उत्तर- वैसे सारे प्रक्रम जो संयुक्त रूप से जीवों के अनुरक्षण का कार्य करते है, उसे जैव प्रक्रम कहते है।
जैव प्रक्रम के अन्तर्गत्त पोषण, श्वसन, वहन, उत्सर्जन इत्यादि आते है।
उत्तर- जीवों द्वारा भोजन को ग्रहण करना, पचे हुए भोजन का अवशोषण करना तथा अवशोषण से प्राप्त ऊर्जा का कार्य के लिए इस्तेमाल करने को पोषण कहते है।
पोषण दो प्रकार के होते है—
स्वपोषी पोषण
विषमपोषी पोषण
उत्तर-
स्वपोषी पोषण:- पोषण की वह प्रक्रिया जिसमें जीव अपने आस-पास के वातावरण से अजैव पदार्थ जैसे:- CO₂, H₂O तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से अपना भोजन स्वयं बनाते है, ऐसे पोषण को स्वपोषी पोषण कहते है।
विषमपोषी पोषण:- पोषण की वह प्रक्रिया जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते है बल्कि अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर रहते है, ऐसे पोषण को विषमपोषी पोषण कहते है।
उत्तर- प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है, जिसमें हरे पेड़-पौधे क्लोरोफिल की उपस्थिति में CO₂, H₂O तथा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अपना भोजन बनाते है अर्थात् कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करते है, उसे प्रकाश संश्लेषण कहते है।
उत्तर- प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक सामग्री निम्न है—
मिट्टी
जल
खनिज लवण
CO₂
क्लोरोफिल (पर्णहरित)
सूर्य का प्रकाश
उत्तर- प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधों को मिट्टी से पानी और खनिज-लवण तथा वायुमंडल से CO₂ और सूर्य का प्रकाश प्राप्त होती है।
उत्तर- स्वपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में निम्न अंतर है—
उत्तर- कोई वस्तु सजीव है अथवा निर्जीव है, इसका निर्धारण करने के लिए श्वशन, वृद्धि, गति, प्रजनन, उत्सर्जन के मापदंड का प्रयोग करेंगे।
उत्तर- पत्तियों के सतह पर जो सूक्ष्म छिद्र होती है, उसे रंध्र कहते है। इन रंध्रों के द्वारा पत्तियाँ वायुमंडल से CO₂ को ग्रहण करती है तथा ऑक्सीजन को छोड़ती है।
उत्तर- मनुष्यों जैसे बहुकोशिकीय जीवों का शरीर विशाल और जटिल होता है। उनके शरीर की सभी कोशिकाएँ वातावरण के संपर्क में नहीं रहती है। विसरण वातावरण के संपर्क में रहने वाली कुछ कोशिकाओं में ही हो सकता है। इसलिए विसरण द्वारा बहुकोशिकीय जीवों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति संभव नहीं है।
उत्तर- ऑक्सीजन, कार्बन-डाई-ऑक्साइड, भोजन तथा सौर ऊर्जा जीवों द्वारा बाहरी कच्ची सामग्री प्रयोग की जाती है।
उत्तर- श्वसन, वृद्धि, गति, पोषण तथा उत्सर्जन जीवन के लिए अनिवार्य है।
उत्तर- हमारे आमाशय में अम्ल की महत्वपूर्ण भूमिका है—
आमाशय में पाए जाने वाले एन्जाइम भोजन का पाचन अम्लीय माध्यम में करते है।
आमाशय में पाए जाने वाले अम्ल के प्रभाव से भोजन के साथ आने वाले बहुत से रोगाणु मर जाते है।
उत्तर- पाचक एन्जाइमों के निम्न कार्य है—
एन्जाइम उत्प्रेरक क्रिया द्वारा भोजन के जटिल अवयवों को सरल भागों में खंडित कर देते है।
एन्जाइम भोजन को घुलनशील बनाकर उनका अवशोषण करने में मदद करते है।
उत्तर- क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति पर असंख्य रसांकुर पाए जाते है। इनमें रक्त वाहिकाओं और लिम्फ़ वाहिनी का जाल बिछा होता है। इसमें विसरण क्रिया द्वारा भोजन का प्रोटीन, ग्लूकोज, खनिज, विटामिन इत्यादि रक्त में सोख लिए जाते है।
उत्तर- वह जटिल जैविक रासायनिक प्रक्रम जिसमें कार्बनिक पदार्थों के क्रमिक ऑक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है तथा जल और कार्बन-डाई-ऑक्साइड बनते है, उसे श्वसन कहते है।
श्वसन को दो भागों में बाँटा गया है—
ऑक्सी श्वसन (वायवीय श्वसन)
अनॉक्सी श्वसन (अवायवीय श्वसन)
उत्तर- ऑक्सी श्वसन तथा अनॉक्सी श्वसन में निम्नलिखित अंतर है—
उत्तर- श्वसन तथा श्वासोच्छ्वास में निम्नलिखित अंतर है—
उत्तर- स्थलीय जीव वातावरण से ऑक्सीजन लेते है तथा वातावरण में ऑक्सीजन अधिक मात्रा में रहती है। इसके विपरीत जलीय जीव जल में घुलित ऑक्सीजन का उपयोग करते है तथा जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। इसलिए श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने के संदर्भ में एक स्थलीय जीव जलीय जीव की अपेक्षा अधिक लाभदायक स्थिति में होता है।
उत्तर- ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के दो पथ है—
प्रथम:- प्रथम पथ में 6 कार्बन वाले ग्लूकोज अणु कोशिकाद्रव्य में 3 कार्बन वाले पायरुवेट अणु तथा ऊर्जा में टूटते है तथा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में पायरुवेट इथेनॉल, CO₂ और ऊर्जा में टूटता है।
कोशिकाद्रव्य में जाइमेज़ /यीस्टग्लूकोज → पायरुवेट → इथेनॉल + CO₂ + ऊर्जा
(6 C) (3 C) + ऊर्जा (2 C)दूसरा:- द्वितीय पथ में 6 C ग्लूकोज अणु 3 C पायरूवेट अणु में टूटता है। पायरूवेट 3 C लैक्टिक अम्ल तथा ऊर्जा में टूटता है।
कोशिकाद्रव्य में जाइमेज़ /यीस्टग्लूकोज → पायरुवेट → लैक्टिक अम्ल + ऊर्जा
(6 C) (3 C) + ऊर्जा (3 C)उत्तर- मानव में अनगिनत कूपिकाएँ होती है यदि इनके क्षेत्रफल का आकलन करें तो लगभग 80 वर्ग मीटर के बराबर होगा। अतः इन कूपिकाओं को ही गैसों के विनिमय के लिए मानव फुफ्फुस में अधिकतम क्षेतफल को अभिकल्पित किया जाता है।
उत्तर- रुधिर एक तरल संयोजी ऊतक है, जिसका रंग एक विशेष प्रकार की प्रोटीन हीमोग्लोबिन के कारण लाल होता है। रुधिर (रक्त) के निम्न कार्य है—
यह ऑक्सीजन का परिवहन करता है।
यह श्वसन के समय बनने वाली CO₂ गैस को वापस फेफड़ों तक लाता है।
यह उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन करके गुर्दों तक लाता है।
यह संक्रामक रोगों से शरीर की सुरक्षा करता है।
उत्तर-
स्थानांतरण:- खनिज एवं भोजन के जलीय घोल का पौधे के एक भाग से दूसरे भाग में जाने को स्थानांतरण कहते है।
वाष्पोत्सर्जन:- पत्तियों की सतह पर पाए जाने वाले वातरंध्रों से होकर जल का भाप के रूप में वातावरण में विलीन होने को वाष्पोत्सर्जन कहते है।
उत्तर- जाइलम तथा फ्लोएम में निम्न अंतर है—
उत्तर- पादप में जल और खनिज-लवण का वहन जाइलम वाहिनियों द्वारा होता है। परासरण के कारण मृदा में उपस्थित खनिजों का जलीय घोल जड़ों के मूल रोमों में प्रवेश करता है और उच्च सांद्रण से निम्न सांद्रण की ओर बढ़ता हुआ जाइलम वाहिनियों में पहुँच जाता है तथा वाष्पोत्सर्जन के कारण जलीय घोल पौधों के शीर्ष भाग तक पहुँच जाता है। इस प्रकार पादप में जल और खनिज-लवण का वहन होता है।
उत्तर- पौधों में भोजन का वहन या स्थानांतरण पत्तियों से प्रारंभ होकर फ्लोएम वाहिनियों द्वारा पूरे पादप शरीर में होता है। फ्लोएम वाहिनियों की चलनी नलिका में भोजन का प्रवाह उच्च सांद्रण से निम्न सांद्रण की ओर होता है।
उत्तर- उच्च संगठित पादपों में वहन तंत्र के दो प्रधान घटक होते है— जाइलम तथा फ्लोएम।
जाइलम खनिजों के जलीय घोल का वहन जड़ों से पूरे पादप में करती है तथा फ्लोएम पत्तियों द्वारा संश्लेषित भोजन को पूरे पादप में वहन करती है।
उत्तर- ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करने से शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति होती है। इसलिए स्थनधारियों तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना आवश्यक है।
उत्तर- मानव में वहन तंत्र के घटक और उनके कार्य निम्नांकित है—
हृदय:- रुधिर को एक पंप की तरह शरीर के विभिन्न भागों में भेजना, अशुद्ध रक्त को शुद्ध होने के लिए फेफड़ों और गुर्दों में भेजना तथा शुद्ध रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में भेजना।
धमनियाँ:- शुद्ध रुधिर को हृदय से दूर शरीर कर अंगों में भेजना।
शिराएँ:- अशुद्ध तथा विऑक्सीजनित रक्त को हृदय तक लाना।
कोशिकाएँ:- रक्त को शरीर के संकीर्ण भागों एवं त्वचा में भेजना।
बिम्बानु या प्लेटलेट्स:- रुधिर का थक्का बनने में सहायता करना एवं अनुरक्षण।
उत्तर- उपापचय के समय बने हुए या विमुक्त हुए ठोस, द्रव अथवा गैसीय अपशिष्टों को जीवधारियों के शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते है। जिन पदार्थों को उत्सर्जी किया जाता है, उसे उत्सर्जी पदार्थ कहते है और जिस तंत्र कर माध्यम से उत्सर्जन क्रिया होती है, उस तंत्र को उत्सर्जन तंत्र कहते है।
उत्तर- उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप निम्न विधियों का उपयग करते है—
उत्सर्जी पदार्थों को पत्तियों में जमा करना और पतझड़ के माध्यम से उनसे मुक्ति पाना।
अतिरिक्त भोजन या अन्य पदार्थों को फूलों, फलों इत्यादि अंगों में जमा करना।
उत्तर- मूत्र बनने की मात्रा का नियमन उत्सर्जी पदार्थों के सांद्रण, जल की मात्रा तथा उत्सर्जी पदार्थों की प्रकृति द्वारा होता है।
उत्तर- Will be published soon...
उत्तर- मानव हृदय शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त को एकत्र करके दायें आलिंद में लाता है, फिर उस अशुद्ध रक्त को फुफ्फुस धमनी द्वारा फेफड़े में शुद्ध करने के लिए भेज देता है जहाँ से शुद्ध रक्त पुनः फुफ्फुस शिरा द्वारा बायें आलिंद में आता है, जिसे बायें निलय में भेज दिया जाता है। बायें निलय से शुद्ध रक्त महाधमनी द्वारा पूरे शरीर में परिसंचरण हेतु हृदय की पंप क्रिया द्वारा भेजा जाता है। इस प्रकार रक्त परिवहन के एक चक्र को पूरा करने में रक्त को हृदय से होकर दो बार गुजरना पड़ता है। इसलिए मनुष्य में रक्त परिसंचरण को दोहरा रक्त परिसंचरण भी कहते है।
उत्तर- श्वसन उन क्रियाओ को कहते हैं, जिनमें ऑक्सीजन को ग्रहण करके इसका उपयोग ग्लूकोज के ऑक्सीकरण में होता है। इस क्रिया के फलस्वरुप मुक्त ऊर्जा ATP के रूप में जमा होती है, तथा CO₂ तथा जल उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
उत्तर- पौधों में गैसों का आदान-प्रदान उनके पतियों में उपस्थित रंध्रो के द्वारा होता है। उनमें CO₂ तथा O₂ का आदान-प्रदान विसरण-क्रिया द्वारा होता है।
उत्तर- श्वसन अंगो द्वारा वायुमंडल या जलमंडल से ऑक्सीजन (O₂) ग्रहण करने और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को शरीर से बाहर छोड़ने की क्रिया को श्वासोच्छवास कहते हैं।
उत्तर- श्वसन का दहन में निम्न अंतर है।
श्वसन
श्वसन क्रिया जीवित कोशिकाओं में साधारणसाधारण वायुमंडलीय तापमान पर संपन्न होती है।
श्वसन क्रिया एंजाइमोंएंजाइमों द्वारा संचालित होती है।
दहन
दहन क्रिया जीवित कोशिकाओं में उच्च तापमान पर संपन्न होती है।
दहन क्रिया एंजाइमों द्वारा संचालितसंचालित नहीं होती है।
उत्तर- श्वसन तथा प्रकाश संश्लेषण में निम्न अंतर है।
श्वसन
श्वसन एक अपचयी प्रक्रम है।
श्वसन में ग्लूकोस का विखंडन होता है।
श्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है।
प्रकाश-संश्लेषण
प्रकाश-संश्लेषण एक उपचयी प्रक्रम है।
प्रकाश-संश्लेषण में ग्लूकोस का संश्लेषण होता है।
प्रकाश-संश्लेषण में CO₂ का इस्तेमाल होता है।
उत्तर- मनुष्य के शरीर में ऑक्सीजन तथा कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैस का परिवहन रक्त में उपस्थित हिमोग्लोबिन की मदद से होता है। यह हीमोग्लोबिन नामक वर्णक फेफड़ो में उपस्थित वायु से ऑक्सीजन को ग्रहण करके इसे शरीर के विभिन्न कोशिकाओं में विसरित कर देते हैं। यह पुनः उपापचय क्रिया के फलस्वरूप CO₂ को ग्रहण करके रक्त परिवहन के द्वारा फेफड़ो तक पहुंचाता है, और अंत में फेफड़ो द्वारा इस कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैस को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
उत्तर- मछली - गिल्स
मच्छर - ट्रैकिया
केचुआ - त्वाचा
मनुष्य - फेफड़ा
उत्तर- अत्यधिक व्यायाम के दौरान खिलाड़ी के पेशी कोशिकाओं में ऑक्सीजन का अभाव हो जाता है, जिसके कारण पेशियो में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है। अतः पेशियों में अधिक मात्रा में लैक्टिक अम्ल के कारण शरीर में क्रैम्प अर्थात ऐंठन होने लगता है।