उत्तर- जिसका स्वाद कड़वा होता है, जो अम्ल को उदासीन कर देता है तथा जो लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है, उसे क्षारक कहते हैं।
जैसे:- चूना, साबुन, धोवन सोडा इत्यादि।
उत्तर- शक्ति के अनुसार क्षारक को दो वर्गो में बाँटा गया है।
प्रबल क्षारक:- सोडियम हाइड्राॅक्साइड (NaOH), पोटैशियम हाइड्राॅक्साइड (KOH)
दुर्बल क्षारक:- कैल्शियम हाइड्राॅक्साइड [Ca(OH)₂], मैग्निशियम हाइड्राॅक्साइड [Mg(OH)₂]
उत्तर-
प्रबल अम्ल:- जल में घुलकर अधिक संख्या में हाइड्रोजन आयन (H+) देने वाले अम्ल को प्रबल अम्ल कहते हैं।
जैसे:- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल।
दुर्बल अम्ल:- जल में घुलकर कम संख्या में हाइड्रोजन आयन (H+)देने वाले अम्ल को दुर्बल अम्ल कहते हैं।
जैसे:- फाॅर्मिक अम्ल, साइट्रिक अम्ल।
उत्तर- अम्ल और क्षारक में निम्न अंतर है—
उत्तर- सूचक:- सूचक ऐसे पदार्थ को कहते हैं, जो अपने रंग परिवर्तन के द्वारा पदार्थ के अम्लीय, क्षारीय या उदासीन होने की सूचना देते है, उसे सूचक कहते हैं।
जैसे:- लिटमस पत्र, मेथिल ऑरेंज, तथा फीनॉलफ्थेलिन तीन सामान्य सूचक है।
उत्तर-
प्राकृतिक सूचक:- लिटमस, हल्दी, लाल पत्ता गोभी, शलगम (चुकंदर), हाइड्रेंजिया, पेटूनिया।
संश्लेषित सूचक:- मेथिल ऑरेंज, फीनॉलफ्थेलिन।
उत्तर- कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं, जिनकी गंध अम्लीय या क्षारीय माध्यम में बदल जाती है, उसे गंधीय सूचक कहते हैं।
जैसे:- प्याज, वैनिला, लॉन्ग का तेल, इत्यादि।
उत्तर- हम लाल लिटमस पत्र को बारी-बारी से तीनों परखनली में डाल देंगे, जो विलयन लाल लिटमस पत्र को नीला कर देगा वह क्षारीय विलयन होगा तथा जो विलयन नीले लिटमस पत्र को लाल कर देगा, वह अम्लीय होगा तथा शेष परखनली में आसवित जल होगा।
उत्तर- दही और खट्टे पदार्थों में अम्ल होता है। अम्ल धातुओं से अभिक्रिया करके लवण तथा हाइड्रोजन गैस बनाता है, जिसके कारण बर्त्तन में रखा पदार्थ खाने योग्य नहीं रह जाता है तथा बर्त्तन संक्षारित भी हो जाता है। इसलिए पीतल और ताँबे के बर्त्तन में दही या खट्टे पदार्थ नहीं रखनी चाहिए।
उत्तर- जब जल में अम्ल या क्षारक को मिलाने पर आयन की सांद्रता ( H₂O+/OH-) में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती है, तो इस प्रक्रिया को तनुकरण कहते हैं।
उत्तर- किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए जिस स्केल का उपयोग करते हैं, उसे pH स्केल कहते हैं।
pH=7 विलयन (उदासीन)
pH<7 विलयन (अम्लीय)
pH>7 विलयन (क्षारीय)
उत्तर-
# धोने का सोडा या धोवन सोडा का उपयोग निम्न है—
जल की स्थायी कठोरता दूर करने में।
घरों की साफ-सफाई में।
# बेकिंग सोडा का उपयोग निम्नलिखित है—
बेकिंग पाउडर बनाने में।
सोडा-अम्ल अग्निशामक में।
उत्तर- प्लास्टर ऑफ पेरिस आसानी से जल को अवशोषित कर लेता हैं और कठोर जिप्सम का निर्माण करता है। इसलिए प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्त्तन में रखा जाना चाहिए।
उत्तर- अम्ल केवल जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन उत्पन्न करते है। अतः जल की अनुपस्थिति में हाइड्रोजन आयन नहीं बनते है। इसलिए जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता है।
उत्तर- आसवित जल में कोई आयनिक यौगिक घुले नहीं रहते हैं जिसके कारण यह आयनों में विघटित नहीं होते है, जबकि वर्षा जल में विभिन्न प्रकार के अम्लीय गैस घुले होते हैं । इसीलिए यह आयनो में विघटित हो जाते है जिसके कारण आसवित जल में विधुत का चालक नहीं होता है जबकि वर्षा जल में होता है।
उत्तर- सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन से विधुत प्रवाहित करने पर यह वियोजित होकर सोडियम हाइड्रोक्साइड उत्पन्न करता है। इस प्रक्रिया को क्लोर-क्षार प्रक्रिया कहते हैं।
उत्तर- जब शुष्क बुझा हुआ चूना [Ca(OH)₂] के साथ क्लोरीन की अभिक्रिया होती है तो विरंजक चूर्ण का निर्माण होता है।
विरंजक चूर्ण का रासायनिक सूत्र CaOCl₂ होता है।
# विरंजक चूर्ण के निम्न उपयोग है।
उद्योगों में तथा साफ कपड़ों के विरंजक के लिए।
रासायनिक उद्योगों में उपचायक के रूप में।
पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए।
उत्तर- बेकिंग सोडा को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जाता है तथा उसको पुनः क्रिस्टलीकरण करके धोने का सोडा प्राप्त किया जाता है। धोने का सोडा का रासायनिक सूत्र Na₂CO₃•10H₂O होता है।
# इसका निम्नलिखित उपयोग है—
घरों में साफ-सफाई करने में।
जल की अस्थाई कठोरता को हटाने में।
साबुन, काॅच तथा कागज उद्योग में।
(a). ताजे दूध के pH मान को 6 से बढ़ाकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है?
उत्तर- दूध की प्रकृति अम्लीय होती है इसलिए दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाकर उसे क्षारीय बना दिया जाता है ताकि दूध अधिक समय तक रह सके, अर्थात दूध फटे नहीं।
(b). इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है?
उत्तर- क्षारीय दूध को दही बनने में अधिक समय लगता है क्योंकि क्षारीय दूध पहले अम्लीय होता है फिर दही बनता है।
उत्तर- लवण के एक सूत्र इकाई में जल की निश्चित अणुओं की संख्या को क्रिस्टलन का जल कहते हैं। जिप्सम एक ऐसा लवण है जिसमें क्रिस्टलन का जल होता है। जलीय कॉपर सल्फेट का रासायनिक सूत्र CuSO₄•H₂O है।
उत्तर- जिप्सम को 373K के ऊपर गर्म करने पर यह जल के अणुओं को त्याग कर कैल्शियम सल्फेट अर्धहाइड्रेट हेमिहाइड्रेट बनाता है, जिसे प्लास्टर ऑफ पेरिस कहते हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस का रसायनिक सूत्र CaSo₄•½H₂O होता है।
प्लास्टर ऑफ पेरिस का निम्न उपयोग है—
खिलौने बनाने में।
सजावट का सामान बनाने में।
सतह को चिकना बनाने में।
टूटी हुई हड्डियों को सही जगह स्थिर रखने में।
उत्तर- अम्ल जल में घुलकर आयनों का निर्माण करता है। इसलिए अम्ल का जलीय विलयन विधुत का चालन करता है।
HCl → H+ + Cl-
उत्तर- शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस में H+ आयन उत्पन्न नहीं होते है जिसके कारण शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती है।
उत्तर- अम्ल को जल में डालकर उसे धीरे-धीरे मिलाना चाहिए । ऐसा करने से उसमें उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा बहुत कम होती है। इसके विपरीत यदि जल को अम्ल में मिलाते हैं तो उसमें उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा बहुत अधिक हो जाएगी जिसके कारण उसमें उफान आ सकता है। जो हमारे चेहरे और कपड़ों को जला सकती है तथा कांच के बर्तन टूट भी सकते हैं। इसलिए हमें अम्ल को जल में मिलाना चाहिए ना कि जल को अम्ल में।
उत्तर- अम्ल को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम (H₃O+) आयन की सांद्रता कम हो जाती है।
उत्तर- जब सोडियम हाइड्रोक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलते हैं तो हाइड्रोक्साइड आयन (OH‾) की सांद्रता अधिक हो जाती है।
उत्तर- H+ (हाइड्रोजन आयन) की सांद्रता बढ़ने से विलयन और अधिक अम्लीय हो जाता है।
उत्तर- हाँ, क्षारकीय विलियन में H+ ( हाइड्रोजन आयन ) होते हैं। इस विलियन में हाइड्रोजन आयन की मात्रा कम होती है तथा OH‾ (हाइड्रॉक्साइड आयन) की मात्रा अधिक होती है । इसलिए यह क्षारकीय होते हैं।
उत्तर- बिना बुझा हुआ चूना , बुझा हुआ चूना तथा चाॅक तीनों क्षारक है। अतः किसान को जब यह पता चल जाता है कि खेत की मिट्टी अम्लीय हो गई है तब वह इन तीनों चीजों को खेत में डालता है ताकि खेत की मिट्टी की अम्लीयता कम हो जाए।
उत्तर- CaOCl₂ यौगिक का प्रचलित नाम विरंजक चूर्ण है।
उत्तर- बुझा हुआ चूना [Ca(OH)₂]
उत्तर- सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट [Na₂Co₃•10H₂O]
उत्तर- सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के विलयन को गर्म करने से सोडियम कार्बोनेट, जल तथा कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस बनता है।
2NaHCO₃ → Na₂Co₃ + H₂O + Co₂
उत्तर- CaSo₄▪½H₂O + ³⁄₂H₂O → CaSo₄•2H₂O
उत्तर- दही में लैक्टिक अम्ल होता है अर्थात् जब दूध से दही बन जाता है तो वह अधिक अम्लीय हो जाता है । इसलिए इसके pH का मान 6 से कम हो जाएगा।