उत्तर- समान गुण वाले तत्त्व को एक वर्ग में सजाने की विधि को तत्त्वों का आवर्ती वर्गीकरण कहा जाता है।
उत्तर- डाॅबेराइनर के त्रिक नियम के अनुसार:– यदि समान गुण वाले तीन-तीन तत्त्वों को परमाणु द्रव्यमानों के बढ़ते क्रम (आरोही क्रम) में सजाया जाए तो बीच वाले तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान, शेष दो तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान के औसत के लगभग बराबर होता है।
उत्तर- डाॅबेराइनर के वर्गीकरण के निम्न सीमाऍं है—
सभी तत्त्वों का वर्गीकरण त्रिक के आधार पर नहीं हो सका ।
इनका यह त्रिक नियम कुछ ही तत्त्वों तक सीमित रहा।
उस समय तक ज्ञात तत्त्वों में केवल त्रिक ही ज्ञात हो सके।
उत्तर- न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत के अनुसार:– न्यूलैंड्स ने तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते हुए क्रम में सजाया तो पाया कि प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुण, प्रथम तत्त्व के गुण के समान होता है, जैसे कि संगीत का आठवाॅं स्वर पहले स्वर के समान होता है।
उत्तर- न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की निम्न सीमाऍं है–
इनका सिद्धांत केवल कैल्शियम तक ही लागू हो सका।
यह सिद्धांत अधिक परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्वों पर लागू नहीं हो पाया।
कुछ असमान तत्त्वों को एक ही स्थान में रखा गया।
यह सिद्धांत केवल हल्के तत्त्वों पर ही ठीक से लागू हो पाया।
उत्तर- मेंडलीव का आवर्त नियम–
मेंडलीव की आवर्त नियम के अनुसार तत्त्वों के गुणधर्म उनके परमाणु द्रव्यमानों के आवर्त फलन होते हैं।
दूसरे शब्दों में मेंडलीव के आवर्त नियम के अनुसार यदि तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया जाए तो इनकी एक निश्चित संख्या के बाद लगभग समान गुण वाले तत्त्व पाये जायेंगे।
उत्तर- मेंडलीव की आवर्त सारणी में 6 क्षैतिज पंक्तियां और 8 उदग्र स्तंभ है। क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त तथा उदग्र स्तंभों को समूह या वर्ग कहते हैं। मेंडलीव की इस आवर्त सारणी को सर्वप्रथम 1872 ई० में जर्मन पत्रिका में प्रकाशित किया गया था।
उत्तर- मेंडलीव की आवर्त सारणी का मापदंड–
मेंडलीव की आवर्त सारणी में तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमानों को आरोही क्रम में सजाया गया।
समान गुणधर्म वाले तत्त्वों को एक समूह में रखा गया।
तत्त्वों के हाइड्राइडों एवं ऑक्साइडोंं के सूत्र को एक मूलभूत गुणधर्म मानकर वर्गीकरण किया गया।
उत्तर- मेंडलीव की आवर्त सारणी की निम्न उपलब्धियाॅं हैं—
मेंडलीव ने समान गुणधर्म वाले तत्त्वों को एक समूह में रखा।
मेंडलीव ने आवर्त सारणी में कुछ तत्त्वों के लिए रिक्त स्थान छोड़ दिए थे, जो उस समय ज्ञात नहीं थे।
निष्क्रिय गैसों की बाद में जब खोज हुई तब मेंडलीव की आवर्त-सारणी को छेड़-छाड़ किये बिना उसे एक नये समूह में रखा गया।
उत्तर- मेंडलीव की आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएं निम्न है—
तत्त्वों के सामान्य अध्ययन में सुविधा।
नए तत्त्वों के आविष्कार में सुविधा।
तत्त्वों के यौगिको की प्रकृति की जानकारी।
अनुसंधान कार्य में सहायता।
उत्तर- मेंडलीव की आवर्त सारणी के निम्न दोष थे—
मेंडलीव की आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को सही स्थान नहीं मिल पाया।
मेंडलीव की आवर्त सारणी में समस्थानिकों के लिए अलग-अलग स्थान उपलब्ध नहीं थे।
मेंडलीव की आवर्त सारणी में एक समूह में एक तत्त्व को रखा गया था लेकिन समूह VIII में तीन तीन तत्त्वों को एक साथ रखा गया।
मेंडलीव की आवर्त सारणी में कुछ समान गुणों वाले तत्त्वों को अलग-अलग समय में रखा गया था, जबकि इनको एक ही समय में रखना था।
उत्तर- आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्त्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या के आवर्त फलन होते है।
उत्तर- आधुनिक आवर्त सारणी में 7 आवर्त एवं 18 समूह हैं। इन 7 आवर्तों में पहले आवर्त को अति लघु आवर्त कहते हैं। आधुनिक आवर्त सारणी में बाई ओर स्थित तत्त्व धातु है। दाई ओर स्थित तत्त्व अधातु है तथा छायांकित तत्त्व उपधातु है। इस आवर्त सारणी को 4 ब्लॉक में बाॅंटा गया है।
उत्तर- आधुनिक आवर्त सारणी की निम्न उपलब्धियाॅं हैं—
आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को निश्चित स्थान दिया गया है।
इनमें धातु और अधातु को उपधातुओं द्वारा अलग किया गया है।
अज्ञात तत्त्वों के लिए आवर्त सारणी में रिक्त स्थान छोड़ा गया है।
आधुनिक आवर्त सारणी में संक्रमण तत्त्वों और अक्रिय गैसों को अलग रखा गया है।
प्रत्येक तत्त्वों की स्थिति उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के क्रम में है।
प्रत्येक आवर्त क्षार धातु (प्रथम आवर्त को छोड़कर) से प्रारंभ होता है और अक्रिय तत्त्व से समाप्त होता है।
उत्तर-
उत्तर- आवर्त ज्ञात करना → तत्त्व के इलेक्ट्रॉन जितनी कक्षा में वितरित होते हैं, वह आवर्त सारणी में तत्त्वों की आवर्त संख्या होती है।
उदाहरण के लिए:-
कार्बन (C) की परमाणु संख्या → 6
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 4
कक्षाओं की संख्या → 2
आवर्त → 2
कैल्शियम (Ca) की परमाणु संख्या → 20
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास →2, 8, 8, 2
कक्षाओं की संख्या → 4
आवर्त → 4
उत्तर- समूह ज्ञात करना:- तत्त्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या जितनी होगी, वह संख्या ही समूह की संख्या होगी।
उदाहरण के लिए:-
मैग्नीशियम (Mg) की परमाणु संख्या → 12
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 2
संयोजकता इलेक्ट्रॉन → 2
समूह की संख्या → 2
पोटेशियम (K) की परमाणु संख्या → 19
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 8, 1
संयोजकता इलेक्ट्रॉन → 1
समूह की संख्या → 1
उत्तर- कोई भी तत्त्व अपना अष्टक पूरा करने के लिए जितने इलेक्ट्रॉनों का त्याग करता है, या ग्रहण करता है, उसे तत्त्व की संयोजकता कहते हैं।
जैसे– सोडियम (Na) की परमाणु संख्या → 11
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 1
यहाँ अष्टक पूरा करने के लिए यह 1 इलेक्ट्रॉन का त्याग करेगा।
∴ इसकी संयोजकता → 1 होगी।
उत्तर- किसी आवर्त में बायीं से दायीं जाने पर तत्त्वों का धात्विक गुण घटता है और अधात्विक गुण बढ़ता है, क्योंकि परमाणुओं के आकार बढ़ते जाते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण बल बढ़ जाते है, जिससे परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन हटाना कठिन होता है लेकिन बाहरी कम में इलेक्ट्रॉन जोड़ना आसान होता है। इसलिए आवर्त में बायीं से दायीं जाने पर तत्त्वों का धात्विक गुण घटता है, और अधात्विक गुण बढ़ता है।
उत्तर- धातुओं के समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्त्वों की इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है । इसलिए धातुओं के समूह में विधुत धनात्मकता बढ़ती है जबकि अधातुओं के समूह में तत्त्वों की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति घटती जाती है। इसलिए अधातुओं के समूह में विधुत ऋणात्मकता घटती है।
उत्तर- हाँ, डाॅबेराइनर के त्रिक, न्यूलैंड्स के अष्टक स्तंभ में भी पाए जाते हैं। जैसे:- लिथियम (Li), सोडियम (Na), और पोटैशियम (K) डाॅबेराइनर के त्रिक है, जो न्यूलैंड्स के अष्टक स्तंभ में भी पाए जाते हैं।
उत्तर- स्कैंडियम और जर्मेनियम।
उत्तर- उत्कृष्ट गैसों की खोज मेंडलीव की आवर्त-सारणी बनने के बाद हुई और ये गैसें क्रियाशील नहीं होती है। इसलिए मेंडलीव की आवर्त सारणी को छेड़-छाड़ किये बिना इसे अलग समूह में रखा गया।
उत्तर- मैग्नीशियम की तरह रासायनिक अभिक्रियाशीलता दिखाने वाले दो तत्त्वों के नाम कैल्शियम तथा मैग्नीशियम है।
हमारे चयन का आधार निम्न है—
एक ही समूह के तत्त्व की रासायनिक अभिक्रियाशीलता एक समान होती है।
इनकी संयोजकता इलेक्ट्रॉन समान होता है।
(a) तीन तत्त्व जिनके सबसे बाहरी कोश में 1 इलेक्ट्रॉन उपस्थित हो।
उत्तर-
∵ बाहरी कोश में 1 इलेक्ट्रॉन है।
∴ तत्त्व समूह → 1 का है।
अतः समूह 1 के तीन तत्त्व → लिथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K) है।
(b) दो तत्त्वों जिनके सबसे बाहरी कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित हो।
उत्तर-
∵ बाहरी कोश में 2 इलेक्ट्रॉन है
∴ तत्त्व समूह → 2 का है।
अतः समूह 2 के तत्त्व दो तत्त्व → मैग्नीशियम (Mg), कैल्शियम (Ca) है।
(c) तीन तत्त्वों जिनका बाहरी कोश पूर्ण हो।
उत्तर-
∵ बाहरी कोश पूर्ण है।
∴ तत्त्व समूह → 18 का है।
अतः समूह 18 के तीन तत्त्व → हीलियम (He), निऑन (Ne), आर्गन (Ar) है।
उत्तर- हाँ, इन तीनों तत्त्वों के परमाणुओं में समानता है, क्योंकि ये तीनों तत्त्व जल के साथ समान अभिक्रिया करते हैं। अतः तीनों तत्त्व एक ही समूह के हैं। इसलिए इन तीनों तत्त्वों के बाहरी कक्षा में समान इलेक्ट्रॉन होंगे।
उत्तर- हीलियम और निऑन दोनों की अभिक्रियाशीलता कम है अर्थात् दोनों समूह 18 के तत्त्व है । इसलिए इन तत्त्वों के बाहरी कक्षा पूर्णतः इलेक्ट्रॉन से भरे हैं।
उत्तर- आधुनिक आवर्त-सारणी में पहले 10 तत्त्व— लिथियम, बेरिलियम दो धातुऍं हैं, बोराॅन उपधातु है, और शेष सात तत्त्व हाइड्रोजन, हीलियम, कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फ्लोरीन और निऑन अधातुऍं है।
उत्तर- इन तत्त्वों में Be आवर्त सारणी के बायीं ओर स्थित है और शेष तत्त्व दायीं ओर स्थित है। आवर्त-सारणी में बायीं से दायीं ओर जाने पर तत्त्वों के धात्विक अभिलक्षणों में कमी होती है। अतः Be तत्त्व में सबसे अधिक धात्विक अभिलक्षण होगा।
उत्तर-
∵ तत्त्व X क्लोराइड XCl₂ बनाता है।
∴ तत्त्व X की संयोजकता 2 है।
उत्तर- आवर्त-सारणी में बोराॅन के स्तंभ के सभी तत्त्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन 3 है। अतः सभी तत्त्व विधुत धनात्मक होंगे अर्थात सभी तत्त्व धातुऍं हैं। इसलिए सभी तत्त्व विधुत और ऊष्मा के सुचालक होंगे और इनके रासायनिक गुण समान होंगे।
उत्तर- आवर्त सारणी में फ्लोरीन (परमाणु क्रमांक 9) के स्तंभ के सभी तत्त्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन 7 हैं। अतः सभी तत्त्व विधुत ऋणात्मक होंगे अर्थात सभी तत्त्व अधातु है। इसलिए ये सभी तत्त्व विधुत और ऊष्मा के कुचालक होंगे तथा उनके रासायनिक गुण समान होंगे।
उत्तर-
परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 7
परमाणु संख्या → 2 + 8 + 7 = 17
उत्तर-
F(9) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास→ 2, 7
दिये हुए तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 7
अतः तत्त्व F(9) के साथ परमाणु संख्या 17 वाले तत्त्व की रासायनिक समानता होगी, क्योंकि दोनों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या समान है।
उत्तर-
नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 5
फाॅस्फोरस (परमाणु संख्या 15) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास → 2, 8, 5
∵ इन दोनों तत्त्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन 5 है। अतः दोनों तत्त्व समूह 15 के तत्त्व है। समूह 15 में नाइट्रोजन (N) ऊपर और फास्फोरस (P) नीचे आता है। अधातुओं के समूह में उपर से नीचे जाने पर विधुत ऋणात्मक घटती है। अतः नाइट्रोजन अधिक विधुत ऋणात्मक होगा।
उत्तर- आधुनिक आवर्त सारणी तत्त्वों की परमाणु संख्या पर आधारित है। तत्त्वों के वर्गीकरण का आधार उनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के द्वारा हम उसके आवर्त तथा समूह को ज्ञात कर सकते हैं। तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के द्वारा हम तत्त्वों को धातु तथा अधातु में बाॅंट सकते हैं और उनके रासायनिक गुणों को भी जान सकते हैं इस प्रकार तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त-सारणी में तत्त्व की स्थिति से संबंध है।
उत्तर-
उत्तर-
तत्त्व परमाणु संख्या इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
20 2, 8, 8, 2
12 2, 8, 2
19 2, 8, 8, 1
21 2, 8, 8, 3
38 2, 8, 18, 8, 2
चूॅंकि परमाणु संख्या 20, 12 तथा 38 वाले तत्त्वों के बाहरी कोश में 2 इलेक्ट्रॉन है। अतः इनकी संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान है। इसलिए ये तीनों एक ही समूह (वर्ग) के सदस्य हैं। किसी एक वर्ग के सभी तत्त्व के रासायनिक गुण समान होते हैं लेकिन परमाणु संख्या 12 तथा 20 वाले सामान्य तत्त्व है तथा परमाणु संख्या 38 वाला संक्रमण तत्त्व है। सामान्य तत्त्व और संक्रमण तत्त्व एक ही समूह में रहने के बाद भी उनके रासायनिक गुणों में भिन्नता होती है। इसलिए परमाणु संख्या 12 तथा 20 वाले तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण समान होंगे।
(a) A धातु है या अधातु?
⇒ अधातु
(b) A की अपेक्षा C अधिक अभिक्रियाशील है, या कम?
⇒ कम
(c) C का आकार B से बड़ा होगा या छोटा?
⇒ छोटा
(d) तत्त्व A किस प्रकार का आयन बनाएगा, धनायन या ऋणायन?
⇒ ऋणायन
(a) दो कोश है, तथा दोनों इलेक्ट्रॉनों से पूरित है?
⇒ निऑन (Ne) → [Ne(10)= 2, 8]
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है?
⇒ मैग्नीशियम [Mg(12)= 2, 8, 2]
(c) कुल तीन कोश है तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन है?
⇒ सिलिकॉन (Si) = [Si(14)= 2, 8, 4]
(d) कुल दो कोश है तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन है?
⇒ बोराॅन (B)= [B(5)= 2, 3]
(e) दूसरे कोश में पहले कोश से दुगुने इलेक्ट्रॉन है?
⇒ कार्बन(C)= [C(6)= 2, 4]
उत्तर- आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा निम्न प्रकार से मेंडलीव की आवर्त सारणी की विविध विसंगतियों को दूर किया गया—
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में हाइड्रोजन की स्थिति अनिश्चित थी, जबकि आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को एक ही जगह रखा गया।
तत्त्वों को परमाणु संख्या के बढ़ते हुए क्रम में सजाने पर अधिक परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्व जो कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्वों के पहले आ गए थे उनका स्वतः संशोधन हो गया।
मेंडलीव की आवर्त सारणी में समूह VIII में तीन-तीन तत्त्वों को एक साथ रखा गया था, लेकिन आधुनिक आवर्त सारणी में परमाणु संख्या के आधार पर वे स्वतः अलग-अलग समूह में चले गये।
मेंडलीव की आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों का कोई स्थान नहीं था, लेकिन आधुनिक आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों को 18 वें समूह में रखा गया।
उत्तर-
तत्त्व ऑक्साइड के सूत्र
K → K₂O
C → CO₂
Al → Al₂O₃
Si → SiO₂