उत्तर- वह जटिल प्रक्रम जिसके अंतर्गत लैंगिक जनन के माध्यम से माता-पिता के विशिष्ट लक्षण उनकी संतानों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुँचते रहते है, उसे आनुवंशिकता कहते है।
उत्तर- वे परिवर्तन जिसके कारण एक ही माता-पिता के दो संतान जब आपस में एक-दूसरे से पूरी तरह से भिन्न (अलग) हो जाते है, उसे विभिन्नता या विविधता कहते है।
उत्तर- मेंडल अपने प्रयोग में मटर के दो पौधे का संकरण कराया। इसके लिए उन्होंने गोल बीज वाले लंबे पौधे और झार्रीदार बौने पौधे के बीच संकरण कराया और इस प्रयोग में उन्होंने पाया।
f1 पीढ़ी के सभी पौधे लंबा एवं गोले बीच वाले थे।
f2 पीढ़ी में सभी पौधे बौने तथा झुर्रीदार बीच वाले थे।
इसमें यह निष्कर्ष निकलता है कि पौधे की लंबाई तथा बौनापन और गोल बीज तथा झुर्रीदार बीज स्वतंत्र लक्षण है जो वंशानुगत होता है।
उत्तर- मेंडल के प्रयोग से यह पता चलता कि यदि दो अलग-अलग लक्षण वाले पौधों के बीच यदि कृत्रिम परागण कराया जाता है तो प्रथम पीढ़ी f1 में केवल एक ही लक्षण प्रकट होता है अर्थात प्रभावी होता है तथा दूसरा लक्षण की उन पौधों में सुरक्षित रह जाता है जो अप्रभावी अवस्था में रहता है।
उत्तर- वे रचनाएँ जो कोशिका विभाजन के समय केंद्र में पाये जाते हैं उसे गुणसूत्र कहते हैं। गुणसूत्र अनुवांशिकता का भौतिक आधार होता है।
गुणसूत्र के विभिन्न कार्य:-
गुणसूत्र में जीन पाये जाते हैं। जिसके कारण पैतृक लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाने का कार्य करती है।
गुणसूत्र कोशिका-विभाजन और कोशिका विकास में सहायक होता है।
गुणसूत्र प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रण करता है।
गुणसूत्र जीवधारियों के लिंग के निर्धारण करते हैं।
उत्तर- गुणसूत्र में जीन पाए जाते हैं पैतृक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाने का कार्य करती है। अतः जीवधारियों में अनुवांशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाने वाली इकाई को जिन कहते हैं।
उत्तर- वह पदार्थ जो पैतृक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचने का तथा उन सूचनाओं को लक्षणों के रूप में प्रकट करते हैं। उसे पदार्थ करते हैं।
DNA के निम्न गुण होते हैं:-
DNA सभी कोशिकाओं में पाये जाते हैं।
द्विगुणन की क्षमता होती है।
DNA कोशिका के उपापचय को नियंत्रित करता है।
उत्तर- किसी शिशु के जन्म के पूर्व उनके नर अथवा मादा होने की भविष्यवाणी को लिंग निर्धारण कहते है। पिता में xy तथा माता में xx गुणसूत्र से मिलता है तो लड़की का जन्म होता है। तथा जब पिता का Y गुणसूत्र माता के X गुणसूत्र से मिलता है तो लड़के का जन्म होता है।
उत्तर- जीवो के शरीर में कुछ ऐसी संरचनाएं होती है जो शरीर में रहते हुए भी कार्यवीहिन होती हैं जिसे अवशेषी अंग कहते हैं।
मनुष्य में दो अवशेषी अंगों के नाम-निमेशक झिल्ली तथा परिशा है।
उत्तर- गुणसूत्र के दो कार्य निम्न है:-
गुणसूत्र वंशगति का भौतिक आधार है।
गुणसूत्र में उपस्थित जिन अनुवांशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचाते हैं।
उत्तर- तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उनके पंख उनकी संरचना एक जैसा दिखाई तो देते हैं लेकिन उनकी उत्पत्ति पूर्णतः समान नहीं है। इसलिए तितली और चमगादड़ के पंखों को समवृति कहा जा सकता है लेकिन उसे समजात अंग नहीं कहा जा सकता है।
उत्तर- समजात अंग:- समजात अंग उन अंगों को कहते हैं जो संरचना में तो सामान्य होते हैं लेकिन कार्य में भिन्न होते हैं।
जैसे:- चमगादड़ के अंगपाश्र्व की संरचना सामान्य होती है लेकिन भिन्न-भिन्न कार्य में संपन्न करते है।
समरूप अंग (समवृति अंग):- समरूप अंग वे अंग होते हैं जिनकी संरचना भिन्न होती है लेकिन वे समान कार्य संपन्न करते हैं।
जैसे:- कीट तथा पक्षियों के अंग।
उत्तर- मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि उसे अपने पिता से किस प्रकार का गुणसूत्र प्राप्त हुआ है। जिन बच्चों को अपने पिता से X गुणसूत्र प्राप्त होता है वह लड़की होती है। तथा जिन्हे अपने पिता से Y गुणसूत्र प्राप्त होता है वह लड़का होता है।
उत्तर- विभिन्न जीवधारियों के शरीर के अवशेष लाखों वर्षों तक पृथ्वी के नीचे दबे रह गए जिसे जीवाश्म कहते हैं। जीवाश्म जैव विकास के विभिन्न चरणों अर्थात उनकी के अवस्थाओं को दर्शाता है।
उत्तर- निम्न तरीकों द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है।
लैंगिक जनन के कारण DNA में होने वाले परिवर्तन के कारण।
व्यष्टि जीवों में उत्पन्न विभिन्नताओ के कारण
व्यष्टि जीवों में उत्पन्न अनुकूलन के कारण
उत्तर- बाघों की संख्या में कमी अनुवांशिकता की दृष्टिकोण से चिंता का विषय है क्योंकि :-
कम संख्या वाले जीवो में अनुवांशिक विविधताओं के उत्पन्न होने के अवसर कम होता है।
यदि बाघ समाप्त हो जाएंगे तो इनके कारण अन्य बहुत से महत्वपूर्ण जीव भी समाप्त हो जाते हैं।
उत्तर- विविधताओं के उत्पन्न होने के कारण जीवो को अपने अस्तित्व को बढ़ाने में मदद मिलती है। जैसे कुछ ऐसे जीवाणु जो ऊष्मा को सहन कर सकते हैं। यदि उनकी बहुत अधिक ऊष्मा प्राप्त हो विविधताओं के कारण वे जीवाणु उसे अधिक ऊष्मा को भी सहन करके जीवित रह जाते हैं। यदि उनमे विभिंताएं उत्पन्न नहीं हो तो जलवायु परिवर्तन के कारण वे जीवित नहीं रह पाएंगे। इस प्रकार विविधताओं के कारण किसी भी स्पीशीज का अस्तित्व बढ़ जाता है।
उत्तर- नई स्पीशीज के उद्भव में निम्न कारक सहायक है:-
अनुवांशिक विभिन्नताएं
जीनो का विचलन
भौगोलिक कारण
उत्तर- दो स्पीशीज के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए निम्न लक्षण होते हैं:-
शारीरिक संरचना
अंगों की संरचनाएं
अंगों के कार्य मे
समानताएं तथा और समानताएं
उत्तर- मानव मे आकृति, आकर, रंग-रूप में कितने भिन्न दिखाई पड़ने के बाद भी मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य होते हैं क्योंकि सभी मानव में अंत:र्जनन संबंध स्थापित होते हैं।
उत्तर- विकास के आधार पर हम यह नहीं बता सकते हैं कि जीवाणु मकड़ी, मछली तथा चिंपैंजी में शारीरिक अभिकल्प उत्तम है क्योंकि विभिन्न प्रकार के जीव विकास को विभिन्न शाखाओं एवं अवस्थाओं को दर्शाते हैं।
उत्तर- विभिन्नता:- वे परिवर्तन जिनके कारण एक ही जाति के दो सदस्य अथवा एक ही माता-पिता की दो संताने जब आपस में एक दूसरे से भिन्न हो जाती हैं उसे विभिन्नता कहते हैं।
जीन पुल:- किसी आबादी के लैंगिक जनन की क्षमता वाले सभी सदस्यो एक जीनों की कुल संख्या को जीन पुल कहते हैं।
उत्तर- एकल जीव द्वारा उपाजित लक्षण स्मान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते हैं क्योंकि:-
उपार्जित लक्षण प्रायः अस्थयी तौर पर उत्पन्न होते हैं।
उपार्जित लक्षण प्रायः वंशानुगत नहीं होते हैं क्योंकि अनुवांशिक लक्षण लैंगिक जनन के समय DNA में होने वाले परिवर्तन से उत्पन्न होते हैं।
उत्तर- भौगोलिक, पृथकरण अलैंगिक जनन वाले जीवो के जाति उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता है क्योंकि ऐसे जीवो को जानने के लिए अन्य जीवो की सहभागिता की आवश्यकता नहीं होगी।
उत्तर- भौगोलिक पृथकरण स्वपरागीत स्पीसीज के पौधे के जाति का उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता है क्योंकि ऐसे पौधे को परागण के लिए अलग पौधे की आवश्यकता नहीं होगी।