्मी ऑक्साइड किसे कहते हैं, तथा एनोडीकरण किसे कहते हैं?

उत्तर-

उभयधर्मी ऑक्साइड:- कुछ धातु के ऑक्साइड की प्रकृति अम्लीय और क्षारीय दोनों होती है, ऐसे धातु के ऑक्साइड को उभयधर्मी ऑक्साइड कहते हैं। जैसे:- ऐलुमिनियम ऑक्साइड (Al₂O₃), जिंक ऑक्साइड (ZnO)

एनोडीकरण:- ऐलुमिनियम पर मोटी ऑक्साइड की परत बनने की क्रिया को एनोडीकरण कहते हैं।

प्रश्न-30. गर्म जल का टैंक बनाने में ताँबे का उपयोग होता है, लेकिन इस्पात का नहीं किया जाता है क्यों?

उत्तर- ताँबा जल के साथ किसी भी स्थिति में अभिक्रिया नहीं करता है लेकिन लोहा उबलते पानी के भाप से अभिक्रिया करके ऑक्साइड और हाइड्रोजन गैस बनाता है। इसलिए गर्म जल का टैंक बनाने में ताँबे का उपयोग होता है लेकिन इस्पात का नहीं होता है।

प्रश्न-31. धातुऍं अम्ल के साथ अभिक्रिया करती है, तो क्या होता है?

उत्तर- धातु अम्ल के साथ अभिक्रिया करती है तो लवण तथा हाइड्रोजन गैस बनाती है।

धातु + अम्ल → लवण + हाइड्रोजन गैस

Mg + 2Hcl → Mgcl₂ + H₂

प्रश्न-32. भौतिक गुणों के आधार पर धातु तथा अधातु में अंतर बताए?

उत्तर- भौतिक गुणों के आधार पर धातु और आधातु में निम्नलिखित अंतर हैं—

प्रश्न-33. रासायनिक गुणों के आधार पर धातु तथा अधातु में अंतर ज्ञात करें?

उत्तर- रासायनिक गुणों के आधार पर धातु तथा अधातु में निम्नलिखित अंतर हैं—

प्रश्न-34. धातुऍं प्रकृति में कितनी अवस्थाऍं में पाई जाती हैं?

उत्तर- धातुऍं प्रकृति में दो अवस्था में पाई जाती हैं—

  1. स्वतंत्र अवस्था:- जो धातुऍं सबसे कम अभिक्रियाशील होती हैं वह स्वतंत्र अवस्था में पाई जाती हैं। जैसे:- सोना, चाँदी ...

  2. संयुक्त अवस्था:- जो धातुऍं सबसे अधिक अभिक्रियाशील होती हैं वह संयुक्त अवस्था में पाई जाती हैं। जैसे:- पारा, कॉपर ...

प्रश्न-35. खनिज तथा अयस्क में अंतर क्या है?

उत्तर- खनिज तथा अयस्क में निम्न अंतर है—

प्रश्न-36. भर्जन तथा निस्तापन में क्या अंतर है?

उत्तर- भर्जन तथा निस्तापन में निम्नलिखित अंतर हैं—

प्रश्न-37. संक्षारण की शर्तें क्या है, तथा इसको कम करने के क्या उपाय है?

उत्तर-

संक्षारण होने की निम्न शर्तें—

  • वायु (ऑक्सीजन) की उपस्थिति

  • नमी (जल) की उपस्थिति

  • अभिक्रियाशील धातु की उपस्थिति

संक्षारण को कम करने के निम्न उपाय—

  • धातुओं को पेंट करके

  • तेल तथा ग्रीस लगाकर

  • यशदलेपन तथा ऐनोडीकरण द्वारा करके

प्रश्न-38. यशदलेपन (जस्तीकरण), मिश्रधातु तथा अमलगम किसे कहते हैं?

उत्तर-

यशदलेपन:- लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए लोहे पर जिंक धातु की पतली परत चढ़ाने की क्रिया को यशदलेपन (जस्तीकरण) कहते हैं।

मिश्रधातु:- दो या दो से अधिक धातुओं अथवा धातु और अधातु के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं।

अमलगम:- जब मिश्रधातु में एक धातु पारा होता है, तो उसे अमलगम कहते हैं। जैसे:- सोडियम अमलगम, टिन अमलगम इत्यादि।

प्रश्न-39. आयनिक यौगिक का गलनांक उच्च क्यों होता है?

उत्तर- आयनिक यौगिक धन एवं ऋण आवेश युक्त आयनों से बने होते है तथा ये आयन विधुत आकर्षण बल द्वारा एक-दूसरे से काफी मजबूती से बंधे रहते हैं। इस आकर्षण बल को कम करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए आयनिक यौगिक का गलनांक उच्च होता है।

प्रश्न-40. प्लैटिनम, सोना और चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए क्यों किया जाता है?

उत्तर- प्लैटिनम, सोना और चाँदी बहुत ही कम अभिक्रियाशील धातु होती है, जिनके कारण इनका संक्षारण नहीं होता है, और इनकी चमक भी बनी रहती है। इसलिए इनका उपयोग आभूषण बनाने में लिए किया जाता है।

प्रश्न-41. एलुमिनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है। फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तन बनाने के लिए किया जाता है, क्यों?

उत्तर- एलुमिनियम ऊष्मा का अच्छा चालक है। इसका संक्षारण भी बहुत कम होता है। इसलिए अत्यंत अभिक्रियाशील धातु होते हुए भी एलुमिनियम का उपयोग खाना बनाने वाले बर्तन में किया जाता है।

प्रश्न-42. उत्प्रेरक से क्या समझते हैं?

उत्तर- उत्प्रेरक ऐसे पदार्थ को कहते हैं, जो किसी अभिक्रिया की दर को बढ़ा देते हैं या घटा देते हैं लेकिन वे स्वयं अभिक्रिया के अंत में अपरिवर्तित रहते हैं क्योंकि ये अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं।

प्रश्न-43. आसवित जल विधुत का चालक क्यों नहीं होता है, जबकि वर्षा जल होता है?

उत्तर- आसवित जल में लवण की मात्रा बहुत ही कम रहती है, जबकि वर्षा जल में लवण की मात्रा बहुत अधिक रहती है। इसलिए लवण की मात्रा अधिक होने से वर्षा जल विधुत का चालक होता है और आसवित जल विधुत का चालक नहीं होता है।

प्रश्न-44. अधातुऍं विधुत ऋणात्मक क्यों होते हैं?

उत्तर- अधातुओं के परमाणुओं के बाह्यतम कोश में (हाइड्रोजन तथा हीलियम को छोड़कर) 4, 5, 6, 7 इलेक्ट्रॉन होते हैं। अतः अधातुऍं इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करके ऋणात्मक आवेश वाले आयन बनाते हैं । इसलिए अधातुऍं विधुत ऋणात्मक होती हैं।

प्रश्न-45. धातुकर्म किसे कहते हैं? इसके विभिन्न चरणों को लिखें?

उत्तर- अयस्क से शुद्ध धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातुकर्म कहते हैं।

इसके विभिन्न चरण निम्न है—

  • अयस्क का सांद्रण।

  • सांद्रित अयस्क का धातु के ऑक्साइड में परिवर्त्तन।

  • धातु के ऑक्साइड से धातु का निष्कर्षण।

  • धातु का शुद्धिकरण।

प्रश्न-46. सह-संयोजी यौगिकों के क्वथनांक और गलनांक निम्न (कम) क्यों होते हैं?

उत्तर- सह-संयोजी आबंध वाले अणुओं में अंदर प्रबल आबंध होता है, लेकिन इनका अंतराणुक बल कमजोर होता है। जिनके कारण कम ताप के कारण भी इनके कमजोर अंतराणुक बल आसानी से टूट जाते है। इसलिए सह-संयोजी यौगिक के क्वथनांक तथा गलनांक कम होते हैं।

प्रश्न-47. सह-संयोजी यौगिक विधुत के कुचालक होते हैं, क्यों?

उत्तर- इनके परमाणुओं के बीच बराबर-बराबर अर्थात् समान इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है, जिसके कारण ये आवेश उत्पन्न नहीं करते हैं। इसलिए सह-संयोजी यौगिक विधुत के कुचालक होते हैं।

प्रश्न-48. सह-संयोजी यौगिकों के क्या गुण होते हैं?

उत्तर- सह-संयोजी यौगिकों के निम्न गुण होते हैं—

  • इसके क्वथनांक तथा गलनांक निम्न होते हैं।

  • ये विधुत के कुचालक होते हैं।

  • ये द्रव तथा गैसीय अवस्थाओं में पाए जाते हैं।

  • ये अध्रुवीय तथा ध्रुवीय यौगिक होते हैं।

प्रश्न-49. अपरूप तथा अपरूपता किसे कहते हैं?

उत्तर- कोई तत्त्व प्रकृति में विभिन्न भौतिक गुणों के साथ विविध रूपों में पाया जाता है, तो उस तत्त्व के विभिन्न रुप को अपरूप कहते हैं तथा इस घटना को अपरूपता कहते हैं। हीरा तथा ग्रेफाइट कार्बन के दो मुख्य अपरूप है।

प्रश्न-50. कार्बन के दो गुणधर्म कौन-से हैं, जिसके कारण हमारे चारों ओर कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है?

उत्तर- कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या होने के दो निम्न कारण है—

  • कार्बन यौगिकों में श्रृंखलन का गुण होना।

  • कार्बन की चतु: संयोजकता का गुण होना।

प्रश्न-51. संतृप्त हाइड्रोकार्बन तथा असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में क्या अंतर है?

उत्तर-

प्रश्न-52. समावयता किसे कहते हैं?

उत्तर- ऐसे विभिन्न कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र समान हो लेकिन संरचना सूत्र भिन्न-भिन्न हो, उसे समावयवी कहते हैं और इस घटना को समावयता कहते हैं।

प्रश्न-53. समजातीय श्रेणी की क्या विशेषताऍं हैं?

उत्तर- समजातीय श्रेणी की निम्न विशेषताऍं हैं—

  • समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों का सामान्य सूत्र एक ही होता है।

  • समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों में एक ही प्रकार्यात्मक समूह उपस्थित रहता है।

  • समजातीय श्रेणी के सभी सदस्य एक ही रसायनिक गुण दर्शाते हैं।

  • समजातीय श्रेणी के दो क्रमागत सदस्यों में –CH₂ का अंतर होता है।

  • समजातीय श्रेणी के सदस्यों के भौतिक गुणों में क्रमिक परिवर्तन पाया जाता है।

प्रश्न-54. दहन किसे कहते हैं?

उत्तर- कार्बन यौगिक को ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाने पर ऊष्मा एवं प्रकाश के साथ-साथ CO₂ गैस भी देता है, जिसे दहन कहते हैं। दहन एक ऑक्सीकरण क्रिया है क्योंकि इसमें ऑक्सीजन का संयोग होता है।

जैसे:- CH₄ + 2O₂ → CO₂ + 2H₂O + ऊष्मा एवं प्रकाश

प्रश्न-55. एथेनॉल (एल्कोहाॅल) का क्या क्या उपयोग है?

उत्तर- एथेनॉल (एल्कोहाॅल) के निम्न उपयोग है—

  • वीयर, विस्की, शराब में।

  • घावों तथा सिरिंजो को रोगाणु रहित करने में।

  • ईधंन के रूप में।

  • ठंडे देशों के वाहनों के रेडिएटरो में।

  • तेल तथा इत्र के निर्माण में।

  • मृत जीवों तथा पौधों के संरक्षण में।

प्रश्न-56. एथेनॉइक अम्ल के क्या-क्या उपयोग हैं?

उत्तर- एथेनॉइक अम्ल के निम्न में उपयोग है—

  • आँवले के रूप में

  • विलायक के रूप में

  • औषधि, साबुन, इत्र इत्यादि के रूप में

  • आचार बनाने तथा ठंडे पेय पदार्थ में

प्रश्न-57. साबुनीकरण किसे कहते हैं?

उत्तर- एस्टर अम्ल क्षारक की उपस्थिति में अभिक्रिया करके पुनः कार्बोक्सिलिक अम्ल और एल्कोहाॅल बनाता है। इस क्रिया को साबुनीकरण कहते हैं। इस क्रिया का उपयोग साबुन बनाने में किया जाता है।

प्रश्न-58. साबुन की सफाई कार्य विधि का वर्णन करें

उत्तर- जब किसी गंदे कपड़े पर साबुन को जल के साथ मिलाकर हाथ से या ब्रश से रगड़ा जाता है तो मिसेल का निर्माण होता है। मैल मिसेल के हाइड्रोकार्बन वाले भाग से चिपक जाते हैं, और चारों ओर से ऋण आवेश से घिर जाते हैं ताकि वे फिर साफ होने वाली कपड़ों से पुनः चिपक ना जाये। कपड़े पर जल डालने पर मैल मिसेल के रूप में कपड़े को तुरंत छोड़कर जल में निलंबित हो जाते हैं, और हमारे कपड़े साफ हो जाते हैं।

प्रश्न-59. अपमार्जको ने साबुन का स्थान ले लिया है, इसके क्या कारण है?

उत्तर- अपमार्जको ने साबुन का स्थान ले लिया है इस के निम्न कारण है

  • अपमार्जक कठोर जल के साथ भी पर्याप्त मात्रा में झाग देते हैं जबकि साबुन कठोर जल के साथ पर्याप्त मात्रा में झाग नहीं देता है।

  • अपमार्जक में सफाई क्षमता साबुन की तुलना में अधिक होता है।

  • अपमार्जक की जल में घुलनशीलता का साबुन की तुलना में अधिक होती है।

प्रश्न-60. साबुन तथा अपमार्जक में अंतर क्या है?

उत्तर- साबुन तथा अपमार्जक में निम्नलिखित अंतर है—

प्रश्न-61. कार्बन और उसके यौगिको का उपयोग अधिकतर कार्यों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता है?

उत्तर- कार्बन और उसके यौगिक का उपयोग अधिकतर कार्यों में ईंधन के रूप में होता है इस के निम्न कारण है।

  • ये दहन के फलस्वरुप अधिक मात्रा में ऊष्मा देते हैं।

  • इसका रखरखाव आसान होता है।

  • इसके दहन पर नियंत्रण संभव है।

  • इसमें कार्बन तथा हाइड्रोजन की मात्रा अधिक होने के कारण इसका ज्वलन ताप सामान्य होता है।

प्रश्न-62. ऑक्सीजन तथा एथाइन के मिश्रण का दहन वेल्डिंग के लिए किया जाता है। क्या आप बता सकते हैं कि एथाइन तथा वायु के मिश्रण का उपयोग क्यों नहीं किया जाता?

उत्तर-

CH₃CH₂OH → CH₃COOH + H₂O

एथाइल ऑक्सीजन में जलकर ऑक्सी ऐसीटिलीन ज्वाला उत्पन्न करती है, जिसका ताप लगभग 3000°C होता है। इसलिए इसका उपयोग वेल्डिंग में किया जाता है।

एथाइल को वायु के साथ मिश्रित कर दहन की क्रिया कराने से एथाइन को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। इसलिए एथाइल के दहन के लिए वायु का उपयोग नहीं किया जाता है।

प्रश्न-63. डाॅबेराइनर त्रिक नियम क्या है?

उत्तर- डाॅबेराइनर के त्रिक नियम के अनुसार:– यदि समान गुण वाले तीन-तीन तत्त्वों को परमाणु द्रव्यमानों के बढ़ते क्रम (आरोही क्रम) में सजाया जाए तो बीच वाले तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान, शेष दो तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान के औसत के लगभग बराबर होता है।

प्रश्न-64. न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाऍं हैं?

उत्तर- न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की निम्न सीमाऍं है–

  • इनका सिद्धांत केवल कैल्शियम तक ही लागू हो सका।

  • यह सिद्धांत अधिक परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्वों पर लागू नहीं हो पाया।

  • कुछ असमान तत्त्वों को एक ही स्थान में रखा गया।

  • यह सिद्धांत केवल हल्के तत्त्वों पर ही ठीक से लागू हो पाया।

प्रश्न-65. न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धांत क्या है?

उत्तर- न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत के अनुसार:– न्यूलैंड्स ने तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते हुए क्रम में सजाया तो पाया कि प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुण, प्रथम तत्त्व के गुण के समान होता है, जैसे कि संगीत का आठवाॅं स्वर पहले स्वर के समान होता है।

प्रश्न-66. मेंडलीव का आवर्त नियम क्या है?

उत्तर- मेंडलीव का आवर्त नियम–

मेंडलीव की आवर्त नियम के अनुसार तत्त्वों के गुणधर्म उनके परमाणु द्रव्यमानों के आवर्त फलन होते हैं।

दूसरे शब्दों में मेंडलीव के आवर्त नियम के अनुसार यदि तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया जाए तो इनकी एक निश्चित संख्या के बाद लगभग समान गुण वाले तत्त्व पाये जायेंगे।

प्रश्न-67. मेंडलीव की आवर्त सारणी और आधुनिक आवर्त सारणी में क्या अंतर है?

उत्तर-

प्रश्न-68. मेंडलीव की आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

उत्तर- मेंडलीव की आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएं निम्न है—

    • तत्त्वों के सामान्य अध्ययन में सुविधा।

    • नए तत्त्वों के आविष्कार में सुविधा।

    • तत्त्वों के यौगिको की प्रकृति की जानकारी।

    • अनुसंधान कार्य में सहायता।

प्रश्न-69. मेंडलीव की आवर्त सारणी के क्या दोष थे?

उत्तर- मेंडलीव की आवर्त सारणी के निम्न दोष थे—

    • मेंडलीव की आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को सही स्थान नहीं मिल पाया।

    • मेंडलीव की आवर्त सारणी में समस्थानिकों के लिए अलग-अलग स्थान उपलब्ध नहीं थे।

    • मेंडलीव की आवर्त सारणी में एक समूह में एक तत्त्व को रखा गया था लेकिन समूह VIII में तीन तीन तत्त्वों को एक साथ रखा गया।

    • मेंडलीव की आवर्त सारणी में कुछ समान गुणों वाले तत्त्वों को अलग-अलग समय में रखा गया था, जबकि इनको एक ही समय में रखना था।

प्रश्न-70. मेंडलीव की आवर्त सारणी का मापदंड क्या है?

उत्तर- मेंडलीव की आवर्त सारणी का मापदंड–

  • मेंडलीव की आवर्त सारणी में तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमानों को आरोही क्रम में सजाया गया।

  • समान गुणधर्म वाले तत्त्वों को एक समूह में रखा गया।

  • तत्त्वों के हाइड्राइडों एवं ऑक्साइडोंं के सूत्र को एक मूलभूत गुणधर्म मानकर वर्गीकरण किया गया।

प्रश्न-71. किसी आवर्त में बायीं से दायीं जाने पर तत्त्वों का धात्विक गुण घटता है, और अधात्विक गुण बढ़ता है क्यों?

उत्तर- किसी आवर्त में बायीं से दायीं जाने पर तत्त्वों का धात्विक गुण घटता है और अधात्विक गुण बढ़ता है, क्योंकि परमाणुओं के आकार बढ़ते जाते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण बल बढ़ जाते है, जिससे परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन हटाना कठिन होता है लेकिन बाहरी कम में इलेक्ट्रॉन जोड़ना आसान होता है। इसलिए आवर्त में बायीं से दायीं जाने पर तत्त्वों का धात्विक गुण घटता है, और अधात्विक गुण बढ़ता है।

प्रश्न-72. आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा किस प्रकार से मेंडलीव की आवर्त सारणी की विविध विसंगतियों को दूर किया?

उत्तर- आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा निम्न प्रकार से मेंडलीव की आवर्त सारणी की विविध विसंगतियों को दूर किया गया—

  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में हाइड्रोजन की स्थिति अनिश्चित थी, जबकि आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को एक ही जगह रखा गया।

  • तत्त्वों को परमाणु संख्या के बढ़ते हुए क्रम में सजाने पर अधिक परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्व जो कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्वों के पहले आ गए थे उनका स्वतः संशोधन हो गया।

  • मेंडलीव की आवर्त सारणी में समूह VIII में तीन-तीन तत्त्वों को एक साथ रखा गया था, लेकिन आधुनिक आवर्त सारणी में परमाणु संख्या के आधार पर वे स्वतः अलग-अलग समूह में चले गये।

  • मेंडलीव की आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों का कोई स्थान नहीं था, लेकिन आधुनिक आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों को 18 वें समूह में रखा गया।

प्रश्न-73. संयोजकता किसे कहते हैं?

उत्तर- कोई भी तत्त्व अपना अष्टक पूरा करने के लिए जितने इलेक्ट्रॉनों का त्याग करता है, या ग्रहण करता है, उसे तत्त्व की संयोजकता कहते हैं।

जैसे– सोडियम (Na) की परमाणु संख्या 11

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 1

यहाँ अष्टक पूरा करने के लिए यह 1 इलेक्ट्रॉन का त्याग करेगा।

∴ इसकी संयोजकता → 1 होगी।

प्रश्न-74. धातुओं के समूह में ऊपर से नीचे जाने पर विधुत धनात्मकता बढ़ती है, और अधातुओं के समूह में विद्युत ऋणात्मकता घटती है, क्यों?

उत्तर- धातुओं के समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्त्वों की इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है । इसलिए धातुओं के समूह में विधुत धनात्मकता बढ़ती है जबकि अधातुओं के समूह में तत्त्वों की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति घटती जाती है। इसलिए अधातुओं के समूह में विधुत ऋणात्मकता घटती है।

प्रश्न-75. एक परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है।

(a) इस तत्त्व की परमाणु संख्या क्या है।

उत्तर-

परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 7

परमाणु संख्या → 2 + 8 + 7 = 17


(b) निम्न में से किस तत्त्व के साथ इनकी रासायनिक समानता होगी।

N(7), F(9), P(15), Ar(18)

उत्तर-

F(9) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास→ 2, 7

दिये हुए तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 7

अतः तत्त्व F(9) के साथ परमाणु संख्या 17 वाले तत्त्व की रासायनिक समानता होगी, क्योंकि दोनों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या समान है।

प्रश्न-76. नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फास्फोरस (परमाणु संख्या 15) आवर्त-सारणी के समूह 15 के तत्त्व है। इन दोनों तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इनमें से कौन-सा तत्त्व अधिक ऋण विधुत होगा और क्यों?

उत्तर-

नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 5

फाॅस्फोरस (परमाणु संख्या 15) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 5

∵ इन दोनों तत्त्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन 5 है। अतः दोनों तत्त्व समूह 15 के तत्त्व है। समूह 15 में नाइट्रोजन (N) ऊपर और फास्फोरस (P) नीचे आता है। अधातुओं के समूह में उपर से नीचे जाने पर विधुत ऋणात्मक घटती है। अतः नाइट्रोजन अधिक विधुत ऋणात्मक होगा।

प्रश्न-77. आधुनिक आवर्त सारणी के आवर्त को कैसे ज्ञात किया जाता है?

उत्तर- आवर्त ज्ञात करना → तत्त्व के इलेक्ट्रॉन जितनी कक्षा में वितरित होते हैं, वह आवर्त सारणी में तत्त्वों की आवर्त संख्या होती है।

उदाहरण के लिए:-

  • कार्बन (C) की परमाणु संख्या → 6

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 4

कक्षाओं की संख्या → 2

आवर्त → 2

  • कैल्शियम (Ca) की परमाणु संख्या → 20

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास →2, 8, 8, 2

कक्षाओं की संख्या → 4

आवर्त → 4

प्रश्न-78. आधुनिक आवर्त सारणी में समूह को कैसे ज्ञात किया जाता है?

उत्तर- समूह ज्ञात करना:- तत्त्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या जितनी होगी, वह संख्या ही समूह की संख्या होगी।

उदाहरण के लिए:-

  • मैग्नीशियम (Mg) की परमाणु संख्या → 12

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 2

संयोजकता इलेक्ट्रॉन → 2

समूह की संख्या → 2

  • पोटेशियम (K) की परमाणु संख्या → 19

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 8, 1

संयोजकता इलेक्ट्रॉन → 1

समूह की संख्या → 1